गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

झूठे आश्वासनों में विकास की बाट जोहता बुंदेलखंड : त्रासदी और कब तक ?

                     झूठे आश्वासनों में विकास की बाट जोहता बुंदेलखंड : त्रासदी और कब तक ?
प्रिय मित्रों,
इसे बुंदेलखंड के आम जनमानस की त्रासदी ही कहा जायेगा कि आज तक विकास के  कोरे ,थोथे और झूठे आश्वासनों के अलावा यहाँ के निवासियों के कुछ हाथ नहीं आया है | कभी बेहद संपन्न और आत्मनिर्भर रहने वाला बुंदेलखंड आज सरकारी तंत्र की उपेक्षा और जनविरोधी नीतियों के चलते बदहाल , कंगाल और उपेक्षित जीवन जी रहा है | 1.5  करोड़ की आबादी का बुंदेलखंड आज बुनियादी सुविधाओं जैसे पेय जल, शिक्षा, कृषि, उद्योग ,बिजली, सड़क, सिंचाई के संसाधन के घोर अभाव के चलते अपनी ही आबादी का बोझ उठाने में लाचार हुआ जाता है | बदहाल और कर्जमंद किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं | परेशान मजदूर पलायन कर रहे हैं | बेरोजगार नव युवकों को पुलिस चोर बनाये डाल रही है | घोषणाएं तो सरकार किये जाती है किन्तु हो कुछ नहीं रहा है | 
ऐसे में प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह और राहुल गाँधी के ३० अप्रैल के बुन्देल खंड दौरे को लेकर लोगों की आशाओं और उम्मीदों के बुझते चिराग फिर जल उठे हैं |
केंद्र की UPA सरकार और उसकी मुखिया श्रीमती सोनिया गाँधी ने 2004 में सरकार बनाने के पश्चात् अपने एजेंडे में बुंदेलखंड के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी किन्तु 7 वर्षों में बुंदेलखंड के हाथ छलावे के अतिरिक्त कुछ लगा नहीं है |  उद्योगों के प्रति सरकारी उदासीनता एवं लापरवाही का आलम ये है कि बंद पड़े कारखाने चोरों की आरामगाह बने हुए हैं , जो मशीनरी व सामान बचा खुचा है , उसकी रखवाली भी टेडी खीर साबित हो रही है |
आज स्थिति ये है कि,
1 बुन्देल खंड की प्रमुख कताई मिलें बंद |
2 बरगढ़ (चित्रकूट) का कांच कारखाना जो कि एशिया में सबसे बड़ा है , बंद | बिक्री के कगार पर |
3 झाँसी ,बबीना, भरुआ सुमेरपुर , बांदा, चित्रकूट और महोबा की अधिकाँश औद्योगिक इकाइयां बंद , शेष बंदी के कगार पर |
4 बुंदेलखंड के उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए गुडगाँव और नॉएडा की तर्ज़ पर दी जा रही विद्युत् सब्सिडी बंद|
5  औद्योगिक इकाइयों और उससे जुड़े प्रबंध तंत्र की सुरक्षा बंद |
6 उदासीनता एवं लापरवाह औद्योगिक नीति के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार और करोड़ों रुपयों की औद्योगिक संपत्ति कबाड़ में तब्दील |
7 बुन्देलखण्ड में औद्योगिक इकाइयों के पुनर्जीवन एवं पुनरोद्धार के लिए विशेष पॅकेज की व्यवस्था बंद  | 

आशा है दम तोड़ते उद्योगों पर प्रधान मंत्री व राहुल गांधी इस दफा कुछ विचार अवश्य करेंगे |

कृषि एवं सिंचाई  दोनों के मामले में बुंदेलखंड का सबसे अधिक शोषण हुआ है | सूखा ग्रस्त किसान आज भी घोषणाओं  के पूरा होने की हसरत दिल में लिए बैठे है | क़र्ज़ माफ़ी की फाइलें आज भी मंज़ूरी की मोहरों की मुन्तजिर हैं | लगातार कई वर्षों से पड़ रहे सूखे से निपटने के लिए सरकार ने कोई कारगर योजना नहीं बनाई है नतीजतन आज भी किसान आत्महत्या और पलायन जैसे कठोर कदम उठाने को विवश हो रहे हैं |  आज ही  बांदा के नरैनी थाना क्षेत्र के पड़मई ग्राम निवासी श्री जग प्रसाद तिवारी ने क़र्ज़ का बोझ न संभाल पाने और सरकारी आरसी से परेशान होकर जान दे दी | अभी विगत दिनों क़र्ज़ में दबे महोबा के झिर सहेबा गाँव के श्री राम विशाल उर्फ़ बब्बू  कुशवाहा ने भी अपनी ज़मीन अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने की वज़ह से आत्महत्या कर ली | दोनों सरकारों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी |
मेरी मांग है कि
1 -सूखा - पाला प्रभावित किसानों के कृषि ऋण तत्काल माफ़ किये जाएँ
2 -बिजली के  दो - दो लाख रुपयों के भेजे गए फर्जी बिल औए उससे जुडी आरसी रद्द की जाये |
3 -सरकार गंग नहर की तर्ज़ पर बुन्देल खंड में भी यमुना नहर बना कर नहर प्रणाली से सिंचाई व्यवस्था को मज़बूत करे | इसके लिए औगासी में यमुना घाट पर डाम बना कर और वहां से नहरें निकाल कर समस्त बुन्देलखण्ड को सिंचाई के बेहतर अवसर प्रदान किये जा सकते हैं | जब रेगिस्तान में नहरों का जाल बिछाया जा सकता है तो बुन्देलखण्ड में क्यों नहीं ?
4 -अर्जुन सहायक बाँध परियोजना का विस्तारीकरण करते हुए इसका दायरा केवल बुन्देलखण्ड की सूखी धरती तक पानी पहुचाने हेतु सीमित किया जाये |
5 -उ० प्र० सरकार के सहयोग से म० प्र० में बने रनगवां बाँध ,गगऊ बांध एवं बरियारपुर बांध से बुंदेलखंड को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराया जाये | जल बंटवारे में उ० प्र० को 85 % तथा म० प्र० को 15 % जल आपूर्ति निर्धारित थी | इन बांधों की मरम्मत का जिम्मा उ० प्र० सरकार का है |

मनरेगा योजना का दुरूपयोग बुन्देल खंड में आम है | मेरा मानना है कि राजनैतिक फायदे के उद्देश्य से चलाई जा रही इस योजना को तत्काल बंद कर जनोपयोगी योजना सरकार चलाये या फिर इसमें बढ़ रहे  भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए | साधनों को तरसते बुन्देलखण्ड में यदि सरकारी धन की लूट बंद हो जाये तो विकास के रास्ते तो स्वयं ही खुलते चले जायेंगे |
30 अप्रैल को मनमोहनी आश्वासनों और राहुली दौरों से बुन्देलखंडी मानुष फिर दो चार होंगे , समय फैसला करेगा कि ये कार्यक्रम हवाई / राजनैतिक साबित होगा या दर्द से कराहते बुन्देलखण्ड के ज़ख्मों पर किसी राहतबर मरहम का काम करेगा | 
                                              
                                         रात तो वक़्त की पाबंद है, ढल जाएगी |
                                                          देखना ये है, चिरागों का सफ़र कितना है || 

सोमवार, 18 अप्रैल 2011

"वंचित जातियों का उत्थान - डॉ लोहिया का अधूरा सपना"

                      "वंचित जातियों का उत्थान - डॉ लोहिया का अधूरा सपना" 

प्रिय मित्रों,

लोकतंत्र में जनता का राज्य होता है | जनता अपने प्रतिनिधियों का चयन वोट द्वारा करती है | देश की आबादी का ८०% वंचितों का है परन्तु आज़ादी के ६० वर्षों के बाद भी दिल्ली की गद्दी पर वंचितों का राज्य नहीं हो पाया है | इसका कारण आर्येत्तर जातियों का छोटे छोटे वर्गों / जातियों में बँटे रहना है | अल्पसंख्यक द्विज जातियां इन आर्येत्तर जातियों को प्रागैतिहासिक काल से ही विभाजित रखकर शासन करने में सिद्धहस्त रही हैं | चुनावों में वे आज भी उन्हें जाति / धर्म के नाम पर बाँट कर तथा अपने वोट एकजुट रखकर सत्ता प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं | फिर सत्ता के ज़रिये अपने द्विज वर्ग का हित साधन करते हैं | इस प्रकार लोकतंत्र के बावजूद बहुसंख्यक निर्बल और अल्पसंख्यक सबल बन बैठता है |
वोट की ताक़त स्वतंत्रता के पश्चात महसूस की जाने लगी थी | पिछड़ों में मध्य वर्ग जागरूक होने लगा | पशु पालक जातियों यथा ग्वाल, अहीर, गोप, गोरा, घासी, मेहर, घोसी, कमरिया, कडेरी व यदुवंशी जातियों ने अपने को एकीकृत करके यादव नाम दिया | इसी तरह लोध, लोधा, लोष्ठ , लोष्ठा, लोधी,  मथुरिया लोधी राजपूत हो गए | कुर्मी ,चनऊ, पटेल, सैन्थ्वार कुर्मी कहे जाने लगे | चमारों की तो ५१ जातियों जिनमे पिप्पल, निम् , कर्दम, जैसल, जैसवार, जाटव, गहरवार, अहिरवार, जटिया, कुरील, रैदास, दोहर, दोहरे, डोहरा, रविदास, चमकाता, भगत चमकाता , रोहिदास, रोनिगर, रैगड़, भाम्बी, रोहित, खाल काढ, भगत चर्मकार , रैया, धोंसियार, डांबरे , उत्तराहा, दक्खिनाहा, नोना चमार , मोची , मूची, ऋषि, भैरवा, ढेड़, समगर , सागर, सगर, चम्बर, धुसिया और झुसिया ने अपने को केवल दो नामो चमार एवं जाटव से ही परिभाषित किया | इसी प्रकार व्यापार से जुड़े सूढी, हलवाई, रोनियार ,पंसारी, चौरसिया, मोदी, कसेरा, केशरी, ठठेरा, कलवार, सोनार, पतवार, कम्लापूरी वैश्य , सिंदूरिया बनिया, माहुरी वैश्य, अवध बनिया, वंगी वैश्य, वर्णवाल, अग्रहरी वैश्य (पोद्दार), कान्धू , कसौंधन वैश्य और  केसरवानी वैश्य जातियों ने स्वयं को बनिया के रूप में पिछड़ा वर्ग आयोग में पंजीकृत करा लिया तथा एक जगह वोट करने लगे हैं  और आपस में शादी विवाह करने लगे हैं|  इनकी उपस्थिति भी प्रदेश व राष्ट्रीय राजनीति में होने लगी है |
यादव राष्ट्रीय स्तर पर अन्य समकक्ष जातियों को अपने में जोड़ने हेतु प्रयत्नशील है | स्व० चौ० चरण सिंह ने अहीर ,जाट तथा  गुर्जर जातियों को जोड़ने का प्रयास किया था | परन्तु इसे तोड़ दिया गया | द्विज जातियों द्वारा पिछडो को पिछड़ा एवं अति पिछड़ा तथा दलितों को दलित एवं अति दलित में बांटने का प्रयास किया जा रहा है | जरूरत एकीकरण की है , विखंडीकरण की नहीं | परन्तु पिछडो में पीछे छूटे लोगों को आगे लाने की जिम्मेदारी विकसित पिछड़ों को ही निभानी होगी | किन्तु खेद जनक है कि अब वे भी द्विजवादी दृष्टिकोण अपनाने लगे हैं और अपने को नव द्विज के रूप में स्थापित करने लगे हैं | कमोवेश वंचितों के प्रति उनकी सोच भी द्विजों जैसी हो गई है |
"सोशलिस्ट ने बाँधी गाँठ, पिछड़ा पाए सौ में साठ" 
डॉ राम मनोहर लोहिया ने पिछड़ों की राजनैतिक, आर्थिक, एवं सामाजिक स्थिति का गहन अध्ययन किया | आपने इनकी समस्याओं पर बहुत गहराई से मनन एवं चिंतन किया | आपने पिछड़ों को संगठित करने तथा उनकी समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में अग्रणी भूमिका निभाई | आपने सप्त क्रांति का सिद्धांत प्रतिपादित किया था | लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने इसे सम्पूर्ण क्रांति का नाम दिया | आपने पिछडो के लिए ६०% आरक्षण की वकालत की |
आपके अनुयायी स्व० कर्पूरी ठाकुर ने सबसे पहले पिछड़ों को सरकारी सेवा में आरक्षण देने को अमली जामा पहनाया | देश की जनता ने सम्पूर्ण क्रांति के पुरोधाओं को सत्ता सौंप दी, परन्तु लोहिया के बाद सम्पूर्ण क्रांति का सपना आज भी अधूरा है | एक बार एक पत्रकार ने डॉ राम मनोहर लोहिया से कहा था कि एक समय आएगा जब मध्यवर्गीय पिछड़ा, अति पिछड़ा तथा दलितों का शोषण करेगा | तब क्या होगा ? डॉ लोहिया ने कहा था,  तब वंचित अन्य पिछड़ा वर्ग संगठित होगा और संख्या के आधार अपना हिस्सा लेगा | लगता है, वह समय अब आ गया है |
प्राचीन काल में वर्णवादी व्यवस्था में संगठित होने का तरीका रक्त सम्बन्ध रहा था | अन्तर्जातीय विवाह से वंचित खटिक, खतवे, गोढ़ी , गंगे ,गंगौत, गन्धर्व, खटवास, धींवर, चाई, चंद्रवंशी, तांती, तुरैहा, तियर, तियार, थारू, धानुक, नोनिया, कहार , नाई , नामशूद्र, प्रजापति, मांझी मझवार , बेलदार , बिन्द, बियार, भास्कर, माली, मल्लाह, मारकंडे, भोटियारी, राजधोब, राजभर, राजवंशी, किसान, लोध, केवट, खुल्वट तथा वनचर जातियां एक जगह संगठित हों तथा आपस में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करें | तभी वंचित समाज का कल्याण हो सकेगा | इनकी संख्या ३५-४० % है | परन्तु इनमे से कई जातियों का विधान सभा लोक सभा में प्रतिनिधित्व तक नहीं है | इनकी एकता व संगठित शक्ति का राष्ट्रीय एवं राज्य कि राजनीति में गहरा असर पड़ेगा |
समाजवादी समाज का निर्माण हमारा संवैधानिक उद्देश्य है, समता मूलक समाज हमारा लक्ष्य है | बिना जातिवाद को ख़त्म किये समाजवाद आना मुश्किल है | सरकार की जाति तोड़ो योजनायें निष्फल रही हैं | उल्टा जातिवाद को हर स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है |
दलितों एवं पिछड़ों के आरक्षण का लाभ इनकी मध्यमवर्गीय कहे जाने वाली जातियों ने ही उठाया है | या यूँ कहें कि दूसरों को लेने नहीं दिया है  | और नतीजतन एक नये प्रकार का वर्ग आकार ले रहा है जो लोकतंत्र के बावजूद गुलाम है,  आरक्षण के बावजूद वंचित  है, सामाजिक न्याय के बावजूद पीड़ित है, बहुसंख्यक होने के बावजूद उपेक्षित है और समाजवाद के बावजूद शोषित है | यही वो वर्ग है जो प्रत्येक स्तर पर आज भी अंतिम पायेदान पर है |
आइये हम सब इस उजड़े, पिछड़े, दलित, शोषित, उत्पीडित, बहिष्कृत और वास्तव में वंचित कर दिए गए समाज के लिए संगठित होकर संघर्ष करने का संकल्प लें | 





गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

"बसपा लूट मचाये खासी, अब तो जागो उत्तरप्रदेश वासी"

प्रिय बहनों भाइयो,
             जब से उत्तरप्रदेश में बसपा की सरकारआई है, तब से  मायावती ने हजारों करोड़ की लूट सरकारी खजाने से की है | पार्को व फिजूलखर्ची योजनाओं में तमाम रुपया बर्बाद किया है | कई सालों से किसान परेशान है| बुंदेलखंड में सूखे से बर्बाद हो चुके किसान आत्महत्या  एवं पलायन कर रहे है | पीने के पानी का भी घोर संकट है |.अधिकारी बसपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे है | जनता की इस सरकार में सुनने वाला कोई नहीं है  |
             आइये अब जागरूक होने का वक़्त आ गया है | इस सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतर कर संघर्ष करें |

बाबा साहेब डा०भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं |

प्रिय मित्रों,
दलितों,शोषितों,वंचितों तथा पिछड़े - अतिपिछडे वर्गों के मसीहा, भारत ही नहीं अपितु विश्व में मानवाधिकारों के सच्चे पैरोकार, विश्व में अतुलनीय भारतीय संविधान के शिल्पी, भारत रत्न बोधिसत्व बाबा साहेब डा०भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिवस की १२० वीं वर्षगाँठ के पुनीत अवसर पर समस्त देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं |
अत्यधिक सामाजिक अत्याचार के भुक्त भोगी, असहनीय अन्याय के अनुभवी और बहिष्कृत एवं सामाजिक भेदभाव का दंश झेल चुके बाबा साहेब डा० अम्बेडकर ने सदियों से उजड़े, पिछड़े, दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित एवं बहिष्कृत जातियों को दलित घोषित कर संविधान में सामाजिक न्याय व्यवस्था का प्रावधान करके  उन्हें सुरक्षा कवच प्रदान किया | देश के दलितों को राष्ट्र की मुख्य धरा एवं धारा से जोड़ने वाली आरक्षण व्यवस्था के आप प्रणेता रहे | उसी का सुखद एवं दूरगामी परिणाम हुआ कि अनेक लोग अपने जीवन स्तर व आजीविकाओं में परिवर्तन लाकर लगभग सामाजिक बराबरी का जीवन जी रहे हैं|
किन्तु खेद है, आज अम्बेडकरवादियों की दलितों की ही सरकार में उपेक्षा की जा रही है | अम्बेडकरवादी हाशिये पर हैं और दलित विरोधी सत्ता के स्वामी हुए जाते हैं | बाबा साहेब ने जीवन भर जिस व्यवस्था से संघर्ष किया आज मायावती जी उन्ही से समझौता करके निसंदेह अम्बेडकर वादियों  का अपमान ही कर रहीं हैं | जिसके साथ संघर्ष ठहरा , उससे समझौता कैसा ?
दलित उत्पीडन के सारे रिकार्ड, दलित हितों का दिखावा करने वाली बसपा सरकार में टूट गए हैं | दलित अधिकारी कर्मचारी जितना बसपा सरकार में परेशान हुए हैं, उतना कभी नहीं रहे | शर्म आती है कहने में ,लेकिन कड़वा सच है कि दलित महिलाओं के सर्वाधिक शील भंग इसी सरकार में हुए , कई में तो बसपा विधायक नामज़द हैं | ये अनु०जाति / जनजाति आयोग की रिपोर्ट बताती है |
                इतना ही नहीं, दलितों का दम भरने वाले , जो स्वयं को तथाकथित रूप से अम्बेडकरवादी भी घोषित किये हुए हैं , एक जातिवादी मानसिकता रखकर दलितों में ही विभाजन की प्रष्ठ भूमि तैयार किये जा रहे हैं | दलितों में ही एक तबका बना जा रहा है जो सत्ता के बावजूद कमज़ोर है, योजनाओं के बावजूद पीड़ित है, आरक्षण के बावजूद वंचित है, सामाजिक न्याय के बावजूद शोषित है और दलितों की ही सरकार में बहिष्कृत है | यदि ये सर्वहारा और वंचित वर्ग अपने अधिकारों के लिए दलितों के ही मुकाबले आ गया तो दलितों में विभाजन का दोषी कौन होगा ?
ये बाबा साहेब के मिशन को पीछे धकेलने की और बाबासाहेब का कद छोटा करने की मनुवादी साजिश है जिसमे कुछ सत्ताखोर दलित भी शामिल हैं |
आइये संकट की इस घडी में विचार करें कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दलित राजनीति की दशा और दिशा क्या है और वास्तव में इसे कहाँ होना चाहिए ? ये ज्वलंत प्रश्न हैं दलित चिंतकों के लिए, ये चुनौतियां हैं अम्बेडकर वादियों के लिए और ये सवाल हैं संविधान प्रेमियों के लिए | दलित राजनीति का लक्ष्य येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाना नहीं बल्कि सम्मान पूर्वक दलितों एवं वंचितों का पुनर्पद्स्थापन और खुशहाल व विकसित जीवन यापन होना चाहिए |
सत्ताखोर दलित नेताओं के हाथों से यदि मिशन आजाद करा सके तो यही बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी | 

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

बैसाखी मंगलमय हो

                                           बैसाखी मंगलमय हो
 
 प्रिय मित्रों,
आप सब बहनों भाइयों को बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
आइये मिलजुल कर मनाएं ये खुशियों का त्यौहार|
ब्लॉग पर मिलें http://vpnishad.blogspot.com/

"माया ने ठुकराया , श्री मुलायम ने अपनाया"


                                     "माया ने ठुकराया ,  श्री मुलायम ने अपनाया"

 पिपराइच विधानसभा ( गोरखपुर ) से विधायक एवं पूर्व मंत्री स्व० जमुना प्रसाद निषाद की मृत्यु के बाद उनके परिवार को मायावती की पार्टी ने उनके हाल पर दर दर ठोकरें खाने छोड़ दिया | इतना ही नहीं , कहीं उनकी विधवा पत्नी उप चुनाव का टिकट न मांग बैठे, इसलिए बसपा से भी निकाल दिया | इतनी निर्दयता ,निष्ठुरता,संवेदनहीनता और ह्रदय हीनता की पराकाष्ठा कि महिला होकर मुख्यमंत्री, एक महिला का दर्द भी न समझ सकीं | निसंदेह आलोचना योग्य है|
स्व० जमुना निषाद जब तक जीवित रहे बसपा के वफादार बनकर रहे | यहाँ तक कि एक मामले में मंत्री होकर जेल भी जाना पड़ा तो भी उन्होंने अपनी पार्टी व उसकी मुखिया के निर्णयों की सार्वजनिक आलोचना तक नहीं की | निर्दोष साबित होने तक २ साल जेल भी काटी| दुर्भाग्यवश कार एक्सीडेंट में मृत्यु को प्राप्त हुए |
मायावती के झूठे आश्वासानों के अलावा उनकी विधवा पत्नी को सरकार से कुछ भी हासिल न हुआ | मुसीबत में बसपा ने भी साथ छोड़ दिया ,आवाज़ उठाने पर निकाला सो अलग |
"हारे को हरि नाम"  निषाद परिवार का संकट में माननीय मुलायम सिंह जी ने हाथ थामा | नेता जी ने केवल  सहारा ही नहीं दिया बल्कि उपचुनाव में पार्टी का टिकट देकर साबित कर दिया कि अति दलितों , अति पिछड़ों और महिलाओं के प्रति उनके मन में गहरी संवेदना है | संघर्षशील, दबे कुचले, उजड़े पिछड़े और वंचित वर्गों की न सिर्फ समय - समय पर आवाज़ उठाई है, बल्कि उनकी तरक्की और खुशहाली के  प्रति अपनी प्रतिबद्धता को समाजवादी पार्टी और हमारे नेता आदरणीय मुलायम सिंह जी ने हर मौके पर दोहराया भी है | 
आइये, प्रदेश की भ्रष्ट, अत्याचारी, व्यभिचारी, लूटखसोट में लिप्त और सर्वजन के नाम पर ठग कर जातिवादी भाई भतीजेवाद को संरक्षण देने वाली इस सरकार के ताबूत में आखरी कील ठोंके और वंचितों के सीने पर मूंग दलने वाली इस जनविरोधी सरकार को उपचुनाव में करारी शिक़स्त देकर प्रदेश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें | 
निषाद भाइयों से अपील है कि उपचुनाव में जुट जाएँ और सम्पूर्ण समाज का वोट समाजवादी पार्टी को दिला कर माननीय मुलायम सिंह जी के फैसले का मान रखें और मछुआ समुदाय के आरक्षण को रद्द करनेवाली एवं हमारी रोज़ी - रोटी से खिलवाड़ कर हमारे पारंपरिक धंधों को छीनने वाली मछुआ / नाविक समुदाय विरोधी मानसिकता की इस सरकार के प्रत्याशी की ज़मानत ज़ब्त करा दें | 
                       यही स्व० जमुना प्रसाद निषाद जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी |

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

ये अन्ना का नहीं मीडिया का आन्दोलन था |

                                          ये अन्ना का नहीं मीडिया का आन्दोलन था |
प्रिय मित्रों,
पिछले दिनों समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा छेड़ी गयी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का पूरे भारत ने पंजों के बल खड़े होकर स्वागत किया और एक बारगी ऐसा लगा भी कि शायद भ्रष्टाचार के राक्षस से मुक्ति मिल भी जायेगी लेकिन पूरे आन्दोलन का श्रेय अन्ना हजारे को नहीं, मीडिया को जाता है |
अन्ना हजारे भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी आन्दोलन कर चुके हैं तब उनके साथ बमुश्किल 100 लोग भी नहीं जुड़ पाते थे लेकिन इस दफा ३ महीने की मीडियाई कसरत और कुशल कैमराई प्रबंधन ने पासा ही पलट दिया | मोबाइल, sms, फेसबुक, ट्वीटर, ब्लोग्स, प्रेस और लाइव मीडिया कवरेज़ से आच्छादित आन्दोलन घर घर तो फ़ैलना ही था  |
वस्तुतः मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार एक सामाजिक समस्या है और समाजशास्त्री ही इसका बेहतर हल सुझा सकते हैं या फिर इस मुद्दे को समाज पर ही छोड़ देना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार समाज में है | नेता, अधिकारी, जज ,वकील , कर्मचारी, पुलिस, साधू सन्यासी , व्यापारी, NGOs आदि सब समाज से ही तो आते हैं | समाज में घटने वाली घटनाओं , परिवर्तनों , अनाचार और व्यभिचारों का इन पर सीधा असर होता है |
ऐसे में सरकार को कोसने या नए कानून बनाने की मांग करने से कुछ हासिल नहीं होगा| देश में एक से बढ़ कर एक कानून है, पर उसे लागू करने की दृढ इच्छा शक्ति का सबमे अभाव है | जनांदोलन से नहीं जनजागरण से बात बनेगी| मुद्दा सरकारी भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक भ्रष्टाचार होना चाहिए | सरकार तो खुद बा खुद सीधी हो जाएगी |
मीडिया ही देश को चला रहा है, ये बात प्रमाणित हो गयी है | अब बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया कि मीडिया कौन चलाये क्योंकि राडिया - टाटा  टेप से भ्रष्ट बरखा दत्त जैसी हाई प्रोफाइल पत्रकार , वो भी महिला, बेनकाब हो चुकी हैं |
और फिर बिकाऊ मीडिया के भरोसे लड़ी गयी इस लड़ाई को लेकर अन्ना की कामयाबी ज्यादा दिनों चलने वाली नहीं हैं | खुश फहमी जल्द ही दूर होने वाली है  |

रविवार, 10 अप्रैल 2011

"किसान बचाओ - मजदूर बचाओ" सन्देश यात्रा

                            "किसान बचाओ - मजदूर बचाओ" सन्देश यात्रा
प्रिय मित्रो ,
केंद्र की आम आदमी विरोधी नीति और मध्य प्रदेश भाजपा सरकार की किसान और मजदूर विरोधी नीतियों की वजह से अकेले मध्य प्रदेश में ही गत एक वर्ष में सैकड़ों मजदूर व किसान आत्महत्या कर चुके हैं | हजारों परिवार भूखों मरने की कगार पर हैं | बचे खुचे आजीविका की तलाश में अपना जल, जंगल और ज़मीन छोड़ कर पलायन को विवश हैं | रोटी कपडा तो दूर शिवराज सरकार पीने का साफ़ पानी तक मुहैया नहीं करा पा रही है | जन समस्याओं से विमुख मुख्यमंत्री क्रिकेट का खेल देख रहे हैं |

समाजवादी पार्टी पीड़ा से कराहती जनता की करुण पुकार सुन कर चुप बैठने वाली नहीं है | कल 9 अप्रैल से 21 मई तक भोपाल से समाजवादी पार्टी "किसान बचाओ-मजदूर बचाओ सन्देश यात्रा " आरम्भ कर  चुकी है जो पूरे मध्य प्रदेश के किसान व मजदूरों को केंद्र व प्रदेश सरकार की साजिश और जन विरोधी नीतियों से सावधान करेगी | किसी भी दशा में किसानों और मजदूरों को आत्महत्या या पलायन नहीं करने देगी |

समाजवादी पार्टी गाँव, गरीब, उजड़े, पिछड़े, अति दलित, अल्पसंख्यकों ,महिलाओं और युवाओं को की लड़ाई को आगे बढकर लड़ना चाहती है | सदियों से जिनके साथ इन्साफ नहीं हुआ है और उन्हें इन्साफ दिलाकर मान सम्मान के साथ उन्हें संविधान सम्मत अधिकार उपलब्ध करना चाहती है | समाज के अंतिम पायेदान पर खड़े व्यक्ति के चेहरे पर जब तक मुस्कुराहट और जीवन में खुशहाली नहीं आ जाती, तब तक समाजवादी पार्टी व्यवस्था के खिलाफ हल्ला बोलती रहेगी और सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करती रहेगी |
                 हमारे नेता आदरणीय मुलायम सिंह यादव जी का जीवन सदैव संघर्षों से भरा रहा | पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और सर्वहारा समाज के अधिकारों एवं व्यवस्था द्वारा उपेक्षित कर दिए गए वंचित वर्गों के प्रति आपके मन गहरी पीड़ा रही है | 
समाजवाद के पुरोधा डा0 राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि"जब तक दुखी किसान रहेगा, धरती पे तूफ़ान रहेगा " | आज बड़ा दुःख होता है जब देश का अन्न दाता अपने दिन गरीबी और मुफलिसी में काट रहा है |
ऐसे में समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में अपने नेता माननीय मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर भाजपा सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान करती है और जनभावनाओं के खिलाफ काम करने वाली शिवराज सरकार को चैन से नहीं बैठने देगी |