सोमवार, 19 दिसंबर 2011

|| इति हाथ रस ||


अपना हाथ जगन्नाथ |  
        लोग कहते हैं केद्र की कांग्रेस सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है | वो बेवकूफ नहीं है , अच्छे खासे हाथ आजमाए हुए है और जानती है कि इस हाथापाई में कहीं हाथ , हाथ से निकल न जाये | सो हाथ थामे बैठी है | हाथ पर हाथ रखने का एक कांग्रेसी फायदा और है कि कहीं सी०बी०आई० अगर हाथ रख दे तो कुछ भी हाथ न आये | हाथ कंगन को आरसी क्या ? मजाल है किसी की , लाख कोई हाथ धो के पीछे पड़ा रहे, मुझे तो राजा से लेकर कलमाड़ी- कनमोझी तक सब के सब लम्बे हाथ वाले लगते हैं ,भले से ये कलंदर अपना हाथ फंसा बैठे| मगर मुझे ये किसी के हाथ पड़ते नज़र नहीं आते| इनके ऊपर किसी विदेशी (महिला) का हाथ अवश्य है |
     लगे हाथ बता दें कि ये कांग्रेसी पूरे ताऊ होते हैं सत्ता के |इनमे से कोई रंगे हाथ , हाथ आया है आज तक पं सुखराम जी को छोड़कर|वो भी बेचारे इसलिए हत्थे चढ़े कि हाथ वालों ने ही ऐन मौके पर उनके सर से हाथ हटा लिया|भलमनसी में मारे गए पंडित जी|वर्ना यजमानी की रकम का कोई हिसाब लिखता है क्या ?
इधर, राहुल बाबा यूपी विधान सभा चुनाव में दो दो हाथ आजमाने की हसरत क्या पाल बैठे, अति उत्साह में कांग्रेसी ज्योतिषियों के पास भागे चले आते हैं अपना हाथ दिखाने| और अधिक हथियाने की गरज में कब तक इस हाथ को हाथ में लिए दौडिएगा राहुल बाबा !! यहाँ यूपी में न कोई हाथ रखने देगा, न कोई हाथ आयेगा| ज्यादा हाथ की सफाई दिखाने की एवज़ में उलटा लोग आपको आड़े हाथों लेंगे सो अलग|लेकिन चाहे जितने दलबद्लूँओं से हाथ मिला लो, चाहे जितने हाथ जोड़ लो , कोई तुम्हे हाथों हाथ नहीं लेने वाला|क्योंकि देश की बर्बादी में, कमरतोड़ महंगाई में, रिकार्ड तोड़ भ्रष्टाचार में और डालर के नीचे दम तोड़ते रूपये के पीछे भी तो तुम्हारा ही हाथ है |
  सो हाथ वाले भाइयो !अब सोच समझ कर हाथ डालो| मेरी मानो, ज्यादा हाथ पाँव न मारो ,जो हाथ में है उसे हथियाए रहो और ज्यादा हाथ फेरने के चक्कर न रहो , वर्ना कहीं समाजवादी अगर हत्थे से उखड गए और केंद्र से अपना हाथ खींच लिया तो हाथों के तोते उड़ जायेंगे , हाथ मलते रह जाओगे ,हाथ हिलाते रह जाओगे|

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