मंगलवार, 27 नवंबर 2012

सपा ने ली शुरूआती बढ़त , उतारे योद्धा मैदान में


समाजवादी पार्टी की 2014 लोकसभा चुनाव की पहली सूची जिसमे 63 सीटो के प्रत्याशियों के नाम हैं , इस प्रकार है :

1.मैनपुरी -मुलायम सिंह यादव
2. कैराना - नाहिद हसन
3. मुजफ्फरनगर - गौरव स्वरूप
4. नगीना - यशवीर सिंह
5. मुरादाबाद - डॉ. ST हसन
6. अमरोहा - श्रीमती हुम्मेरा अख्तर
7. बागपत - डॉ. विजय कुमार
8. गाजियाबाद - सुधन चन्द्र रावत
9. गौतमबुद्ध नगर- नरेंद्र भाटी
10. हाथरस - रामजी लाल सुमन
11. मथुरा - चंदन सिंह
12. आगरा - महाराज सिंह धनगर 
13. फतेहपुर सीकरी - डॉ. राजेन्द्र सिंह
14. फिरोजाबाद - अक्षय यादव
15. एटा - कुंवर देवेंन्द्र सिंह यादव
16. बदायूं -धर्मेंद्र यादव
17. आंवला- कुंवर सर्वराज सिंह
18. पीलीभीत - बुधसेन वर्मा
19. शाहजहाँपुर -मिथलेश कुमार
20. खीरी - रविप्रकाश वर्मा
21. धौरहरा - आनंद भदौरिया
22. हरदोई - उषा वर्मा
23. मिश्रिख - जय प्रकाश रावत
24. उन्नाव - अरुणा शंकर शुक्ला
25. मोहनलालगंज - सुशीला सरोज
26. लखनऊ - अशोक बाजपेयी
27. सुल्तानपुर - शकील अहमद
28. प्रतापगढ़ - C .N. सिंह
29. इटावा - प्रेमदास कठेरिया
30. कन्नौज - डिंपल यादव
31. अकबरपुर - लाल सिंह तोमर
32. जालौन - घनश्याम अनुरागी
33. झांसी - चंद्रपाल सिंह यादव
34. हमीरपुर - विशम्भर प्रसाद निषाद
35. बांदा - श्यामा चरण गुप्ता
36. फतेहपुर - राकेश सचान
37. कौशाम्बी - शैलेंद्र कुमार
38. इलाहाबाद - रेवती रमन सिंह
39. बाराबंकी - राजरानी रावत
40. फैजाबाद - तिलकराम वर्मा
41. बहराइच - शब्बीर अहमद बाल्मीकि
42. कैसरगंज - बृजभूषण सरन सिंह
43. गोंडा - कीर्तिवर्धन सिंह
44. डुमरियागंज - माता प्रसाद पांडेय
45. बस्ती - बृज किशोर सिंह
46. गोरखपुर - राजमती निषाद
47. लालगंज - दूधनाथ सरोज
48. घोसी - बालकिशन चौहान
49. बलिया - नीरज शेखर
50. जौनपुर - केपी यादव
51. मछली शहर - तूफानी सरोज
52. चंदौली - राम किशुन
53. वाराणसी - सुरेन्द्र सिंह पटेल
54. भदोही - सीमा मिश्रा
55.राबर्ट्सगंज - पकौड़ी लाल कोल
56 . मेरठ - शाहिद मंजूर
57 .बुलंदशहर सुरक्षित - रवि गौतम
58 . अलीगढ - काजल शर्मा
59 . सीतापुर - महेंद्र वर्मा
60 . फूलपुर - धर्मराज पटेल
61 . महाराजगंज - कुंवर अखिलेश सिंह
62 . आज़मगढ़ - बलराम यादव
63 . गाजीपुर - ओम प्रकाश सिंह

आपका शुभाकांक्षी :-
आपका भाई
विश्वम्भर प्रसाद निषाद ,
राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी,
सपा प्रत्याशी  हमीरपुर -महोबा -तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र 

रविवार, 18 नवंबर 2012

हार्दिक आभार माननीय नेताजी , शत शत धन्यवाद समाजवादी पार्टी

प्रिय मित्रों ,
आप सब की शुभकामनाओं , आदरणीय नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव जी के आशीर्वाद एवं प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव जी  की अनुशंसा पर मुझे पार्टी ने हमीरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है । हार्दिक आभारी हूँ समाजवादी पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड का ,जिसने लोकसभा हेतु मेरी प्रत्याशिता निर्धारित की । कोटि कोटि धन्यवाद राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह जी का , जिन्होंने मुझ नाचीज पर विधानसभा चुनाव 2012 में पराजित होने के बावजूद भी अटूट विश्वास बनाये रखा ।
आप सब की शुभ कामनाओं का आकांक्षी :-
आपका भाई
विश्वम्भर प्रसाद निषाद . पूर्व मंत्री ,उo प्र o शासन
राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी एवं प्रभारी मध्य प्रदेश राज्य समाजवादी पार्टी

क्या बाल ठाकरे सचमुच नहीं रहे ?

बाल ठाकरे नहीं रहे । कल उनके महाप्राण महायात्रा को निकल पड़े । आज उनका नश्वर शरीर भी पंचतत्व में विलीन हो जाएगा । बेशक ठाकरे के रहने या न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि उनकी सोच अब भी जिन्दा है । ठाकरेवाद भारतीय राजनीति का ऐसा दुर्भाग्य पूर्ण पहलू हो गया है जो राजनीति में तडके या आइटम सॉन्ग का काम करता है और उन्मादी राजनीति करने वालों के लिए घृत संजीवनी है । भले ठाकरे आज नहीं है लेकिन ठाकरी सोच आज भी सर ताने खड़ी है जो भारतीय लोकतंत्र में अप्रासंगिक हो चुके गुण्डातंत्र को संरक्षित करती है और जबरदस्ती डंडे के बल पर अपनी बात मनवाने की पक्षधर है । क्षेत्रवाद में पिरोये छद्म राष्ट्रवाद और उससे उपजे मनमाने आचरण को लोकतान्त्रिक राजनीति में लाने का श्रेय बाल ठाकरे ही ले सकते हैं। ठाकरे की इसी ठसक का एहसास अमिताभ बच्चन से लेकर जावेद मियाँदाद तक ने किया था । भाषावाद और प्रांतवाद की चाशनी में लपेट कर बाल ठाकरे ने ऐसा छद्म राष्ट्रवाद परवान चढ़ाया जो दूसरों को देश द्रोही ही समझता रहा और जो एक सभ्य शहरी को मुंबई में जीने के लिए भाई मार्का किसी गली मुहल्ले के गुंडे टाइप नेता के सर्टिफिकेट की आवश्यकता पर बल देता था । अपने ही देश में पराये देश का अनुभव करा देने वाली ठाकरी सोच की मार कभी गरीब मजदूरों पर पड़ी तो कभी दक्षिण भारतीयों पर , कभी गुजरातियों पर तो कभी यूपी बिहार के मेहनतकश तबके को कूड़ा करकट और गंदगी का ढेर बता कर पड़ी । जबकि भारत माता की जय बोल कर रातोंरात दाम दोगुने चौगुना कर देने वाले जमाखोर और जय महाराष्ट्र कहकर उत्तर भारतीयों के गाल लाल कर देने वाले बाल ठाकरी सोच के सबसे बड़े पोषक और संरक्षक रहे । आज ठाकरे के जाने से वे लोग अपने आप को अनाथ महसूस कर रहे हैं , मेरी सदभावनाएँ उनके साथ हैं ।  बेशक डंडा ठोकू  शैली के आधार पर उभरे और टिके रहे बाल ठाकरे और उनकी सोच को आम महाराष्ट्रियन ने कभी बहुमत नहीं दिया जो प्रमाणित करता है कि भारतीय जनमानस आज भी बाल ठाकरे की सोच से इतर शांति, सद्वभाव और प्रेम चाहता है,  टकराव नहीं ।
श्रद्धांजलि ........................... R .I .P.

रविवार, 7 अक्तूबर 2012

मछुआ वीरों से आह्वान

मछुआ वीरों से आह्वान
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भूल चुके तुम आज निषादों, वेदव्यास से ज्ञानी को ।
भूल चुके तुम आज लग रहा, फूलन की कुर्बानी को ।।
भुला दिया है तुमने तिलका मांझी से
बलिदानी को ।
भूल चुके तुम आज लग रहा दशरथ स्वाभिमानी को ।।
भूल गए तुम प्रेम शबरी का, जिद पर अड़ना भूल गए ।
भूल गए तुम संघर्षों को, हक पर मिटना भूल गए ।।
महापराक्रमी रानी दुर्गा की ललकारें भूल गए ।।
सदा शत्रुशोणितरंजित प्यासी तलवारें भूल गए ।।

गौरव तुमने भुला दिया है गुह्यराज की भक्ति का
तुमको बिल्कुल मान नहीं है कालूदेव की शक्ति का
भूल गये तुम आज जवानों, हिम्मत सिंह की हिम्मत को ।
और भुला बैठे तुम नत्था केवट जी की ताक़त को ।।
भूल गए इतिहास स्वयं का, विस्मृत किया कथाओं को ।
जिनमें पौरुष वर्णित था, ऐसी कुछ परिभाषाओं को ।।
भूल गए तुम अपने लोगों की टूटी आशाओं को ।
भुला दियें हैं स्वप्न कई , भूले कुछ अभिलाषाओं को ।।
जमुना और जयपाल स्वर्ग में बैठ भला क्या सोचेंगे ।
एकलव्य के वंशज रण से उलटे पैरों लौटेंगे ?

अब ये तुम पर रहा जवानों कैसा धर्म निभाओगे ।
जो स्वर्णिम इतिहास रहा तुम उसको वापस लाओगे ।।
या फिर अपने अधिकारों की होली जलते देखोगे ।
आरक्षण की मांग पुरानी , कब तक टलते देखोगे  ।।
आओ ! हम सब मिलकर यदि अपनी आवाज़ उठाएंगे ।
हम विकास की दौड़ में सब से आगे खुद को पायेंगे ।।
आभार :-अरुण कुमार तुरैहा 

शनिवार, 22 सितंबर 2012

महंगाई से बड़ा मुद्दा सांप्रदायिक शक्तियों से देश को बचाना

महंगाई निश्चित रूप से बड़ा मुद्दा है  लेकिन सांप्रदायिक शक्तियों से देश को बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है | गैस डीजल सहित FDI का विरोध जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है देश को विघटनकारी एवं सांप्रदायिक शक्तियों से दूर रखना | आज सांप्रदायिक ताकतों व कट्टरवादियों को सत्ता में आने से रोकना हमारी पहली कोशिश है। सांप्रदायिक शक्तियों को दूर रखने के लिए हम यूपीए सरकार का समर्थन करेंगे। यदि सपा सरकार का समर्थन नहीं करेगी तो इस समय कांग्रेस सरकार गिर सकती है और इससे निश्चित ही सांप्रदायिक पार्टियों व कट्टरवादियों के सत्ता में आने की संभावना बन सकती है | और यदि ऐसा होता है तो इसका सारा दोष हम पर मढ़ दिया जायेगा |

सच तो यह है कि कांग्रेस सरकार गिरते ही देश पर मध्यावधि चुनाव की मार पड़ेगी  | चुनाव प्रक्रिया पूर्ण कराने में लगभग 5000 करोड़ से ज्यादा का खर्चा आता है | समाजवादी पार्टी इसी स्थिति से देश को बचाना चाहती है और
देश में अनावश्यक समय पूर्व मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती |
      

समाजवादियों ने कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला करने में मुंह नहीं मोड़ा | हमारे नेता आदरणीय श्री मुलायम सिंह यादव जी ने विषम परिस्थितियाँ होने के बावजूद भी साम्प्रदायिकता से लड़ाई लड़ी है और जीते है। इतिहास गवाह है कि साम्प्रदायिकता की घोर आंधी में भी समाजवादियों के कदम कभी नहीं बहके । राम जन्भूमि बाबरी मस्जिद मामले में भी हमने क़ानून की सर्वोच्च सत्ता का राज स्थापित किया और अपनी सरकार तक की परवाह नहीं की |
अतः समाजवादी पार्टी देश के अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के लोगों को भरोसा दिलाती है कि उनके हितों और भावनाओं के अनुरूप सही वक़्त पर सही निर्णय लेगी |
सांप्रदायिक शक्तियों को दिल्ली की सत्ता से दूर रखने के लिए हम यूपीए सरकार का अभी समर्थन करेंगे।

बुधवार, 19 सितंबर 2012

भारत बंद करें ....आइये विरोध करें !

कल समाजवादी पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा डीजल, गैस सिलेंडर (संख्या निर्धारण ) मूल्य वृद्धि और रिटेल में FDI का विरोध करने का देशव्यापी निर्णय लेते हुए भारत बंद का आव्हान किया है । इसके लिए सपा के जुझारू कार्यकर्त्ता गाँव गाँव और शहर शहर जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। चौतरफा मिल रहे भारी जन समर्थन को देखते हुए कल का भारत बंद सफल रहने की पूरी उम्मीद है । निसंदेह ऐसे विरोध प्रदर्शन निरंकुश हुयी सरकार की नाक में नकेल डालने के लिए जरूरी होते हैं ।
लाख समझाने और विरोध के बाद भी विदेशी दलालों से चारो तरफ से घिरी मनमोहन सरकार FDI लागू करने पर आमादा है । रिटेल में F .D .I . यानि खुदरा बाज़ार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आमंत्रित करना विदेशी व्यापारियों के हाथों अर्थव्यवस्था को गिरवीं रखने जैसा होगा | यूरोपियन मुल्कों सहित अमेरिका के दबाब में कांग्रेस छोटे किसानों और खुदरा व्यवसायियों को बेरोजगार बना कर देश को भयानक मंदी में झोकने की साजिश रच रही हैं |
इसी प्रकार डीजल और गैस जैसे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को तेल कंपनियों के घाटे के नाम पर जब चाहे तब बढ़ा लेना सरकार का शगल बन गया है । ऐसा लगता है सरकार आम आदमी के लिए नहीं बल्कि तेल कंपनियों के फायदे के लिए बैठी है । डीजल की कीमत बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा और महंगाई दोगुनी तेजी से बढेगी । डीजल की कीमत बढाकर महंगाई कम करने की बात करना हास्यास्पद है और सिद्ध करता है सरकार के नीति निर्धारक मूर्ख और जमीनी सच्चाई से अनजान हैं  ।
          समाजवादी पार्टी डीजल, गैस मूल्य वृद्धि एवं मल्टी ब्रांड सेक्टर में 51  प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सौंपने को नितांत बेवकूफी भरा कदम और अदूरदर्शिता मानती है | इसीलिए FDI का हर स्तर पर विरोध कर रही है ।
आइये , नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी के आह्वान पर शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से भारत बंद को सफल बनाकर केंद्र सरकार को इसे वापस लेने के बाध्य करें ।

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

बंगाल से तलाशेगी सपा दिल्ली की सत्ता के सूत्र

समाजवादी पार्टी पश्चिम बंगाल से दिल्ली की सत्ता का मार्ग प्रशस्त करने निकल पड़ी है । देश भर के अपने जांबाज़ सिपहसालारों को बंगाल में जुटा कर सपा नेतृत्व अपनी तैयारियों को आधार देने में जुट गया है । बंग भूमि क्रांति और परिवर्तन की ऐतिहासिक साक्षी रही है और बंगाल से निकले अनेक आन्दोलनों ने देश की निरंकुश हुयी सत्ता को समय समय पर लगाम  देने के साथ अनुशासन के कठोर चाबुक भी बरसाए है । आज देश 14 वर्षों के द्विदलीय शासनव्यवस्था के वनवास से आजिज आकर बंगाल से किसी नये सूर्योदय की कामना कर रहा है ।
समाजवादी पार्टी का अभ्युदय कांग्रेस और कुत्सित जनसंघी विचारधारा से ऊब कर और वास्तविक आजादी  से कोसों दूर अंग्रेजों से मात्र सत्ता हस्तांतरण किये बैठी कांग्रेस के दो पाटों में पिस रहे आम भारतीय जनमानस की कराह और वेदना की परिणिति के रूप में हुआ । जब जब देश की सत्ता निरंकुश हुयी समाजवादियों ने आगे बढ़ कर संघर्ष का मार्ग चुना और व्यवस्था को अतिक्रमण करने से चेताया। चाहे आपातकाल रहा हो, स्वर्णमंदिर पर सेना भेजने का मामला रहा हो ,दिल्ली में सिखों का कत्लेआम हो अथवा रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद की आग में देश को झोंकने का षड्यंत्र, समाजवादियों ने ही सत्ता में आँख मूंदे बैठे लोगो को सड़कों पर आकर ललकारने का काम किया । आज घोटाले और आर्थिक भ्रष्टाचरण की गंगोत्री सिद्ध हो चुकी कांग्रेस नीत यूपीए 2 सरकार की विफलता और भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक चरित्र ने तीसरे संयुक्त मोर्चे की स्वयमेव राह बनाने की पहल कर आरम्भ दी है ।
भारी बहुमत से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुयी समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक सांसदों के बूते दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता तक पहुचने का रास्ता बंगाल से तलाशने आ पहुंची है । देश में समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ाने में हमेशा केन्द्रीय कांग्रेसी सत्ता की मुखालिफ रही वामपक्षी पार्टियां आगे रहीं । CPI , CPI (M ), RSP , AIFB , CPI (ML) के साथ साथ  RJD ,AGP , TDP , AIADMK ,MGP , NCP , JMM ,PDP आदि दल आज कांग्रेस से इतर अपना और देश का भविष्य तलाश रहे है । जिसका आधार भी बंगाल बनाने जा रहा है । निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी इन दलों में सबसे मजबूत और बहुमत के नाते नेतृत्वकर्ता की हैसियत में है जो देश में समाजवादी आन्दोलन के भविष्य में और मजबूत होने के साथ साथ निर्णायक भूमिका में रहने की ओर इशारा करता है ।2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और तीसरे मोर्चे के स्वरुप का निर्धारण इसी अधिवेशन में निर्धारित हो जायेगा । दिनों दिन ढलती कांग्रेस और जनसमस्याओं से विमुख संघर्षहीन भाजपा का विकल्प अब बंगाल से तय होने जा रहा है । बंगाल से तय होने वाले समीकरण ही देश की आगामी राजनीति को प्रभावित और नियंत्रित करेंगे जिसमे समाजवादी अपनी निर्णायक भूमिका निर्धारित कर चुके हैं । समाजवाद का नया सूरज बंगाल से निकलने जा रहा है ।
 

शनिवार, 8 सितंबर 2012

सपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शुरू : बेरोजगारी भत्ता आज से


उत्तर प्रदेश सरकार नौजवानों का खोया सम्मान और आत्मविश्वास पुनः लौटाने जा रही है  । बेरोजगारी का दंश झेल रहे यूपी के बेरोजगार नौजवान अब अपना सर गर्व से ऊँचा कर चल सकेंगे | जी हाँ  ! उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें रोजगार ना दे पाने की एवज में कल से भत्ता देने जा रही है | अब बेरोजगार नौजवानों को अपने छोटे मोटे कामों और नौकरियों में एप्लाई करने के लिए किसी के समक्ष हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, ना ही मन में बेरोजगार होने की हीन भावना लाने की जरूरत होगी | अब बेरोजगार नौजवानों का सरकार ख्याल रखेगी और रोजगार देने का भरसक प्रयास करेगी और यदि किसी कारण वश रोजगार मुहैय्या नहीं करा पाई तो युवाओं को बतौर मुआवजा बेरोजगारी भत्ता देगी | समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र 2012 में भी यह वादा किया था ,जिसे पूरा करने के कगार पर आज यूपी सरकार खड़ी है |
समाजवादियों की आरम्भ से ही नीति रही है कि  बेरोजगार और बेकार ठहरा दिए नौजवानों के अन्दर सुषुप्त उर्जा को यदि सम्मान देकर देश हित में लगा दिया जाये तो देश को नौजवानों का प्रगतिशील नेतृत्व तो मिलेगा ही देश को नवीन उर्जायुक्त दिशा भी मिलेगी । इसीलिए समाजवादी पार्टी का सदैव विचार रहा है कि नौजवान नीति बनाकर युवाओं में विश्वास और आशा का माहौल बनाकर रोजगार के उचित अवसर सृजित करते हुए खुशहाल वातावरण बनाएं । देश का नौजवान अगर स्वस्थ और प्रसन्नचित है तभी नव निर्माण की ओर अग्रसर होगा । समाजवादी पार्टी युवाओं के इस मिजाज़ को भलीभाँति समझती है ।
श्री मुलायम सिंह यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट बनी इस योजना का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल से बेरोजगारी भत्ता वितरित कर शुरुआत करेंगे।
  
लखनऊ समेत सात जिलों के लोगों को एक हजार रूपये का चेक देकर मुख्यमंत्री कल काल्विन ताल्लुकेदार्स कालेज के प्रांगण में लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रायबरेली तथा कानपुर समेत सात जिलों के गत मई, जून तथा जुलाई में आवेदन करने वाले लगभग 10 हजार 500 बेरोजगारों को अगस्त माह तक देय भत्ते की धनराशि के चेक वितरित करेंगे।
  
भविष्य में यह धनराशि हर तिमाही की समाप्ति के बाद बेरोजगारों के खाते में सीधे डाली जाती रहेगी। प्रदेश के बेरोजगार नवयुवकों को गत 15 मई से बेरोजगारी भत्ता देने की योजना शुरू की गयी है। इसके तहत 25 से 40 साल तक की उम्र के कम से कम हाईस्कूल पास बेरोजगारों को एक हजार रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। अब तक लगभग दस लाख से ज्यादा बेरोजगारों ने भत्ते के लिये आवेदन किया है। सपा ने विधानसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था।

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कन्या विद्याधन योजना लागू :फिर महकीं खुशियों की क्यारियाँ

उत्तर प्रदेश में खुशियों की क्यारियां फिर से महकने जा रही हैं। स्वावलंबन और स्वाभिमान की मुरझाई फसल फिर से लहलहाने को तैयार है ।जी हाँ ,..... अब उत्तरप्रदेश की बेटियाँ खुश हैं । बेटियों का स्वाभिमान और मान सम्मान का प्रतीक बनी बहुप्रतीक्षित योजना और आदरणीय नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी  का स्वप्न कन्या विद्या धन योजना फिर से आरम्भ हो रही है । सपा सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को 2007 में मायावती ने बंद कर दिया था ।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की हाईस्कूल पास छात्राएं उच्च शिक्षा की ओर उन्मुख हों और ऐसी छात्राएं जो उच्च शिक्षा की ओर उन्मुख होकर इंटर मीडिएट परीक्षा या उसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी हों , उनको 2012 चुनाव घोषणा पत्र में उल्लिखित वायदे के अनुरूप प्रोत्साहन स्वरुप 30000 रूपये की धनराशि एकमुश्त प्रदान की जायेगी । इस योजना की विशेषता है कि ये 30000 रुपयों का लाभ कालेज में मिलने वाली छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं से प्राप्त होने वाली आर्थिक सहायता के अतिरिक्त होगा ।
सरकार के इस ऐलान से जहां प्रदेश की बेटियाँ खुश हैं वहीँ उनके चेहरों पर प्रसन्नता और आत्मविश्वास का जो भाव जागा है वह अद्भुत और प्रेरणा दाई है । आज फिर उत्तरप्रदेश की बेटियों का सर गर्व से ऊँचा होने जा रहा है । उनके मातापिता भी बेटियों की उच्च शिक्षा को अब बोझ नहीं समझेंगे और मातापिता को बेटियों को आगे पढाने का बेहतर मौका मिलेगा । इस घोषणा से प्रदेश में महिला उच्च शिक्षा का बेहतर और सुविधाजनक  माहौल बनेगा साथ ही धनाभाव में उच्च शिक्षा से वंचित गरीब छात्राओं को आगे पढने का संबल मिलेगा । सरकार के इस कदम से यकीनन महिला साक्षरता की दर में तो वृद्धि होगी ही, उच्च शिक्षित समाज में महिलाओं का प्रतिशत और प्रतिनिधित्व दोनों निश्चित रूप से बढेगा।
आज प्रदेश की बेटियाँ सपा सरकार का नेतृत्व कर रहे माननीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सरकार के प्रेरणास्रोत आदरणीय नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी को धन्यवाद देते हुए अपने सपनों को परवान चढ़ते देख फूली नहीं समा रही हैं ।

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से मिला निषाद समाज प्रतिनिधिमंडल

आज 23 अगस्त को मछुआ /निषाद समाज के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री अखिलेश यादव जी से 5 , कालिदास मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर जाकर भेंट की । प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री जी का ध्यान  मछुआ /निषाद समाज की अनेकानेक समस्याओं की ओर आकृष्ट कराया । 40 मिनट तक हुयी भेंट वार्ता में समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र  में उल्लिखित 17 अति पिछड़ी जातियों को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति सूची में सम्मिलित करने सबंधी विषय पर माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष ध्यान दिलाया गया । साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने उत्तरप्रदेश की अनुसूचित जाति में पहले से ही पंजीकृत मछुआ समुदाय की गोंड, तुरैहा, खरबार, मंझवार और बेलदार जातियों को जाति प्रमाणपत्र निगर्त करने के आदेश जिला अधिकारियों को जारी करने की मांग की ।
मछुआ /निषाद समाज के शिष्ट मंडल को आश्वस्त  करते माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की प्रतिबद्धतायें प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं । सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मछुआ /निषाद समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । उन्होंने कहा की प्रदेश सरकार अति शीघ्र ही मछुआ /निषाद समाज सहित 17 अति पिछड़ी जातियों को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति सूची में सम्मिलित करने सबंधी अपनी अनुशंसा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर केंद्र सरकार को भेजेगी । उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार से इस प्रस्ताव को यथाशीघ्र मंज़ूर कराने के लिए मजबूत पैरवी भी करेगी। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मुख्य मंत्री श्री अखिलेश यादव जी का हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया ।
शिष्टमंडल में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री विश्वम्भर प्रसाद निषाद पूर्व मंत्री, के अतिरिक्त प्रदेश के चिकित्सा राज्यमंत्री श्री शंख लाल मांझी , श्रीमती राजमती निषाद विधायक , लक्ष्मीकांत उर्फ़ पप्पू निषाद विधायक , पूर्णमासी गोंड देहाती विधायक ,गायत्री प्रसाद प्रजापति विधायक, चौ0 लालता प्रसाद निषाद पूर्व विधायक , राज नारायण बिन्द पूर्व विधायक , दयाराम प्रजापति MLC , व्यास जी गोंड एवं युवा नेता राजपाल कश्यप शामिल रहे । 

सोमवार, 20 अगस्त 2012

मुंहफट बेनी का बयान : जनता से क्रूर मजाक

UPA  सरकार मे मंत्री बेनी बाबू  बढती महंगाई से बेहद खुश है । उनका तर्क है कि बढती महंगाई से किसान खुश हाल रहता है ।मुंहफट बेनी के मुताबिक महंगाई बढ़ने से किसानों की फसल अच्छे दामों में बिकती है।
पता नहीं बेनी बाबू की अक्ल को क्या हो गया है ,जब से कांग्रेस में गए हैं ,मानसिक संतुलन खो बैठे हैं और अंट शंट बोलते रहते हैं । महंगाई की मार झेल रही जनता से इससे बड़ा क्रूर मजाक नहीं हो सकता । कमरतोड़ महंगाई से जूझती जनता अपनी दो जून रोटी के जुगाड़ में है और मंत्री मजाक कर रहा है वो भी प्रेस कांफ्रेंस बुला कर । प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी, जो स्वयं को अर्थशास्त्री भी बताते हैं, भी महंगाई से चिंतित हैं और अपनी चिंता सोनिया जी से भी जाहिर कर चुके हैं । लालकिले पर बोलते समय भी इस विषय पर गंभीर ही थे । जबकि उनका मंत्री महंगाई पर चुटकी लेकर खींसे निपोर रहा है ।
चुनाव के घाट पर खड़ी UPA सरकार को मुसीबत में डालने वाले इस बयान से स्पष्ट है कि  सरकार महंगाई को लेकर लेश मात्र भी चिंतित नहीं और बस अपना वक़्त काट रही है ।
बडबोले बेनी बाबू का बयान हास्यास्पद तो है ही, सरकार के महंगाई रोकने के प्रयासों और दावों की पोल खोलने के लिए काफी है । ये बेनी का बचकाना बयान नहीं बल्कि सत्ता मद में चूर होकर दिया गया बयान है जो प्रमाणित करता है कि केंद्र सरकार को अब गरीब और उसकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है । यही वजह है जो बडबोले बेनी बाबू  के परिवार का बोरिया बिस्तर बाराबंकी की जनता ने इस दफा विधान सभा चुनाव में अच्छे से बांध दिया है । ये वही मुंहफट बेनी बाबू हैं जो 2012 में यूपी विधान सभा चुनाव में चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस की सरकार बनाये डाल रहे थे ।
दिए गए लिंक पर बेनी का बयान पढ़े -
http://www.amarujala.com/national/nat-i-am-happy-with-price-rise-Beni-Prasad-Verma-30908.html

रविवार, 19 अगस्त 2012

नेताजी की हुंकार से सरकी कांग्रेस की हवा ।

नेताजी ने लखनऊ से हुंकार क्या भरी , कांग्रेस की हवा सरक गयी तीसरे मोर्चे का नाम सुनते ही । पता नहीं क्यों .....तीसरे मोर्चे का नाम सुनते ही सबसे ज्यादा एलर्जी कांग्रेसियों को होती है । तीसरे मोर्चे की आहट से कांग्रेस फिर बैचेन हैं । अभी आडवानी जी ने चंद दिनों पहले तीसरे मोर्चे के 2014 में सत्तासीन होने की सम्भावना जताई तो कांग्रेस सदमे में जा पहुंची । लेकिन नेताजी श्री मुलायम सिंह जी ने आज जब तीसरे मोर्चे का आधार बनाना आरम्भ किया तो कांग्रेस को अपना कुनबा चुनाव से पहले ही बिखरता नज़र आया । कोई माने या माने .......जब जब राजनीति में समाजवादी संघर्ष परिभाषित होता है तो कांग्रेस को अपना अस्तित्व उसमे डूबता उतराता नज़र आता है । यहाँ हम लोहिया, जेपी और राजनारायण जी के संघर्षों को प्रमाण मान सकते हैं । डॉ राम मनोहर लोहिया के कांग्रेस विरोध और जनसंघी विचारधारा से सम्यक दूरी बनाकर चलने से देश में सशक्त समाजवादी विचारधारा विकसित हुयी और कांग्रेस से ऊब चुके देशवासियों के मन मस्तिष्क में ताजा हवा के लिए एक नई खिड़की खुली । जैसे जैसे समाजवादी विचारधारा मजबूत होती गयी कांग्रेस क्षीण प्रायः होती गयी ।
आज एक बार फिर देश मनमोहन सिंह जी की उबाऊ और कठपुतली सरकार से आजिज़ होकर समाजवादियों की तरफ देख रहा है । घनघोर घोटालों के आरोपों को झेलते निरंतर खोखली होती जा रही कांग्रेस को भी अब अहसास हो चुका है कि  2014 में वापसी संभव नहीं । उधर भाजपा में भी नेतृत्व को लेकर जूतमपैजार की नौबत है । मोदी का दावा है वो प्रधान मंत्री पद के लिए निर्विकार हैं , वहीँ संघ नीतीश कुमार के साथ है । आडवानी जी अकेले पड़ चुके हैं और अपने अनुभव अपने ब्लाग पर बाँट रहे हैं कि  भाजपा चुनाव जीतने की हालत में नहीं । उन्होंने भी सोच समझ कर सत्य ही कहा है कि इस दफा 2014 में तीसरा मोर्चा ही सत्तासीन होगा ,भाजपा या कांग्रेस नहीं |
उत्तर प्रदेश में इस बार समाजवादियों को प्रचंड बहुमत मिला है और लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों में सबसे अब्बल समाजवादी पार्टी ही है । उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है और यहीं से सबसे ज्यादा सांसद भी चुने जाते हैं जिनके समर्थन से केंद्र की सरकार बनती है | नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी भारत वर्ष की राजनीति की तीसरी शक्ति का केंद्र माने जाते है | गैर भाजपाई गैर कांग्रेसी सरकारों में आपका योगदान अप्रतिम रहा है आपने हमेशा सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला किया है | निश्चित ही यूपी की समाजवादी पार्टी की लोकप्रिय सरकार और जांबाज़ कार्यकर्ताओं के बूते लोकसभा की 60 सीटें जीतना कोई मुश्किल काम नहीं, | एक बार फिर जुझारू समाजवादी कार्यकर्त्ता लक्ष्य 2014 के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के तैयार बैठे  है ।

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

वास्तविक आजादी - कब तक ?

आज देश अपनी स्वतंत्रता की 65 वीं सालगिरह के गीत गा रहा है | अभिजात्य वर्ग सड़कों पर तिरंगा लिए दौड़ रहा है और आजादी को स्वछंदता के अर्थों में स्थापित कर रहा है | शहीदों को याद करने के लिए आज मेट्रों रेलयात्रियों ने फुर्सत निकाल ही ली और मगर उनकी स्वतंत्रता संग्राम परिचर्चा  घूम फिर कर नेहरु गाँधी परिवार पर आकर समाप्त होती है  |
65 साल बाद आज भी देश की राजधानी से 500 किमी० दूरवर्ती ग्रामों में आजादी का मतलब स्कूली बच्चों के राष्ट्रगान गायन और मिष्ठान्न वितरण तक ही सीमित है | लोग आजादी के वास्तविक अर्थ के नजदीक तक नहीं पहुँच पाए गुजिश्ता 65 सालों में | आज भी भूख और बीमारी हमारे देश में चुनावी मुद्दा बनती है और राजनैतिक दल इस पर सरकारें बनाते आयें हैं | गरीबी आज भी जिन्दा है ........गरीबी हटाओ के नारे को 35 साल होने जा रहे हैं | लेकिन बूढा हुआ जाता ये नारा आज भी उतना ही पैना ,कारगर और लोकप्रिय है जितना अपनी जननी स्व० इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में था | 65 सालों में आजाद भारत में जो विकास हुआ  उस विकास का अपहरण मेट्रो शहरों और बड़े नगरों ने कर लिया | विकास बड़े शहरों के आगोश में सदा के लिए खो गया है और इस कारण गाँव से शहर आने वाली सड़के जर्जर और छोटी ही बनी रहीं | शहर चकमक फैक्ट्रियों से अजूबे और देहात उसका उत्सर्जन मात्र बने रहे | यहाँ इंजीनियर और बिजनेस टाइकून काबिल और अर्थव्यवस्था के प्रमुख नियंता समझे जाने लगे और देश का अन्न उत्पादक किसान गंवार और जाहिल की श्रेणी में आ खडा हुआ | कृषि प्रधान देश में कृषि अनपढ़ों और मजदूरों का पेशा बना कर रख दी गयी | नतीजतन भारत में ही दो प्रकार के भारत विकसित होते चले गए | जिनका अंतर देश की शिक्षा ,स्वास्थ्य, न्याय, सुरक्षा सहित कई पहलुओं में स्पष्ट द्रष्टिगोचर होता गया | देश के नीति निर्धारक समस्या को जाने बिना और धरातल की हकीकत को समझे बिना योजनायें बनाते गए | हद तो तब हो गयी जब किसानों से जुड़े मुद्दे ऐसे हाथों तय होने लगे जिन्हें फसलों और पेड़ों तक की जानकारी नहीं थी यानि ऐसे वैद्य के हाथ इलाज ठहराया गया जिसका आयुर्वेद से कोई सम्बन्ध ही न था | सरकारें मात्र अपना कार्य काल ही पूरा किये जाती रहीं | हमारी आधी आबादी आज भी कर्जदार है | हम 65  सालों में देश के दलितों और पिछड़े वर्गों को न्याय नहीं दिला पाए | आज भी हम कुपोषण ,पोलियो ,बेरोजगारी, पीने का पानी, शौचालयों और विद्युत आपूर्ति जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं जबकि ये मुद्दे मेरे हिसाब से आजादी के प्रथम बीस साल में ही हल हो जाने चाहिए थे | 65 सालों बाद आज भी समाजवादी समाज की स्थापना का स्वप्न अधूरा ही है | समता मूलक समाज कहीं भी धरातल पर नज़र नहीं आता। बिना सामाजिक और आर्थिक आजादी प्राप्त किये आजाद होने के कोई मायने नहीं हैं | ये आजादी नहीं है अपितु मैं इसे व्यापक अर्थों में सत्ता का हस्तांतरण मात्र ही समझता हूँ | हो सकता है अनेक लोग मेरी बात से सहमत न हों और सहमत होना आवश्यक भी नहीं, क्योंकि हम बोलने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ही अपनी वास्तविक स्वतंत्रता मान बैठे हैं |

रविवार, 12 अगस्त 2012

शर्मसार किया हाकी ने

ओलम्पिक में भारतीय हाकी टीम पूरे देश को शर्मसार कर दिया है | कभी भारतीय खेल जगत का सिरमौर रही हाकी की दशा आज मुंह चिढ़ाती प्रतीत हो रही है | मेजर ध्यान चन्द के मजबूत हाथो में पली बढ़ी हाकी आज अपनी दुर्दशा पर रो रही है | ओलम्पिक सहित एशियाड ,कामनवेल्थ ,एफ्रो एशियन,साउथ एशियन आदि खेलों में हमेशा भारतीय हाकी ही पदक तालिका में लाज बचाती आई थी | लेकिन इस दफा तो रिकार्ड ही बन गया छीछलेदार का | सबसे फिस्सडी साबित हुए भारतीय हाकी शेर | सबसे अंतिम पायेदान पर आई हाकी टीम ने 120 करोड़ भारतीयों का सर शर्म से झुका दिया है | भारतीय टीम एक भी मैच जीतने में नाकाम रही | ओलम्पिक खेलों के इतिहास में इतनी बुरी दुर्गति हाकी टीम कभी नहीं कराई जितनी इस बार | जले पर नमक ये कि भारतीय खिलाड़ी अंतिम मैच हार कर हाथ हिलाते हुए मैदान का चक्कर इस अंदाज में लगा रहे थे मानों कोई पदक जीता हो ,जबकि मैदान पर मौजूद भारतीय दर्शक रो रहे थे और उन पर गुस्से में बोतलें और कागज के गोले फेंक रहे थे |
अब समीक्षाएं होंगी और जांचों का दौर चलेगा | जाँच के नाम पर लीपापोती होगी और दर्शक फिर इस प्रदर्शन को भूल जायेंगे | मैं तो कहता हूँ पूरा हाकी फैडरेशन बर्खास्त होना चाहिए | हाकी तैयारी के नाम पर बरबाद की गयी शासकीय धनराशि को गबन मानते हुए इनसे बसूला जाना चाहिए तभी शायद इन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो |

शनिवार, 11 अगस्त 2012

आखिर ऐसा क्या गलत कह दिया आडवाणी जी ने ?

पता नहीं भाजपा वाले क्यों आडवाणी जी से खार खाये जा रहे हैं | संघ से लेकर बाल ठाकरे और दिल्ली से लेकर गुजरात तक भाजपाई मुँह फुलाए पड़े हैं | बेचारे आडवाणी जी ने अपनी दिल की बात अपने ब्लॉग पर क्या लिखी.... सत्ता  के गलियारों में कोहराम मच गया | जिसे देखो वह टिप्पणी कर रहा है | कोई परास्त सेनापति...... तो कोई थका खिलाड़ी ......तो कोई हताशा का शिकार बता रहा है | सत्ता का ख्वाब पाले बैठे कई प्रतीक्षारत मंत्री आडवाणी जी का ब्लॉग पढते ही धडाम हो गए | आस जाती रही हाथ से कईयों की | मैं ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूँगा आडवाणी जी को .....जो उन्होंने सत्य कहने और स्वीकारने का साहस जुटाया | आडवाणी जी का बयान जनभावनाओं की स्वीकारोक्ति है |  पूर्व उपप्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में एक दम सटीक भविष्यवाणी की है कि 2014 में कांग्रेस या भाजपा की सरकार नहीं बनने जा रही | यानि महंगाई और भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी कांग्रेस सरकार अपना बहुमत लोकसभा चुनाव 2014  में खो देगी और UPA 2 का अगला सीक्वल बनाने का कांग्रेसी सपना पूरा नहीं होगा | साथ साथ आडवाणी जी ने ये भी स्वीकारा है कि भाजपा भी बहुमत के आस पास नहीं आने वाली | इस अवश्यम्भावी परिवर्तन के मूल में लगातार पिछले 15 वर्षों से देश की राजनीति के केंद्र में बारी बारी से दो प्रमुख दलों का ही सत्तासीन होना है | लोगों ने केंद्र में भाजपा का विकल्प कांग्रेस तय किया और कांग्रेस ने निराश करते हुए प्रायः हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के नए नए कीर्तिमान स्थापित किये | लोग चाह कर भी सुरसा की भांति बढ़ती महंगाई ,भ्रष्टाचार और उसमे से निकले 2G , CWG ,स्पैक्ट्रम, राजा, कनमोझी, कलमाड़ी कैसे चरित्रों को भूल नहीं पा रहे हैं | उधर भाजपा की अंतर्कलह भी कम नहीं है | 2014 तक सिर फुटौवल की स्थिति आ जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए | अब ये स्पष्ट हो गया है कि अब भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए आडवाणी जी स्वाभाविक और निर्विवाद नेता नहीं रहे | मोदी और अब नीतीश कुमार उनके कद और पद के समक्ष आ चुके हैं | आज ही संघ प्रमुख ने मोदी के मुकाबले नीतीश सरकार को ज्यादा अंक देकर भाजपाई खेमे में खलबली मचा दी है | भाजपा में निरंतर कमजोर पड़ते जा रहे आडवाणी जी अपनी स्थिति और अति आत्मविश्वास से लबरेज ड्राइंगरूम पालिटिक्स के माहिर भाजपाई मसनदी नेताओं की असलियत बखूबी जानते हैं | इसलिए उन्होंने सोच समझ कर सर्वथा सत्य ही कहा है कि इस दफा 2014 में तीसरा मोर्चा ही सत्तासीन होगा ,भाजपा या कांग्रेस नहीं |
हम सब जानते है कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है और यहीं से सबसे ज्यादा सांसद भी चुने जाते हैं जिनके समर्थन से केंद्र की सरकार बनती है | इस दफा समाजवादी पार्टी को 2012 विधान सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला है | नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी भारत वर्ष की राजनीति की तीसरी शक्ति का केंद्र माने जाते है | गैर भाजपाई गैर कांग्रेसी सरकारों में आपका योगदान अप्रतिम रहा है आपने हमेशा सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला किया है | निश्चित ही यूपी की समाजवादी पार्टी की लोकप्रिय सरकार और जांबाज़ कार्यकर्ताओं के बूते लोकसभा की 60 सीटें जीतना कोई मुश्किल काम नहीं, | ऐसा होते ही समाजवादी परचम देहली के गगन में लहरा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी |
आडवाणी जी का ब्लॉग पढ़े http://blog.lkadvani.in/blog-in-hindi/%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D-2014-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AF

सोमवार, 2 जुलाई 2012

हार्दिक धन्यवाद नेता जी श्री मुलायम सिंह एवं आभार समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में उल्लिखित मछुआ /निषाद जातियों के SC आरक्षण की दिशा पहल करते हुए कार्यवाही आरम्भ कर दी है | माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी द्वारा मछुआ /निषाद जातियों सहित 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के उद्देश्य से प्रभावी कदम उठाते हुए मंत्रियों की समिति बनाने पर हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित |
          प्रदेश सरकार के इस कदम से इन वर्गों में अखिलेश सरकार के प्रति विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है | इस प्रस्तावित SC आरक्षण से उत्तर प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों के डेढ़ करोड़ लोग लाभान्वित होंगे और अब तक विकास की किरण से महरूम रहा मछुआ /निषाद समुदाय समाज की मुख्य धारा में आएगा | मछुआ समुदाय अपने प्रस्तावित अनुसूचित जाति आरक्षण की लड़ाई में समाजवादी पार्टी को हर सहयोग करने को तैयार है | निसंदेह अब हमारी भावनाओं के अनुरूप प्रस्ताव तैयार होगा जो अति शीघ्र विधानसभा से पास होकर केंद्र सरकार को भेजा जायेगा | समाजवादी पार्टी अपने सांसदों की ताक़त से इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंजूर करा कर रहेगी | स्पष्ट हो गया कि समाजवादी पार्टी जो कहती है वो करती है | कथनी करनी में कोई भेद नहीं | हमारे नेता आदरणीय मुलायम सिंह जी की नीति और नीयत बिलकुल साफ़ है | हमें नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव पर पूर्ण विश्वास है |

मंगलवार, 19 जून 2012

राष्ट्रपति चुनाव और समाजवादी पार्टी

राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज चुका है । केंद्र में सरकार संचालक होने के नाते कांग्रेस दल की जिम्मेदारी है कि  वो देश को एक निष्पक्ष ,योग्य और उर्जावान राष्ट्रपति दे । यह सत्य है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार पूर्ण बहुमत में नहीं है और राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति और सभी दलों को साथ लेकर चलने की मंशा रखती है । बेहतर होता कि भारत का राष्ट्रपति दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर निर्विरोध चुना जाता । इससे जहाँ स्वस्थ संवैधानिक परंपरा स्थापित होती वहीँ राष्ट्रपति पर दल विशेष का मोहरा या ठप्पा होने का दाग भी नहीं लगता । किन्तु बहुमत की संसदीय परंपरा में सत्तारूढ़ दल भी अपना बहुमत साबित करने में पीछे नहीं रहना चाहेगा । कांग्रेस द्वारा नामित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को पुराना संसदीय अनुभव है और वे लगातार किसी न किसी पद पर रहकर देश को अपनी सेवाएँ देते रहे हैं ।
कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति के इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की महति भूमिका को बहुत पहले ही जान लिया था  है । बिना समाजवादी पार्टी के सहयोग के कांग्रेस का राष्ट्रपति चुना जाना असंभव कार्य था । कांग्रेस के राष्ट्रपति प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी का समाजवादी पार्टी ने समर्थन कर देश को मध्यावधि चुनाव से बचाया है ।महंगाई से जूझती जनता पर अनावश्यक
मध्यावधि चुनाव लादने से अच्छा था कि कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन किया जाए । ये बात गौर करने लायक है कि यदि कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव हार जाता और भाजपा का प्रत्याशी जीतता तो प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को नैतिकतावश  इस्तीफ़ा देना पड़ता, देश मध्यावधि चुनाव की चपेट में आता और अगली बार भाजपा को दोगुनी ताक़त से सत्ता में आने कोई नहीं रोक पाता । इस प्रकार समाजवादी पार्टी ने दूरदर्शिता का परिचय देकर जहाँ देश को अनावश्यक मध्यावधि चुनाव से मुक्ति दिलाई बल्कि भाजपा की कमर तोड़ने का काम भी किया है ताकि 2014 तक भाजपा सिर्फ अफ़सोस ही मनाती रहे । सांप्रदायिक शक्तियों से समाजवादी पार्टी सदैव मुकाबला करती रही है और आगे भी करती रहेगी ।
नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव के कुशल दिशा निर्देशन में राष्ट्रपति चुनाव में लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी ने अपनी उच्च रणनैतिक क्षमता , आत्मविश्वास और अहमियत को प्रमाणित किया है | डॉ लोहिया का कथन सत्य साबित हुआ कि भारतीय राजनीति में समाजवादी आन्दोलन की भूमिका सदैव प्रभावी, प्रासंगिक, अग्रणी और निर्णायक रहेगी एवं समाजवादियों व समाजवाद को उपेक्षित करने वाली सत्ता ज्यादा दिनों तक चल नहीं पायेगी |

शनिवार, 16 जून 2012

कन्नौज के मायने ....

कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी श्रीमती डिम्पल यादव  के निर्विरोध निर्वाचन ने समाजवादियों को जश्न मनाने का जल्द ही दूसरा अवसर प्रदान किया है । कार्यकर्त्ता खुश भी हैं और हतप्रभ भी, कि उन्हें प्रचार और अपनी क्षमता प्रदर्शित करने  का भरपूर मौका हाथ से जाते दिखा | वहीँ जनता में संतोष की लहर है कि कन्नौज का सीधा दोहरा सम्बन्ध विकास से जुड़ गया है । इस सब के बीच फिरोजाबाद कहीं पीछे छूटता नज़र आया ।
यकीनन अगर फिरोजाबाद सामने नहीं आता तो कन्नौज भी नहीं हुआ होता । फिरोजाबाद ने समाजवादियों को संभलने और अपने संघर्ष को पुनर्परिभाषित करने पर मजबूर तो किया ही,  साथ ही मुखरता के साथ जनसमस्याओं से भिड़ने का माद्दा भी पैदा किया । आताताई मायाराज से समाजवादियों का संघर्ष मुखरित हुआ तो लखनऊ को भी लाल रंग में रंगते देर न लगी । लूट तंत्र से आजिज़ जनता ने भी अपने सही पैरोकारों को पहचानने में भूल नहीं की और समाजवादियों को नेताजी के बेमिसाल संघर्षों और अनुभवों में पिरोया एक नया सशक्त  ,युवा ,विकसित और जमीनी हस्ताक्षर युक्त नेतृत्व मिला ।
कन्नौज विजय वास्तव में अनूठी तो है ही ,स्पष्ट कर रही है कि  आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रायः हर सीट पर यही स्थिति  होने वाली है । विधान सभा चुनाव में पड़ी जबरदस्त मार से विपक्ष अभी तक सीधा भी नहीं हो पाया है । समाजवादी पार्टी के विरुद्ध प्रत्याशी चुनने में विपक्षियों को नाकों चने चबाने पड़  रहे हैं । ये हाल तब है जब कि दूसरे दलों के नेताओं का सपा में प्रवेश फिलहाल बंद है और शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर ही चंद  लोगों की इंट्री हुयी है । प्रतिबन्ध हटते  ही जो भगदड़ विपक्षी दलों में मचने वाली है ,उसका अंदाजा भर कन्नौज से लगाया जा सकता है । वास्तव में कन्नौज समाजवादियों का मक्का है । डॉ लोहिया की कर्मस्थली कन्नौज  में पुष्पित पल्लवित समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ते देखना निसंदेह देश वासियों के लिए एक सुखद अनुभव तो है ही भारतीय राजनीति  में समाजवाद की आवश्यकता और प्रासंगिकता को भी घोषित करता है ।
2014 समाजवादियों के असल दमखम की परीक्षा लेने वाला है जिसकी पटकथा कन्नौज लिख चुका है ।

मंगलवार, 29 मई 2012

समाजवाद की प्रयोगशाला बना है उत्तर प्रदेश


समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रमुख और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाग्य के चहेते हैं। मात्र अड़तीस साल के नौजवान पर यूपी के मतदाताओं का भरोसा काबिले गौर है। मुख्यमंत्री चुने जाने से पहले समाजवादियों ने अखिलेश को संगठन की कमान सौंपी थी और इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष की हैसियत से अखिलेश की साइकिल यात्रा ने चुनावी राजनीति में गुणात्मक बदलाव कर दिया।

राज्य की आम जनता बीएसपी के खिलाफ थी और उसे एसपी के रूप में विकल्प नजर आया हालांकि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने 207 विधानसभा सीटों पर 211 रैलियों को संबोधित किया था। तब भी कांग्रेस मात्र 28 सीटें ही जीत सकी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस के 31 प्रत्याशी ही आ सके।

मुख्यमंत्री चुने जाने से पहले अखिलेश कन्नौज संसदीय क्षेत्र से एक बार नहीं, बल्कि तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए। कन्नौज संसदीय क्षेत्र समाजवादियों का तीर्थ कहा जा सकता है। इसी संसदीय क्षेत्र से जुझारू जन संघर्षों के अग्रदूत डॉ. राम मनोहर लोहिया लोकसभा के लिए चुने गए थे और उन्होंने संसद को समाज के कमजोर वर्ग के सरोकारों से जोड़ दिया था।

तब लोकसभा में 22 सोशलिस्ट चुनकर आए थे, जिसमें लोहिया, मधु लिमये, किशन पटनायक और रामसेवक यादव जैसे कर्मठ संविधानविद भी थे, लेकिन लोहिया ने नेता बनाया था मनीराम बागड़ी को। यह थी लोहिया की नेतृत्व विकसित करने की अदा। लोहिया के नेतृत्व में समाजवादियों ने पिछड़े वर्ग को अग्रगामी भूमिका में लाने की कर्मनीति निर्धारित की थी। उनका नारा था- सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सौ में साठ। लोहिया के पिछड़े में समूचा नारी समाज शामिल था। ब्राह्मण से लेकर दलित वर्ग की नारी पिछड़े वर्ग में थी। इस तरह अखिलेश की जीत एक तरह से डॉक्टर लोहिया के सपने की जीत है।

जनेश्वर मिश्र समाजवादियों के पूर्ण बहुमत का सपना देखा करते थे। लोहिया और मधु लिमये जैसे असाधारण चिंतक और समाजवादी नेताओं की भी ऐसी ही आकांक्षा थी। समाजवादी आंदोलन के पितृ पुरुष और समाजवादी आचार शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य नरेंद्र देव, जय प्रकाश नारायण और यूसुफ मेहर अली की त्रिमूर्ति ने भी समाजवादियों के लिए इसी तरह के मनोभाव हृदय में संजोए थे। समाजवादियों के लिए सिद्धांत सर्वोपरि होता है और सत्ता गौण। आचार्य नरेंद्र देव, जेपी और लोहिया के चिंतन पर गांधी का असर प्रतिबिंबित होता है। रोजा लुक्सेमबर्ग के शब्दों में- समाजवाद रोटी-मक्खन का सवाल नहीं है, किंतु एक सांस्कृतिक आंदोलन है, एक विशाल तथा उन्नत संसार व्यापी विचार पद्धति है।

लोहिया और आंबेडकर के बीच अक्सर पत्र व्यवहार होता रहता था। अपनी मृत्यु से एक दिन पहले आंबेडकर ने सोशलिस्ट एस. एम. जोशी और कम्युनिस्ट पी. के. अत्रे को लिखे पत्र में कहा कि उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी का प्रारूप तैयार किया है और वह चाहते हैं कि वे दोनों इस नवगठित पार्टी की रहनुमाई करें। जबकि प्रचलित अर्थों में जोशी और अत्रे ब्राह्मण थे।

मुलायम सिंह ने समाजवादी आंदोलन की शानदार परंपरा से प्रेरणा लेकर एसपी-बीएसपी गठबंधन की बुनियाद रखी थी और समाजवादियों की मदद से कांशीराम इटावा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। लेकिन बीएसपी नेतृत्व की सत्ता लोलुपता ने उसे हिंदुत्व का पैरोकार बना दिया, जबकि बाबा साहब आंबेडकर ने दलित वर्ग को सीख दी थी कि अगर हिंदू राज सचमुच एक वास्तविकता बन जाता है तो इसमें संदेह नहीं कि यह देश कि लिए भयानक विपत्ति होगा क्योंकि यह स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के लिए खतरा है। इस दृष्टि से यह लोकतंत्र से मेल नहीं खाता।

हिंदू राज को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। लेकिन मायावती ने बाबा साहब की सीख को दरकिनार कर संघ-बीजेपी के सहयोग से सत्ता-सुख भोगने में गुरेज नहीं किया। बाबा साहब व्यक्ति पूजा के खिलाफ थे। वर्ष 1949 में संविधान सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था: राजनीति में व्यक्ति पूजा अवमूल्यन और अधिनायकवाद की डगर है। लेकिन आज के बीएसपी नेतृत्व के लिए बाबा साहब की सीख का कोई मतलब नहीं है। इसलिए दलित वर्ग में भी बीएसपी का जनाधार घट रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे से यह उजागर हुआ है।
साभार : शिव कुमार मिश्र

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

नई जंग के लिए कमर कसे मछुआ समुदाय

प्रिय मछुआ बंधुओं ,
17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने मुद्दे पर प्रदेश सरकार अत्यंत गंभीर है और संकल्पित है कि शीघ्रातिशीघ्र इनवर्गों  को विधि सम्मत संवैधानिक अधिकार उपलब्ध कराएँ जाएँ | प्रधान मंत्री से १४ अप्रैल को संपन्न हुयी माननीय मुख्मंत्री श्री अखिलेश यादव जी की भेंट वार्ता में केंद्र व् प्रदेश सरकार के मध्य इस अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर सहमति बनी  है | पूर्व में17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रेषित प्रस्ताव को मायावती सरकार दुर्भावनावश केंद्र से मूलरूप में वापस मँगाकर निरस्त कर चुकी है ,ऐसी अवस्था में उत्तर प्रदेश सरकार इन वर्गों पर पुनः मानव शास्त्रीय अध्ययन संपन्न करा कर पूरी मजबूती के साथ दोनों सदनों से प्रस्ताव को आगामी बजट सत्र में पास करवा कर ही भेजने की तैयारी कर रही है ताकि मायावती अपनी जाति के चक्कर में दोबारा कोर्ट का कोई अडंगा न खडा कर दे | उधर केंद्र में बैठी कांग्रेस के हाथ में पूरी शक्ति निहित है कि प्रदेश सरकार के 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव को माने या न माने | इस लिए संभव है कि राजनैतिक फायदा लेने की गरज से कांग्रेस इस प्रस्ताव को 2014 के लोकसभा चुनाव से टीक पहले मान ले, और हमें अनुसूचित जाति में शामिल करने की पहल करे | समाजवादी पार्टी संसद में इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने और प्रस्ताव को जल्द मंजूर करने हेतु आवश्यक दवाब डालने का कार्य करेगी | मछुआ हितों के लिए सदैव संकल्पित नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव का स्वप्न है कि देश का मछुआ समुदाय अनुसूचित जाति /जन जाति का आरक्षण प्राप्त कर राष्ट्र की मुख्य धारा में आगे बढे |
इस जंग में हम लोग अकेले नहीं है हमारे साथ कुम्हार /प्रजापति ,भर-राजभर और लोनिया-चौहान समाज का भी भविष्य दांव पर है और इतनी बड़ी आबादी का हक नकारने का साहस बुरी तरह पराजित और लोकसभा चुनाव से घबरा रही कांग्रेस सरकार में कदापि नहीं है
इसके लिए आवश्यक होजाता है कि हम संगठित रहे और अनुशासित होकर धैर्य पूर्वक अपना काम करें | समाजवादी पार्टी लाखों मछुआ समाज के भाइयों बहनों के आशीर्वाद के फलस्वरूप प्रदेश में सत्तासीन हुयी हैं इसलिए उसे मछुआ हितों का सदैव स्मरण है | समाज के बंधू कोई भी ऐसा कमेन्ट या बयान न दें जिससे हमारा होता हुआ काम अटक जाए और दूसरी पार्टियां इस पर राजनीति शुरू कर दें | याद रखें साथियों ! समाज के आरक्षण सम्बन्धी इस अति महत्वपूर्ण मुद्दे का हल निकलने का वक़्त अब आ चुका है |

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

अब सचिन को न बहकाए फुसलाये कांग्रेस

यूपी विधान सभा चुनाव सहित कई राज्यों में करारी पराजय और सिर पर खड़े लोकसभा चुनाव में संभावित हार को भांपते हुए कांग्रेस अब नए जुगाड़ में है | दांव खेलना चाहती हैं सचिन तेंदुलकर के जरिये | लिहाजा डोरे डाल रही है सचिन पर |  सचिन को घोडा बनाकर कर कांग्रेसी नेता सवारी के चक्कर में है ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में सचिन को भी गोविंदा बनाकर गली गली नचाये और फायदा उठाये | ..........दरअसल कांग्रेस आरम्भ से ही लोकप्रिय व्यक्तित्वों को भुनाने की आदी रही है ताकि ऐन मौके पर भ्रष्टाचार की सताई जनता की  भावनाओं को पलट सके | इस कार्य में कांग्रेस नेहरु के ज़माने से सिद्ध हस्त भी रही है  | सदुपयोग के उपरान्त बेचारे महापुरुष बगलें ही झांकते नज़र आये और गुमनाम होकर रह गए  | नज़र दौडाएं .....तो राजेश खन्ना से लेकर सुनील दत्त तक ......मनोज प्रभाकर से लेकर असलम शेर खान ....नवाब मंसूर अली खान पटौदी सहित दर्जनों नाम हैं जो कि चुनावी इस्तेमाल की कांग्रेसी साजिश का शिकार होकर रह गए |
विश्व में लोकप्रियता के शिखर पर विराजमान सचिन तेंदुलकर निसंदेह प्रतिभावान खिलाडी हैं और फिलहाल कई वर्षों तक उनकी कांग्रेस से ज्यादा देश को आवश्यकता है और पूरी तरह फिट सचिन अभी कई वर्ष और क्रिकेट खेलकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं | अभी कई कीर्तिमान और बनाने है सचिन को ....सो भगवान् के लिए कांग्रेस सचिन को बख्शे भाई और किसी अन्य को तलाशे जो डूबती कांग्रेसी नैय्या का खेवनहार बनने का साहस जुटा सके |

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

मुख्यमंत्री का जनता दरबार : जन समस्याओं से जूझने का बेमिसाल जज्बा

उत्तर प्रदेश में मुसलसल पांच साल तक जन समस्याओं से विमुख रही और चाटुकारों की भजन मंडली से पूर्णतः घिरी रही पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के सत्ताच्युत होने के पश्चात पांच साल बाद पहली बार आयोजित हुए मुख्यमंत्री जनता दरबार में आज भारी भीड़ टूट पड़ी | भीड़ का आलम ये था कि हर कोई अपनी समस्या माननीय मुख्यमंत्री को मिल कर बता देना चाहता था और अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहता था | माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी द्वारा भी सभी समस्याओं को व्यक्तिगत रूप सुनने के पश्चात् सम्बंधित अधिकारियों को निराकरण की दिशा में ठोस, आवश्यक एवं उचित कार्रवाही का करने का निर्देश जारी किया गया | अपनी अपनी शिकायतों का अम्बार लेकर मुख्यमंत्री जनता दरबार आज में प्रदेश के कोने कोने से भारी भीड़ पहुंची | जनता दरबार से लौटते हुए प्रसन्न एवं संतुष्ट फरियादियों द्वारा बताया गया कि पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री द्वारा जनता दरबार बंद कर दिया गया था फलस्वरूप अधिकारी बेलगाम हो गए थे और अपनी मनमानी पर उतारू थे फलस्वरूप जनता जनार्दन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था और स्वयं को असहाय महसूस करते लोगों की प्रार्थना सुनने वाला भी कोई नहीं था जो अधिकारियों की मनमानी पर रोक लगा सके औए इन्साफ कर सके |
सत्ता परिवर्तन के उपरान्त आज पुनः पांच वर्ष के पश्चात आरम्भ हुए  प्रथम मुख्यमंत्री जनता दरबार में टूट पड़ी भारी भीड़ को देख कर अंदाजा हो रहा था कि आज भी लोग सिर्फ इन्साफ के लिए भटक रहे हैं | अधिकाँश फरियादियों की समस्याएँ पिछले पांच सालों में हुए ज़मीनों पर अवैध कब्ज़े को लेकर रही | साथ ही झूठे मुक़दमे झेल रहे लोगों में भी मुख्यमंत्री जी से न्याय की बड़ी आस रही | इसके अतिरिक्त बसपा सरकार के दबाब में गुंडों का संरक्षण करते हुए आम जनता के मुक़दमे न लिखे जाने और नौकरियों के नाम पर बसपा नेताओं सहित पूर्व दर्जा राज्यमंत्रियों द्वारा अपनी अपनी बिरादरियों से अकूत पैसा वसूलने की भी सैकड़ों शिकायते मिलीं | माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी द्वारा सभी शिकायतों पर व्यापक जांच एवं कार्रवाही करने का आश्वासन मिलने पर मुरझाये चेहरों पर खुशियाँ बरस पड़ी और आश्वस्त लौटते परेशां हाल लोगों ने बताया कि तडके सुबह से भूख प्यास बर्दाश्त किये बैठे लोगों को जब पहली बार सूबे के मुखिया से मुखातिब होकर अपनी बात कहने का मौका मिला तो उनकी सब परेशानियाँ गौण हो गयीं | अनुमान के मुताबिक़ अगले मुख्यमंत्री जनता दरबार में और ज्यादा भारी भीड़ जुटने का अंदाजा है |

रविवार, 15 अप्रैल 2012

सख्ती से कुचलेगी सरकार ऐसे प्रयासों को :मायावती का बयान कुंठाजनित

यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में बुरी तरह पिट कर सत्ताच्युत मायावती ने कल अम्बेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी खीझ उतारी । अत्यंत सादे और फींके कार्यक्रम में मायावती ने बहुजन नायकों के पार्कों से छेड़छाड़ सम्बन्धी बात कहते हुए कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात कही।
मायावती शायद भूल रही हैं ..... अब वो प्रदेश की मुख्यमंत्री नहीं है । इसलिए कानून व्यवस्था को बरक़रार रखने जिम्मेवारी हमारी सरकार की है और मूर्तियों से छेड़छाड़ के झूठे आरोपों के जरिये यदि कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिशे हुई तो सरकार सख्ती से ऐसे सभी प्रयासों को कुचलने को तत्पर रहेगी और कोई रियायत किसी दशा में नहीं की जायेगी ।
मायावती को समझना चाहिए कि माननीय मुख्यमंत्री श्री  अखिलेश यादव जी पहले ही उदघोषित कर चुके हैं कि किसी भी महापुरुष कि मूर्ति से यहाँ तक कि मायावती और उनके जिन्दा माँ-बाप कि मूर्तियों को भी तोडा या शिफ्ट नहीं किया जाएगा बल्कि पार्कों की बेकार पड़ी भूमि का सदुपयोग समाजोपयोगी कार्यों जैसे शिक्षण संस्थाएं -अनाथ आश्रम, विधवाश्रम आदि बनाने में किया जाएगा जिसके लिए सरकार सक्षम और कृतसंकल्पित है।
ऐसी दशा में ,जब सरकार की तरफ से सब कुछ स्वयं ही स्पष्ट है, यह बात कहकर दलित समाज को बरगलाना कि बसपा सरकार में बने पार्कों और मूर्तियों से छेड़छाड़ पर कानून व्यवस्था बिगड़ जायेगी  , बिलकुल गलत, हास्यास्पद और उकसाने वाला बयान है जिसमे दम कम और राजनैतिक गंध ज्यादा है ।

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

मूलनिवासी हम निषाद हैं !!

हम हैं जल जंगल के वासी
हम भारत के आदि निवासी
सबसे अलग हैं, निर्विवाद हैं
मूलनिवासी हम निषाद हैं
आपसे क्या मतलब जनाबे आली |

नदियाँ पर्वत हमने छाने
नहीं दासता को हम माने
खुला आसमाँ ठौर हमारा
बागी बीता दौर हमारा
सभी यातनाएं हमें याद हैं
मूलनिवासी हम निषाद हैं
आपसे क्या मतलब जनाबे आली |

हम सागर के पुत्र कहाए
हम जलजीत सदा कहलाये
कुदरत का हर ज्ञान हमें था
प्राकृतिक वरदान हमें था
हम मिटटी में रमें हुए हैं
अपनी जड़ में जमें हुए हैं
खुद ही अपना पानी खाद हैं
मूलनिवासी हम निषाद हैं
आपसे क्या मतलब जनाबे आली |

शनिवार, 10 मार्च 2012

आरक्षित सीटों पर भी हाथी धड़ाम !!

               दलितों की सिरमौर होने और दलित राजनीति की नियंत्रक और सञ्चालन कर्ता होने का दंभ पाले बैठी मायावती को ये चुनाव बहुत भारी गुज़रा है । मायावती को करारी हार का इतना अफ़सोस नहीं होगा जितना आरक्षित सीटें हार जाने का । जी हाँ ,  ये कड़वा घूँट मायावती के हिस्से में आया है । दलित हितों का पांच वर्षों तक ढोल पीटने के बाद मायावती ने दलितों के एक बड़े हिस्से का समर्थन न केवल खो दिया बल्कि अपनी दलित राजनीति का आधार कही जाने वाली रिजर्व सीटों पर से भी मायावती का सूपड़ा साफ़ हो गया है ।
              हठी और दलित वोटों की सौदागर मायावती भले ही न मानें लेकिन संकेत साफ़ है कि दलित राजनीति अब करवट ले रही है । अपनी जाति के चक्कर में मायावती ने दलितों में ही न सिर्फ अपने विरोधी पाल लिए बल्कि अपने आधार वोट को भी भ्रमित करने की तैयारी कर ली । सत्ताखोर दलित नेताओं और प्रमोशन पाने को बेताब चंद अफसरों ने मायावती को कभी भी जमीनी हकीकत से रूबरू नहीं होने दिया । नतीजा ये हुआ कि दलितों के ही तमाम अधिकारी/ कर्मचारी बसपा शासन में उत्पीडित रहे, परेशान रहे यहाँ तक कि सस्पेंड पड़े रहे और उनके आंसू पोंछने वाला कोई भी आस पास न था । हद तो तब होगई जब मायावती की सरकार में ही दलितों के प्रमोशन पर कुठाराघात हो गया और माया के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी । जातीय समीकरण बिठाने के चक्कर में मलाई चाटने वालों का जमावड़ा इकठ्ठा कर मायावती जनाधार का मुगालता पाले बैठी रही। आलम ये हुआ कि चुनाव में जनता और पत्रकारों तक के सवालों के जवाब देने की हिम्मत न तो बहन जी की हुयी न उनके प्रत्याशियों की । परिणामतः .वोट खुलते ही हाथी धड़ाम होगया। कोढ़ में खाज की स्थिति ये कि आरक्षित वर्ग की स्वयंभू पैरोकार होने का दम भरने वाली बसपा के आरक्षित प्रत्याशियों को वोट देना तो दूर , उनकी तरफ देखा तक नहीं दलितों ने । हास्यास्पद स्थिति तब हुयी जब माया की जाति वाले भी हाथी पे नहीं चढ़े ।
भले माया अब अपने कैडर कैप चलाए, समीक्षा के दौर चलाये , कमियाँ ढूँढने का प्रयास हो लेकिन दलितों  ने अपना विकल्प तलाशने में देर नहीं की और मायावती को जोरदार झटका देकर बता दिया कि रहनुमा भटक जाते हैं तो पटक दिए जाते हैं ।
प्रदेश की 83 आरक्षित सीटों पर दलगत नतीजे इस प्रकार रहे 
समाजवादी पार्टी - 56 
बसपा- 15
कांग्रेस- 04 
भाजपा- 03
रालोद- 03
निर्दल - 02 ( इसमें एक बाबा गंज (सु०) सीट से श्री विनोद कुमार हैं जो राजा भैया / सपा समर्थन से जीते हैं )

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

22 सालों का हिसाब मांग रहे निठल्ले !!

यूपी की जनता को 22 सालों से खटते देख पसीज उट्ठे है राहुल बाबा | हिसाब मांग रहे है 22 सालों का | भावुक हो कर सत्ता परिवर्तन का आह्वान कर बैठे हैं | बख्शो भाई..........तुम्हारे पुरखे 53 सालों से दिल्ली वाली गद्दी हथियाए पड़े हैं | ससुर छोड़ते ही नहीं ,अब तो जुएँ भी पड़ गयीं होंगी दिल्ली वाली गद्दी में | लगता है आपकी पास की नज़र कमज़ोर है राहुल बाबा  तुम्हारे परनाना के हाथ से होती हुयी भारत की मरियल गर्दन आज भी आपकी मौम के हाथो में अटकी है | फटी कमीज में जिन्दगी गुजार रहे आम आदमी पर तरस खाओ भाई | 22 सालों का हिसाब बाद में माँगना ,पहले 53 साल का तो हिसाब दे दो बाबा  | कोई यूपी का आदमी हिन्दुस्तान से बाहर थोड़े रहता है , तुम्हारी वंशमाला की नीतियों से यूपी वाला भी परीशाँ हाल रहा फटीचर रहा सो जिस हाल में भी है आप ही की जूतियों के सदके में हैं | ,ये कांग्रेस के चरणों का ही प्रताप है कि 32 रूपये खर्च कर देने वाला मालदार होगया है |
कोई सूचना अधिकार आज तक ये नहीं बता पा रहा है कि आपका पारिवारिक बिजनेस क्या है ? इतना तो सब जानते हैं कि आपके स्वर्गवासी पिता हवाई जहाज उड़ाकर आपके परिवार का भरण पोषण करते थे | उसके बाद चिरागों में रौशनी न रही ..........न जाने कैसे अब तलक उजाला है |
आखिर कंप्यूटर के ज़माने में आपने मान ही लिया कि आजादी के 65 साल बाद भी आधी आबादी आज भी नंगे पैर हैं, हिन्दुस्तानी आज भी भूखे और नंगे हैं तभी तो आप मुफ्त भोजन देने का ऐलान कर रहे है | भूख चाहे पेट की हो या सत्ता की, आदमी को निठल्ला बना के छोडती है , आप भारतीयों की भूख/कमी  को बखूबी जान गए हैं सो निठल्लों की फौज आपके पास है | जब निठल्ले राज करते हैं तो जूतियें उठाने वालों के भाग खुल जाते हैं चाहे तो तिवारी जी राजभवन वालों से पूछ लो भाई |
 http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20120228a_001136009&ileft=-5&itop=227&zoomRatio=276&AN=20120228a_001136009

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

फर्जी युवराज को दस्त लगे !!

आज फर्जी युवराज को फिर पागलपन का दौरा पड़ गया | राहुल ने चुनावी सभा में बुधवार को लखनऊ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र को फाड़ दिया । विधान सभा चुनाव में करारी हार देख कर फर्जी युवराज बौखला गया है और नैतिकता ,मर्यादा,शालीनता सब भूल गया |
चुनावी मंच पर घोषणा पत्र फाड़ते हुए राहुल का कहना था कि 40 साल से वादे सुन रहा हूँ कोई भी पार्टी वादे पूरी नहीं करती तो घोषणा पत्र का क्या काम। हम घोषणा पत्र नहीं बनाते बल्कि वादे पूरा करने में यकीन रखते हैं। जबकि समाजवादी मुफ्त बिजली, पानी, रोजगार और बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर रहे हैं l

मैं फर्जी युवराज रौल विन्ची को बताना चाहता हूँ कि झूठे चुनावी वायदों ,राजनैतिक धोखाधड़ी और मतदाता से ठगी की जनक कांग्रेस रही है | झूठे वादे कांग्रेस तब से कर रही है जब फर्जी युवराज पैदा भी नहीं हुआ होगा | देश का सबसे बड़ा झूठा चुनावी वादा इसकी दादी ने किया कि हम दस वर्षों में गरीबी हटा देंगे | आज हाल ये है कि कांग्रेस शासित महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के किसान सबसे ज्यादा आत्महत्याएं गरीबी की वजह से कर रहे हैं | बोफोर्स की दलाली खाकर जवान होने वाला फर्जी युवराज भूल रहा है कि देश के मौजूदा हाल के लिए उसका खानदान ही ज्यादा जिम्मेदार है क्योकि सबसे ज्यादा शासन देश पर कांग्रेस ने ही किया है 54 साल | सो भूख अशिक्षा अपराध,बेरोजगारी पिछड़ापन आदि के लिए कोई दूसरा कैसे जिम्मेदार हो जायेगा |

सपा का घोषणा पत्र सिर्फ वादों की लिस्ट नहीं रोज़ी- रोटी ,शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी जरूरतों और गैर बराबरी मिटा कर संभव बराबरी लाने का लोहिया जी और डॉ अम्बेडकर का सपना है जिसे जनता ने दिल से लगा लिया है और सायकिल वालों को हाथों हाथ ले रही हैं |

शायद यही देख कर फर्जी युवराज को दस्त लग गए

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

निष्पक्षता दांव पर : चुनाव आयोग अपनी साख बचाये !!

              चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है । लोकतंत्र में स्वस्थ एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का जिम्मा चुनाव आयोग का ही है । लेकिन चुनाव आयोग की निष्पक्षता उस समय दांव पर लग गयी जब अल्पसंख्यक आरक्षण मामले में देश का सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के खिलाफ कार्रवाही करने की हिम्मत आयोग नहीं जुटा पाया। ताज्जुब है ये वही आयोग है जिसने देश विरोधी बयान देने के कारण बाल ठाकरे जैसे स्वच्छंद मानसिकता के व्यक्ति की नाक में डालते हुए उन्हें  मतदाता सूची से लम्बे समय तक बाहर रखा। क्या कानून मंत्री मंत्री देश और चुनाव आयोग से भी ऊपर है ? आयोग की कार्यशैली सवालिया निशान लगा रही है क्योकि अपनी आसन्न हार से बौखलाई कांग्रेस चुनाव बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कर रही है और आयोग सिब्बल , दिग्विजय और सलमान खुर्शीद में ही उलझा है।
             मुस्लिम आरक्षण पर आयोग के ऐतराज के बावजूद मुंहफट सलमान खुर्शीद मुसलिम आरक्षण के लिए आयोग से फांसी चढाने जैसे उत्तेजक बयान देकर आयोग की सत्ता को चुनौती दे रहे है और आयोग बजाय कार्रवाही करने के राष्ट्रपति से गुहार लगा रहा है कमजोरी साबित कर रहा है कि सलमान के खिलाफ वे कार्रवाही करें। जबकि राष्ट्रपति के बारे में सब जानते हैं कि बिना प्रधान मंत्री की सिफारिश के कुछ नहीं होने वाला। अब आयोग की जिम्मेदारी है कि वह अपनी साख बचाये
             सोनिया जी के राष्ट्रीय दामाद की मोटर साइकिल रोकने का साहस करने वाले चुनाव प्रेक्षक को पहले तो अमेठी से हटा कर फिर प्रतीक्षा में तत्पश्चात पुनः तैनात करके आयोग ने अपने ऊपर पद रहे दवाब को झुठलाने की बहुतेरी कोशिश की लेकिन चुनाव आयोग का आचरण अब संदेह के घेरे में है।

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

बसपा में मची भगदड़

विधान सभा चुनाव में बसपा की हार सुनिश्चित देख बसपाइयों ने पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया है | जैसे जहाज डूबने लगता है तो लोग उसमे से कूदने लगते हैं | वैसे ही बसपा में भी भगदड़ मच चुकी है | कारण; जनता का साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा गुस्सा , जिसका सामना करना फिलहाल बसपा के बस की बात नहीं | लूट ,बलात्कार ,गुंडई ,भ्रष्टाचार और घोर स्वजातिवाद के आरोप बसपा को सांस भी नहीं लेने दे रहे | प्रदेश में पांच वर्षों के कार्यकाल में मायावती के नेतृत्व में जिस प्रकार बसपा कार्यकर्ताओं ने जमकर लूट खसोट मचाई और प्रदेश को गहरे गड्डे में डाकने का काम बसपा के नेताओं ने किया तो अब चुनाव में जनता से मुंह दिखाए नहीं बन रहा हैं ।   पिछले एक सप्ताह में ही यानि प्रथम चरण के चुनाव के पश्चात से पूरे प्रदेश में लगभग दो हज़ार से ज्यादा लोग बसपा छोड़ कर अन्य दलों की शरण ले चुके हैं |
दर असल समाज को जातियों में बाँट कर और फिर उनमें फूट डाल कर शासन करने में बसपा सिद्ध हस्त रही है । इसी कारण प्रदेश को जातिवाद की घोर आग में झोंक कर मायावती अपनी और अपने माता पिता की मूर्तियाँ चौराहे चौराहे गाडती रही और समाज विकास को तरसता रहा मायावती ने अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश में एक भी उद्योग नहीं लगाया उल्टा अनेक  उद्योग प्रदेश से पलायन कर गए। मूर्तियों के कमीशन में मस्त मायावती ने उत्तर प्रदेश के विकास को पूरी तरह से नकार दिया । यही वजह है कि मायावती की चुनाव में दुर्गति की शुरुआत होता देख बसपाई अपने दल से निकल भागने लगे हैं। 
आज पूरे प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर हैं और समाजवादी पार्टी अपनी स्पष्ट और जनहितकारी नीतियों की वज़ह सभी दलोंसे निर्णायक बढ़त ले चुकी है | बसपा के गुंडाराज ,जंगलराज ,भ्रष्टाचार और घनघोर जातिवाद से आजिज जनता नेता जी मुलायम सिंह यादव जी की ओर हसरत भरी निगाह से देख रही है। अंतिम चरण के चुनाव के बाद प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनना तय है |

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

यूपी में टी० ई० टी० घोटाला मायावती की शह पर

           यूपी में बेरोजगारों के साथ किये गए अब तक के सबसे बड़े छल की परतें एक एक कर उधड़ने लगीं है | माध्यमिक शिक्षा निदेशक की गिरफ्तारी से कई राज़ सामने आने के क़यास लगाये जा रहे हैं | अब पंचम तल पर बैठने वाले प्रदेश के सबसे ताक़तवर और मायावती के बेहद करीबी दो अधिकारियों के गिरेबान हाथ में आते ही प्रदेश सरकार की मुखिया का भी जेल जाना तय है | नियम विरुद्ध और नितांत गैरजिम्मेदाराना तरीके से निकाले गए विज्ञापन का जहाँ हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया वहीँ टी० ई० टी० परीक्षा करने का ठेका माध्यमिक शिक्षा विभाग को दिलाने में इसी अधिकारी की प्रबल भूमिका रही | विज्ञापन प्रकाशन के बाद बतौर सचिव मुख्यमंत्री इसने चयन के मानदंड भी चुपचाप बदल डाले | पहले इस परीक्षा को UGC /NET की तरह पात्रता  परीक्षा ही घोषित किया गया था फिर चहेतों को लगवाने और चुनावी मौसम में मोटी कमाई का जरिया बनाने के लिए इस परीक्षा के प्राप्तांकों को ही अंतिम मैरिट मानने का तुगलकी फरमान रातों रात जारी कर दिया गया।रोज़ रोज़ बदलते परीक्षा परिणामों और गलत प्रश्न पत्र ने जहाँ परीक्षा की साख को ठेस पहुंचाई वहीँ शिक्षा विभाग में पसरे मायाजाल को भी नंगा कर दिया | वस्तुतः ये अपने तरह की ऐसी पहली परीक्षा रही जिसमे ईमानदारी की बू  कहीं से भी और जरा सी भी नहीं आई । आयोजकों ने अपनी पौ बारह कर छीछालेदर कराई सो अलग ।
          मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक को सरकारी गवाह बना कर इस घोटाले का परदाफाश करायाजाये तो मायावती का जेल जाना निश्चित है | अन्यथा ऐसा भी हो सकता है कि NRHM घोटाले के आरोपियों डॉ सचान की तरह ये बेचारा भी जेल में ही में मारा जाये ,ठिकाने लगादिया जाये ।
          समाजवादी पार्टी का स्पष्ट मत है कि सत्ता में आते ही इस सम्पूर्ण टी० ई० टी० परीक्षा को निरस्त कर बेरोजगारों की भावना से खेलने वाले खिलाड़ियों को चाहे ,वो कितने ही बड़े क्यों न हों , उनके इस अनैतिक और अश्लील कृत्य की सजा अवश्य देगी |

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

अब याद आये बंचित दलित


              चमार जाति को छोड़ कर यूपी की 65  SC  जातियां विकास के लिए मायावती और इसके निष्ठुर जंगली हाथी का मुंह ताकती रहीं | यूपी में दलितों के  प्रमोशन में आरक्षण को खुद सतीश मिश्र के लोगों ने रुकवा दिया | कोर्ट में भी बहन जी के वकील सोते रहे .उनसे कुछ बोलते नहीं बना | घटिया निर्माण का एशियाई रिकार्ड यानि कांसीराम आवास इसके कार्यकर्ताओं ने जबरन कब्ज़ा लिए | दलितों के घर आज भी कच्चे हैं | खटिक, कोरी , बाल्मीकि, पासी, कंजड़, धानुक, हेला, धोबी, गोंड, तुरैहा, खरबार ,मंझवार, बेलदार, बावरिया, ग्वाल, नट, मजहबी आदि गैर चमार वर्ग को आरक्षण के बावजूद माया सरकार में कुछ भी नहीं मिला |
             अपनी जाति को मलाई चटवाने के चक्कर में मायावती ने कोरी जाति के लोगों का SC आरक्षण रुकवा दिया कि ये लोग जुलाहे होते हैं , कोरी नहीं इत्यादि | ये षडयंत्र नहीं तो और क्या है ? यूपी का कोरी समाज आज खून का घूँट पिए बैठा है |
             SC में आरक्षित होते हुए धनगर, खटिक, चिक- चिकवा , पासी , गौड़ ,तुराहा, मंझवार ,बेलदार खरोंट आदि जातियों को कतिपय जनपदों में प्रमाणपत्र तक निर्गत नहीं किये गए |
समता मूलक समाज का ढोंग रचने वाली मायावती ब्राहमणों के लिए तो बेशर्म होकर केंद्र सरकार से आरक्षण मांगती है लेकिन जब 17 पिछड़े वर्गों को SC का लाभ देने की बात आती है तो आंबेडकर महासभा के लोगों को कोर्ट में खड़ा करके स्टे आर्डर ले आती है | ये मायावती का दोगला, दगाबाज़, और राजनैतिक चरित्र हीनता से परिपूर्ण चेहरा है |
             शर्म की बात है कि निजी फायदे में माया की चरण वंदना में लीन सुखदेव राजभर और राम अचल राजभर जैसे स्वार्थी लोग तमाशा देखते रहे और भर - राजभर जातियों की SC आरक्षण सुविधा छीन ली गयी |
              मायावती ने सत्ता की हनक में सत्ता खोर दलित नेताओं की और  प्रमोशन व रूतबा पाने को कुछ भी कर गुजरने वाले अफसरों की ऐसी जमात तैयार की है जो सिर्फ मायावती की जाति के ही हैं और जो येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की फ़िराक में सम्पूर्ण दलित समाज के विभाजन की ज़मीन पर माया की सत्ता का काला ताज महल बनाने का ख्वाब देख रहे हैं | बाबा साहब के मिशन में तो अब सवर्ण और आरक्षण विरोधी प्राण प्रतिष्ठित हो रहे हैं | मनुवाद के खाद पानी से बाबा साहब आंबेडकर के मिशन को पुष्पित पल्लवित करने का षड्यंत्र और दुस्वप्न देख कर मायावती ने बाबा साहब के उस वक्तव्य पर मुहर लगाने का कार्य किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि हमारे मिशन को तोड़ने वाला बाहरी नहीं , हमारे बीच का होगा |
            आज कांसी राम जी यदि जीवित होते निसंदेह आत्महत्या कर लेते और बाबा साहब डा अम्बेडकर तो मायावती को दलितों के फूट डालने का दोषी मानकर मिशन से ही चलता कर देते |

माया का मुनीम आया मुसीबत में !!!

बसपा के भामाशाह साबित हो रहे पोंटी चड्डा को आयकर विभाग ने आखिर निशाने पे ले ही लिया | पोंटी को मुख्‍यमंत्री मायावती बेहद का करीबी माना जाता है। प्रदेश में शराब का सारा कारोबार बजरिये मायावती चड्ढा की कंपनी करती है। वेब सिनेमा के साथ साथ नोएडा- ग्रेटर नोएडा में जाल फैलाए  दर्ज़नों रीयल इस्टेट कम्पनियों का मालिक भी पोंटी ही हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से तुरंत पहले इस तरह की कार्रवाई को माया सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।पोंटी चढ्ढा का उत्तर प्रदेश के ६००० करोड़ के शराब कारोबार पर कब्ज़ा है !पोंटी चढ्ढा के ३००० शराब के आउट लेट है उत्तर प्रदेश में ! पोंटी चढ्ढा के शराब के अड्डों से गैर कानूनी रूप से चुनावो में शराब वितरित हो रही थी साथ ही पैसे भी ! यूपी में पॉन्टी की कंपनी के 3000 से ज्यादा शराब ठेकों से बीएसपी के लिए चुनाव में पैसे बांटे जा रहे हैं। माया के करीबी माने जाने वाले पॉन्टी चड्ढ़ा के पास यूपी के करीब-करीब सभी शराब की दुकानों का ठेका है। इतना ही नहीं यूपी में शराब के दाम प्रिंट रेट से बीस से चालीस रूपये ज्यादा वसूले जा रहे थे वो भी पिछले चार सालों से । पुलिस की नाक के नीचे चलने वाले इस काले कारोबार पर कई बार सदन में हंगामा भी हो चुका है । कई विधायकों ने मायावती पर प्रति शराब बोतल बीस रूपये कमीशन खाने का भी आरोप लगाया था जो कि सालाना साढ़े चार सौ करोड़ होता है ।
मायावती के सरकार में आने के बाद कंपनी रीयल इस्टेट में भी तेजी से पैर पसार रही है।.खासतौर पर सभी की नजरें नोएडा के सेंटर स्टेज मॉल पर हैं जहां पर छापेमारी में 11 तिजोरियां मिली हैं। इन तिजोरियों को काटने के लिए गैस कटर मंगाया गया है। शक है कि इन तिजोरियों में करोड़ों का कैश हो सकता है।
    पोंटी का अब जो भी हश्र  हो , अलबत्ता बहनजी का हलक़ जरूर सूखने लगा है | डगमगा गया है आत्म विश्वास | चुनाव प्रचार में उतरते ही अपशकुन हो गया भाई | बहन जी समेत कइयो को सरकार हाथ से जाने का इतना अफ़सोस नहीं होगा जितना माल समेत मुनीम के पकडे जाने का | आखिर पांच साल की मेहनत की कमाई का सवाल है भाई |





बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

बलात्कार पीड़िताओं की मदद में भाजपा और कांग्रेस का महिला विरोधी चरित्र उजागर

बलात्कार पीड़िताओं की मदद में भाजपा और कांग्रेस का महिला विरोधी चरित्र उजागर हो गया है | दुष्कर्म प्रभावित महिलाओं के प्रति ऐसे नेताओं और पार्टियों का नजरिया दुर्भाग्य पूर्ण तो है ही महिलाओं के प्रति उनकी दोयम दर्जे की सोच को भी प्रदर्शित करता है | निसंदेह नेताजी की बलात्कार पीड़ित महिलाओं को सरकारी नौकरियों की मदद की पेशकश स्वागत योग्य है और महिलाओं के प्रति नेताजी की मार्मिकता और संवेदनशीलता को सिद्ध करता है | बसपा शासन काल में हुए ताबड़ तोड़ बलात्कार मामलों में महिलाओं को न्याय तो दूर उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हुयी | ज्यादा तर मामलों में बसपा विधायक ही शामिल रहे | हद तो तब हो गयी जब थानों में बलात्कार के मामले सामने आये और दोषियों को बचाने सरकार |
राजनैतिक नफे नुकसान के चक्कर में हम ये क्यों भूल जाते हैं कि विरोध बलात्कार का होना चाहिए न कि दुष्कर्म पीड़ित महिलायों की मदद का | वास्तव में ऐसी महिलायें सहानुभूति की पात्र है | आज भी हमारे रूढ़ीवादी समाज में बलात्कार पीड़ित महिलाओं को उतना मान सम्मान नहीं मिल पता जितना मिलना चाहिए | हमारे संविधान ने भी हमेशा कमज़ोर ,पीड़ित और बहिष्कृत लोगों की सहायता के लिए विशेष प्रावधान किये हैं | इसलिए ऐसी पहल का स्वागत होना चाहिए, न की विरोध | साथ ही बलात्कारियों को कड़ा दंड मिले ये भी सुनिश्चित हो |
प्रायः हर राज्य में बलात्कार पीड़ित महिलाओं को किसी न किसी रूप में मदद दी जाती है | जो कि दो लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक है | जिसमे दिल्ली हरियाणा महाराष्ट्र जैसे कांग्रेसी राज्य भी शामिल हैं | हैरत है......... फिर भी कांग्रेस का खुद को देश का सबसे बड़ा वकील बताते नहीं थकने वाला प्रवक्ता टीवी पर मुंह फाड़ फाड़ कर नेता जी की बलात्कार पीड़ित महिलाओं को सरकारी नौकरियों की मदद की पेशकश की हंसी उड़ा रहा है |
              दर असल यही मुद्दे हैं जिन पर कांग्रेस आज तक जनभावनाओं को समझ ही नहीं पाई है और जन सरोकारों से दूर रही है |

रविवार, 29 जनवरी 2012

ऐ ख़ाक़ नशीनों उठ बैठो !!

ऐ  ख़ाक़ नशीनों उठ बैठो, वह वक्त करीब आ पहुंचा है ।
जब तख्त गिराए जाएंगे, जब ताज उछाले जाएंगे ।।

अब टूट गिरेंगी जंजीरें, अब जिंदानों की खैर नहीं ।
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं, तिनकों से न टाले जाएंगे ।।

कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाजू भी बहुत हैं, सर भी बहुत ।
चलते भी चलो कि अब डेरे, मंजिल पे ही डाले जाएंगे ।।

रविवार, 22 जनवरी 2012

फर्जी युवराज़ की कुंठा


                  राहुल गाँधी अपनी सभाओं में बढ़ते विरोध से कुंठित हो चला है | मैंने इसके बारे में पहले से जानता हूँ कि ये बेहद शांत और शालीनता का लबादा केवल दिखाने के लिए ओढ़ता है और वास्तव में निहायत बदतमीज़ किस्म का आदमी है | पहले यूपी की जनता को भिखारी जैसे शब्दों से नवाजने वाला फर्जी युवराज़ अब प्रदेश की जनता को गुंडा कह रहा है | भाषण का अंदाज़ ऐसा जैसे झगडे पर आमादा हो | महासचिव जैसे पद को धारण करने वाले और सांसद से ये अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उसकी जुबान पर चालू शब्दाबली भी आएगी वो भी सार्वजनिक मंचों पर | गुंडा कह कर आखिर गरीब गाँव वालों और छात्रों को क्या समझाना चाहता है | रटा रटाया जोर- जोर से बोलने से या धमकी भरे अलफ़ाज़ बोल देने से तालियाँ तो मिल जाएँगी लेकिन वोट हाथ नहीं आएगा | महंगाई से जूझते लोग डायलाग सुनने थोड़े आयेंगे | 
                बेहतर होगा फर्जी युवराज़ अपनी चढ़ी हुयी आस्तीने नीचे कर लें क्योंकि मौसम ठण्ड का है | जबकि हमारे यहाँ गर्मी के मौसम में कुर्ते की आस्तीने मोड़ी जाती हैं | वो भी बुजुर्गों के सामने चढ़ी हुयी आस्तीने नीचे कर ली जाती हैं | इसके अलावा आस्तीने चढाने का एक ही मतलब होता है........ भिड़ना | जो कम से कम कांग्रेस के लोगों की बस की बात नहीं है |
                सो राहुल प्रदेश की जनता से गुंडा कहने पर तत्काल माफ़ी मांगे और शालीनता बरतते हुए भाषा को नियंत्रित व जुबान को नरम रखे , वर्ना समाजवादियों को दौड़ाना भी आता है |