मंगलवार, 27 नवंबर 2012

सपा ने ली शुरूआती बढ़त , उतारे योद्धा मैदान में


समाजवादी पार्टी की 2014 लोकसभा चुनाव की पहली सूची जिसमे 63 सीटो के प्रत्याशियों के नाम हैं , इस प्रकार है :

1.मैनपुरी -मुलायम सिंह यादव
2. कैराना - नाहिद हसन
3. मुजफ्फरनगर - गौरव स्वरूप
4. नगीना - यशवीर सिंह
5. मुरादाबाद - डॉ. ST हसन
6. अमरोहा - श्रीमती हुम्मेरा अख्तर
7. बागपत - डॉ. विजय कुमार
8. गाजियाबाद - सुधन चन्द्र रावत
9. गौतमबुद्ध नगर- नरेंद्र भाटी
10. हाथरस - रामजी लाल सुमन
11. मथुरा - चंदन सिंह
12. आगरा - महाराज सिंह धनगर 
13. फतेहपुर सीकरी - डॉ. राजेन्द्र सिंह
14. फिरोजाबाद - अक्षय यादव
15. एटा - कुंवर देवेंन्द्र सिंह यादव
16. बदायूं -धर्मेंद्र यादव
17. आंवला- कुंवर सर्वराज सिंह
18. पीलीभीत - बुधसेन वर्मा
19. शाहजहाँपुर -मिथलेश कुमार
20. खीरी - रविप्रकाश वर्मा
21. धौरहरा - आनंद भदौरिया
22. हरदोई - उषा वर्मा
23. मिश्रिख - जय प्रकाश रावत
24. उन्नाव - अरुणा शंकर शुक्ला
25. मोहनलालगंज - सुशीला सरोज
26. लखनऊ - अशोक बाजपेयी
27. सुल्तानपुर - शकील अहमद
28. प्रतापगढ़ - C .N. सिंह
29. इटावा - प्रेमदास कठेरिया
30. कन्नौज - डिंपल यादव
31. अकबरपुर - लाल सिंह तोमर
32. जालौन - घनश्याम अनुरागी
33. झांसी - चंद्रपाल सिंह यादव
34. हमीरपुर - विशम्भर प्रसाद निषाद
35. बांदा - श्यामा चरण गुप्ता
36. फतेहपुर - राकेश सचान
37. कौशाम्बी - शैलेंद्र कुमार
38. इलाहाबाद - रेवती रमन सिंह
39. बाराबंकी - राजरानी रावत
40. फैजाबाद - तिलकराम वर्मा
41. बहराइच - शब्बीर अहमद बाल्मीकि
42. कैसरगंज - बृजभूषण सरन सिंह
43. गोंडा - कीर्तिवर्धन सिंह
44. डुमरियागंज - माता प्रसाद पांडेय
45. बस्ती - बृज किशोर सिंह
46. गोरखपुर - राजमती निषाद
47. लालगंज - दूधनाथ सरोज
48. घोसी - बालकिशन चौहान
49. बलिया - नीरज शेखर
50. जौनपुर - केपी यादव
51. मछली शहर - तूफानी सरोज
52. चंदौली - राम किशुन
53. वाराणसी - सुरेन्द्र सिंह पटेल
54. भदोही - सीमा मिश्रा
55.राबर्ट्सगंज - पकौड़ी लाल कोल
56 . मेरठ - शाहिद मंजूर
57 .बुलंदशहर सुरक्षित - रवि गौतम
58 . अलीगढ - काजल शर्मा
59 . सीतापुर - महेंद्र वर्मा
60 . फूलपुर - धर्मराज पटेल
61 . महाराजगंज - कुंवर अखिलेश सिंह
62 . आज़मगढ़ - बलराम यादव
63 . गाजीपुर - ओम प्रकाश सिंह

आपका शुभाकांक्षी :-
आपका भाई
विश्वम्भर प्रसाद निषाद ,
राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी,
सपा प्रत्याशी  हमीरपुर -महोबा -तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र 

रविवार, 18 नवंबर 2012

हार्दिक आभार माननीय नेताजी , शत शत धन्यवाद समाजवादी पार्टी

प्रिय मित्रों ,
आप सब की शुभकामनाओं , आदरणीय नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव जी के आशीर्वाद एवं प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव जी  की अनुशंसा पर मुझे पार्टी ने हमीरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है । हार्दिक आभारी हूँ समाजवादी पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड का ,जिसने लोकसभा हेतु मेरी प्रत्याशिता निर्धारित की । कोटि कोटि धन्यवाद राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह जी का , जिन्होंने मुझ नाचीज पर विधानसभा चुनाव 2012 में पराजित होने के बावजूद भी अटूट विश्वास बनाये रखा ।
आप सब की शुभ कामनाओं का आकांक्षी :-
आपका भाई
विश्वम्भर प्रसाद निषाद . पूर्व मंत्री ,उo प्र o शासन
राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी एवं प्रभारी मध्य प्रदेश राज्य समाजवादी पार्टी

क्या बाल ठाकरे सचमुच नहीं रहे ?

बाल ठाकरे नहीं रहे । कल उनके महाप्राण महायात्रा को निकल पड़े । आज उनका नश्वर शरीर भी पंचतत्व में विलीन हो जाएगा । बेशक ठाकरे के रहने या न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि उनकी सोच अब भी जिन्दा है । ठाकरेवाद भारतीय राजनीति का ऐसा दुर्भाग्य पूर्ण पहलू हो गया है जो राजनीति में तडके या आइटम सॉन्ग का काम करता है और उन्मादी राजनीति करने वालों के लिए घृत संजीवनी है । भले ठाकरे आज नहीं है लेकिन ठाकरी सोच आज भी सर ताने खड़ी है जो भारतीय लोकतंत्र में अप्रासंगिक हो चुके गुण्डातंत्र को संरक्षित करती है और जबरदस्ती डंडे के बल पर अपनी बात मनवाने की पक्षधर है । क्षेत्रवाद में पिरोये छद्म राष्ट्रवाद और उससे उपजे मनमाने आचरण को लोकतान्त्रिक राजनीति में लाने का श्रेय बाल ठाकरे ही ले सकते हैं। ठाकरे की इसी ठसक का एहसास अमिताभ बच्चन से लेकर जावेद मियाँदाद तक ने किया था । भाषावाद और प्रांतवाद की चाशनी में लपेट कर बाल ठाकरे ने ऐसा छद्म राष्ट्रवाद परवान चढ़ाया जो दूसरों को देश द्रोही ही समझता रहा और जो एक सभ्य शहरी को मुंबई में जीने के लिए भाई मार्का किसी गली मुहल्ले के गुंडे टाइप नेता के सर्टिफिकेट की आवश्यकता पर बल देता था । अपने ही देश में पराये देश का अनुभव करा देने वाली ठाकरी सोच की मार कभी गरीब मजदूरों पर पड़ी तो कभी दक्षिण भारतीयों पर , कभी गुजरातियों पर तो कभी यूपी बिहार के मेहनतकश तबके को कूड़ा करकट और गंदगी का ढेर बता कर पड़ी । जबकि भारत माता की जय बोल कर रातोंरात दाम दोगुने चौगुना कर देने वाले जमाखोर और जय महाराष्ट्र कहकर उत्तर भारतीयों के गाल लाल कर देने वाले बाल ठाकरी सोच के सबसे बड़े पोषक और संरक्षक रहे । आज ठाकरे के जाने से वे लोग अपने आप को अनाथ महसूस कर रहे हैं , मेरी सदभावनाएँ उनके साथ हैं ।  बेशक डंडा ठोकू  शैली के आधार पर उभरे और टिके रहे बाल ठाकरे और उनकी सोच को आम महाराष्ट्रियन ने कभी बहुमत नहीं दिया जो प्रमाणित करता है कि भारतीय जनमानस आज भी बाल ठाकरे की सोच से इतर शांति, सद्वभाव और प्रेम चाहता है,  टकराव नहीं ।
श्रद्धांजलि ........................... R .I .P.