बुधवार, 15 जून 2016

कैराना का संघी सच

टनाओ को सांप्रदायिक रंग देकर उनपर राजनीति करने में भाजपा सिद्धहस्त रही है । सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बूते वोटों की क्षुद्र राजनीति खेलना और समाज में तनाव फैलाकर उन्मादी सियासत करना भाजपा और उसकी संघी जमात का बाएं हाथ का खेल रहा है ।
मुज़फ्फरनगर दंगों के बूते 2014 फ़तेह करनी वाली भाजपा अब कैराना के जरिये उत्तर प्रदेश में सत्ता प्राप्ति का ख्वाब देख रही है । भाजपा के वरिष्ठ कहे जाने वाले गुर्जर नेता श्री हुकुम सिंह जी आजकल सूची सूची खेल रहे हैं । फर्जी और मनगढ़ंत सूचियों के जरिये भाजपा नेता यह साबित करना चाहते हैं कि यूपी के कैराना क़स्बे में निवासरत हिन्दू समुदाय के लोग कैराना के मुस्लिम भाइयों के आतंक से परेशान होकर शहर छोड़कर भाग रहे है। हद तो ये है कि पलायन के अलावा भाजपा नेता सनसनी फैलाने के लिए क्षेत्र के विभिन्न आपराधिक घटनाओं में मार दिए गए हिन्दू लोगों की सूची भी बना रहे हैं ताकि उनकी हत्या के लिए दूसरे सम्प्रदाय के लोगों  को दोषी ठहरा कर तथा लोगों में भय फैलाकर वोटों की तुच्छ राजनीति कर सकें | कैराना की तुलना कश्मीर से करने को उतावले भाजपा नेता दरअसल अपनी बेटी को कैराना से विधायक बनवाना चाहते हैं | इन सारे आरोपों को लगाने वाले भाजपा नेता खुद कैराना से दशको से विधायक और वर्तमान सांसद भी हैं यह पलायन उनकी नाक के नीचे दशकों से होता रहा और सांसद जी की नींद 2017 नजदीक देखकर यूँही नहीं टूटी |
पुलिस जांच में भाजपा नेता की दोनों सूचियाँ फर्जी साबित हो चुकी है |
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1-पहली सूची में वर्णित अनेक परिवार दशकों पहले कैराना छोड़कर मुंबई दिल्ली शिफ्ट हो गए हैं , पांच साल पहले कई परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए जबकि भाजपा नेता इसकी वजह साम्प्रदायिक बताते नहीं थक रहे | दिल्ली एनसीआर में बेहतर रोजगार साधन होने के कारण पश्चिम यूपी के निवासियों का दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में बस जाना आम बात है | यह सिलसिला 60 के दशक आरम्भ हुआ और आज भी अनवरत जारी है | रोजगार के लिए हिन्दू ही क्यूँ , अनेक मुस्लिम भाई खाड़ी के देशों तक में जा बसे हैं | जिसको किसी धार्मिक द्रष्टि से देखा जाना कतई अनुचित है |
2-भाजपा नेता की दूसरी सूची उन हिन्दू व्यवसायियों की है जिनकी हत्या पिछले एक दशक में की जा चुकी है | सूची प्रकाशित करने के पीछे भाजपा नेता का शातिर दिमाग यह सोचकर काम कर रहा है ताकि इसके जरिये लोगों को उकसाया जा सके कि एक धर्म के व्यवसाइयों की हत्याएं हो रही है | जबकि हकीकत यह है कि पुलिसिया रिकार्ड में इन हत्याओं में वांछित लोग हिन्दू ही हैं कई में तो मृतकों के रिश्तेदार दोषी सिद्ध हुए |
ऐसा नहीं है कि भाजपा नेता इस असलियत से वाकिफ नहीं है बल्कि वे सब कुछ जानते हुए भी तथ्य छुपा कर इस सूची  पर धार्मिक राजनीतिकरण कर उन्माद की नीवं पर कैराना के जरिये एक और मुज़फ्फरनगर देखना चाहते हैं | हैरत ये है कि मीडिया भी  बिना किसी पड़ताल के ऐसी ख़बरें दिखाकर सामाजिक एकता के ताने बाने को कुतरने की संघी साजिश में लगा हुआ है