शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कन्या विद्याधन योजना लागू :फिर महकीं खुशियों की क्यारियाँ

उत्तर प्रदेश में खुशियों की क्यारियां फिर से महकने जा रही हैं। स्वावलंबन और स्वाभिमान की मुरझाई फसल फिर से लहलहाने को तैयार है ।जी हाँ ,..... अब उत्तरप्रदेश की बेटियाँ खुश हैं । बेटियों का स्वाभिमान और मान सम्मान का प्रतीक बनी बहुप्रतीक्षित योजना और आदरणीय नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी  का स्वप्न कन्या विद्या धन योजना फिर से आरम्भ हो रही है । सपा सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को 2007 में मायावती ने बंद कर दिया था ।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की हाईस्कूल पास छात्राएं उच्च शिक्षा की ओर उन्मुख हों और ऐसी छात्राएं जो उच्च शिक्षा की ओर उन्मुख होकर इंटर मीडिएट परीक्षा या उसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी हों , उनको 2012 चुनाव घोषणा पत्र में उल्लिखित वायदे के अनुरूप प्रोत्साहन स्वरुप 30000 रूपये की धनराशि एकमुश्त प्रदान की जायेगी । इस योजना की विशेषता है कि ये 30000 रुपयों का लाभ कालेज में मिलने वाली छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं से प्राप्त होने वाली आर्थिक सहायता के अतिरिक्त होगा ।
सरकार के इस ऐलान से जहां प्रदेश की बेटियाँ खुश हैं वहीँ उनके चेहरों पर प्रसन्नता और आत्मविश्वास का जो भाव जागा है वह अद्भुत और प्रेरणा दाई है । आज फिर उत्तरप्रदेश की बेटियों का सर गर्व से ऊँचा होने जा रहा है । उनके मातापिता भी बेटियों की उच्च शिक्षा को अब बोझ नहीं समझेंगे और मातापिता को बेटियों को आगे पढाने का बेहतर मौका मिलेगा । इस घोषणा से प्रदेश में महिला उच्च शिक्षा का बेहतर और सुविधाजनक  माहौल बनेगा साथ ही धनाभाव में उच्च शिक्षा से वंचित गरीब छात्राओं को आगे पढने का संबल मिलेगा । सरकार के इस कदम से यकीनन महिला साक्षरता की दर में तो वृद्धि होगी ही, उच्च शिक्षित समाज में महिलाओं का प्रतिशत और प्रतिनिधित्व दोनों निश्चित रूप से बढेगा।
आज प्रदेश की बेटियाँ सपा सरकार का नेतृत्व कर रहे माननीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सरकार के प्रेरणास्रोत आदरणीय नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी को धन्यवाद देते हुए अपने सपनों को परवान चढ़ते देख फूली नहीं समा रही हैं ।

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से मिला निषाद समाज प्रतिनिधिमंडल

आज 23 अगस्त को मछुआ /निषाद समाज के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री अखिलेश यादव जी से 5 , कालिदास मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर जाकर भेंट की । प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री जी का ध्यान  मछुआ /निषाद समाज की अनेकानेक समस्याओं की ओर आकृष्ट कराया । 40 मिनट तक हुयी भेंट वार्ता में समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र  में उल्लिखित 17 अति पिछड़ी जातियों को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति सूची में सम्मिलित करने सबंधी विषय पर माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष ध्यान दिलाया गया । साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने उत्तरप्रदेश की अनुसूचित जाति में पहले से ही पंजीकृत मछुआ समुदाय की गोंड, तुरैहा, खरबार, मंझवार और बेलदार जातियों को जाति प्रमाणपत्र निगर्त करने के आदेश जिला अधिकारियों को जारी करने की मांग की ।
मछुआ /निषाद समाज के शिष्ट मंडल को आश्वस्त  करते माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की प्रतिबद्धतायें प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं । सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मछुआ /निषाद समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । उन्होंने कहा की प्रदेश सरकार अति शीघ्र ही मछुआ /निषाद समाज सहित 17 अति पिछड़ी जातियों को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति सूची में सम्मिलित करने सबंधी अपनी अनुशंसा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर केंद्र सरकार को भेजेगी । उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार से इस प्रस्ताव को यथाशीघ्र मंज़ूर कराने के लिए मजबूत पैरवी भी करेगी। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मुख्य मंत्री श्री अखिलेश यादव जी का हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया ।
शिष्टमंडल में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री विश्वम्भर प्रसाद निषाद पूर्व मंत्री, के अतिरिक्त प्रदेश के चिकित्सा राज्यमंत्री श्री शंख लाल मांझी , श्रीमती राजमती निषाद विधायक , लक्ष्मीकांत उर्फ़ पप्पू निषाद विधायक , पूर्णमासी गोंड देहाती विधायक ,गायत्री प्रसाद प्रजापति विधायक, चौ0 लालता प्रसाद निषाद पूर्व विधायक , राज नारायण बिन्द पूर्व विधायक , दयाराम प्रजापति MLC , व्यास जी गोंड एवं युवा नेता राजपाल कश्यप शामिल रहे । 

सोमवार, 20 अगस्त 2012

मुंहफट बेनी का बयान : जनता से क्रूर मजाक

UPA  सरकार मे मंत्री बेनी बाबू  बढती महंगाई से बेहद खुश है । उनका तर्क है कि बढती महंगाई से किसान खुश हाल रहता है ।मुंहफट बेनी के मुताबिक महंगाई बढ़ने से किसानों की फसल अच्छे दामों में बिकती है।
पता नहीं बेनी बाबू की अक्ल को क्या हो गया है ,जब से कांग्रेस में गए हैं ,मानसिक संतुलन खो बैठे हैं और अंट शंट बोलते रहते हैं । महंगाई की मार झेल रही जनता से इससे बड़ा क्रूर मजाक नहीं हो सकता । कमरतोड़ महंगाई से जूझती जनता अपनी दो जून रोटी के जुगाड़ में है और मंत्री मजाक कर रहा है वो भी प्रेस कांफ्रेंस बुला कर । प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी, जो स्वयं को अर्थशास्त्री भी बताते हैं, भी महंगाई से चिंतित हैं और अपनी चिंता सोनिया जी से भी जाहिर कर चुके हैं । लालकिले पर बोलते समय भी इस विषय पर गंभीर ही थे । जबकि उनका मंत्री महंगाई पर चुटकी लेकर खींसे निपोर रहा है ।
चुनाव के घाट पर खड़ी UPA सरकार को मुसीबत में डालने वाले इस बयान से स्पष्ट है कि  सरकार महंगाई को लेकर लेश मात्र भी चिंतित नहीं और बस अपना वक़्त काट रही है ।
बडबोले बेनी बाबू का बयान हास्यास्पद तो है ही, सरकार के महंगाई रोकने के प्रयासों और दावों की पोल खोलने के लिए काफी है । ये बेनी का बचकाना बयान नहीं बल्कि सत्ता मद में चूर होकर दिया गया बयान है जो प्रमाणित करता है कि केंद्र सरकार को अब गरीब और उसकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है । यही वजह है जो बडबोले बेनी बाबू  के परिवार का बोरिया बिस्तर बाराबंकी की जनता ने इस दफा विधान सभा चुनाव में अच्छे से बांध दिया है । ये वही मुंहफट बेनी बाबू हैं जो 2012 में यूपी विधान सभा चुनाव में चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस की सरकार बनाये डाल रहे थे ।
दिए गए लिंक पर बेनी का बयान पढ़े -
http://www.amarujala.com/national/nat-i-am-happy-with-price-rise-Beni-Prasad-Verma-30908.html

रविवार, 19 अगस्त 2012

नेताजी की हुंकार से सरकी कांग्रेस की हवा ।

नेताजी ने लखनऊ से हुंकार क्या भरी , कांग्रेस की हवा सरक गयी तीसरे मोर्चे का नाम सुनते ही । पता नहीं क्यों .....तीसरे मोर्चे का नाम सुनते ही सबसे ज्यादा एलर्जी कांग्रेसियों को होती है । तीसरे मोर्चे की आहट से कांग्रेस फिर बैचेन हैं । अभी आडवानी जी ने चंद दिनों पहले तीसरे मोर्चे के 2014 में सत्तासीन होने की सम्भावना जताई तो कांग्रेस सदमे में जा पहुंची । लेकिन नेताजी श्री मुलायम सिंह जी ने आज जब तीसरे मोर्चे का आधार बनाना आरम्भ किया तो कांग्रेस को अपना कुनबा चुनाव से पहले ही बिखरता नज़र आया । कोई माने या माने .......जब जब राजनीति में समाजवादी संघर्ष परिभाषित होता है तो कांग्रेस को अपना अस्तित्व उसमे डूबता उतराता नज़र आता है । यहाँ हम लोहिया, जेपी और राजनारायण जी के संघर्षों को प्रमाण मान सकते हैं । डॉ राम मनोहर लोहिया के कांग्रेस विरोध और जनसंघी विचारधारा से सम्यक दूरी बनाकर चलने से देश में सशक्त समाजवादी विचारधारा विकसित हुयी और कांग्रेस से ऊब चुके देशवासियों के मन मस्तिष्क में ताजा हवा के लिए एक नई खिड़की खुली । जैसे जैसे समाजवादी विचारधारा मजबूत होती गयी कांग्रेस क्षीण प्रायः होती गयी ।
आज एक बार फिर देश मनमोहन सिंह जी की उबाऊ और कठपुतली सरकार से आजिज़ होकर समाजवादियों की तरफ देख रहा है । घनघोर घोटालों के आरोपों को झेलते निरंतर खोखली होती जा रही कांग्रेस को भी अब अहसास हो चुका है कि  2014 में वापसी संभव नहीं । उधर भाजपा में भी नेतृत्व को लेकर जूतमपैजार की नौबत है । मोदी का दावा है वो प्रधान मंत्री पद के लिए निर्विकार हैं , वहीँ संघ नीतीश कुमार के साथ है । आडवानी जी अकेले पड़ चुके हैं और अपने अनुभव अपने ब्लाग पर बाँट रहे हैं कि  भाजपा चुनाव जीतने की हालत में नहीं । उन्होंने भी सोच समझ कर सत्य ही कहा है कि इस दफा 2014 में तीसरा मोर्चा ही सत्तासीन होगा ,भाजपा या कांग्रेस नहीं |
उत्तर प्रदेश में इस बार समाजवादियों को प्रचंड बहुमत मिला है और लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों में सबसे अब्बल समाजवादी पार्टी ही है । उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है और यहीं से सबसे ज्यादा सांसद भी चुने जाते हैं जिनके समर्थन से केंद्र की सरकार बनती है | नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी भारत वर्ष की राजनीति की तीसरी शक्ति का केंद्र माने जाते है | गैर भाजपाई गैर कांग्रेसी सरकारों में आपका योगदान अप्रतिम रहा है आपने हमेशा सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला किया है | निश्चित ही यूपी की समाजवादी पार्टी की लोकप्रिय सरकार और जांबाज़ कार्यकर्ताओं के बूते लोकसभा की 60 सीटें जीतना कोई मुश्किल काम नहीं, | एक बार फिर जुझारू समाजवादी कार्यकर्त्ता लक्ष्य 2014 के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के तैयार बैठे  है ।

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

वास्तविक आजादी - कब तक ?

आज देश अपनी स्वतंत्रता की 65 वीं सालगिरह के गीत गा रहा है | अभिजात्य वर्ग सड़कों पर तिरंगा लिए दौड़ रहा है और आजादी को स्वछंदता के अर्थों में स्थापित कर रहा है | शहीदों को याद करने के लिए आज मेट्रों रेलयात्रियों ने फुर्सत निकाल ही ली और मगर उनकी स्वतंत्रता संग्राम परिचर्चा  घूम फिर कर नेहरु गाँधी परिवार पर आकर समाप्त होती है  |
65 साल बाद आज भी देश की राजधानी से 500 किमी० दूरवर्ती ग्रामों में आजादी का मतलब स्कूली बच्चों के राष्ट्रगान गायन और मिष्ठान्न वितरण तक ही सीमित है | लोग आजादी के वास्तविक अर्थ के नजदीक तक नहीं पहुँच पाए गुजिश्ता 65 सालों में | आज भी भूख और बीमारी हमारे देश में चुनावी मुद्दा बनती है और राजनैतिक दल इस पर सरकारें बनाते आयें हैं | गरीबी आज भी जिन्दा है ........गरीबी हटाओ के नारे को 35 साल होने जा रहे हैं | लेकिन बूढा हुआ जाता ये नारा आज भी उतना ही पैना ,कारगर और लोकप्रिय है जितना अपनी जननी स्व० इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में था | 65 सालों में आजाद भारत में जो विकास हुआ  उस विकास का अपहरण मेट्रो शहरों और बड़े नगरों ने कर लिया | विकास बड़े शहरों के आगोश में सदा के लिए खो गया है और इस कारण गाँव से शहर आने वाली सड़के जर्जर और छोटी ही बनी रहीं | शहर चकमक फैक्ट्रियों से अजूबे और देहात उसका उत्सर्जन मात्र बने रहे | यहाँ इंजीनियर और बिजनेस टाइकून काबिल और अर्थव्यवस्था के प्रमुख नियंता समझे जाने लगे और देश का अन्न उत्पादक किसान गंवार और जाहिल की श्रेणी में आ खडा हुआ | कृषि प्रधान देश में कृषि अनपढ़ों और मजदूरों का पेशा बना कर रख दी गयी | नतीजतन भारत में ही दो प्रकार के भारत विकसित होते चले गए | जिनका अंतर देश की शिक्षा ,स्वास्थ्य, न्याय, सुरक्षा सहित कई पहलुओं में स्पष्ट द्रष्टिगोचर होता गया | देश के नीति निर्धारक समस्या को जाने बिना और धरातल की हकीकत को समझे बिना योजनायें बनाते गए | हद तो तब हो गयी जब किसानों से जुड़े मुद्दे ऐसे हाथों तय होने लगे जिन्हें फसलों और पेड़ों तक की जानकारी नहीं थी यानि ऐसे वैद्य के हाथ इलाज ठहराया गया जिसका आयुर्वेद से कोई सम्बन्ध ही न था | सरकारें मात्र अपना कार्य काल ही पूरा किये जाती रहीं | हमारी आधी आबादी आज भी कर्जदार है | हम 65  सालों में देश के दलितों और पिछड़े वर्गों को न्याय नहीं दिला पाए | आज भी हम कुपोषण ,पोलियो ,बेरोजगारी, पीने का पानी, शौचालयों और विद्युत आपूर्ति जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं जबकि ये मुद्दे मेरे हिसाब से आजादी के प्रथम बीस साल में ही हल हो जाने चाहिए थे | 65 सालों बाद आज भी समाजवादी समाज की स्थापना का स्वप्न अधूरा ही है | समता मूलक समाज कहीं भी धरातल पर नज़र नहीं आता। बिना सामाजिक और आर्थिक आजादी प्राप्त किये आजाद होने के कोई मायने नहीं हैं | ये आजादी नहीं है अपितु मैं इसे व्यापक अर्थों में सत्ता का हस्तांतरण मात्र ही समझता हूँ | हो सकता है अनेक लोग मेरी बात से सहमत न हों और सहमत होना आवश्यक भी नहीं, क्योंकि हम बोलने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ही अपनी वास्तविक स्वतंत्रता मान बैठे हैं |

रविवार, 12 अगस्त 2012

शर्मसार किया हाकी ने

ओलम्पिक में भारतीय हाकी टीम पूरे देश को शर्मसार कर दिया है | कभी भारतीय खेल जगत का सिरमौर रही हाकी की दशा आज मुंह चिढ़ाती प्रतीत हो रही है | मेजर ध्यान चन्द के मजबूत हाथो में पली बढ़ी हाकी आज अपनी दुर्दशा पर रो रही है | ओलम्पिक सहित एशियाड ,कामनवेल्थ ,एफ्रो एशियन,साउथ एशियन आदि खेलों में हमेशा भारतीय हाकी ही पदक तालिका में लाज बचाती आई थी | लेकिन इस दफा तो रिकार्ड ही बन गया छीछलेदार का | सबसे फिस्सडी साबित हुए भारतीय हाकी शेर | सबसे अंतिम पायेदान पर आई हाकी टीम ने 120 करोड़ भारतीयों का सर शर्म से झुका दिया है | भारतीय टीम एक भी मैच जीतने में नाकाम रही | ओलम्पिक खेलों के इतिहास में इतनी बुरी दुर्गति हाकी टीम कभी नहीं कराई जितनी इस बार | जले पर नमक ये कि भारतीय खिलाड़ी अंतिम मैच हार कर हाथ हिलाते हुए मैदान का चक्कर इस अंदाज में लगा रहे थे मानों कोई पदक जीता हो ,जबकि मैदान पर मौजूद भारतीय दर्शक रो रहे थे और उन पर गुस्से में बोतलें और कागज के गोले फेंक रहे थे |
अब समीक्षाएं होंगी और जांचों का दौर चलेगा | जाँच के नाम पर लीपापोती होगी और दर्शक फिर इस प्रदर्शन को भूल जायेंगे | मैं तो कहता हूँ पूरा हाकी फैडरेशन बर्खास्त होना चाहिए | हाकी तैयारी के नाम पर बरबाद की गयी शासकीय धनराशि को गबन मानते हुए इनसे बसूला जाना चाहिए तभी शायद इन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो |

शनिवार, 11 अगस्त 2012

आखिर ऐसा क्या गलत कह दिया आडवाणी जी ने ?

पता नहीं भाजपा वाले क्यों आडवाणी जी से खार खाये जा रहे हैं | संघ से लेकर बाल ठाकरे और दिल्ली से लेकर गुजरात तक भाजपाई मुँह फुलाए पड़े हैं | बेचारे आडवाणी जी ने अपनी दिल की बात अपने ब्लॉग पर क्या लिखी.... सत्ता  के गलियारों में कोहराम मच गया | जिसे देखो वह टिप्पणी कर रहा है | कोई परास्त सेनापति...... तो कोई थका खिलाड़ी ......तो कोई हताशा का शिकार बता रहा है | सत्ता का ख्वाब पाले बैठे कई प्रतीक्षारत मंत्री आडवाणी जी का ब्लॉग पढते ही धडाम हो गए | आस जाती रही हाथ से कईयों की | मैं ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूँगा आडवाणी जी को .....जो उन्होंने सत्य कहने और स्वीकारने का साहस जुटाया | आडवाणी जी का बयान जनभावनाओं की स्वीकारोक्ति है |  पूर्व उपप्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में एक दम सटीक भविष्यवाणी की है कि 2014 में कांग्रेस या भाजपा की सरकार नहीं बनने जा रही | यानि महंगाई और भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी कांग्रेस सरकार अपना बहुमत लोकसभा चुनाव 2014  में खो देगी और UPA 2 का अगला सीक्वल बनाने का कांग्रेसी सपना पूरा नहीं होगा | साथ साथ आडवाणी जी ने ये भी स्वीकारा है कि भाजपा भी बहुमत के आस पास नहीं आने वाली | इस अवश्यम्भावी परिवर्तन के मूल में लगातार पिछले 15 वर्षों से देश की राजनीति के केंद्र में बारी बारी से दो प्रमुख दलों का ही सत्तासीन होना है | लोगों ने केंद्र में भाजपा का विकल्प कांग्रेस तय किया और कांग्रेस ने निराश करते हुए प्रायः हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के नए नए कीर्तिमान स्थापित किये | लोग चाह कर भी सुरसा की भांति बढ़ती महंगाई ,भ्रष्टाचार और उसमे से निकले 2G , CWG ,स्पैक्ट्रम, राजा, कनमोझी, कलमाड़ी कैसे चरित्रों को भूल नहीं पा रहे हैं | उधर भाजपा की अंतर्कलह भी कम नहीं है | 2014 तक सिर फुटौवल की स्थिति आ जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए | अब ये स्पष्ट हो गया है कि अब भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए आडवाणी जी स्वाभाविक और निर्विवाद नेता नहीं रहे | मोदी और अब नीतीश कुमार उनके कद और पद के समक्ष आ चुके हैं | आज ही संघ प्रमुख ने मोदी के मुकाबले नीतीश सरकार को ज्यादा अंक देकर भाजपाई खेमे में खलबली मचा दी है | भाजपा में निरंतर कमजोर पड़ते जा रहे आडवाणी जी अपनी स्थिति और अति आत्मविश्वास से लबरेज ड्राइंगरूम पालिटिक्स के माहिर भाजपाई मसनदी नेताओं की असलियत बखूबी जानते हैं | इसलिए उन्होंने सोच समझ कर सर्वथा सत्य ही कहा है कि इस दफा 2014 में तीसरा मोर्चा ही सत्तासीन होगा ,भाजपा या कांग्रेस नहीं |
हम सब जानते है कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है और यहीं से सबसे ज्यादा सांसद भी चुने जाते हैं जिनके समर्थन से केंद्र की सरकार बनती है | इस दफा समाजवादी पार्टी को 2012 विधान सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला है | नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी भारत वर्ष की राजनीति की तीसरी शक्ति का केंद्र माने जाते है | गैर भाजपाई गैर कांग्रेसी सरकारों में आपका योगदान अप्रतिम रहा है आपने हमेशा सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला किया है | निश्चित ही यूपी की समाजवादी पार्टी की लोकप्रिय सरकार और जांबाज़ कार्यकर्ताओं के बूते लोकसभा की 60 सीटें जीतना कोई मुश्किल काम नहीं, | ऐसा होते ही समाजवादी परचम देहली के गगन में लहरा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी |
आडवाणी जी का ब्लॉग पढ़े http://blog.lkadvani.in/blog-in-hindi/%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D-2014-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AF