शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नोट छापै की मशीन

हो गयीं सूबे में जबसे, बहन जी गद्दीनशीन |
आ गयी कब्जे में जैसे, नोट छापै की मशीन ||
क्या किसी की हैसियत, जो कुछ कहे इनके खिलाफ |
अब सियासत कर रहे, लुच्चे लफंगे और कमीन ||
शहर की, लगता है जैसे, आ गयी बासी हवा |
वर्ना मेरे गाँव का, मौसम भी था बेहद हसीन ||
नासमझ था, पाल बैठा, नौकरी की हसरतें |
हाथ से जाती रही बिरजू की दो बीघा ज़मीन ||
पिट रहा भूकन कहीं तो लुट रही शीलू कहीं |
आम है मंज़र यही , मुलजिम हैं ज़ेरे आस्तीन ||
कर रहे हैं दूसरे , सूबों के नेता रुख यहाँ |
लूट खाने में नहीं, यूपी से कोई बेहतरीन ||
देख करके हौसला, कमज़ोर तबके का "अरुन" |
आएगा बदलाव अबके, होगया मुझको यकीन ||

जन्मदिन की दुकान

बहन जनम दिन मना रही थी,
चंदे की हर गली दूकान |
एक विधायक बी० एस० पी० का,
ज़रा नहीं जिसमे सम्मान |
जनम दिवस पे मांग रहा था,
चंदा बिलकुल सीना तान |
कहने लगा ले आओ पैसा ,
मायावती का है फरमान |
एक अभियन्ता सीधा सादा ,
सारी साजिश से अनजान |
उससे पचास लाख जो मांगे ,
हक्का बक्का था हैरान |
नहीं दिया चंदा तो लेली,
माया के चेले ने जान |
थाने में फिर फेंक के भागा,
उसकी लाश बड़ा हैवान |
माया कहे न माँगा चंदा ,
रंजिश में गए उसके प्रान |
शर्मसार हो गयी मानवता ,
माया ने छल किया महान |
हाहाकार मचा यूपी में ,
जैसे आय कोई तूफ़ान |
ताल ठोक नेता जी बोले ,
बंद रहेगा हिन्दुस्तान ||

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

मायावती की फूट डालो - राज करो नीति


मित्रों,
आप जानते ही हैं कि बसपा मुखिया मायावती यूपी में इस दफा सत्ता से बाहर होने जा रही हैं | अपने इस कार्यकाल में इसने भीषण भ्रष्टाचार तो किया ही साथ इसने  भाई भतीजेवाद को पराकाष्ठ को लांघते हुए अपनी घोर मछुआ विरोधी सोच का परिचय दिया | 16 अति पिछड़ी जातियों को जिनमे अधिकाँश मछुआ समुदाय की थीं, का अनुसूचित जाति रिजर्वेशन सत्ता में आते ही ३० मई २००७ को न सिर्फ रद्द कर दिया बल्कि मूल फ़ाइल को केंद्र सरकार से वापस माँगा कर निरस्त कर दिया | ये गरीब और सामाजिक आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों से बदतर हालत में जिंदगी गुज़ार रहे मछुआ समुदाय के लोगों पर घोर कुठाराघात था | इतने से जी नहीं भरा तो इसने  मछुआ समुदाय के पैतृक कामधंधों (Customry Right) जैसे मत्स्य पालन, बालू खनन, नाव घाट ठेका को भी इस समाज से छीन कर नीलामी प्रथा के जरिये पूँजीवादियों को सौंप दिए हैं | तमाम जिलों में मछुआ समाज की अनुसूचित जातियों के जिनमे गोंड ,तुरैहा ,खरबार, मंझवार और बेलदार शामिल हैं , के जाति प्रमाण पत्रों पर रोक लगवाते हुए बंद करवा दिया | १९ जिलों में मल्लाह जाति विमुक्त जाति घोषित है जबकि उन्हें विमुक्त जाति के स्थान पर पिछड़े वर्ग का ही प्रमाण पत्र लेने को बाध्य किया जारहा है |
इसके हर मछुआ विरोधी कदम का मैंने विधान सभा से लेकर सड़क तक विरोध किया | इसके दमन चक्र के आगे कभी मछुआ समुदाय की आवाज़ को दबने नहीं दिया | जबकि इसकी सरकार में बैठे मछुआ समुदाय के हमारे भाई चुपचाप इसके मछुआ विरोधी कार्यों पर असहाय दिखे और सिर्फ अपनी जेबें भरने में मस्त रहे | कहना न होगा कि उनकी हैसियत मायावती के सामने चपरासी से भी बुरी है |
मायावती ने अपनी मछुआविरोधी नफरत का प्रदर्शन यही तक जारी नहीं रखा बल्कि इसने अब तक का सबसे बड़ा षड्यंत्र  रचा है कि मछुआ समाजको नेतृत्व विहीन कर दिया जाए ताकि कोई ढंग का आदमी बाकी  न बचे और सब चुनाव हार जाये | इसके लिए इसने मछुआ समुदाय के हर प्रत्याशी के विरुद्ध वोट काटने के लिए हमारे ही समाज के व्यक्ति को टिकट दिए हैं | ताकि हम लोगों के वोट बाँट जाएँ और निषाद समाज नेतृत्व विहीन हो जाये | क्योंकि चुनाव बाद ये जीत कर SC  का आरक्षण मांगेंगे |
मेरे खिलाफ २३२ तिंदवारी क्षेत्र से इसने पहले एक प्रजापति को टिकट दिया | पूरे प्रदेश में वो अकेला प्रजापति था बसपा से | दो दिन पहले उसे हटा कर मायावती ने अब एक निषाद को टिकट दे दिया | इसके पीछे इसकी तिकड़मी चाल यही है कि किसी सूरत से मुझे चुनाव हरवाया जा सके और निषाद मछुआ समुदाय कि  आवाज़ को हमेशा के लिए दवाया जा सके | मायावती जानती है कि आने वाली सरकार सपा कि है और निषाद समाज से किये गए वायदे के मुताबिक़ मछुआ समाज की जातियों को अनुसूचित जाति रिजर्वेशन दिलाने में मैं अगुआ रहूँगा और ये काम माननीय मुलायम सिंह यादव जी से हाथ पकडवा कर करा लेने की हैसियत सपा में निषाद नेताओं में सिर्फ मेरी ही है |
भूलना भटकना ,बहकना और बँट जाना  निषाद जातियों की नियति रही है | लेकिन इस बार लड़ाई आस्तित्व की है, मान सम्मान की है, स्वाभिमान की है | दुनिया की नज़रें हैं हम पर कि हम क्या निर्णय लेते हैं | उनका समर्थन करेंगे जो हमारे आरक्षण के लिए काम करता रहा है या उनका जो हमें बाँट कर अपनी जातियों को फायदा पहुँचाने में सिद्धहस्त रहे हैं | निषाद समाज के बूते मैं अपने क्षेत्र से एक बार सांसद और लगातार चार बार विधायक रहा हूँ | निषाद समाज के अगाध स्नेह और आशीर्वाद के फलस्वरूप मुझे हमेशा ताक़त मिली है और मुझे पूरा विश्वास है कि निषाद समाज मुझे अपना स्वाभाविक नेता मानता रहा है | और आगे भी मानता रहेगा | और वोट काटने लिए समाज को बांटने के लिए खड़े किये गए मायावती के पुतलों में आग लगाने का काम करेगा | मछुआ समुदाय से अपील है कि पुरजोर समर्थन दें|

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

मुस्लिम आरक्षण की बजाय अल्पसंख्यक आरक्षण : कांग्रेस ने फिर ठगा मुस्लिमों को


ताज्जुब है !!!  
मुस्लिम आरक्षण की बजाय केंद्र सरकार अल्पसंख्यक आरक्षण दे रही है | ये माँगा किसने है ? अल्पसंख्यकआरक्षण में तो बौद्ध , जैन, ईसाई, सिख, पारसी वगैरह सब आ गए | मांग तो मुसलमानो को आरक्षण देने की थी | जस्टिस सच्चर कमिटी और रंग नाथ मिश्र कमिटी ने मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक दुर्दशा का अध्धयन करके आरक्षण हेतु अपनी संस्तुतियां दी थीं | वास्तव में केंद्र की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को आरक्षण न देकर सम्पूर्ण अल्पसंख्यकों को दे रही है | जिसका देना न देना एक जैसा ही है | यही तो है कांग्रेस का असली चरित्र | दर असल कांग्रेस घटिया राजनीति पर उतर आई है और फिर से धोखा देने की तैयारी कर रही है | देश के बंटवारे की जिम्मेदार रही कांग्रेस अब मुस्लिम आरक्षण की मांग के आगे अल्पसंख्यक आरक्षण देकर अल्पसंख्यकों को आपस में लड़ना चाहती है | अब कांग्रेस बहाना बना रही है कि धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता | ये बात तो उस वक़्त सोचनी चाहिए थी जब मुस्लिम आरक्षण के लिए जस्टिस सच्चर कमिटी और रंग नाथ मिश्र कमिटियों का गठन किया था | अब कांग्रेस स्पष्ट करे कि ये आरक्षण वास्तव में किसका है , मुसलमानों का या सम्पूर्ण अल्पसंख्यकों का | 
सभी जातियां, चाहे वो किसी भी धर्म की क्यों न हों,यदि अपनी निर्योग्यता प्रमाणित करती हों, उन्हें किसी न किसी प्रकार का आरक्षण दिया जाना चाहिए और यदि आरक्षण में धर्म की बाध्यता है कि वो हिन्दू, सिख ,नव बौद्धों के लिए ही है, ईसाई या मुस्लिम के लिए नहीं , तो ये सरासर गलत है , विधिसम्मत तो हरगिज़ नहीं है | निसंदेह कहीं न कहीं इसके पीछे ठेकेदारी एवं जातिवादी दूषित मानसिकता छिपी हुयी है जो आरक्षण की मूल भावना के सर्वथा विपरीत है | 
समाजवादी पार्टी कि मांग है कि संविधान में संशोधन करके मुसलमानों के लिए OBC कोटे से अलग आरक्षण का प्रावधान करे ताकि समूची मुस्लिम कौम को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके | कोटे के अन्दर कोटा देने का प्रस्ताव तो खुद कांग्रेस इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करा चुकी है 2001 में | मजे कि बात ये है कि उसे भी कांग्रेस के नेता अशोक यादव -संभल लोकसभा प्रत्याशी ने रद्द कराया था | 
 
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/#id=111729103032213786_49_2011-12-23

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

|| इति हाथ रस ||


अपना हाथ जगन्नाथ |  
        लोग कहते हैं केद्र की कांग्रेस सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है | वो बेवकूफ नहीं है , अच्छे खासे हाथ आजमाए हुए है और जानती है कि इस हाथापाई में कहीं हाथ , हाथ से निकल न जाये | सो हाथ थामे बैठी है | हाथ पर हाथ रखने का एक कांग्रेसी फायदा और है कि कहीं सी०बी०आई० अगर हाथ रख दे तो कुछ भी हाथ न आये | हाथ कंगन को आरसी क्या ? मजाल है किसी की , लाख कोई हाथ धो के पीछे पड़ा रहे, मुझे तो राजा से लेकर कलमाड़ी- कनमोझी तक सब के सब लम्बे हाथ वाले लगते हैं ,भले से ये कलंदर अपना हाथ फंसा बैठे| मगर मुझे ये किसी के हाथ पड़ते नज़र नहीं आते| इनके ऊपर किसी विदेशी (महिला) का हाथ अवश्य है |
     लगे हाथ बता दें कि ये कांग्रेसी पूरे ताऊ होते हैं सत्ता के |इनमे से कोई रंगे हाथ , हाथ आया है आज तक पं सुखराम जी को छोड़कर|वो भी बेचारे इसलिए हत्थे चढ़े कि हाथ वालों ने ही ऐन मौके पर उनके सर से हाथ हटा लिया|भलमनसी में मारे गए पंडित जी|वर्ना यजमानी की रकम का कोई हिसाब लिखता है क्या ?
इधर, राहुल बाबा यूपी विधान सभा चुनाव में दो दो हाथ आजमाने की हसरत क्या पाल बैठे, अति उत्साह में कांग्रेसी ज्योतिषियों के पास भागे चले आते हैं अपना हाथ दिखाने| और अधिक हथियाने की गरज में कब तक इस हाथ को हाथ में लिए दौडिएगा राहुल बाबा !! यहाँ यूपी में न कोई हाथ रखने देगा, न कोई हाथ आयेगा| ज्यादा हाथ की सफाई दिखाने की एवज़ में उलटा लोग आपको आड़े हाथों लेंगे सो अलग|लेकिन चाहे जितने दलबद्लूँओं से हाथ मिला लो, चाहे जितने हाथ जोड़ लो , कोई तुम्हे हाथों हाथ नहीं लेने वाला|क्योंकि देश की बर्बादी में, कमरतोड़ महंगाई में, रिकार्ड तोड़ भ्रष्टाचार में और डालर के नीचे दम तोड़ते रूपये के पीछे भी तो तुम्हारा ही हाथ है |
  सो हाथ वाले भाइयो !अब सोच समझ कर हाथ डालो| मेरी मानो, ज्यादा हाथ पाँव न मारो ,जो हाथ में है उसे हथियाए रहो और ज्यादा हाथ फेरने के चक्कर न रहो , वर्ना कहीं समाजवादी अगर हत्थे से उखड गए और केंद्र से अपना हाथ खींच लिया तो हाथों के तोते उड़ जायेंगे , हाथ मलते रह जाओगे ,हाथ हिलाते रह जाओगे|

रविवार, 18 दिसंबर 2011

काम नहीं तो भत्ता देंगे....................

रोटी कपडा सस्ती होगी
दवा पढाई मुफ्ती होगी
समता का अधिकार मिलेगा
सम्मानित रोज़गार मिलेगा
शासन सबसे अच्छा देंगे
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||
थामेंगे कीमतें ,बाँधेंगे  दाम |
हर खेत को पानी, हर हाथ को काम |
नौजवान नीति बनायेंगे |
हम गैरबराबरी मिटायेंगे |
जातिवाद का नाश करेंगे |
सबका समान विकास करेंगे | 

न्याय सभी को सच्चा  देंगे |
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||


जो अपराधी छुपे हुए हैं |
सत्ता पाकर डटे हुए हैं |
उन्हें जेल की हवा मिलेगी |
कोई माया नहीं चलेगी  |
सब गुंडों को निपटा देंगे |
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||


जातिवाद का नाम न होगा |
दल्लों का कोई काम न होगा |
बंटवारे की बात न होगी |
किसी की छोटी जात न होगी |
अब जवान थामेंगे झंडा |
यही समाज को दिशा देंगे |
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||


समाजवाद का गणित लगेगा 
सोया पिछड़ा दलित जगेगा
मांगेगा अधिकार डटेगा 
पीछे बिलकुल नहीं हटेगा 
सौ में साठ हमारा है 
ये वंचित का नारा है 
हक हम उनका पक्का देंगे |
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||

पांच बरस तक जम कर लूटा 
क्या प्रदेश का हाल किया 
हाहाकार मचाये जनता 
माया ने कंगाल  किया 
बसपा के जंगली हाथी को 
अब यूपी से धक्का देंगे |
काम नहीं तो भत्ता देंगे ||








शनिवार, 3 दिसंबर 2011

एडजस्टमेंट नहीं बल्कि अधिकार दो

कांग्रेस कहती है कि धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता | जब कि धर्म के नाम पर आरक्षण दिया जा रहा है | ये एक सर्व विदित सत्य है कि अनूसूचित जातियों को दिए जाने आरक्षण में धार्मिक बाध्यता है |  शुरू में ये केवल हिन्दुओं के लिए था | धीरे से इसमें सिखों को , तत्पश्चात न्यायालय ने बौद्धों को भी समावेशित करदिया |
आज ईसाईयों और मुस्लिमों को धर्म के आधार पर आरक्षण से क्यों वंचित किया जा रहा है ? बाल्मीकि  बौद्ध SC और बाल्मीकि  ईसाई GEN ? ये कैसा मानदंड है ? आरक्षण में धर्म की बाध्यता है कि वो हिन्दू, सिख ,नव बौद्धों के लिए ही है, ईसाई या मुस्लिम के लिए नहीं | गलत है , विधिसम्मत तो हरगिज़ नहीं है | निसंदेह कहीं न कहीं इसके पीछे ठेकेदारी एवं जातिवादी दूषित मानसिकता छिपी हुयी है जो आरक्षण की मूल भावना के सर्वथा विपरीत है |
मायावती ने मछुआ समुदाय के आरक्षण का विरोध ये कह कर किया कि पहले SC का कोटा बढाया जाना चाहिए | आज जब बिना कोटा बढ़ाये मुस्लिमों को 27 % OBC  कोटे में ही एडजस्ट किया जा रहा है तो मायावती क्यों खामोश है ? वजह साफ़ है मछुआ समुदाय के आरक्षण से प्रभावित होने वाले लोग मायावती के थे |
हमारी मांग है केंद्र सरकार मुस्लिमों को 27 % OBC  कोटे में एडजस्ट न करे बल्कि संविधान में संशोधन करके मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान करे ताकि समूची मुस्लिम कौम को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके | कोटे के अन्दर कोटा देने का प्रस्ताव  इलाहाबाद  उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किया जा चुका है 2001  में | मजे कि बात ये है कि उसे भी कांग्रेस के नेता अशोक यादव -संभल लोकसभा प्रत्याशी  ने रद्द कराया था |

बुधवार, 30 नवंबर 2011

अब स्वामी चिन्मयानन्दजी की जेल जाने की बारी

आज शाम विश्व हिन्दू परिषद् और राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्य पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्दजी के गृह नक्षत्र अचानक पलटी मार गए | स्वामी जी पर उनकी शाहजहाँपुर आश्रम में रहने वाली शिष्या ने बलात्कार और जबरन गर्भपात का आरोप लगाते हुए मारपीट और बंधक बनाने का केस दर्ज कराया है |
                  बता दें कि स्वामी जी आजीवन संन्यास ले चुके हैं और भौतिकता से प्रायः दूर ही रहने का दावा करते हैं | बताया जाता है कि किसी भी क्षण स्वामी जी पर पुलिस का स्वामित्व हो सकता है | मामले की बाबत लोगों का कहना है कि ये मामला पूर्व में भी उखड़ा था किसी कारण वश दब गया था | स्वामी जी की ये शिष्या उनकी सर्वाधिक निकटस्थ कही जाती थी |आश्रम के लोग इन्हें पिता- पुत्री की नज़र से देखते थे |
                 चुनावी घमासान में फंसें भाजपा वाले अपनी कुंडली से पहले से ही परेशान थे ,अब नयी आफत मैनेज किये नहीं बन रही |

मंगलवार, 29 नवंबर 2011

.........तो समाजवादी जला देंगे विदेशी दुकाने

                कभी गाँधी जी ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया था किन्तु अभी 100 वर्ष भी न बीतने पाए , गाँधी का भजन दिन रात करते न थकने वाले कांग्रेसी अब भारतीय अर्थव्यवस्था की लगाम पुनः उन्हीं अंग्रेजों को सौपने जा रहे हैं | रिटेल में F .D .I . यानि खुदरा बाज़ार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आमंत्रित करना विदेशी व्यापारियों के हाथों अर्थव्यवस्था को गिरवीं रखने जैसा होगा | यूरोपियन मुल्कों सहित अमेरिका के दबाब में कांग्रेस छोटे किसानों और खुदरा व्यवसायियों को बेरोजगार बना कर देश को भयानक मंदी में झोकने की साजिश रच रही हैं |
          समाजवादी पार्टी मल्टी ब्रांड सेक्टर में 51  प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सौंपने को नितांत बेवकूफी भरा कदम और अदूरदर्शिता मानती है | ये भारतीय अर्थ व्यवस्था के विपरीत तो है ही,  राष्ट्र विरोधी भी है | इससे जहाँ स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी बढेगी वहीँ किसान खाद, बीज और पानी तक के लिए विदेशी कम्पनियों का मोहताज हो जायेगा | उपभोक्ता को बाजार का राजा बताने जैसे मसालेदार तर्कों द्वारा प्रस्तुत की जा रही  इस योजना में खामियां ही खामियां और पेंच दर पेंच हैं |
         दर असल मंदी की मार से पंगु हो चुके पश्चिमी देश अपने माल को खपाने के लिए भारतीय बाजारों को ललचाई निगाह से देख रहे हैं | विदेशी व्यापारियों का भारतीय गली मुहल्लों का रुख करने का सारा मामला तभी तय हुआ था जब सोनिया गाँधी पूरे देश को धोखा देकर बीमारी का बहाना बना कर अमरीका रह कर आयीं थीं |
        समाजवादी पार्टी इसे किसानों और छोटे व्यापारियों की अस्मिता और हितों के प्रतिकूल मानते हुए सख्त विरोध करती है और ऐलान करती है कि वाल मार्ट जैसी कम्पनियों को यदि भारतीय बाज़ार में उतार कर गली मुहल्लों में व्यापार करने की अनुमति देने का दुस्साहस केंद्र और राज्य सरकारों ने किया तो समाजवादी कार्यकर्त्ता इन विदेशी दुकानों को जला देंगे और हर कीमत पर खुदरा व्यापारियों के हितों की रक्षा करेंगे |

सोमवार, 28 नवंबर 2011

लाठी,गोली और जेल - समाजवादी वीरों के आभूषण

समाजवादियों का लाठी ,गोली और जेल से पुराना सम्बन्ध रहा है | आजादी और आज़ादी के पश्चात के आन्दोलनों में जन समस्याओं के लिए लड़ते हुए समाजवादियों ने दर्ज़नों बार जेल यात्राएं की | आपात काल के दौरान तो शायद ही कोई समाजवादी बचा हो जो जेल में न ठूंस दिया गया हो | हमारे नेता माननीय मुलायम सिंह जी तो 14 की आयु में ही लोहिया जी के आव्हान पर नहर रेट आन्दोलन में जेल हो आये थे | मैं विनम्रता पूर्वक कांग्रेसी भाइयों से जानना चाहता हूँ कि लाठी गोली की बात तो छोडिये , क्या राहुल बाबा या सोनिया गाँधी ने जेल का दरवाजा भी देखा है आज तक ? आखिर कांग्रेसी कब तक गाँधी जी की कमाई पर ऐश करते रहेंगे ?  कब तक स्वाधीनता संग्राम के नाम पर  रोटी खाते रहेंगे ?
 तवारीख गवाह है जब जब भी जरूरत आन पड़ी, समाजवाद के आशिकों ने अपनी जान के नजराने पेश किये हैं | लाठी, गोली और जेल तो समाजवादी वीरों के आभूषण रहें हैं | समाजवाद के अनुयाइयों ने सत्ता की हनक दिखाने वाले हर हिटलरशाह को मुंह तोड़ जवाब दिया है | व्यवस्था जब जब अपने रास्ते से भटकी है , समाजवादियों ने हल्ला बोल कर निजाम बदल डाला है | अपने नेता आदरणीय मुलायम सिंह यादव के आह्वान पर समाजवाद के सिपाहियों ने हर जोर ज़ुल्म से टक्कर ली है | मोर्चा छोड़ कर भागे नहीं, डरे नहीं और झुके तो बिलकुल भी नहीं...................जय हिंद - जय समाजवाद !!

शनिवार, 26 नवंबर 2011

दलित और अति पिछड़े करें माया का बहिष्कार


कल मायावती दलित और अति पिछड़ों को अपने मायाजाल में फांसने के लिए नयी चाल चल रही है और दलित अधिकार महासम्मेलन बुला रही है | पौने पाँच साल तक दलित महिलाओं को इसके विधायक नोचते रहे | १२ -१३ साल की लड़कियों के बलात्कार आम हो गए | दलितों की ज़मीनों पर इसके विधायकों और पार्टी नेताओं ने कब्ज़े कर लिए | चमार जाति को छोड़ कर यूपी की 65  SC  जातियां विकास के लिए मायावती और इसके निष्ठुर जंगली हाथी का मुंह ताकती रहीं | यूपी में दलितों के  प्रमोशन में आरक्षण को खुद सतीश मिश्र के लोगों ने रुकवा दिया | कोर्ट में भी बहन जी के वकील सोते रहे .उनसे कुछ बोलते नहीं बना | घटिया निर्माण का एशियाई रिकार्ड यानि कांसीराम आवास इसके कार्यकर्ताओं ने जबरन कब्ज़ा लिए | दलितों के घर आज भी कच्चे हैं | खटिक, कोरी , बाल्मीकि, पासी, कंजड़, धानुक, हेला, धोबी, गोंड, तुरैहा, खरबार ,मंझवार, बेलदार, बावरिया, ग्वाल, नट, मजहबी आदि गैर चमार वर्ग को आरक्षण के बावजूद माया सरकार में कुछ भी नहीं मिला |
             अपनी जाति को मलाई चटवाने के चक्कर में मायावती ने कोरी जाति के लोगों का SC आरक्षण रुकवा दिया कि ये लोग जुलाहे होते हैं , कोरी नहीं इत्यादि | ये षडयंत्र नहीं तो और क्या है ? यूपी का कोरी समाज आज खून का घूँट पिए बैठा है |
             SC में आरक्षित होते हुए धनगर, खटिक, चिक- चिकवा , पासी , गौड़ ,तुराहा, मंझवार ,बेलदार आदि जातियों को कतिपय जनपदों में प्रमाणपत्र तक निर्गत नहीं किये गए |
            ग्राम पंचायतों में सफाई कर्मचारियों के पदों पर नियुक्ति जो कि नियमानुसार बाल्मीकि समाज को संवैधानिक पैतृक काम धंधे (Customry Rights ) के आधार पर देनी चाहिए थी | लेकिन उसकी जगह बाल्मीकि भाइयों के अधिकार बसपा जिलाध्यक्षों ने 50  - 50  हज़ार रूपये लेकर नीलाम कर दिए  | आज सफाई तो बाल्मीकि भाई ही कर रहे हैं लेकिन सरकारी कर्मचारी बन कर नहीं बल्कि सरकारी कर्मचारी का मजदूर बनकर | ये है माया राज की असलियत | ये है सामाजिक न्याय की हकीकत और ये दलित अधिकार के नाम पर अपनी जाति को नवाजने का षड्यंत्र |
माया राज का देखो हाल |
दस खाए तेईस का माल||
बसपा लूट मचाये खासी|
अबतो जागो अरे पिच्चासी ||

            मुलायम सिंह यादव जी की पूर्व सरकार में पिछड़े वर्ग की 17  जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव को जो कि उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संसथान के सर्वे के उपरान्त सरकार की संस्तुतियों पर विधान सभा से पास करा कर केन्द्रीय सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा था और शासनादेश जारी किया था ,जिससे इन पिछड़े वर्गों को SC का लाभ भी मिलने लगा था | उसे मायावती ने अपनी जाति का नुक्सान जान कर रुकवा दिया और सरकार बनाने पर मूल फ़ाइल केंद्र सरकार से वापस मँगा कर निरस्त करवा दी | इस प्रकार स्पष्ट है कि बसपा और इसकी नेता मायावती प्रदेश में निवासरत कश्यप, कहार , निषाद,  मल्लाह, केवट , मांझी, धीवर, धीमर ,मछुआ , बिन्द, रायकवार, बाथम ,गौड़, भर-राजभर, कुम्हार-प्रजापति  जातियों की खुली दुश्मन है और इन्हें सत्ता के नशे में तबाहो बर्बाद कर देना चाहती है | अगर अपने अंजाम से ये जातियां आज न चेती तो आने वाला समय इनकी पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा |
          समता मूलक समाज का ढोंग रचने वाली मायावती ब्राहमणों के लिए तो बेशर्म होकर केंद्र सरकार से आरक्षण मांगती है लेकिन जब 17 पिछड़े वर्गों को SC का लाभ देने की बात आती है तो आंबेडकर महासभा के लोगों को कोर्ट में खड़ा करके स्टे आर्डर ले आती है | ये मायावती का दोगला, दगाबाज़, और राजनैतिक चरित्र हीनता से परिपूर्ण चेहरा है |
          हो सकता है कल के सम्मलेन में इन वर्गों को पुनः SC में डालने का भ्रामक और गुमराह करने के लिए  ऐलान भी कर दे |
           पिछड़े वर्ग की जातियों के संवैधानिक पैतृक काम धंधे (Customry Rights ) को जिसमे मछुआ समुदाय के बालू खनन के पट्टे, मत्स्य पालन के पट्टे , नदी घाट पर नौका सञ्चालन के पट्टे नीलामियों / बोलियों के जरिये पूंजीवादियों को बेचने का काम किया है | कुम्हारी कला हेतु भूमि के पट्टे जो मुलायम सिंह जी की सरकार ने प्रजापति समाज को आबंटित कर मिटटी चोर जैसे कलंक को मिटाने का कार्य किया था , उसे मायावती सरकार ने निरस्त कर SC वर्ग में अपनी जाति के लोगों को देने का पक्षपाती कार्य किया | जो असंवैधानिक तो है ही मानवता के प्रतिकूल भी है |
           शर्म की बात है कि निजी फायदे में माया की चरण वंदना में लीन सुखदेव राजभर और राम अचल राजभर जैसे स्वार्थी लोग तमाशा देखते रहे और भर राजभर जातियों की आरक्षण सुविधा छीन ली गयी |
           गैर चमार दलित और SC आरक्षण से ठोकर मार कर बाहर कर दिए गए अति पिछड़े वर्गों के लोगों से माया अब क्यों अपेक्षा कर रही है | पोने पांच साल तक अपमान और तिरस्कार का दंश झेल रहे गैर चमार दलित और अति पिछड़ेवर्ग के लोग मायावती को ठोकर मार कर सत्ता से बाहर करने के लिए तैयार बैठे है |
जिस खेत से दहकाँ को मयस्सर न हो रोज़ी |
उस खेत के हर गोशा ए गंदुम को जला दो ||
सब मिलके पुकारोगे तो लौटेंगे मुलायम |
आओ मेरी आवाज़ में आवाज़ मिला दो ||

शनिवार, 19 नवंबर 2011

नहीं होने देंगे प्रदेश का विभाजन

मायावती का हर दांव जल्द बाज़ी में अब उल्टा पड़ रहा है |
चुनाव में खुद को पिटता देख और समाजवादी पार्टी को बढ़त लेता देख बौखला गयी है मायावती | आलम ये है कि सरकार के एक दर्ज़न से ज्यादा मंत्रीगण लोकायुक्त के चंगुल में हैं और जनता के मध्य जाने की हिम्मत न तो बसपा के नेताओं में है न स्वयं मुख्यमंत्री में | हर रोज़ नया पैंतरा चलकर उल्टा सीधा गणित बैठाकर देखती है | लेकिन जिस सरकार की गर्दन जनता के हाथ में आ चुकी हो वो अब बचने वाली नहीं है | लोग मायावती का लूट तंत्र और गुंडाराज कैसे भूल सकते हैं | बलात्कारियों की अंगरक्षक बनी मायावती  के कारनामे याद करते ही लोगों के मुंह का जायका कड़वा हो उठता है | लोग गुस्से में आकर थूक देते हैं |
समाजवादी जोड़ने में विश्वास करते हैं जबकि जातिवादी मायावती तोड़ने में | ये नीति इंसानियत और समाज की दुश्मन तो है ही ये नीति दुश्मन है भाईचारे की | भाषा के नाम पर , क्षेत्र के नाम पर , संस्कृति के नाम , जातीय बहुलता के नाम पर प्रदेश को बांटने से क्या हासिल होगा ? कल ब्रज प्रांत की मांग उठेगी , रूहेलखंड की मांग उठेगी, कौशल प्रदेश की मांग उठेगी, बौद्ध प्रदेश की मांग उठेगी ,चम्बल प्रदेश की मांग उठेगी ,तराई प्रदेश की मांग उठेगी, विन्ध्याचल की मांग उठेगी   |  उर्दू प्रदेश ,गंगा प्रदेश ताज प्रदेश आदि की आवाजें दबे स्वर आती रही हैं | इस तरह तो प्रमाणित हो जायेगा की नक्सलवादियों की मांगे जायज़ हैं |
दर असल विकास का सपना दिखा कर भावनाएं  भड़काने वाले भूल जाते हैं कि विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो सत्ता की नीयत/मंशा  पर निर्भर करती है | नीयत होने पर नीति बनती है ,नीति बनने पर योजना बनती है | योजना बनने पर बजट में प्रावधान किये जाते हैं जिसके फलस्वरूप विकास को मूर्त रूप दिया जा सकता है | इसमें क्षेत्र वाद या असंतुलित विकास का रोना वो ही लोग रोते हैं जिन्होंने पांच साल संसाधनों की अनदेखी की हो और जिन्हें चुनाव के वक़्त बहानों का पिटारा खोलना हो |
 समाजवादी पार्टी का स्पष्ट मानना है कि राज्य का बटवारा किसी भी दशा में उचित नहीं है  | छोटे छोटे राज्यों के निर्माण को जो तर्क दिए जा सकते हैं वो ही तर्क छोटे छोटे राष्ट्रों के लिए भी दिए जा सकते है और तर्क के आधार पर लोग उसे प्रमाणित भी कर देंगे | इसका मतलब ये तो कतई नहीं कि वे सही हैं| ये निसंदेह विघटन कारी प्रब्रत्ति है ,नुकसानदायक है |
 इतिहास उठा कर देखा जाये तो महत्व उसे ही मिला है जो बड़ा है , शक्तिशाली है, बहुमत वाला है, विस्तार वाला है | जबकि छोटे राज्यों को कहीं भी तबज्जो नहीं मिलती | भारत के छोटे छोटे टुकड़ों में बंटे होने के कारण ही अंग्रेजों ने हमें आसानी से गुलाम बना लिया | छोटे राज्य ताक़त में कमज़ोर थे सो लड़ न सके |
आज की संसदीय प्रणाली में भी बहुमत का ही रुतबा है | बड़े राज्यों के सांसद मिलकर अगर ठान लें , तो क्या मजाल जो लोक सभा / राज्यसभा चल जाए | यही सांसद अपने संख्याबल से राज्यों का हित सुरक्षित करते हैं | केंद्र तभी पैसा देगा जब राज्य के सांसद बहुमत से मांग करेंगे | 574 सांसदों वाली लोकसभा में सात आठ सदस्य चीख कर थक जाते हैं | उनकी कोई सुनता तक नहीं | बड़े राज्यों के मुख्यमंत्री का दखल भी केद्र सरकार में कहीं अधिक रहता है |
सबसे बड़ी बात ये है कि मायावती उ० प्र० को जड़ से समाप्त करना चाहती है  जो इसकी विध्वंसकारी मानसिक प्रवृति को इंगित करता है | फिर ये राज्य निर्माण को लेकर किसी भी प्रकार से गंभीर नहीं है , ये तो केवल बहका कर, गुमराह करके और भ्रम रुपी मायाजाल फैला कर लोगों को फांसना चाहती है ताकि येन केन प्रकारेण सत्ता में बनी रहे | ये प्रपंच है मतदाता को भरमाने का | छल है महंगाई और भ्रष्टाचार से जूझ रहे लोगों से और जुगत है सत्ताखोरी की |
लेकिन समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश वासियों के प्रति अपने गुरुतर दायित्व को समझती है और ऐलान करती है कि प्रदेश विभाजन के बसपा मुखिया के सभी प्रयासों का करारा जवाब देगी | किसी भी दशा में इस प्रस्ताव को सदन में आने ही नहीं देगी और यदि आया भी इस प्रस्ताव के साथ साथ सरकार को गिराने से भी नहीं चूकेगी क्योंकि अब माया सरकार बहुमत में नहीं अल्पमत में है |




गुरुवार, 17 नवंबर 2011

हमारा एक मात्र विकल्प - नेता जी श्री मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी

निषाद समाज की सभी समस्याएं जिनमे समाज की सभी जातियों को यूपी में अनुसूचित जाति घोषित करा कर आरक्षण के जरिये विकास के नए मार्ग प्रशस्त करना, समाज के गरीब लोगों के पैत्रक कार्य (Customry Right ) जिनमे बालू खनन, मत्स्य आखेट के पट्टे, एवं नदी घाट नौका सञ्चालन का ठेका, जो वर्तमान में मायावती सवर्ण जातियों को नीलामी/ बोली प्रथा द्वारा बेच रही है , को पुनः मछुआ समुदाय को आवंटित करना सहित समाज में शिक्षा की बेहतर व्यवस्था हेतु विशेष प्रबंध , जल पुलिस में आरक्षण एवं समाज के उत्पीडन को रोकने के लिए SCST आयोग की तर्ज पर मछुआ आयोग का गठन सम्बन्धी मुद्दों पर समाजवादी पार्टी और नेता जी श्री मुलायम सिंह जी की स्पष्ट राय है | ये बिन्दु चुनावी घोषणा पत्र में तो हैं ही , पार्टी के लगभग सभी अधिवेशनों में इन मुद्दों पर प्रस्ताव भी पारित किये जाते रहे हैं जो प्रमाण है कि इन मुद्दों पर समाजवादी पार्टी ही गंभीर है अन्य राजनैतिक दल नहीं |
बसपा ने समाज का SC आरक्षण निरस्त करा दिया , मूल पत्रावली भी केंद्र से वापस मंगा ली , शायद अब नष्ट भी कर दी हो तो आश्चर्य नहीं | कांग्रेस चाहे तो आज हमारी मांग पूरा कर दे लेकिन इन मुद्दों पर न तो कांग्रेस को ज़मीनी जानकारी है न रूचि | भाजपा पूंजीवादी सोच रखती है , उससे उम्मीद करना व्यर्थ है |
ऐसे में एकमेव विकल्प और उम्मीद समाजवादी पार्टी और नेता जी श्री मुलायम सिंह जी ही हैं जो इन मुद्दों पर आगे आकर लड़ रहे हैं | भूलना भटकना ,बहकना और बँट जाना  निषाद जातियों की नियति रही है | लेकिन इस बार लड़ाई आस्तित्व की है, मान सम्मान की है, स्वाभिमान की है | दुनिया की नज़रें हैं हम पर कि हम क्या निर्णय लेते हैं | उनका समर्थन करेंगे जो हमारे आरक्षण के लिए काम करता रहा है या उनका जो हमें बाँट कर अपनी जातियों को फायदा पहुँचाने में सिद्धहस्त रहे हैं |  मछुआ समुदाय से अपील है कि पुरजोर समर्थन दें | 
ये हमारे आस्तित्व की लड़ाई है |

सोमवार, 14 नवंबर 2011

तुम मुझे वोट दो , मैं तुम्हे आरक्षण दिलाऊंगी


मायावती ने ब्राहमणों को फिर से लाली पॉप निकाल कर दिखाना चाहा है | अब तक आरक्षण विरोधी माने जाने वाले ब्राहमणों के लिए तो मायावती बेशर्म होकर आरक्षण मांग रही है लेकिन गरीब और सामाजिक आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों से बदतर हालत में जिंदगी गुज़ार रहे मछुआ समुदाय के लोगों का आरक्षण निरस्त कर देती है | इतने से जी नहीं भरा तो इसने  मछुआ समुदाय के पैतृक कामधंधों (Customry Right) जैसे मत्स्य पालन, बालू खनन, नाव घाट ठेका को भी इस समाज से छीन कर नीलामी प्रथा के जरिये पूँजीवादियों को सौंप दिए हैं  |
           ये है मायावती का दोगला, दोहरा, दगाबाज़ और राजनैतिक चरित्रहीन चेहरा  | यही चेहरा लगाकर इसने समाज में  जातपांत की खाई को और अधिक चौड़ा करने का कार्य किया है | सत्ता हासिल करने की जुगत में मायावती समाज के सभी वर्गों को बरगला रही है और आरक्षण के नाम पर दूकान खोल कर बैठ गयी है | किस किस को आरक्षण देगी............. | सच्चाई ये है कि आज तक इसने अपनी जाति के अलावा किसी को आरक्षण लेने नहीं दिया है  | इस प्रकार मायावती ने अपनी कार्य शैली से आरक्षण की परिकल्पना और इसकी सार्थकता पर ही सवालिया निशान लगा दिया है | जब चहेता समाज आरक्षण पायेगा और विरोधी समाज चाहे वो लाख पात्र हुआ करे आरक्षण का  , कोर्ट कचहरी और सचिवालयों में धक्के खायेगा | तो वंचित लोगों का व्यवस्था से जी उबकाना स्वाभाविक ही है | मज़े की बात ये है की मायावती के इन कारनामों से बाबा साहब आंबेडकर का मिशन चलाने का दावा करने वाले तथाकथित दलित नेता भी अनभिज्ञ नहीं हैं लेकिन मायावती ने सत्ता की हनक में सत्ता खोर दलित नेताओं की ऐसी जमात तैयार की है जो सिर्फ मायावती की जाति के ही हैं और जो येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की फ़िराक में सम्पूर्ण दलित समाज के विभाजन की ज़मीन पर माया की सत्ता का काला ताज महल बनाने का ख्वाब देख रहे हैं | बाबा साहब के मिशन में तो अब सवर्ण और आरक्षण विरोधी प्राण प्रतिष्ठित हो रहे हैं | मनुवाद के खाद पानी से बाबा साहब आंबेडकर के मिशन को पुष्पित पल्लवित करने का षड्यंत्र और दुस्वप्न देख कर मायावती ने बाबा साहब के उस वक्तव्य पर मुहर लगाने का कार्य किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि हमारे मिशन को तोड़ने वाला बाहरी नहीं , हमारे बीच का होगा | आज कांसी राम जी यदि जीवित होते निसंदेह आत्महत्या कर लेते |
मायावती ब्राहमणों से सच ही तो कहती है कि ब्राहमण मुख्यमत्री से ब्राहमणों को कभी फायदा नहीं होगा और  ब्राहमण, गैर ब्राहमण मुख्यमंत्री के होते हुए ही विकास कर सकते हैं |  ठीक उसी तरह जैसे दलित मुख्यमंत्री मायवती के होते हुए वंचित , शोषित  ,पीड़ित , और बहिष्कृत दलित जो माया कि जाति के नहीं हैं , धक्के  खाने को विवश हैं इस माया राज में |

शनिवार, 12 नवंबर 2011

माया सरकार अल्पमत में आ चुकी है


मायावती की सरकार अल्पमत में आ चुकी है | इसे अब एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है | शीतकालीन सत्र में इस अल्पमत की सरकार को हटा कर विधान सभा भंग कराकर राज्यपाल चुनाव कराएं | 50 से ज्यादा विधायकों का टिकट कट जाने बसपा सरकार को शीतकालीन सत्र में जान बचाने के लाले पड़ जायेंगे | आरक्षण के नाम पर मुस्लिम समेत सवर्णों को छलने के लिए प्रस्ताव बनवाये बैठी मायावती के प्रदेश के चार  टुकड़े  करने के सपने धरे के धरे रह जायेंगे क्योकि कल तक इसकी जय जयकार करने वाले इसके 50 से ज्यादा टिकट कटे विधायक अब खुले आम हायहाय पर उतारू हैं और अपने भविष्य के लिए सपा समेत अन्य दलों का मुंह तक रहें हैं | इनके द्वारा अब सरकार का समर्थन करने का सवाल ही पैदा नहीं होता | एक दर्ज़न से ज्यादा बसपा विधायक जेल में बंद हैं | तमाम भ्रष्ट मंत्री लोकपाल ने दबोच लिए | जिनके टिकट कटे वो चीखें मारें सो अलग | कुल मिला कर मायावती की हवाईयें उड़ीं हुयी हैं |  इस ऐतबार से अल्पमत की सरकार को नीति गत निर्णय लेने का भी कोई हक नहीं रह जाता | चतुर माया इस स्थिति को पहले से भांप भी चुकी है | इसलिए राज्यपाल से मिलकर विधान सभा भंग कराकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री (केयर टेकर ) बने रहना चाहती है | जबकि अल्पमत मुख्यमंत्री न तो विधान सभा भंग करा सकता है, न कार्यवाहक बना रह सकता है | समाजवादी पार्टी शीतकालीन सत्र में ही इस अवैध सरकार से प्रदेश का पीछा छुड़ाने को कमर कस चुकी है ताकि प्रदेश में निष्पक्ष चुनाव हो सकें और आम जनता के मन से बेईमान सरकारी मशीनरी का खौफ हट सके |

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

मायावती ने बलात्कार मामलों में गोल्ड मेडल दिलवाया प्रदेश को

 शीतकालीन सत्र में कमला कुशवाहा दुराचार मामले को विधानसभा व संसद में उठाया जाएगा। कमला की लड़ाई समाजवादी पार्टी की जंग है जो मंत्री को जेल पहुंचाने तक लड़ी जायेगी। प्रदेश ने बलात्कार मामलों में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है। यह बात सपा के राष्ट्रीय महासचिव व तिंदवारी विधायक विश्वंभर प्रसाद निषाद ने पत्रकार वार्ता के दौरान चित्रकूट में कहीं।
पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्त ने कमला को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद गुरुवार को पार्टी कार्यालय दी। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रीय महामंत्री श्री निषाद ने कहा कि कमला कुशवाहा ने कोर्ट में कलमबंद बयान में ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद पर दुराचार करने का आरोप लगाया है लेकिन प्रदेश की सरकार ने बिना किसी जांच के ही मंत्री को क्लीन चिट दे दी।जो कि न्याय पालिका का खुल्लम खुल्ला मजाक है |
उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में थाने बिक रहे हैं। कोई एफआईआर बिना पैसा नही लिखी जाती। कमला का मामला मंत्री से जुड़ा है इसलिए सरकार दबा रही है। इस सरकार में बलात्कार की घटनाओं ने प्रदेश को बदनाम कर दिया है।
तिंदवारी विधायक ने बताया  कि लोकायुक्त की जांच में बसपा सरकार के आधे मंत्री और तमाम विधायकों पर दोष सिद्ध हो चुका है। कई तो जेल में हैं। जल्द ही चुनाव आयोग से प्रदेश सरकार के कारनामों की शिकायत की जायेगी और विधानसभा भंग कर फरवरी में चुनाव कराने की मांग करेंगे। 21 नवंबर से शुरु होने वाले शीतकालीन सत्र में कमला कुशवाहा का मामला सड़क से विधान सभा और लोकसभा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि कमला का मामला सपा उठा रही है तो उसे न्याय भी दिलाएगी। सरकार पीए अंगद को जेल भेजकर मंत्री को बचाने का काम कर रही है लेकिन सपा सभी दोषियों को जेल भिजवा कर ही  दम लेगी। श्री निषाद ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि एक भ्रष्ट तो दूसरी महाभ्रष्ट सरकार है। दोनों जनता को लूट रही हैं। पेट्रोल और उर्वरक के दाम बढ़ा दिए है। यदि दोनों सरकारें पेट्रोल से अपना टैक्स वापस ले लें तो पेट्रोल सस्ता हो जाएगा। वे बाबा रामदेव और अन्ना हजारे का समर्थन करते हैं। विदेशों मे जमा काला धन वापस आना चाहिए। देश के बैंकों से काँग्रेस सुप्रीमो का विश्वास उठ गया है इसलिए इटली के बैंकों को भारत ले आई हैं।

मैं भी शामिल हूँ नींव की ईंट में

कह दो मठाधीशों से,
तुम्हारे मठ का खम्भा ,
छत और घंटा तलक ,
है मेरे उन्ही फेंके गए सिक्कों का परिणाम ,
जो कमाया है मैंने अपनी उसी आजीविका से ,
जिसे तुम समझते हो तुच्छ, हीन और हेय |
तुम्हारे कम्बल ,चादर और तकियों में ,
शामिल है मेरे बदन की बदबू,
तुम्हारे भोग भंडारे में,
बूँदें है मेरे उस पसीने की  ,
जो सर से चल कर आ पहुंचा था मेरे जूतों तक  ,
तुम्हारा  मल ढोते ढोते |
तुम्हारे आराध्य के आभूषण में
है मेरा भी एक रत्न ,
जो जुटाया था मैंने चराकर जानवर,
मार कर मछलियाँ और सिल कर जूते |
...........और सुनो नाक भों सिकोड़ते,
तुम खूब जानते हो ,
तुम्हारी मोटी चर्बी ,
कृपा है,
मेरी ही तुच्छ आजीविका की |
तो कैसा दंभ इन दान के पैसों पर ,
क्यों इतराते हो चंदे के भोजन पर ,
फेंके हुए सिक्कों से बना कर आस्था के महल ,
मुझ ही को करते हो बहिष्कृत |

आभार :- अरुण कुमार तुरैहा 

बुधवार, 9 नवंबर 2011

पहले 2007 से गन्ना किसानों का बकाया भुगतान तो कराओ बहनजी

                 चुनाव करीब देख मायावती ने फिर चुनावी पासा फेंक दिया है | अबकी बारी है गन्ना किसानों को बेवकूफ बनाने की |
मुख्यमंत्री सोचती है लोग अब भी सत्तर के दशक में जी रहे है  | गन्ना मोल की अपनी सियासत झाड़ते हुए मायावती कीमतें बढ़ाने का ढोंग कर रही हैं जबकि गन्ना किसान बहन जी की असलियत, फितरत और नीयत से भली भांति परिचित हैं | नए रेट तो क्या दिलवाएगी ,प्रदेश में आज तक 2007  से गन्ना किसानों को बकाया भुगतान नहीं किया जा सका है जो मामूली रकम नहीं करोड़ों में है | 250  रुपये गन्ना भाव करके मुख्यमंत्री ने किसानों को मुंह चिडाने का कार्य ही किया है  | इतने में तो गन्ने की लागत तक हाथ नहीं आ रही किसानों को | खाद के दामों में 40 % की बढोत्तरी अभी हो चुकी है | डीजल के दाम आये दिन केंद्र सरकार बढा रही है | 2007 से डीजल 120  % , खाद के दाम 110 %, मजदूरी 170  % बढ़ चुकी है  | इस प्रकार गन्ना लागत में लगभग 140  % की बढोत्तरी हुयी है | जबकि बहन जी ने 2007 के मुकाबले मात्र अब तक 75 % की बढोत्तरी की है जो की सरासर अन्याय ही नहीं, गन्ना किसानों को बेवकूफ समझना भी  है  | गन्ना किसान इस कडवाहट को वक़्त आने पर जरूर जाहिर करेंगे | पता नहीं मुख्यमंत्री द्वारा घोषित ये नाकाफी मूल्य भी लोगों को मिल पाएगा भी या नहीं या चुनावी चिल्ल पों में दबकर रह जायेगा |
हमारी मांग है गन्ने का भाव 300  रुपये से एक रुपया भी कम न हो |

सोमवार, 7 नवंबर 2011

माया का गुंडा राज : ईमानदार पुलिस वालों पर टूटा पुलिसिया कहर |


माया की हिटलर शाही और मनमर्जी अब अफसरान पर भारी पड़ रही है | मुंह खोलने की सजा कुछ भी हो सकती है | निलंबन या बर्खास्तगी ही काफी नहीं |  हो सकता है आपको पागल बता कर जेल भेज दिया जाए | वहां भी जिंदा रहने की कोई गारंटी नहीं , जेल में भी एक सी ऍम ओ अपनी जान से जा चुके हैं | हो सकता है कल तक आपको दनादन सैल्यूट मारने वाला दारोगा ही आपको दौड़ा ले | आप लाख हुआ करें IAS  IPS | माया के राज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई तो जूनियर ही जुतियाते नज़र आयेंगे |
ऐसा ही हुआ है पुलिस फायर सर्विस के DIG  DD मिश्र के साथ | सरकार के लिए परेशानी का सबब बने DIG  DD मिश्र ने  विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए  कंट्रोल रूम के रजिस्टर में शासन एवं सभी कुछ अवैध बताया । इससे बड़ा स्कैम संभव नहीं है | मिश्र ने  मायावती सरकार को अब तक की सबसे भष्ट सरकार करार दिया था. मिश्र ने मायावती सरकार को भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हरमिंदर सिंह की मौत का जिम्मेदार ठहराया. आधिकारिक तौर पर सिंह ने 2010 में गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी. | खुलासा करते ही श्री मिश्र पर विभागीय आतंक का पहाड़ टूट पड़ा | कोई उन्हें पागल कह रहा तो कोई जेल भेजने की धमकी दे रहा | हाकिम ने सुर क्या बदला अपने ही दुश्मन बन बैठे | वर्दी वाले ही वर्दी खींचने लगे  | सत्ता के चहेते जो ठहरे  | घसीटते हुए पुलिस जीप में लाद कर दफ्तर से धकिया दिए गए मिश्र जी | सब साहबी धरी रह गयी |
गुजरात में IPS भट्ट मामले में  मोदी के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग करने वाले कांग्रेसियों के कानों पर जूँ तलक नहीं रेंगी अब तक | DIG  डीके ठाकुर कहता है कि मिश्र जी का सरकार इलाज़ कराएगी | बता दें ये वही DIG  डीके ठाकुर है जो पागलों की हरकतें करता है | लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष आनंद भदौरिया को गिरा कर  गर्दन पर पैर रख कर फोटो खिचवाए थे डीके ठाकुर ने |
माया के इस गुंडा राज में इमानदार सीनियर अफसरान या तो नौकरी छोड़ कर भाग गए कि कौन बेईमानी में शामिल हो या फिर हरमिंदर राज IAS  की तरह मारे गए | माया सरकार के मंत्री से लेकर संत्री /चपरासी तक भ्रष्टाचार में आकंठ डूबें हैं | एक सर्वे के अनुसार.............. यूपी सरकार की एक दिन की भ्रष्ट आचरण की कमाई 20 करोड़ रुपये है | क्या केंद्र सरकार या उनके प्रतिनिधि महामहिम राज्यपाल जी इसका संज्ञान लेंगे ..........|
मुझे तो लगता है जनता को ही इसका संज्ञान लेना होगा |

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

आजादी की लड़ाई में मछुआ समुदाय

आजादी की लड़ाई में मछुआ समुदाय ने भी उग्र आन्दोलन को अपनाया था | हमारी तमाम जातियां ऐसी थीं जो हथियार बनाना जानती थीं और लड़ाकू प्रब्रत्ति की थीं | तीर, तलवार, भाले, ढाल ,खडग, खंजर,नश्तर, बघनखे आदि बनाना हमारे बांये हाथ का खेल रहा था | हमारे तीरंदाज़ बेहतरीन निशाने बाज़ रहे हैं क्योंकि शिकार खेलते खेलते अभ्यस्त हो चुके थे |  कहीं उनमे देश भक्ति की भावना न भर जाये और वे विद्रोह न कर बैठें, इस डर से अंग्रेजों ने 1871 में क्रिमिनल ट्राईब्स एक्ट बनाकर उन्हें अपराधी जाति घोषित कर दिया और शहरों से दूर बसने व खाना बदोश जीवन जीने को मजबूर किया | औरंगजेब ने भाई हिम्मत सिंह जी को जिन्दा कोल्हू में पिरवा दिया | नत्था केवट के बलिदान की याद आज भी ताजा है | सिंगारावेलु शेट्टीयार कानपूर षड्यंत्र केस में जेल गए और साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय के साथ गंभीर रूप से घायल हुए थे | मध्य,पश्चिम और दक्षिण भारत के कोली मछुआरों के विद्रोह हमारे शानदार इतिहास को प्रमाणित करते हैं |  विन्ध्याचल ,छत्तीसगढ़ और आन्ध्र के जंगलों में पंजाब के भागे / खदेडे गए मछुआरे आज भी रहते हैं जो आज भी तोप तक बना सकते हैं | आजादी के पश्चात भारत में ज्यादातर कांग्रेसी सरकारें रहीं , जिस कारण दुर्भावना वश कांग्रेसी इतिहासकारों ने आजादी की लड़ाई में हमारे योगदान को नकार दिया और नज़र अंदाज़ कर दिया | मान सम्मान देना तो दूर हमारे लोगों की शहादतों को भी छुपा कर रखा गया | 
जरूरत है कि हमारे युवा अपने इतिहास के प्रमाणों को जुटाएं और दुनिया के सामने रखें |

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

मुस्लिमों व गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग : माया का चुनावी स्टंट

चुनाव करीब आते देख मायावती ने बेहद शातिराना अंदाज़ से मुस्लिमों और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग करके ठीकरा कांग्रेस के सर फोड़ते हुए गेंद केंद्र के पाले में डालने की कोशिश कर इन वर्गों को लुभाने के लिए चुनावी चाल चली है | जबकि चला चली की इस बेला में इस घोषणा का कोई मतलब नहीं रह जाता | साढ़े चार साल तक क्या करते रहे बसपाई ? सत्ता मिलते ही जो हाल मछुआ समुदाय के आरक्षण का पहली ही कैबिनेट बैठक में मायावती ने किया , लोग उसे भूले नहीं हैं अब तक |जो सरकार मछुआ समुदाय के आरक्षण से साढ़े चार साल खिलवाड़ कर बेवकूफ बनाती रही वो किस हक से मुस्लिमों और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण मांग रही है | एक तरफ तो मछुआ आरक्षण के खिलाफ आंबेडकर महासभा चलाने वाले अपने सजातीय लोगों को भड़का कर हाईकोर्ट से स्टे ले आती है और दूसरी तरफ एक कदम और आगे बढ़ कर मुस्लिमों और सवर्णों को आरक्षण के नाम पर बहका कर ऐसे आरक्षण का सपना दिखा रही है जो बिना संविधान में पर्याप्त संशोधन किये संभव नहीं है |
माया की चुनावी चाल को समझ रहे है सब | इसमें छुपे राजनैतिक निहितार्थ सबके सामने हैं |

बुधवार, 2 नवंबर 2011

असली विदेशी कौन ?

असली विदेशी कौन ?
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उनका तर्क हैं ब्राह्मण विदेशी हैं । सारे ब्राह्मण कहते हैं हम विदेशी हैं । सारे इतिहासकर कहते हैं ब्राह्मण विदेशी हैं । डीएनए टेस्ट कहता है ब्राह्मण विदेशी हैं । ज्योति बा फुले कहते हैं ब्राह्मण विदेशी हैं । बाबासाहेब कहते हैं हम नागवंशी हैं । नागों और आर्यों की दुश्मनी ही भारत का इतिहास है । बाहरी विदेशी लोग संख्या में हमेशा कम किन्तु अधिक आक्रामक होते हैं जो कि वे हैं । यदि ब्राह्मण भारत के मूल वासी  हैं और उनकी सभ्यता पुरानी है तो फिर वे सिधु लिपि क्यों नहीं जानते ? सीधी सी बात है कि वे विदेशी हैं  । रास्ता एक ही है आज़ादी !आज़ादी !आज़ादी !!..........................
लेकिन हमारे आरक्षण का तो स्वदेशी यानि नागवंशी ही विरोध कर रहे हैं , विदेशी ब्राह्मण नहीं |
मायावती ने १६ पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्ज़ा देने सम्बन्धी हमारा शासनादेश निरस्त कर दिया |
मीरा कुमार और सुशील शिंदे जैसे मछुआ समुदाय विरोधी तथाकथित नागवंशियों की वज़ह से हमारा SC आरक्षण लटका रहा |
आंबेडकर महासभा के लोग जो भारत में नागवंशियों के ठेकेदार बने हुए हैं ,हमारे आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में खड़े हैं |
क्या आरक्षण मायावती की जाति की जायदाद है ?
क्या पट्टा किया था बाबा साहेब ने कि मायावती की जाति के लिए ही आरक्षण होगा ? 
हम कहाँ जाएँ ?
क्या हमारे लोग नागवंशी नहीं हैं ?
क्या हम विदेशी हैं ?
अफ़सोस कि छद्म नागवंशी अपनी एक जाति के चक्कर में पड़कर ही इस आरक्षण व्यवस्था की जडें खोदने में लगें हैं | पंगु बना देना चाहते हैं ये इसे |

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

** अपने आप को पहचानों **

अपने इतिहास को कभी मत भूलो|
तुम हमेशा याद रखो कि ,
तुम भारत की प्राचीनतम और गौरवशाली जल संस्कृति के ध्वज वाहक हो|
तुम भारत की श्रेष्ठतम निषाद परंपरा के संवाहक हो |
तुम सबसे अलग हो, निर्विवाद हो |
तुम भारत के मूलवासी निषाद हो |
तुम ही साक्षात् बल वंशी हो |
तुम  निसंदेह जल वंशी हो |
तुम्हारे मष्तिष्क में वेदव्यास जी का ज्ञान है |
तुम्हारे चेहरे पर निषाद राज गुह का स्वाभिमान है |
तुम्हारी आँखों में वीर एकलव्य का आक्रोश है |
तुम्हारी वाणी में राजा नल का जोश है |
तुम्हारी धमनियों में जरासंध का खौलता रक्त  है |
तुम्हारी हड्डियों में राजा वेन सशक्त है |
तुम्हारे पास भगवान कालूदेव का आधार है |
तुम्हारे सीने में चन्द्रवट की हुंकार है |
तुम्हारी भुजाओं में भाई हिम्मत सिंह जी की शक्ति है |
तुम्हारी सरलता में माता शबरी की भक्ति है |
तुम्हारे पास कौरवाकि का श्रृंगार है |
तुम्हारे पास सत्यवती का संसार है |
तुम्हारे पास रानी दुर्गावती का पराक्रम है |
तुम्हारे पास तिलका मांझी का दमखम है |
तुम्हारे पास जुब्बा साहनी का त्याग है |
तुम्हारे पास लोचन मल्लाह की आग है |
तुम्हारे पास विपत केवट की ललकार है | 
तुम्हारे पास सिद्धो - समधन की धार है |
तुम्हारे पास दशरथ मांझी  की आन है | 
तुम्हारे पास वीरांगना फूलन देवी का बलिदान है |
तुम्हारा इतिहास साधारण या मनगढ़ंत नहीं ,
तुम्हारा इतिहास प्रामाणिक है ,अमर है और महान है |

तुम्हारी नौकाओं ने सात समुन्दर तक नाप डाले |
तुम्हारे हाथों ने पाताल तक कुंएं खोद डाले |
तुमने मत्स्य कन्याओं का रूप देखा है |
तुमने सागर में जाल फेंका है |
ताल पोखर तो सब तुम्हारे  थे |
जिसमे सिंघाड़ा तुम उगाते थे |
शिकार करते थे रोज़ मछली का |
घर पे लगता था ढेर नकदी का |
खनन पे हक तुम्हारा मालिकाना था |
हर नदी घाट पे ठिकाना था |
तुमने उठाईं हैं डोलियाँ भी |
तुमने खेतों में मजदूरियाँ की |
तुमने अर्पण किये हैं तन मन भी |
तुमने धोये हैं झूठे बर्तन भी |
तुमने अच्छे अच्छों को पानी पिलाया |
तुम्हारे सामने कोई टिक नहीं पाया |
तुमने सेवा की, इसलिए गुनहगार बने |
अन्याय का हर तरह शिकार बने |
तुमने मेहनत से मुंह नहीं मोड़ा |
पर कभी देश को नहीं तोडा |
तुमने लोहा लिया फिरंगी से |
सर झुकाया नहीं बेशर्मी से |
तुम भी आज़ादी के सिपाही थे |
तीर क्या तोप से न डरते थे |
तुमने भालों पे टेक दीं गर्दन |
हकपरस्ती की बात की हरदम |
मौत से तुम कभी न घबराए |
तुम निशाने पे इसलिए आये | 
ज़ुल्म अँगरेज़ ने ये बरपाया |
तुमको अपराधी जाति ठहराया |
तुमको शहरों से दूर बसवाया |
और हिस्से में कुछ नहीं आया |
तुम रहे जंगलों में छिप करके |
रौशनी इल्म की न देख सके |
हक से जो दूर थे ,वो तुम ही थे |
कल जो मशहूर थे वो तुम ही थे |
तुमको अब भी ज़रा सा होश नहीं |
घर में बैठे हो कोई जोश नहीं |
तुमको मालूम कोई राह नहीं |
तुमको आरक्षण की भी चाह नहीं |
तुम अपना दर्द भला कब तलक छुपाओगे |
एक हो जाओ तो इस दौर में छा जाओगे |

आभार :- अरुण कुमार तुरैहा 

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

!! मत भूलो अपना इतिहास !!

हमें अपना इतिहास कभी नहीं भूलना चाहिए |
जो कौमें अपना इतिहास भूला देती हैं वो विकास की दौड़ में औरों से कोसों पीछे छूट जाती हैं और जल्द ही ख़त्म हो जाती हैं | क्योंकि हमारा गुज़रा कल हमेशा हमें अपने पूर्वजों द्वारा किये गए संघर्षों की याद दिलाता है | इसलिए हमें अपने इतिहास को संजो कर रखना चाहिए | इतिहास से हमें प्रेरणा मिलती है | प्रेरणा से जागरूकता बढती है | जागरूकता से संगठन बनता है | संगठन से शक्ति प्राप्त होती है | शक्ति से सत्ता हासिल होती है और सत्ता से साधन / संसाधन मिलते हैं जिसके माध्यम से समाज के विकास के नए मार्ग प्रशस्त होते हैं |
इसलिए अपने इतिहास को कभी मत भूलो
We should never forget our History. Those people who have forgetten their glorious past , has been ruined themselves and they have lagged behind in the race of Devolepment because our past tell us the story of our hard struggle that has been done by our ancestors. So we should always remember our History . Because it gives us inspiration. Inspired people r always awakend. awakeness ties up us in unity. United people get power. Power generate a system and system provide us medium / resouces to implement and open the new path of Social devolepment.
So Never forget your origin.

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

माया का 700 करोड़ का पार्क : रुपयों की महाबर्बादी

शाह खर्ची का नायाब  नमूना है ये पार्क | जिस देश के आम आदमी की दिहाड़ी (दैनिक आय ) बीस रूपये हो | वहां रुपया पार्कों पर नहीं बल्कि जनता के विकास पर खर्च होना चाहिए | जनता की त्राहि त्राहि के बीच ऐसे लग्ज़ीरियस पार्कों का निर्माण जले पर नमक छिड़कने जैसा है |
1- 700 करोड़ से साढ़े तीन लाख गरीब लड़कियों की शादी हो सकती थी |
2- इस रकम से दो करोड़ चौंतीस  लाख बच्चों को एक साल तक छात्रवृत्ति दी जा सकती थी |
3- इस रकम से चालीस लाख परिवारों को एक वर्ष तक पेंशन दी जा सकती थी |
4- इस रकम से सात लाख परिवारों के कमाऊ सदस्य के मर जाने पर आर्थिक सहायता दी जा सकती थी |
5- इस रकम से बारह लाख गरीब परिवारों को एक साल तक मुफ्त अनाज दिया  जा सकता था | 
6- इस रकम से दो लाख गरीब आवासहीन परिवारों को मुफ्त मकान दिया जा सकता था |
7- इस रकम से प्रदेश के डेढ़ लाख किसानों का पचास हजार तक का ऋण माफ़ किया जा सकता था |
8- इस रकम से सहारनपुर से लखनऊ होते हुए गोरखपुर तक सड़क बनाई जा सकती थी |
9- इस रकम से प्रदेश में दस बड़ी फैक्ट्री खोली जा सकती थी |
10- इस रकम से प्रदेश के पाँच हज़ार बीमार उद्योगों को सहायता देकर चलाया जा सकता था |
11- इस रकम से प्रदेश के हर जिले में दो बड़े अस्पताल कुल 150  खोले जा सकते थे |
12- इस रकम से प्रदेश में 50  इंजीनियरिग कालेज खोले जा सकते थे |
13- इस रकम से प्रदेश में 50  मेडिकल  कालेज खोले जा सकते थे
14- इस रकम से 1000 आई टी आई खोले जा सकते थे |
15- इस रकम से प्रदेश में दो लाख नल लगाये जा सकते थे |
16- इस रकम से प्रदेश में बीस हज़ार किमी नहर बनाई जा सकती थी |
17- इस रकम से प्रदेश में 100  मद्दयम दर्जे के पुल बनाये जा सकते थे |
18- इस रकम से प्रदेश के 3000 गावों में विद्युतीकरण हो सकता था |
19- इस रकम से प्रदेश में 3000 नई बसें चलाई जा सकती थी |
मगर ये हो न सका |
                              मायावती ने अपनी बादशाहत का जलवा अफरोज रखने के लिए प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई फाइव स्टार पार्कों पर झोंक दी है | मगर बादशाहत के भुलावे में मायावती खुद भूल गयी है कि लोक तंत्र में जनता ही असली मालिक होती है जो मायावती की फिजूलखर्ची जल्द ही बंद करवा देगी |

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

बंद करे सरकार द्रोणाचार्य सम्मान

वीर एकलव्य का छल से अंगूठा ठगने वाले पक्षपाती गुरु द्रोणाचार्य के नाम से खेल प्रशिक्षकों को दिया जाने वाला द्रोणाचार्य सम्मान केद्र सरकार तत्काल बंद करे | निषाद जातियों को मुंह चिढाने वाला ये सम्मान जब तक जारी रहेगा तब न स्वस्थ गुरु - शिष्य परंपरा रहेगी न गुरुओं के लिए मान सम्मान का भाव | द्रोणाचार्य ने सत्ता के नजदीक रहने की लालसा में एकलव्य को सिर्फ इसलिए विकलांग बना डाला था क्योकि वह शूद्र वर्ण में जन्मा व्यक्ति था और उसे शस्त्र कला में प्रवीणता तो दूर शस्त्र छूने तक की मनाही थी | अपने सीमित साधन और त्याग के बदौलत एकलव्य ने खुद को स्थापित तो किया लेकिन गुरु के मायाजाल में फंस कर रह गया | कहना न होगा कि विश्व के इतिहास में ऐसा कलंकित गुरु शायद ही पैदा हो | वास्तव में ऐसे नामों पर दिए जाने वाले सम्मान से हम अपने इतिहास को झुठला रहे हैं | आगे आने वाली पीढ़ी खुद हमसे सवाल करेगी कि निषाद वंशियों को अपमानित और बहिष्कृत करने वाले ऐसे घोर दुष्ट गुरु के नाम पर पुरूस्कार क्यों ?
खेल मंत्रालय को चाहिए कि वह कपटी द्रोणाचार्य के स्थान पर किसी अन्य महापुरुष के नाम पर खेल प्रशिक्षकों को यह सम्मान दे | इतिहास में तमाम निष्ठावान, कर्मठ और समदर्शी गुरुओं का उल्लेख है |

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

आज का एकलव्य

आज का एकलव्य ,
द्रोणाचार्य के लाख मांगने पर भी,
नहीं देगा अपना अंगूठा |
बल्कि ,
दिखा कर ठेंगा ,
मुंह चिडायेगा ,
उस द्रोणाचारी व्यवस्था का,
जिसने निषादों की प्रतिभाओं को,
पीछे धकेलने का ठेका लिया था शासन से |
आज का एकलव्य ,
सोचेगा नहीं एक पल भी ,
चला देगा तीर फ़ौरन ,
उस अर्जुन पर ,
जिसके जातीय दंभ और अज्ञान के समक्ष,
बौना ठहरा दिया गया था ,
एकलव्य का धनुर्कौशल्य |
आज का एकलव्य ,
खींच लेगा ज़ुबान,द्रोणाचार्य की,
अंगूठा ठगने की हिमाक़त पर ,
ताकि दोबारा न पड़े हिम्मत ,
किसी और को एकलव्य बनाने की ।

आभार -श्री अरुण कुमार तुरैहा (रामपुर )
  

बुधवार, 28 सितंबर 2011

नए जिलों का गठन : चुनावी हथकंडा , जनता को फुसलाने की मायावी घटिया कोशिश

                निकाय चुनाव में हार के डर से चुनाव से कन्नी काटती आ रही मायावती ने विधान सभा चुनाव के लिए नए शिगूफे छोड़ने शुरू कर दिए हैं | साढ़े चार साल जन भावनाओं के खिलाफ और हिटलर शाही पर आमादा बसपा सरकार की मुखिया ने आवाम की सुध तक नहीं ली | पूरा प्रदेश विकास की बाट जोहता रहा और मायावती अपने मूर्ति प्रेम में बाबा साहब से भी ऊंची अपनी खुद की मूर्तियाँ गड़वाने में मस्त रही | जबकि सड़कों पर व्यापारी लुटते रहे , महिलाओं और छोटी बच्चियों को इसके विधायक इन साढ़े चार सालों में नोचते दबोचते और रौंदते  रहे | गरीब आदमी इलाज़ तक को मोहताज रहा जबकि अस्पतालों में लाखों करोड़ के स्वास्थ्य घोटाले इसके चहेते मंत्री करते रहे और अफसरान जान से मारे जाते रहे | पूरा नोयडा ,ग्रेटर नोयडा मुख्यमंत्री ने अपने थर्ड क्लास भाई को अपना दलाल बना कर बेच डाला | किसान अपनी ही ज़मीन से बेदखल कर दिए गए और जबरन अपराधी बना दिए गए | अपनी जाति के चंद नाकारा, बेहया और प्रमोशन पाने को बेताब , कानून की धज्जियां तक उड़ाने को उतारू अफसरान को नियम कानून से हटकर उच्च पदों पर बैठाने का घिनौना काम किया गया |,उनके लिए विशेष पद तक गठित करने का बेगैरती भरा इतिहास रचा गया | जबकि सैकड़ों ईमानदार दलित/ सवर्ण अधिकारी आज भी सस्पैंड पड़े हैं | इतना ही नहीं मायावती के लूट तंत्र से आजिज़ वरिष्ठ IAS / IPS  ने या तो आत्महत्या करली , या नौकरी छोड़ने में ही भलाई समझी | पूरे प्रदेश में बिना पैसा लिए एक भी पद पर भर्ती नहीं हुई और तो और गाँव गाँव जो सफाई कर्मचारी रखे गए वो गरीब बाल्मीकि भाइयों को मिलने वाली नौकरियों को नीलाम करके रखे गए | बाल्मीकि भाई आज भी बेकार हैं | मायावती का लूट तंत्र यही नहीं रुका , प्रदेश के कोने कोने में पटवारी से लेकर चपरासी तक के ट्रांसफर में इसके जिलाध्यक्षों ने जबरन वसूली की और जो राशन की दूकान से लेकर थाने तक में अपना हिस्सा बाँध आये | अपनी अपनी बिरादरियों में पैसा वसूलने के लिए दर्ज़ा राज्य मंत्री छोड़ दिए जिन्होंने गंदगी और भ्रष्टाचार की ऐसी नुमाइश की, जिससे समाज में ईमानदारी के पैर भी एक बारगी डिगते नजर आये | बस वो शख्स ही खुश था जो लूट रहा था या लूट तंत्र  में हिस्सा या संरक्षण पा रहा था |
घटिया सामग्री और कमीशनखोरी का एशियाई रिकार्ड यानी कांसीराम शहरी आवास योजना और पांच पांच सौ रुपये वसूल कर दी जा रही महामाया पेंशन योजना के भरोसे विधान सभा चुनाव जीतने का सपना पाले बैठी बसपा सरकार अब समाजवाद की घनघोर आंधी से मुकाबला देख अपना आत्मविश्वास खो चुकी है और अपनी हार प्रत्यक्ष देख रही है | मछुआ जातियों के आरक्षण को अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में निरस्त करवा देने वाली मायावती कभी सवर्णों से, कभी मुसलमानों से, कभी जाटों से तो कभी गूजरों से आरक्षण का झूठा वायदा कर रही है  तो अब बिना बजट और ढांचे के जिले बना कर जनता को गुमराह कर रही है | अब इस धोखाधडी से वोट हाथ नहीं आने वाला | साढ़े चार साल में प्रदेश के मतदाता ने बहुत कुछ खोया है | नौजवानों, मजदूरों, वंचित और उपेक्षित अति दलितों, अति पिछड़े वर्गों की भविष्य की संभावनाओं को लगभग समाप्त करदेने वाली सर्वजन सरकार की भयावह नीतियों के मकड़ जाल से निजात पाने को आज आम आदमी हाथ पैर मार रहा है | उसको अगर कुछ चाहिए तो वो है "मौका" /,"अवसर " | इस गुंडी, बेईमान, घोर स्वजातिवादी और लूट में माहिर सरकार को उखाड़ फेंकने का और प्रदेश के विकास का मार्ग प्रशस्त करने का |
लेकिन सत्ता मद में चूर मुख्यमंत्री ये नहीं जानती कि जब जब समाजवादियों ने मुठ्ठियाँ भींची है और हुंकार भरी है  , इंक़लाब आया है और बदलाव लाया है |

रविवार, 11 सितंबर 2011

दिग भ्रमित नहीं बल्कि संयमित होने की आवश्यकता है

कितने नासमझ हैं निषाद समाज के युवा , 
जो अपने हितैषी और धुर विरोधी को पहचान तक नहीं पा रहे हैं | सवर्णवाद के छाया तले पल्लवित और पुष्पित इन नौजवानों को ये तक नहीं पता कि निषाद समाज का कितना गौरव शाली इतिहास रहा है | अपने इतिहास से प्रेरणा लेने की बजाय उससे बचते है | अपने आराध्यों ,महापुरुषों और मसीहाओं से बेखबर हैं | आज किस संघर्ष पूर्ण तरीके से हमारे निषाद भाई मुसीबत और गरीबी में अपने जीवन व्यतीत कर रहे हैं इसका अंदाजा हमारे उन निषाद युवाओं को कतई नहीं होगा जो मेट्रो जीवन के आदी हैं और धरातल से दूर मीडियाई वायरल से संक्रमित होकर बहक रहे हैं |
              माननीय मुलायम सिंह यादव ने हमेशा ही राष्ट्र की मुख्य धरा एवं धारा के दूर रहने वाले निषाद समाज के लोगों का साथ दिया है | चाहे SC आरक्षण का मामला हो या पारंपरिक रोज़गार धंधों को संरक्षण देने का , लोकसभा विधान सभा में उचित प्रतिनिधित्व देने की बात हो या निषाद समाज की समस्याओं को लेकर संघर्ष करने की बात हो, न माननीय मुलायम सिंह जी ही पीछे रहे न उनकी पार्टी | ऐसे में यदि उनके राजनैतिक विरोधी उन पर कितने ही आरोप क्यों न मढें, निषाद समाज की प्रतिक्रिया बेहद सधी, शालीन और मर्यादित होनी चाहिए | यहाँ सवाल राजनैतिक लाभ का नहीं लाखों निषाद भाइयों के विकास,आरक्षण और भागेदारी से जुडी उन आशाओं का है जिन्हें सवर्णवादी मानसिकता के लोग कुचलते चले आये हैं और उनकी कोशिश हमेशा से ही निषाद हितैषी उस नेतृत्व को कमज़ोर और निषाद समाज को गुमराह करने की रही है | हमारा एकमेव लक्ष्य निषाद समाज का SC आरक्षण है | और उसका ईमानदारी से समर्थन करने वाला हमारा मसीहा है, सम्माननीय है और हमारा है | फिर चाहे उस पर कितने ही राजनैतिक इलज़ाम क्यों न हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता |
हमारा लक्ष्य निर्धारित है |
हमारा सम्पूर्ण जीवन उस आम आदमी के लिए समर्पित है जो वास्तव में वंचित है और व्यवस्था द्वारा उसे पूरी तरह से उपेक्षित, उत्पीड़ित और वहिष्कृत कर दिया है | मछुआ समुदाय को देश की मुख्य धारा में लाना हमारा स्वप्न है और मछुआ आरक्षण संकल्प |
 भारत की महानतम एवं श्रेष्ठ निषाद संस्कृति व परम्परा से जुड़े भाई, जो वर्षों से शोषित एवं वंचित जीवन जी रहे हैं, उन्हें अत्याचार एवं जातिवादी भाई भतीजेवाद से मुक्ति दिला कर सम्मानित जीवन दिलाना हमारा लक्ष्य है | हमारे सामने इस वक़्त 2012 का चुनाव है जिसे निषाद समाज अपनी मान मर्यादा , जीवन मृत्यु और सर्वस्व मान कर लड़ने को तैयार बैठा है | इस अवसर पर दिग भ्रमित नहीं बल्कि संयमित होने की आवश्यकता है | ये चुनाव ही हमारे आरक्षण की दिशा तय करेगा ||

रविवार, 4 सितंबर 2011

कब तक और बांटोगे हमें ?

            
  प्रिय मित्रों,
                   मछुआ समुदाय पूरे भारत में लगभग 10 करोड़ की आबादी वाला समाज है | 150 से ज्यादा जातियों और उपजातियों में बंटा ये समाज भारत के प्रत्येक राज्य में अलग अलग स्टेटस रखता है | यानि किसी राज्य में SC, कहीं ST, कहीं विमुक्त जाति (NT) , कहीं OBC तो कहीं Gen | दिल्ली का मल्लाह SC ,यूपी का OBC , मध्य प्रदेश का ST |  मध्य प्रदेश की कहानी और भी अजीब है |यहाँ रैकवार OBC में, धीवर SC में, मल्लाह OBC में, मांझी, मझवार ST में , बथुड़ी (बाथम) ST में, नावडा व तुरैहा OBC में | ..........मजाक बना रखा है !!!  मध्य प्रदेश के ही हमारे कीर भाई ST में हैं जबकि हिमाचल प्रदेश के कीर SC में, तो पंजाब व राजस्थान में OBC में रखे गए हैं |  
            ये अन्याय मछुआरों के अतिरिक्त भारत में किसी अन्य समाज से बिलकुल भी नहीं है | ये गैरबराबरी और ज़हर का प्याला हमारे समाज के हिस्से में ही आया है | सरकारों ने इस समाज के लोगों को सौतेली औलाद की तरह रखा और कुछ न दिया गया | विकास की दौड़ को हमने तमाशबीन बनकर ही देखा और दूसरों की जीत पर तालियाँ ही बजाते रहे हैं | हमारे आरक्षण के नाम पर कदम कदम पर विसंगतियां खुद सरकारों ने ही पेश कीं, समाज को सिवाय झूठे आश्वासनों के अलावा आज तक कुछ नहीं दिया | योजनायें हमारे लिए आज भी सपना सरीखा हैं |
            हमारे लोग भी कितने सीधे हैं कि सरकार कोई सा भी प्रमाण पत्र दे , चुपचाप ले लेते हैं | विरोध तक नहीं करते | क्या ये सरकारों की धोखाधडी नहीं है अशिक्षित और कानूनी दांव पेचों से अनभिज्ञ लोगों से ? क्या कोई बता सकता है कि केवट, मल्लाह, मांझी (मझवार), नाविक में शाब्दिक रूप से कोई अंतर है ? भारत के प्रत्येक शब्दकोष में इनके मायने एक ही हैं तो ये कमज़र्फ सरकारें इसे अलग अलग करने पर क्यों तुली हैं ?.  
            फिशर मैन / मछुआरा शब्द बुरा नहीं हैं | एक दम स्पष्ट है, सही सामाजिक पहचान द्योतक है , पारंपरिक है, अपमान जनक तो कतई नहीं है | टाइटिल तो कुछ भी  लिख सकते हैं |

हमारी एक ही मांग है : Single Status, Single Plateform, Single Policy & Single Agenda
            स्पष्ट मछुआ नीति बना कर केंद्र सरकार अलग अलग प्रदेशों में बाँट कर रखे गए मछुआ समुदाय को एक ही स्टेटस प्रदान करे | फिर चाहे वो SC , ST या विमुक्त जाति (NT) ही क्यों न हो |

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

गणपति बाप्पा मोरिया ||

गणपति बाप्पा मोरिया ||
जंगलराज हुआ यूपी में,
अजब तमाशा होरिया ||
                               गणपति बाप्पा मोरिया ||
हाहाकार मचावे जनता ,
हात्थी वाला सोरिया ||
                                गणपति बाप्पा मोरिया ||
रिश्वतखोरी हुयी चरम पर,
अफसर सुनते लोरिया ||
                                 गणपति बाप्पा मोरिया ||
सड़कों पर होता है अब तो,
महिलाओं का खोरिया ||
                                 गणपति बाप्पा मोरिया ||
दलितों के शासन में देखो ,
दलित खड़ा कर जोरिया ||
                                 गणपति बाप्पा मोरिया ||
हे भगवान हटाओ जल्दी,
 नीला बिस्तर बोरिया ||
                                गणपति बाप्पा मोरिया ||

रविवार, 28 अगस्त 2011

कैसी जीत ? काहे का जश्न ? अन्ना को फिर टोपी पहनाई कांग्रेस ने |

     लोकतंत्र के जश्न में पूरा देश आंदोलित है | अन्ना हजारे ने साबित कर दिया कि देश की जनता को साथ लेकर किये जाने वाले आन्दोलन ही इतिहास बनाया करते हैं | अन्ना के नेतृत्व में 13 दिन तक चलाये गए इस महासंग्राम ने न सिर्फ देश के हर वर्ग को जोड़ा बल्कि जनलोकपाल को भावनात्मक  मुद्दा बना कर सरकार को भी मुसीबत में डाल दिया | जनता रोमांचित हैं कि अब सरकार ने अन्ना की मांगे मान कर इस बात को मान लिया है कि जनता ही देश की असली नीति निर्धारक है, संसद नहीं | वस्तुतः ये लड़ाई जनता बनाम संसद , संसद बनाम जन लोकपाल और कौन सर्वोच्च के पेंच में ही फंसी रही |
अब अन्ना ने अनशन समाप्त कर दिया है | तो क्या उनकी मांगे सरकार ने मान लीं है ?
1 क्या प्रधानमंत्री इसके दायरे में आगये ? 
2 क्या सांसद  इसके दायरे में आ गये ? 
3 क्या जजों के लिए अलग से कानून आ गया ?  
4 मीडिया , NGOs और कार्पोरेट घराने के लिए क्या कानून बना ?
5 क्या संसद में बिल पास हो गया ? 
6 स्टैंडिंग कमिटी कौन सा बिल आगे बढ़ाएगी , अन्ना वाला या 5 अन्य 
 7 नियम 184 के तहत कुछ हुआ ? वोटिंग तक सरकार ने नहीं कराई |
 8 दोनों सदनों ने जनलोकपाल बिल को लेकर आखिर तय क्या किया ? 
        .शासन का घूंसा जब किसी बडी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है पर न जाने किस चमत्कार से बडी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूंसा पड़ जाता है.
सारा ठीकरा छोटे कर्मचारियों के सर मढ़ कर उसे लोकपाल में लाकर क्या कर लोगे ? वो तो पहले से ही मगर मच्छों के जबड़ों में फंसा है |

   अन्ना ने अनशन क्यों तोडा ?  अन्ना की कौन सी मांग कांग्रेस ने मान ली, कोई बतायेगा ? आश्वाशन तो मनमोहन सिंह पहले से भी दे रहे थे|  फिर अनशन की क्या आवश्यकता आन पड़ी |
अन्ना माने या न मानें, कांग्रेस अन्ना हजारे को फिर से टोपी पहनाने  में कामयाब होगई है |

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

वक़्त आ गया है कि आरक्षण की समीक्षा हो !!!

               अब वक़्त आ गया है कि ये भी तय हो जाये कि आरक्षण में किस जाति को कितना आनुपातिक लाभ हुआ ? किस जाति का 62 वर्षों में सरकारी नौकरियों में क्या % रहा ? किस किस जाति के कितने नुमाइंदे देश व प्रदेश की सर्वोच्च पंचायतों में बाकायदा चुने गए हैं ?   यूपी में एक ही जाति के 100 से अधिक IAS हैं जो खुल कर BSP के लिए कार्य करते हैं | इसे भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए | यूपी की SC सूची की 66 जातियों में से 2 -4 को छोड़ कर किसी को लाभ लेने नहीं दिया जा रहा | इसे भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए | इससे पहले कि आरक्षण किसी जाति विशेष की जागीर, बपौती या पुश्तैनी संपत्ति बन जाये , बेहतर है कि इसमें व्याप्त विसंगतियों की समीक्षा कर ली जाये |
              दलितों में ही राजा और रंक का भेद अभी से दिखने लगा है | दलितों की विकसित व लाभान्वित जातियां आरक्षण पर कुंडली मार कर बैठ गयी हैं जो शेष वंचित एवं उपेक्षित दलितों के लिए न केवल घोर चिंता का विषय है बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त विशेष अवसर की मूल भावना के सर्वथा विपरीत है | आरक्षित होते हुए भी वंचित और उपेक्षित दलितों का क़द किसी भी आईने में नजर नहीं आता | इस प्रकार विभेद पूर्ण एवं पक्षपाती आरक्षण नियमावली ने उन कम आबादी वाले दलितों को कहीं का नहीं छोड़ा है जो वास्तव में इसके पात्र है | 
                कहीं आरक्षण ही दलितों में पारस्परिक असंतुलन पैदा न कर डाले | वास्तविकता यही है क्योकि एक जातिवादी मानसिकता रखकर बसपा सरकार दलितों में ही विभाजन की प्रष्ठ भूमि तैयार किये जा रही हैं | दलितों में ही एक तबका बना जा रहा है जो सत्ता के बावजूद कमज़ोर है, योजनाओं के बावजूद पीड़ित है, आरक्षण के बावजूद वंचित है, सामाजिक न्याय के बावजूद शोषित है और दलितों की ही सरकार में बहिष्कृत है | हालात न सुधरे तो एक न एक दिन ये सर्वहारा और वंचित वर्ग अपने अधिकारों के लिए दलितों के ही मुकाबले आ जायेगा और अपने अलग हिस्से की मांग करेगा | बेहतर होगा कि सरकारें समय रहते शेष दलितों के दिलों में धधक रहे इस ज्वालामुखी की तपिश को शिद्दत से महसूस करें |
               यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि देश व प्रदेश की  सरकारें अनुसूचितजाति / जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से व अनुसूचित जाति आयोग  समय समय पर अनुसूचित जातियों के विकास हेतु उनके  उत्पीडन , शोषण उनके प्रति बरते जाने वाले सवर्णों का व्यवहार ,उनकी निर्योग्यता छुआछूत आदि विषयों पर शोध कराती हैं| सबसे ज्यादा हैरत अंगेज़ , कड़वा और भोंचक्का कर देने वाला तथ्य ये है कि इनमे उन जातियों का सर्वे किया जाता है जो वंचित, उपेक्षित , उत्पीडित, वहिष्कृत और नारकीय एवं अशिक्षित जीवन जी रही होती हैं और उनके लोग सड़कों पर रह रहे होते हैं | उनके अध्ययन और उनकी सकारात्मक रिपोर्ट पर दलितों की वो जातियां आगे बढ़ कर फायदा लेती हैं जो अपने आप को Rulling  caste  of  India तक कहने  लगी हैं | यानि शोध किसी और पर - मौज किसी और की  | रोग किसी को- इलाज़ किसी को | हक किसी का - खाए कोई और | ये तो साजिश है भाई |
                मजे की बात ये है कि वंचित और उपेक्षित दलितों के विषय पर चर्चा करने पर सबसे ज्यादा मिर्ची इन्ही  Rulling caste of  India  वालों को लगती है और इनकी भाषा वंचित एवं उपेक्षित दलितों के प्रति वही हो जाती है जो आरक्षण फिल्म में आरक्षण के प्रति प्रकाश झा की है यानि शिक्षा गान और मेरिट राग | बेहतर होगा कि दलितों की लाभान्वित जातियां आरक्षण के मूल मर्म को समझते हुए इसमें व्याप्त विसंगतियों को समय रहते स्वयं पहल कर दूर कर लें और दलित भाईचारे को बढायें |
वर्ना हालात तब और भी ज्यादा दुखदाई हो जायेंगे, जब आरक्षण के पैरोकार ही इसके आलोचक बन जायेंगे|