शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

मायावती की फूट डालो - राज करो नीति


मित्रों,
आप जानते ही हैं कि बसपा मुखिया मायावती यूपी में इस दफा सत्ता से बाहर होने जा रही हैं | अपने इस कार्यकाल में इसने भीषण भ्रष्टाचार तो किया ही साथ इसने  भाई भतीजेवाद को पराकाष्ठ को लांघते हुए अपनी घोर मछुआ विरोधी सोच का परिचय दिया | 16 अति पिछड़ी जातियों को जिनमे अधिकाँश मछुआ समुदाय की थीं, का अनुसूचित जाति रिजर्वेशन सत्ता में आते ही ३० मई २००७ को न सिर्फ रद्द कर दिया बल्कि मूल फ़ाइल को केंद्र सरकार से वापस माँगा कर निरस्त कर दिया | ये गरीब और सामाजिक आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों से बदतर हालत में जिंदगी गुज़ार रहे मछुआ समुदाय के लोगों पर घोर कुठाराघात था | इतने से जी नहीं भरा तो इसने  मछुआ समुदाय के पैतृक कामधंधों (Customry Right) जैसे मत्स्य पालन, बालू खनन, नाव घाट ठेका को भी इस समाज से छीन कर नीलामी प्रथा के जरिये पूँजीवादियों को सौंप दिए हैं | तमाम जिलों में मछुआ समाज की अनुसूचित जातियों के जिनमे गोंड ,तुरैहा ,खरबार, मंझवार और बेलदार शामिल हैं , के जाति प्रमाण पत्रों पर रोक लगवाते हुए बंद करवा दिया | १९ जिलों में मल्लाह जाति विमुक्त जाति घोषित है जबकि उन्हें विमुक्त जाति के स्थान पर पिछड़े वर्ग का ही प्रमाण पत्र लेने को बाध्य किया जारहा है |
इसके हर मछुआ विरोधी कदम का मैंने विधान सभा से लेकर सड़क तक विरोध किया | इसके दमन चक्र के आगे कभी मछुआ समुदाय की आवाज़ को दबने नहीं दिया | जबकि इसकी सरकार में बैठे मछुआ समुदाय के हमारे भाई चुपचाप इसके मछुआ विरोधी कार्यों पर असहाय दिखे और सिर्फ अपनी जेबें भरने में मस्त रहे | कहना न होगा कि उनकी हैसियत मायावती के सामने चपरासी से भी बुरी है |
मायावती ने अपनी मछुआविरोधी नफरत का प्रदर्शन यही तक जारी नहीं रखा बल्कि इसने अब तक का सबसे बड़ा षड्यंत्र  रचा है कि मछुआ समाजको नेतृत्व विहीन कर दिया जाए ताकि कोई ढंग का आदमी बाकी  न बचे और सब चुनाव हार जाये | इसके लिए इसने मछुआ समुदाय के हर प्रत्याशी के विरुद्ध वोट काटने के लिए हमारे ही समाज के व्यक्ति को टिकट दिए हैं | ताकि हम लोगों के वोट बाँट जाएँ और निषाद समाज नेतृत्व विहीन हो जाये | क्योंकि चुनाव बाद ये जीत कर SC  का आरक्षण मांगेंगे |
मेरे खिलाफ २३२ तिंदवारी क्षेत्र से इसने पहले एक प्रजापति को टिकट दिया | पूरे प्रदेश में वो अकेला प्रजापति था बसपा से | दो दिन पहले उसे हटा कर मायावती ने अब एक निषाद को टिकट दे दिया | इसके पीछे इसकी तिकड़मी चाल यही है कि किसी सूरत से मुझे चुनाव हरवाया जा सके और निषाद मछुआ समुदाय कि  आवाज़ को हमेशा के लिए दवाया जा सके | मायावती जानती है कि आने वाली सरकार सपा कि है और निषाद समाज से किये गए वायदे के मुताबिक़ मछुआ समाज की जातियों को अनुसूचित जाति रिजर्वेशन दिलाने में मैं अगुआ रहूँगा और ये काम माननीय मुलायम सिंह यादव जी से हाथ पकडवा कर करा लेने की हैसियत सपा में निषाद नेताओं में सिर्फ मेरी ही है |
भूलना भटकना ,बहकना और बँट जाना  निषाद जातियों की नियति रही है | लेकिन इस बार लड़ाई आस्तित्व की है, मान सम्मान की है, स्वाभिमान की है | दुनिया की नज़रें हैं हम पर कि हम क्या निर्णय लेते हैं | उनका समर्थन करेंगे जो हमारे आरक्षण के लिए काम करता रहा है या उनका जो हमें बाँट कर अपनी जातियों को फायदा पहुँचाने में सिद्धहस्त रहे हैं | निषाद समाज के बूते मैं अपने क्षेत्र से एक बार सांसद और लगातार चार बार विधायक रहा हूँ | निषाद समाज के अगाध स्नेह और आशीर्वाद के फलस्वरूप मुझे हमेशा ताक़त मिली है और मुझे पूरा विश्वास है कि निषाद समाज मुझे अपना स्वाभाविक नेता मानता रहा है | और आगे भी मानता रहेगा | और वोट काटने लिए समाज को बांटने के लिए खड़े किये गए मायावती के पुतलों में आग लगाने का काम करेगा | मछुआ समुदाय से अपील है कि पुरजोर समर्थन दें|

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