शनिवार, 25 जून 2011

कांग्रेस डायन खाय जात है...........

                         कांग्रेस ने फिर अपनी गरीब विरोधी सोच को प्रदर्शित किया है | अबके हमला सीधे सीधे आम आदमी की रसोई पर हुआ है | डीज़ल ,कैरोसिन और रसोई गैस के दाम बढ़ा कर केद्र में बैठे गैरजिम्मेदाराना रवैय्या दिखा रहे कांग्रेसी नेताओं ने आम आदमी की रही सही कमर को भी तोड़ने  का काम किया है | न मालूम कब कांग्रेस के लोग आम आदमी की समस्याओं को समझेंगे  ?  शर्म की बात है  कि देश के प्रधानमंत्री एक अर्थशास्त्री हैं  जो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कीमतें बढ़ाने जैसे घटिया और दकियानूसी फैसलों में यकीन रखते  है | जैसे स्कूलों  में शैतान छात्रों से निपटने का आसान तरीका डंडा हुआ करता था , लेकिन शिक्षा शास्त्रियों ने हमेशा डंडे की मुखालफत की और प्रक्रिया को दंडात्मक न होकर सुधारात्मक बनाने पर जोर दिया |
  मेरी गुज़ारिश है कि प्रधानमंत्री जी आम आदमी के दर्द को शिद्दत से महसूस करें और डीजल ,कैरोसिन और रसोई गैस पर हुयी मूल्य वृद्धि को तत्काल वापस लें | क्योंकि आज कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ न होकर उसकी जेब में है और उसकी गर्दन पर है|

गुरुवार, 23 जून 2011

माया की सफाई : बेगैरती की हद



बलात्कार प्रदेश की मुखिया की बेकाबू कानून व्यवस्था पर दी गयी सफाई ने बेगैरती की अब तक की सारी हदें तोड़ डाली हैं | एक जिम्मेदार पद पर बैठी नेता से ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती | अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सुश्री फरमाती हैं "यू पी की आबादी सबसे ज्यादा है तो उसी अनुपात में अपराध हो रहा है | आबादी ज्यादा है तो चोरियां भी ज्यादा होंगी ,बलात्कार भी अधिक ही होंगे |"

अपने इस घटिया बयान से मायावती ने अपनी घटिया सोच और दूषित संस्कारों को भी जाहिर कर दिया है | इतना ही नहीं आप आगे फरमाती हैं "समाज के नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है और समाज की सोच में गिरावट आई है |"

मै कहता हूँ - जिस प्रदेश की मुखिया अपने सांसद और विधायकों से उनकी क्षेत्रीय विकास निधि में से खुले आम कमीशन की मांग करते हुए CD में रिकार्ड हो जाये , जहां खुले आम पैसा लेकर 20 करोड़ में पार्टी का टिकट बेचा जाये | जहाँ अफसरों से सजातिवादी भाईचारा निभाते हुए विशेष पदों का गठन किया जाये ,जहाँ हत्या ,अपहरण और बलात्कारियों को मंत्री पद एवं चेयर मैनी से नवाज़ा जाये , जहां जनाधार नहीं वरन गुंडई और मनी पावर से प्रत्याशी तलाशे जायें, जहाँ पंचम तल पर सरकारी पैसे को डकारने और भ्रष्टाचारण के नित नए नए तरीके खोजने में IAS जैसी प्रतिभाएं अपने योगदान सुनिश्चित कर रही हों, जहाँ निकाय चुनाव में पब्लिक के गुस्से का अंदाज़ होने पर बैकडोर दूंढा जाये ,जहाँ महिलाओं से ज्यादा 5 वर्ष की बच्चियां असुरक्षित समझी जायें, जहां पुलिस नेता और अपराधियों की दलाल बना दी जाये , जहाँ फैसले अदालतों में नहीं बसपा जिला अध्यक्षों के दरबारों में किये जायें | जहाँ भर्तियों में जातिवार दर्ज़ा राज्य मंत्री अपनी जाति वालों से पैसा इकठ्ठा करें , जहाँ कैडर धूल चाटे और दल बदलू सम्मानित हों , वहां का समाज और आने वाली नस्लें ऐसे सामाजिक न्याय के प्रणेताओं और उनकी मोती तगड़ी प्रतिमाओं को देख कर वैसा ही बनना चाहेंगी | समाज में तो गिरावट आएगी ही |

अब तय हमें आपको करना है समाज को किस दिशा में मोडें?

सोमवार, 20 जून 2011

उत्तर प्रदेश बना बलात्कार प्रदेश ,अपराध प्रदेश

                                         
प्रिय मित्रों ,
उत्तर प्रदेश अब बलात्कारियों की प्रयोगशाला बन गया है | अपराध प्रदेश में अपराधियों की मौज है | सत्ता का संरक्षण पाकर संवर्धित एवं विकसित अपराधियों की नई जमात, नए कलेवर के साथ मैदान में है | प्रदेश सरकार के अपराध प्रेम का ही नतीजा है कि बसपा के डेढ़ दर्जन से ज्यादा मंत्री एवं पाँच दर्जन से ज्यादा विधायक बाकायदा अपराधी हैं | जिनमे कई तो न्यायिक प्रक्रिया से गुज़र कर सजायाफ्ता घोषित हैं एवं कई माननीय फरार चल रहे हैं | कई छुट भैये हैं, जो थामे हुए हैं पनाह खादी की और दिए जा रहे हैं अपने कारनामों को अंजाम बेखौफ और बेखतर |
               NCRB की रिपोर्ट कहती है कि पूरे देश का 20% क्राइम यू० पी० में ही हो रहा है | जो अपने आप में न केवल हैरत अंगेज़ है बल्कि अफसोसनाक भी है | 
और....... भी ज्यादा शर्मनाक ये है कि महिला मुख्यमंत्री के होते हुए महिलाओं और खास कर दलित महिलाओं की इज्ज़त जिस तरह बसपा विधायक ही तार तार किये दे रहे हैं, वो अपने आप में सामाजिक न्याय के अलंबरदारों के बडबोलेपन पर करार तमाचा है |
उत्तर प्रदेश पुलिस का आंकड़ा कहता है कि 2010 के साल में आज़ादी के बाद से अगर किसी वर्ष में सबसे ज्यादा क्राइम हुआ है है तो 2010 में | प्रदेश के पुलिस थानों में 180,000  से ज्यादा मुक़दमें रजिस्टर हुए  | जिनमे 35,000 से ज्यादा मुक़दमें महिलाओं पर हुए अत्याचार से सम्बंधित हैं | जिनमे 6000 से ज्यादा बलात्कार के  मामले, शेष यौन उत्पीडन , दहेज़ हत्या , दहेज़ उत्पीडन , छेड़छाड़ से सम्बंधित हैं | औसतन 17 बलात्कार रोज़, यानि हर 2 घंटे में 3 महिलाओं की इज्ज़त लुट जाना | 
                         ये शर्मनाक है, अपने आप को कुमारी कहने वाली महिला नेत्री के लिए |
इतना ही नहीं SC/ST ACT के सर्वाधिक मुक़दमें भी इसी वर्ष दर्ज हुए जो साबित करते है कि दलित वर्गों के प्रति सरकार के सरोकार और संवेदनाओं में किस कदर ठंडापन आया है और मनुवादी ताक़तों से रुपया बटोर रही बसपा सरकार उनके विकास के प्रति कितनी लापरवाह, उदासीन और स्वार्थी बन बैठी है | 
कहना अतिशयोक्ति न होगा, कि बहन जी का जंगल राज अपने पूरे यौवन पर है और अन्यायमुक्त, अपराधमुक्त, भयमुक्त और विकासयुक्त वातावरण के नारों के दलित लेखक ही आज अपना सिर धुन रहे हैं|

शुक्रवार, 17 जून 2011

नहीं रहे निषाद समाज के पुरोधा रघुबर बाबू

निषाद समाज के मजबूत स्तम्भ  पूर्व मंत्री बाबू रघुबर दयाल वर्मा हमारे बीच नहीं रहे | आज प्रातः ही आपके निधन का समाचार समस्त निषाद समाज को शोकाकुल कर गया | आप समाजवादी पार्टी के ९८, शिकोहाबाद से प्रत्याशी भी थे| आप लोकतंत्र सेनानी तो थे ही ,समाज के पिछड़ेपन, अशिक्षा एवं दुर्दशा को लेकर आपके मन में गहरा असंतोष व्याप्त था | आपके निधन से समाज को गहरा अघात लगा है | कश्यप-निषाद-बिन्द एकता के प्रतीक बाबू रघुबर दयाल वर्मा को समस्त मछुआ समुदाय की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि |
        निषाद समाज आपके बताये मार्ग पर चल कर अपने आरक्षण की लड़ाई लडेगा और अपने आरक्षण के अधिकार को प्राप्त करके आपके अधूरे स्वप्न को पूरा करेगा |

गुरुवार, 16 जून 2011

हार्दिक धन्यवाद श्री मुलायम सिंह जी - आभार समाजवादी पार्टी

                                 हार्दिक धन्यवाद श्री मुलायम सिंह जी - आभार समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी का आठवां राष्ट्रीय सम्मेलन आगरा में सम्पन्न हुआ।सम्मेलन में आदरणीय मुलायम सिंह जी प्रयासों से 17 पिछड़ी जातियों (राजभर, निषाद, प्रजापति, मल्लाह, कहार, कश्यप, कुम्हार, धीमर, बिन्द, भर, केवट, धीवर, बाथम, मछुआ, माझी, तुरहा, गौड ) को अनुसूचित जाति में शामिल करने संबधी प्रस्ताव भारी बहुमत से प्रदेश के कोने कोने से आये कार्य कर्ताओं द्वारा पास किया गया , जैसा कि श्री मुलायम सिंह यादव जी की पूर्व सरकार में आदेश हुआ था, इसके लिए श्री मुलायम सिंह जी एवं समाजवादी पार्टी को कोटि कोटि धन्यवाद 
                          कांग्रेस २००३ से मछुआ समुदाय को छलती चली आ रही है | १६ पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्ज़ा देने सम्बन्धी प्रस्ताव को कांग्रेस ही लटकाए बैठी रही| जब कि मुलायम सिंह जी की सरकार में उक्त प्रस्ताव चार दफे केंद्र को संस्तुति सहित भेजा गया | मायावती जी ने तो हद ही कर दी , सरकार बनाने के २२ दिनों के भीतर मूल प्रस्ताव वापस मंगाकर निरस्त करवा दिया , जैसे बहन जी इसी मुद्दे पर जीत कर आयीं हों | जब समाज ने दबाब बनाया तो महज २ पन्नो की चिठ्ठी केंद्र को भेजकर बसपा ने पिंड छुढ़ा लिया और गेंद फिर से केंद्र के पाले में डाल दी | हमें फ़ुटबाल समझ कर इन लोगों ने अपने गोल मारे और जीतने पर अपनी फ़तेह का जश्न मनाने चले गए , हमारी खाली गेंदे मैदान में अपनी तकदीर बदलने वाले मसीहा की अब तलक मुन्तजिर रही हैं |

                  समाजवादी पार्टी  के इस ऐलान से जहाँ प्रदेश में निवासरत 90 लाख मछुआ समुदाय में अपने हितों के लिए निरंतर संघर्षरत समाजवादी पार्टी के प्रति आस्था और विश्वास बढ़ा है वहीँ 2012 में होने वाले विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जिताने लिए समाज ने अभी से कमर कस ली है |

मंगलवार, 14 जून 2011

ये कैसा कांग्रेसी गुरूर

                                                            ये कैसा कांग्रेसी गुरूर 
प्रिय मित्रों,
 कांग्रेस बौरा चुकी है | दिग्विजय तो बडबोले पन के लिए पहले ही मशहूर हैं | अब कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी भी जुबानी खर्च में पीछे नहीं हैं | प्रेस कांफ्रेंस में उनकी बानगी देखिये | आप फरमाते हैं - "इस देश को और इसके लोकतंत्र को सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों से है जो बाकायदा चुने हुए नहीं हैं और तानाशाही दिखा रहे हैं | ऐसे लोगों को कांग्रेस उनकी असलियत दिखा कर रहेगी" |
तो जनाब तिवारी साहब,-  कृपया अपना ज्ञान वर्धन कर लें , कांग्रेस हमेशा से ऐसे ही लोगों की पारखी रही है जो चुने जाने की हैसियत में नहीं होते | आपके प्रधानमन्त्री कौन से चुने हुए है | मनमोहन सिंह के दम पर कोई ग्राम प्रधान जीत कर नहीं आया आज तक | देश की कैबिनेट में एक दर्ज़न ऐसे कलंदर हैं जो ड्राइंग रूम पोलिटिक्स वाले चाटुकार हैं | अम्बिका सोनी से लेकर गुलाम नबी आज़ाद तक तमाम नाम ऐसे हैं जो कभी चुने ही नहीं गए | दरअसल देश की सियासत में चाटुकारिता , चरण वंदना और चेहरा चमकाऊ राजनीति की जनक कांग्रेस ही रही है , जिसने जनाधार वाले गंभीर और स्वाभिमानी जनप्रतिनिधियों को हमेशा पीछे धकेल कर रखा |

                               जनाधार वाले नेताओं का कांग्रेस क्या हश्र करती है ये जानने के लिए कोई कष्ट नहीं करना पड़ेगा | बस  स्व० जितेन्द्र प्रसाद, स्व० माधव राव सिंधिया, स्व० राजेश पायलट, स्व० नरसिम्हा राव, आरिफ मोहम्मद खान जैसे नामों का स्मरण करना पड़ेगा और अगर इतिहास उठा कर देखना चाहें तो सुभाष चन्द्र बोस एवं बाबा साहब डा० भीम राव अम्बेडकर जैसे बाकायदा चुने हुए लोगों पर हुए कांग्रेसी अत्याचारों को लोग आज भी भूले नहीं हैं | 
तो भाई तिवारी जी- मेरा मुफ्त परामर्श है कि अपने बडबोले कांग्रेसी प्रवक्ता भाई सत्यव्रत चतुर्वेदी जी के हश्र का पुनर्स्मरण कर लें ताकि आगे सुविधा रहे |

सोमवार, 13 जून 2011

घबराई कांग्रेस बताये, रामदेव का विरोध क्यों ?


बाबा रामदेव के अनशन से बौखलाई कांग्रेस बताये कि आखिर बाबा की ऐसी कौन सी मांग लोकतंत्र के प्रतिकूल , विधि विरुद्ध और संविधान सम्मत नहीं थी जो कांग्रेसी मैनेजरों को नागवार गुजरी और नौबत यहाँ तक आन पड़ी कि रौलेट एक्ट के दिन याद आ गए | वो तो गनीमत रही कि प्रेस वालों का भय था , वर्ना 5 राज्यों में चुनाव परिणामों से सत्ता मद में चूर कांग्रेस यदि जलियाँवाला बाग़ की पुनरावृति भी रामलीला मैदान में करवा देती तो कोई आश्चर्य नहीं होता |

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है | कांग्रेस हमेशा से ही जन भावनाओं के प्रतिकूल काम करने की आदी रही है | भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय "आपातकाल " इसी कांग्रेस के सत्ता मद का नमूना था | दिल्ली में सिखों का क़त्ले आम और स्वर्ण मंदिर पर फौज की बर्बरियत इसी कांग्रेस का फैसला था | जबरदस्ती नसबंदी और मुसलमानों के पिछड़ेपन को सच्चर कमिटी द्वारा बाकायदा कसूरवार ठहराई गयी कांग्रेस अब पुलिसिया ज़ुल्म की ताक़त पर , PAC के आतंक के बूते और फौज के बूटों तले आम आदमी की आवाज़ को रोकने और दबाने का जो मंसूबा पाले बैठी है , उससे कांग्रेस का गन्दा और विभत्स चेहरा क्रूरता के साथ ही सामने आया है|

निश्चित ही अब यू ० पी० में कांग्रेस की खैर नहीं | और साहब हो भी क्यों नहीं, देश का मतदाता कोई आँख मूंदे तो बैठा है नहीं |

विदेशों जमा काला धन अगर राष्ट्रीय संपत्ति घोषित हो जाये और उसे वहां से मांगा कर यदि देश के विकास में लगा दिया जाये तो इसमें सोनिया, सिब्बल और दिग्विजय को क्या आपत्ति है ? अब भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी कांग्रेस अपनी और भद्द न पिटवाए | कहीं ऐसा न हो जाये कि देश का हर नागरिक रामदेव की राह चल पड़े और कांग्रेस बगलें झांकती नज़र आये |

बुधवार, 1 जून 2011

"माया का महंगाई विरोध दिखावा "

"माया का महंगाई विरोध दिखावा "

प्रदेश भर में आज बसपा सरकार का महंगाई विरोध दिखावा ही साबित हुआ | रस्म अदायगी के तौर पर नाम मात्र को विरोध किया गया| असली मकसद साल भर पहले पैसा लेकर प्रत्याशी घोषित किये गए नेताओं का जनाधार देखना था |ताकि प्रत्याशी की आमदनी और ताक़त का सही अंदाजा लग सके |जो जितने आदमी जुटाएगा उसका टिकट बचा रहेगा | रिपोर्ट देने में LIU से लेकर DM और SP की सेवाएं भी लीं गईं | कई चतुर सुजान थे जो कोआरडीनेटरों को रातों रात प्रसन्न कर आये , अब सीधों की गर्दन नापने की बारी है |
पजेरो , मोंटेरो , एंडेवर , हैमर और फार्चुनर के अति शीतल वातानुकूलित टॉप माडलों पे सवार होकर आये बसपाइयों के टोले, सड़कों पे खड़े होकर लगातार चू रहे पसीने को पोंछते हुए पेट्रो उत्पादों की बढ़ी कीमतों व महंगाई  के विरोध में बहन जी का गुणगान कर रहे थे |
एक साहब सज्जन थे , सो पूछ बैठे कि सारा गेंहू बिचौलियों ने खरीद लिया ,प्रशासन खामोश तमाशा देखे जाता है , कोई कुछ करता क्यों नहीं ? कभी बी० एड ० वालों  की भर्ती के आदेश, अगले दिन रोक, फिर आदेश | शिक्षा मित्रों को ट्रेनिंग, फिर रोक, फिर ट्रेनिंग | रोज़गार सेवकों की दोबारा भर्ती , फिर शासनादेश वापस ,अब क्या होगा ये भी तय नहीं | मुख्य सेविका के पांच लाख अभ्यर्थियों को सीधे साक्षात्कार के ज़रिये कैसे रख लोगे, कहाँ बुला कर लोगे इतने लोगों का इंटरव्यू  | चपरासी के लिए परीक्षा और अफसर के लिए मात्र इंटरव्यू | ये कैसा निजाम है ? ऐसा लगता है सरकार अंतिम समय में अपना नियंत्रण खो रही है |
बसपाई सन्न ! बोले इस सवाल का महंगाई से क्या ताल्लुक | फिर सोच कर बोले -हमारी बहन जी को दैवीय शक्तियां हासिल हैं , वो सब कंट्रोल कर लेंगी | ये भर्ती वर्ती में कोर्ट का चक्कर है, बहन जी से क्या लेना देना | सतीश मिश्र का पूरा खानदान जज हो गया, तो इसका मतलब ये तो नहीं उन्हें यही काम सौंप दिया जाए | बहन जी के पर्सनल मुक़दमे कौन देखेगा ? रही बात इंटर व्यू  की, तो क्या परेशानी है | अम्बेडकर पार्क में काफी जगह है , पांच लाख की भीड़ तो एक कोने में आ जायेगी, सब वहीँ निपट जायेगा | एक बार केद्र तो हाथ आ जाये, महंगाई भी जाती रहेगी | और तुम कौन पत्रकार हो, जो सवाल पूछ रहे हो...........लग रहा है विरोधी पार्टी के आदमी हो , यहाँ गड़बड़ करने आये हो|
सज्जन बोले - सवाल पूछने का मेरा साहस कहाँ ? सरकार विधायकों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रही हमारी क्या हैसियत है |  अलबत्ता कांग्रेस वाले ज़रूर सूचना का अधिकार दे गए हैं, लेकिन मिल वो भी नहीं रही है | सूचना आयोग में कौन धक्के खाय !!!!!