रविवार, 10 अगस्त 2014

आईये ! रक्षा का संकल्प लेवें

प्रिय साथियों,
आप सभी को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाये ।
रक्षा संकल्प के इस अवसर पर अगड़े -पिछड़ों की , स्वर्ण -दलितों की , बहुसंख्यक -अल्पसंख्यक की , सम्पन्न -विपन्न की, सशक्त -निःशक्त की, पुरुष -महिलाओं की तथा सभी मिलकर सामाजिक भाईचारे की रक्षा का संकल्प लेवें । यहीं से राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा ।

आपका भाई ,
विश्वम्भर प्रसाद निषाद
सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव - समाजवादी पार्टी

सोमवार, 4 अगस्त 2014

समस्त मछुआ जातियों के SC आरक्षण को शीघ्र विधेयक संसद में


त्तर प्रदेश के मछुआ समुदाय की अनुसूचित जातियों में गोंड तुरैहा मझवार खरबार बेलदार की भाँति इस समुदाय की अन्य जातियों जिनमे कहार ,कश्यप, निषाद, मल्लाह, केवट, बाथम, धीवर, धीमर , बिन्द , माझी , गोड़िया , तुरहा तथा मछुआ को भैयाराम मुंडा बनाम अनिरुद्ध पटार केस AIR 1971 के आलोक में एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समाज कल्याण विभाग के अनुसूचित जाति /जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के माध्यम से 2003 , 2006 ,2007 तथा 2013 में व्यापक मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण कराकर संस्तुतियों के आधार पर इन जातियों को संविधान संशोधन कराकर धारा 341 (1 ) में जोड़ने विषयक प्राइवेट मेंबर बिल/विधेयक को स्वीकृत किये जाने के सम्बन्ध में आज मैंने राज्यसभा के महासचिव के समक्ष विधेयक प्रस्तुत किया है जिसे उन्होंने परिक्षण आख्या हेतु विधि मंत्रालय को प्रस्तुत कर चालू सत्र अथवा आगामी सत्र में सदन में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है ।
जल जंगल और जमीन पर आश्रित इन मछुआ जातियों को बदलते विकास के दौर ने कहीं अधिक पीछे धकेल दिया है जिसकारण इन जातियों को सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक मोर्चे पर उपेक्षा और शून्य के दौर से उबरने के लिए संविधान सम्मत अधिकारों और सुविधाओं के लिए संविधान में अनुमन्य आरक्षित व्यवस्था से सम्बद्ध होना आवश्यक है । विभिन्न आयोग , समितियों और शोध संस्थानों ने इन जातियों के लिए अनुसूचित जाति /जनजाति आरक्षण की सिफारिश की है । अनेक माननीय सांसदों ने समय समय पर इस दिशा में आवाज़ उठाते हुए इन जातियों के आरक्षण के लिए संसद में पुरजोर वकालत की है । 

 आज से ही मैंने अपने विधेयक के समर्थन में साक्ष्य जुटाने आरम्भ कर दिए हैं । मुझे विश्वास है इस पुनीत कर्तव्य में आप सब यथा योग्य अध्ययन सामग्री , साक्ष्य, मुकदमा नज़ीर , अभिलेख आदि मुझे उपलब्ध कराएँगे । हालाँकि इस प्रयत्न में हमारे पास विधि सम्मत पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है किन्तु आप सभी का सहयोग एवं अनुभव भी आवश्यक है |
आपका :
विश्वम्भर प्रसाद निषाद
सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव - समाजवादी पार्टी

शनिवार, 14 जून 2014

सपा नेतृत्व का कोटि कोटि आभार !

प्रिय मित्रों ,
परमआदरणीय नेताजी माननीय मुलायम सिंह यादव जी के आशीर्वाद और प्रो रामगोपाल यादव जी की संस्तुति पर मुझ अकिंचन को राज्यसभा में सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ । इसके लिए मैं समस्त मछुआ समुदाय की ओर से सपा नेतृत्व का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ ।
विधान सभा चुनाव 2012 हारने के पश्चात मेरी मेहनत पर भरोसा करते हुए पार्टी नेतृत्व ने मुझे हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा 2014 का टिकट सौंपा । कार्यकर्ताओं के जी तोड़ परिश्रम और प्रदेश सरकार की लोकप्रिय योजनाओं के बूते हम चुनाव लड़ें लेकिन जनता ने केंद्र में कांग्रेस के दस साला कुशासन का विकल्प भाजपा को चुना और नतीजतन मैं चुनाव हार गया । लेकिन हार के बावजूद भी मैं सपा नेतृत्व के विश्वास को जिताकर ले गया।
मेरा राज्यसभा में चयन इस बात को प्रमाणित करता है कि समाज और जमीन से जुड़े मजबूत कार्यकर्ता की मेहनत की कद्र पार्टी नेतृत्व ने सदैव की है और उसे माननीय मुलायम सिंह यादव जी ने आगे बढ़कर उस कार्यकर्ता को और तराशा है , निखारा है और सम्मानित किया है ।
लोकसभा चुनाव में नेतृत्व विहीन हो चुके मछुआ समुदाय को, जो कि सामाजिक मुख्यधारा में आने के लिए आज भी हाथ पैर मार रहा है , देश की संसद में समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व देकर माननीय मुलायम सिंह जी ने हमें आवाज़ देने का अवसर प्रदान किया है । अब निसंदेह ही हम अपनी 17 अति पिछड़ी जातियों की आवाज़ को संसद में उठाने के लिए दूसरों के मोहताज़ नहीं रहेंगे और अपने SC आरक्षण पर और अधिक प्रखर और मुखर होकर बात रखेंगे। समाजवादी पार्टी अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को संरक्षण देकर उसके चेहरे पर मुस्कान लाने को कटिबद्ध है ।
आप सबकी शुभकामना का सतत आकांक्षी
विशम्भर प्रसाद निषाद
सांसद / राष्ट्रीय महासचिव
समाजवादी पार्टी   

रविवार, 20 अप्रैल 2014

एक ही विकल्प ……समाजवाद !

 
भ्रष्टाचार, महंगाई और निराशा के माहौल में केंद्र की सरकार ने जिस स्थिति में देश को लाकर खड़ा किया है उसके लिए कांग्रेस की नीतियाँ तो जिम्मेवार हैं ही , साथ ही कांग्रेस की चाटुकारिता पूर्ण राजनीति और देश पर अपरिपक्व नेतृत्व थोपने की मंशा भी उत्तर दाई है । राहुल गांधी के बचकाने चरित्र को देश पर लादने की कोशिश और उसके ऐवज में कांग्रेस के जमीनी हकीकत से कोसों दूर जनविरोधी निर्णयों की मार झेलते देश में कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है । आज युवा , किसान, मजदूर, व्यापारी , छात्र , मध्यमवर्ग , और विशेषकर महिलायें केंद्र में बैठी जनविरोधी सरकार के नकारेपन से खिन्न होकर सत्ता परिवर्तन को तैयार खड़े हैं
धार्मिक उन्माद और सम्प्रदायवाद को अपनी पूँजी मानकर चलने वाले जनसंघ की रणनीति इस चुनाव में फ्लॉप साबित हो रही है । भाजपा शासित राज्यों में हाहाकार और मोदी साहब के फर्जी गुजरात मॉडल की पोल चुनाव से पहले ही खुल गयी । अब यह निर्धारित हो चुका है कि भाजपा बहुमत तो दूर…… उसके आसपास भी फटकने वाली नहीं है। देश में कांग्रेस और भाजपा के विरुद्ध व्यापक स्तर पर माहौल तैयार हो चुका है।
लोकसभा चुनाव बाद समाजवादियों पर बड़ी जिम्मेवारी आने वाली है । आज देश अपना रास्ता समाजवादी विचारधारा में तलाश रहा है । आज समाजवाद राष्ट्र की मजबूरी नहीं .... जरूरत है । अपने घोषणापत्र को दो साल में लागू करके दिखाने वाला उप्र देश का पहला राज्य है । अपने वादे और इरादे पर खरे उतरने वाले समाजवादियों से देशवासियों की अपेक्षाएं यूँ ही नहीं हैं ।

समाजवादियों पर है देश बचाने की जिम्मेवारी

भारत में समाजवाद के प्रवर्तक श्रद्धेय लोहिया जी ने बहुत पहले ही कह दिया था कि समाजवाद ही कांग्रेस द्वारा  पोषित देश की समस्त समस्याओं का एकमेव समाधान है । भारतवासी जिस दिन कांग्रेसवाद और कट्टरवाद की प्रतीक जनसंघी विचारधारा को ठुकरा देंगे उसी दिन समाजवादियों पर देश बचाने  की जिम्मेवारी आ जाएगी  ।
डॉ लोहिया जब तक जीवित रहे गैर कांग्रेस वाद को बढ़ावा देकर जनसंघ की उन्मादी शक्तियों को ललकारते रहे ।  आपने कहा था कि लोग मेरी कीमत मेरे मरने के बाद समझेंगे । लोहिया जी के जाने के बाद ही देश को प्रथम समाजवादी सरकार मिली ।
आज पुनः देश कांग्रेस और भाजपा से मुक्ति के लिए समाजवादियों की ओर निहार रहा हैं ।संघर्ष हम समाजवादियों का इतिहास रहा है, बलिदान हमारी विरासत रही है और युवा हमारी क्रांति के अग्रदूत रहे हैं । जब जब समाजवादियों ने आव्हान किया देश कि जनता ने अटूट समर्थन देकर समाजवादियों को अपना नीति निर्धारक चुनकर सत्ता की जिम्मेवारी सौंपी और भ्रष्टाचार व् सम्प्रदायवाद के विरुद्ध प्रचंड समर्थन दिया ।
महंगाई और लूट से त्रस्त आज देश चौराहे पर खड़ा है और प्रत्येक भारतवासी कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध कमर कस चुका है । संस्कृति और राष्ट्रवाद की झूठी दुहाई देकर देश में उन्मादी राजनीति के माध्यम से नियोजित भ्रष्टाचार , छद्म राष्ट्रवाद , अलगाववाद , नक्सलवाद ,जातिवाद और  नफ़रत का वातावरण फैलाने वाली भाजपा की असलियत सबके सामने है ।
समाजवादी विचारधारा के लोग चुनौतियों से न कभी पहले घबराये …न विचलित हुए और न ही संघर्ष पथ से किसी सूरत डिगे । देश बचाने की जिम्मेवारी जनता ने समाजवादियों को सौंप दी है और हमारे नेता आदरणीय मुलायम सिंह यादव ने इसे चुनौती पूर्वक स्वीकार किया है । जनता के  कांग्रेस और भाजपा से मुक्ति के इस आंदोलन में हम समाजवाद के सिपाही अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार बैठे हैं ।

शुक्रवार, 21 मार्च 2014

निडर होकर कहें अपनी बात

गर हमारे पास कोई अच्छा विचार है जो बिखरे हुए समाज को जोड़ने में सहायक हो सकता है तो उसे अवश्य व्यक्त करना चाहिए । विचारों से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व परिलक्षित होता है । जिस समाज में लेखक / वक्ता नहीं होते वह समाज गूंगा माना जाता है । मौन रहकर अपनी पीड़ा को सहन करना ही उसकी नियति बनजाती हैं । विचार से संकल्प बनता है और संकल्पों से सिद्धांत प्रतिपादित होते हैं । सिद्धांतों से आदर्श स्थापित होते हैं और उच्च आदर्शों से ही सामाजिक परिवर्तन संभव होता है । इसलिए बिना विचार के सामाजिक परिवर्तन की कल्पना निरर्थक है ।
वास्तव में हमारे समाज की फूट और एकता में विफलता का कारण
त्वरित लाभ हैं ……हम त्वरित लाभ चाहते हैं । विचारों का शोधन किये बिना ही हम एक दम समर्थन का सपना देखने लगते हैं , इसके विपरीत जमीनी स्तर पर हम और हमारा व्यक्तित्व कहीं नहीं होता । हम दूसरों पर आसानी से दोषारोपण कर देते हैं जबकि उसके परिश्रम का मोल या तो जानते नहीं या जानना नहीं चाहते ।
सिद्धांत और आदर्श स्थापित करने में जीवन गुजर जाता है । हम बिना सिद्धांतों पर चले आदर्शवाद की खाल ओढना चाहते हैं ।
हर व्यक्ति के सोचने का एक अलग नजरिया होता है । इसमें उसके आसपास के समाज,शिक्षा,संस्कार, कामधंधे ,आजीविका की स्पष्ट छाप होती है । किसान , मजदूर ,व्यापारी , छात्र , नेता आदि सबकी सोच अलग अलग होती है । देश में लोकतान्त्रिक प्रणाली है । कुछ लोग राजनैतिक नजरिये से भी अपनी सोच रखते हैं । राजनीतिक सोच बुरी हो ,ऐसा हर वक़्त नहीं होता । कुछ लोग हर बात को राजनैतिक नजरिये से ही देखते हैं ,तो कुछ राजनीति को ही बुरे नजरिये से देखते हैं।

अपनी बात मनवाने का सबसे बढ़िया उपाय है अपनी कही बात को अपने ऊपर लागू करके दिखाना । जो प्रत्यक्ष दिखेगा और जिसका प्रभाव लोगों को चमत्कृत कर देगा उसे कोई भी सहर्ष स्वीकार करना चाहेगा अन्यथा की स्थिति में बात केवल बात बनकर रह जाएगी, इसलिए हमें पहले विकल्प सुझाना होगा और उदाहरण बनना होगा ....…… समाज तभी स्वीकार करेगा ।