शनिवार, 28 मई 2011

" सबक सीखे कांग्रेस "

कांग्रेस २००३ से मछुआ समुदाय को छलती चली आ रही है | १६ पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्ज़ा देने सम्बन्धी प्रस्ताव को कांग्रेस ही लटकाए बैठी रही| जब कि मुलायम सिंह जी की सरकार में उक्त प्रस्ताव चार दफे केंद्र को संस्तुति सहित भेजा गया | मायावती जी ने तो हद ही कर दी , सरकार बनाने के २२ दिनों के भीतर मूल प्रस्ताव वापस मंगाकर निरस्त करवा दिया , जैसे बहन जी इसी मुद्दे पर जीत कर आयीं हों | जब समाज ने दबाब बनाया तो महज २ पन्नो की चिठ्ठी केंद्र को भेजकर बसपा ने पिंड छुढ़ा लिया और गेंद फिर से केंद्र के पाले में डाल दी | हमें फ़ुटबाल समझ कर इन लोगों ने अपने गोल मारे और जीतने पर अपनी फ़तेह का जश्न मनाने चले गए , हमारी खाली गेंदे मैदान में अपनी तकदीर बदलने वाले मसीहा की अब तलक मुन्तजिर रही हैं |
अब कांग्रेस फिर से धोखा देने की तैयारी में है | दर असल कांग्रेस हमेशा से ही नज़र अंदाज़ करने की सियासत करती चली आई है | नेहरु के सामने जिन्ना को नज़र अंदाज़ किया, सरदार पटेल के सामने बाबा साहब डाo आंबेडकर को नज़र अंदाज़ किया, लोहिया को नज़र अंदाज़ किया, इतना ही नहीं मुसलमानों को तो हमेशा से ही नज़र अंदाज़ किया और आज भी कर रही है| वर्ना कोई वाजिब वज़ह नहीं है जो सच्चर कमिटी व रंग नाथ मिश्र कमिटी कांग्रेस को दोष देती | आज बहुसंख्यक दलितों के सामने अल्पसंख्यक दलितों को उपेक्षित किया जा रहा है| मीरा कुमार और सुशील शिंदे जैसे नेताओं के दबाब में मछुआ आरक्षण आज भी लंबित है| यदि कांग्रेस के नेताओं में ज़रा भी शर्मोहया बाक़ी है तो केंद्र सरकार भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के मछुआ समाज को अनुसूचित जाति का दर्ज़ा दिलाने सम्बन्धी ख्वाब को जल्द से जल्द पूरा करे | कांग्रेस की नीति और नियत उसी दिन जगज़ाहिर हो गयी थी, जब आरक्षण की आवाज़ उठाने का अंजाम पिछले साल कई निषाद नेताओं ने कांग्रेस से अपने निष्कासन के रूप में झेला था | मछुआरा समुदाय अब कांग्रेस और बसपा के बहकावे में आनेवाला कतई नहीं है और अपने १० % वोट का सही वक़्त पर सही इस्तेमाल करेगा एवं अपने मछुआ समुदाय के हित की बात करने वाले को पहचानने में ज़रा भी भूल नहीं करेगा |

मंगलवार, 10 मई 2011

उ ० प्र ० जल रहा है : जे पी ग्रुप की दलाली बंद करे माया

उ० प्र० जल रहा है : जे पी ग्रुप की दलाली बंद करे माया
आज उ० प्र० जल रहा है | धरती की सुलगती आग अब दिलों तक आ पहुंची है | सरकारी फरमानों से डरे सहमे रहने वाले बाशिंदों ने मुकाबले की जुर्रत की, तो हाकिम की त्योरियां चढ़ गयी , सरकार आप खो बैठे  | प्रार्थना को उठने वाले हाथों ने मुठ्ठियाँ क्या भींची | हुज़ूर के मुंह का जायका बिगड़ गया | इतना जुल्म ढाया कि अंग्रेजी हुकुमत की याद ताज़ा हो आई |
आज ग्रेटर नॉएडा से लेकर आगरा तक हाहाकार मचा हुआ है | कोई गाँव ऐसा नहीं बचा, जिसमे कोई पुरुष हो | पुलिसिया आतंक से घर छोड़ कर सब जान बचाने को भाग गए | पूरे पूरे गाँव छावनी में तब्दील हो चुके हैं | पुलिस के टांय टांय करते दिल दहलाने वाले हूटर और पी ए सी की गाड़ियों के गुब्बार में चारो तरफ मातमी सन्नाटा पसरा है |  घरों में मौजूद स्त्रियों, बच्चों और बूढों तक को बेशर्म पुलिस वालों ने नहीं बख्शा | कई तो लापता हैं | कैसा कलेजा चीरने वाला द्रश्य था कि एक 80 साल के बूढ़े व्यक्ति को २० साल का सिपाही चौराहे पर पीट रहा था | सैकड़ों घरों में पुलिस ने तोड़ फोड़ कर बर्तन भांडे तक तोड़ डाले , आगजनी की सो अलग |
          क्या खता थी इनकी , यही कि मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट यमुना एक्सप्रेस वे में इनका अदना सा ज़मीनी टुकड़ा आड़े आ रहा था | अगर बाज़ार भाव की हसरत इन गरीबों ने पाल ली, तो इसकी इतनी बड़ी सजा हरगिज़ नहीं हो सकती कि पुलिस इन पर कहर बनकर टूट पड़े |
सरकार अपने बचाव में लाख सफाई दे लेकिन ये कहीं से भी मुनासिब नहीं हैं कि उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण बेकार के प्रोजेक्ट बना कर रातों रात कर लिया जाए , इसके लिए पूरी एक प्रक्रिया है जिसका कहीं से भी पालन नहीं किया गया है | भूमि अधिग्रहण कानून की धारा ४ के अंतर्गत पहले सरकार गज़ट नोटिफिकेशन के ज़रिये सूचना प्रकाशित करवाएगी |तदुपरांत धारा ६ के अंतर्गत आपत्ति/दावे प्राप्त कर उनका निस्तारण करेगी , लेकिन यहाँ ऐसा न करके सबको सहमत दर्शा दिया गया है | यही कारण है कि ग्रेटर नॉएडा, अलीगढ,मथुरा ,बुलंद शहर और आगरा जिलों में ज़मीन हड़पने में सरकार ने इतनी तेजी दिखाई |  इतना ही नहीं, जिस भूमि का भाव किसानों को 900 रु ० प्रति वर्ग मीटर दिया जा रहा है , मायावती उसे अपने चहेते जे पी ग्रुप को 30,000 रु प्रति वर्ग मीटर पर बेच रही है | ये कैसी मनमर्जी है कि नॉएडा से लेकर आगरा तक की ज़मीन 11 मनचाहे बिल्डरों को दे कर २० लाख करोड़ में मायावती ने प्रदेश को बेचने का मंसूबा बाँध रखा है | इस सब के बाद भी मायावती सरकार बेशर्मी से कहती है कि उसकी भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीति कारगर है ,वर्ना क्या वाजिब वज़ह हैं जो किसान बग़ावत पर उतारू हैं |
सच तो ये है कि जे पी की दलाली में मस्त माया सरकार किसानों के बढ़ते गुस्से को समझ नहीं पाई और जो किसान अगस्त 2010 से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे , उनकी लगातार अनदेखा करती चली आरही थी | फलस्वरूप आन्दोलन हिंसक हो उठा | सबसे ज्यादा आग में घी डालने का काम किया जबरदस्ती DGP का तमगा पहने बैठे ब्रजलाल ने , जिसने पुलिस को भड़का कर जुल्मो सितम के पहाड़ निर्दोषों पर तुडवाये | इतना ही नहीं DGP का लबादा ओढने के चक्कर में ब्रजलाल एक कदम और आगे बढ़कर किसान नेता मनवीर तेवतिया पर डाकू गब्बर सिंह वाला इनाम रु 50 ,000 भी घोषित कर आये |
ताज्जुब ये कि न तो जिला प्रशासन अपना काम कर रहा था, न पुलिस | लेकिन जिस प्रकार बेलगाम पुलिस ने अपनी हद तोड़ कर कार्रवाही की है, उससे जनता का बदले की राह पकड़ लेना लाज़मी ही लगता है |
            सरकार अपनी झेंप मिटाने को लाख कहती रहे कि विपक्ष राजनीति कर आन्दोलन को भड़का रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि जनता मायावती के इस लूटतंत्र से आजिज़ आ चुकी है और इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना चुकी है| ये बग़ावत ,ये मुचैटा और ये शंखनाद इसी का प्रतिबिम्ब है और 2012 विधान सभा चुनाव के मुहाने पे खड़ी माया सरकार को भी इसका पूरा अंदाज़ा हो चुका है |

शनिवार, 7 मई 2011

हम लोहिया के लोग

हम लोहिया के लोग ,
लायेंगे क्रांति,
मिटायेंगे गैर बराबरी,
बांधेंगे दाम |
हर खेत को पानी,
हर हाथ को काम , 
हम लोहिया के लोग.......................

महकेंगी खुशियों की फुलवारियां ,
कम होंगी रोज़ मर्रा की दुश्वारियां
करेगा महसूस राहत,
पायेगा चैन ओ सुकूँ 
देश का हर ख़ास ओ आम |
हम लोहिया के लोग.......................

भटक रहे युवाओं को, 
देंगे दिशा,
बेकार ठहरा दिए नोजवानों  को,
बनाकर नौजवान नीति,
करेंगे मुख्य धारा में शामिल,
क्योकि
कल इन्ही हाथों में,
आनी है देश की लगाम |
हम लोहिया के लोग.......................

व्यवस्था ने बनाया जिनको अल्पसंख्यक,
डरा कर काटी गई, वोटों की फसलें, 
हम करेंगे पैदा, फिर उनमें विश्वास,
वंचितों का होगा दिल्ली पे राज,
हम अपने खून से लायेंगे समाजवाद,
बोलेंगे हल्ला,
बदलेंगे निजाम |
हम लोहिया के लोग.......................

सोमवार, 2 मई 2011

बिन लादेन तो मारा गया : इन लादेनों से कैसे निपटोगे ?

                          
अंततः लादेन मारा गया | अमेरिका खुश है , होना भी चाहिए | प्रफुल्लित, मुदित एवं हर्षित ओबामा कह रहे हैं कि Justice has been done, न्याय मिल चुका है | अमेरिका सहित विश्व में तबाही के जिम्मेदार व्यक्ति को सजा मिलनी ही थी और मिल भी गयी| लेकिन हमें ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है | हमारी समस्याएं ज्यों की त्यों हैं |
वस्तुतः मेरा मानना है कि आतंकवाद एक सामाजिक समस्या है और इसके मूल में व्यवस्था में व्याप्त  भ्रष्टाचार, गैर बराबरी और न्याय न मिलना या बहुत देर से मिलना जैसे कारण हैं | यदि इन तीनों मुद्दों पर कुछ खास तरह की रणनीति बना कर काम करें तो आतंकवाद को पनपने का कतई मौका नहीं मिलेगा | 
UP आकर देखिये ओबामा साहब, आपको हर दफ्तर में लादेन बैठा मिलेगा | सड़क चलते , उठते बैठते हर जगह आपको लादेन ही लादेन दिखाई पड़ जायेंगे | यहाँ तो साहब, भ्रष्टाचार को जैसे सरकारी मान्यता ही मिल गयी है
| शायद तभी तो कोई शख्स यहाँ जब तक रिश्वत दे नहीं देता , उसे यकीन ही नहीं हो पाता कि उसका काम हो पायेगा भी या नहीं | मानों रिश्वत देकर काम की गारंटी मिल गई हो | और मिले भी क्यूँ न साहब , जिस प्रदेश की मुखिया रुपये लेकर विधायकों को टिकट देती हो ,ऐसे लादेन से कैसे निपटोगे जनाब | यहाँ तो सरकारी नारा है -ला,  दे , न

रविवार, 1 मई 2011

प्रधान मंत्री की घोषणा : ऊँट के मुंह में जीरा

प्रिय मित्रो,
बुंदेलखंड रैली में प्रधान मंत्री डा० मनमोहन सिंह द्वारा पेयजल समस्या से निपटने के लिए की गयी मात्र 200 करोड़ की घोषणा न सिर्फ नाकाफी है बल्कि क्षेत्रीय जनता के साथ एक मजाक भी है | बुंदेलखंड के 7 जनपदों में इतनी कम धनराशि ऊँट के मुंह में जीरे के समान है | प्रति जनपद 28.5 करोड़ रुपया | इतना तो अच्छे भले प्रोजेक्ट की मरम्मत पर ही खर्च हो जाता है , फिर ये तो पेयजल जैसी जनोपयोगी योजना ठहरी | बेहतर होता कि ये धनराशि कम से कम 1000 करोड़ होती |
आखिर कब कांग्रेस जनता का मिज़ाज और ज़मीनी हकीक़त समझेगी ?
राहुल गाँधी कहते हैं कि गैर कांग्रेसी शासित राज्यों में समस्याएं ज्यादा हैं | उन्हें विदर्भ और तेलंगाना के मरते किसानों को नहीं भूलना चाहिए | उन्हें राजस्थान के पानी मांगते किसानों पर हुए लाठीचार्ज और अत्याचार को नहीं भूलना चाहिए | उन्हें दिल्ली में शीला सरकार की जन विरोधी नीतियों के सताए लोगों का भी स्मरण रहना चाहिए | शायद राहुल को उनके राजनैतिक टीचर ये बताना भूल गए होंगे कि भारत में भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस ही है, जिसकी नवीनतम प्रस्तुति 2G, CWG , राजा और कलमाड़ी जैसे बेशर्म है जो PMO से भी अपनी कुरबत स्वीकारने में नहीं हिचकिचाते  |
आखिर क्या मुंह लेकर सोनिया राहुल UP चुनाव में उतरेंगे |
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