गुरुवार, 25 जुलाई 2013

कमज़ोर, वंचित एवं उपेक्षित मछुआ समुदाय की मसीहा बहन वीरांगना फूलन देवी, सांसद  को 12 वीं पुण्य तिथि पर शत-शत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि |
मछुआ समुदाय आपके संघर्ष से प्रेरित हो कर अपने सामाजिक , शैक्षिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक विकास की दिशा में आपके मार्गदर्शी सुझावों पर कार्य करता रहेगा और मछुआ आरक्षण के आपके अधूरे सपने को साकार करने के लिए अपने प्राण-प्रण से जुटा रहेगा | सामाजिक क्रांति के इस अंतिम मोर्चे पर आपका अभाव निःसंदेह पीड़ा दायक तो है किन्तु आपकी संघर्ष गाथा हमारे लिए ऊर्जा स्रोत बनकर सामने भी है |
               मछुआ समुदाय आपके सुझाये मार्ग पर चलने को संकल्परत है |

सोमवार, 15 जुलाई 2013

बसपा के समाज तोड़ो अभियान पर लगा पलीता !

आदरणीय मायावती बैचैन हैं ....पेटदर्द शुरू हो गया है । .कहते हैं बरसात में उल्टा सीधा खा लो .....तो अजीर्ण होना लाजिमी हैं ..यहाँ तो पूरा समाज ही जातीय आधार पर चबा डालने की मंशा लिए बैठी बसपा प्रमुख सन्न रह गयी है । इसे करारा झटका माना जा रहा है ।
हालिया हाईकोर्ट द्वारा राजनैतिक दलों के जातीय सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों पर संज्ञान लेकर रोक लगाना स्वागत योग्य एवं सराहनीय है । निसंदेह इसके पीछे राजनैतिक दलों द्वारा समाज को जातीय आधार पर विभाजित कर कर वोट बैंक की गन्दी राजनीति को झटका लगेगा और जातीय उन्माद की ओर बढ़ रहे समाज में खुशहाली और भाई चारा बढ़ेगा ।
सब जानते हैं कि राजनीति में बसपा के उभार से समाज में जातिवादी राजनीति और कमेटियों की बाढ़ सी आ गयी । बसपा और उसकी प्रमुख ने घटिया सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जातियों की कमेटियां खड़ी कर दी ...जैसे में कुर्मी समाज भाईचारा कमेटी , ब्राह्मण समाज भाईचारा कमेटी ,क्षत्रिय समाज भाईचारा कमेटी,बनिया समाज भाईचारा कमेटी , पाल समाज भाईचारा कमेटी सैनी समाज भाईचारा कमेटी,गुर्जर समाज भाईचारा कमेटी ,कश्यप समाज भाईचारा कमेटी, लोहार समाज भाईचारा कमेटी ,ठठेरे समाज भाईचारा कमेटी ,जाट समाज भाईचारा कमेटी ,यादव समाज भाईचारा कमेटी वगैरह वगैरह ........।
इन कमेटियों के गठन से समाज में नफरत और वैमनस्य की खाई चौड़ी हो रही थी वहीँ ये कमेटियों बसपा के लिए अवैध धन वसूली का जरिया बनी हुयीं थी । हर छुट भैय्ये को भाईचारा कमिटी का नेता बनाकर बसपा राजनीति का अपराधीकरण करने में जुटी थी वहीँ तथाकथित भाईचारा कमिटी वाले चोरी और बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में शामिल निकले । यानी जिस पर भाई चारा बनाने की जिम्मेवारी दी गयी वही समाज को तोड़ने में जुट गया ।
समाजवादी पार्टी डॉ लोहिया के जाति तोड़ो -समाज जोड़ो के विचार पर गठित पार्टी है और जातिवाद को देश व् समाज के लिए बुराई मानती हैं । डॉ लोहिया ने समाज को जोड़ने के लिए अंतरजातीय विवाह और रोटी बेटी के संबंधो पर जोर देने की वकालत करते हुए सामाजिक तानेबाने को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया और सबसे पहले पिछड़ों के "अजगर" समूह यानि अहीर ,जाट ,गुर्जर और राजपूत जातियों को गोत्र और जाति भेद मिटाते हुए एक होने का अहसास कराया । बाद में यही गठजोड़ राजनैतिक शक्ति में परिवर्तित होता गया और पिछड़े  राजनीति में जड़ पकड़ते चले गए । लोध…मल्लाह सहित सैनी ,शक्य,मोर्य ,कुशवाहा, माली, फूलमाली जातियां भी गोत्र्वाद और जातिभेद का नाम भूलकर डॉ लोहिया के आह्वान पर एक हो गयी और डॉ लोहिया के अरमानों का समाजवाद परवान चढ़ने लगा ।

निसंदेह अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए समाज को गोत्र में बांटने वाली बसपा इस निर्णय से बौखलाई हुयी हैं ...क्योंकि अभी अभी वह ब्राह्मण सम्मलेन करके निबटी हैं .....फिलहाल हाईकोर्ट के निर्णय ने बसपा के समाज तोड़ो अभियान पर पलीता लगा  दिया है

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में निबटेगी

सठियाये ,थके हारे और दिमागी दिवालिया पन का अंतिम दौर झेल रहे बेनी बाबू हद किये डाल रहे हैं ।  किसी भी पार्टी की आलोचना राजनीति में स्वस्थ मानी जाती है ।  आलोचनाओं का सहर्ष स्वागत होता है ..किया भी जाना चाहिए । लेकिन जो काम बेनी बाबू अखबार और टीवी के जरिये कर रहे हैं वो राजनैतिक स्वस्थ मानदंडों के अनुरूप कदापि नहीं माना जा सकता । इसे आलोचना नहीं ..गाली गलौज की श्रेणी में रखा जा सकता और आपत्ति जनक है । जाहिर है वे ऐसा करके कांग्रेस और अपने लिए ही संकट खड़े कर रहे हैं । कांग्रेस के मैनेजरों ने उन्हें औकात में रहने की सलाह भी दी हैं । एक केन्द्रीय मंत्री के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि कांग्रेस संघठन के ऐसे लोग जो उनके सामने कुछ भी नहीं है ...उन्हें डांट पिला रहे हैं । बेनी बाबू में अगर शर्म  है तो कांग्रेस से इस्तीफ़ा दें दें । वे कहते घूम रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें बोलने से रोकेगी तो इस्तीफ़ा दे देंगे .....कांग्रेस तो रोक रही है ...स्टेट इंचार्ज चेतावनी दे रहे है ..बेशर्म बेनी कांग्रेस में बने हुए हैं ।

जहाँ तक आदरणीय नेता जी का सवाल है तो मुलायम सिंह जी ने हमेशा उसूलों की राजनीति की है और मान सम्मान के साथ की है । अपने सिद्धांतों के लिए अपनी सरकार तक कुर्बान की है ...लेकिन अपने वायदों से पीछे नहीं हटे । नेता जी का बड़प्पन देखिये ...आलोचनाओं को अपनी शक्ति मानने वाले नेताजी ने बेनी के बयान को आज की प्रेस कांफ्रेंस में यह कहकर टाल दिया कि " मेरा साथी मेरी चर्चा कर रहा है "।

मेरी राय है चुनाव सामने हैं बेनी बाबू अपनी सीट बचाएं और फालतू बकबास बंद करते हुए सीमा लांघने की कुचेष्टा न करें ......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में सड़कों पर निबटेगी