सोमवार, 14 नवंबर 2011

तुम मुझे वोट दो , मैं तुम्हे आरक्षण दिलाऊंगी


मायावती ने ब्राहमणों को फिर से लाली पॉप निकाल कर दिखाना चाहा है | अब तक आरक्षण विरोधी माने जाने वाले ब्राहमणों के लिए तो मायावती बेशर्म होकर आरक्षण मांग रही है लेकिन गरीब और सामाजिक आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों से बदतर हालत में जिंदगी गुज़ार रहे मछुआ समुदाय के लोगों का आरक्षण निरस्त कर देती है | इतने से जी नहीं भरा तो इसने  मछुआ समुदाय के पैतृक कामधंधों (Customry Right) जैसे मत्स्य पालन, बालू खनन, नाव घाट ठेका को भी इस समाज से छीन कर नीलामी प्रथा के जरिये पूँजीवादियों को सौंप दिए हैं  |
           ये है मायावती का दोगला, दोहरा, दगाबाज़ और राजनैतिक चरित्रहीन चेहरा  | यही चेहरा लगाकर इसने समाज में  जातपांत की खाई को और अधिक चौड़ा करने का कार्य किया है | सत्ता हासिल करने की जुगत में मायावती समाज के सभी वर्गों को बरगला रही है और आरक्षण के नाम पर दूकान खोल कर बैठ गयी है | किस किस को आरक्षण देगी............. | सच्चाई ये है कि आज तक इसने अपनी जाति के अलावा किसी को आरक्षण लेने नहीं दिया है  | इस प्रकार मायावती ने अपनी कार्य शैली से आरक्षण की परिकल्पना और इसकी सार्थकता पर ही सवालिया निशान लगा दिया है | जब चहेता समाज आरक्षण पायेगा और विरोधी समाज चाहे वो लाख पात्र हुआ करे आरक्षण का  , कोर्ट कचहरी और सचिवालयों में धक्के खायेगा | तो वंचित लोगों का व्यवस्था से जी उबकाना स्वाभाविक ही है | मज़े की बात ये है की मायावती के इन कारनामों से बाबा साहब आंबेडकर का मिशन चलाने का दावा करने वाले तथाकथित दलित नेता भी अनभिज्ञ नहीं हैं लेकिन मायावती ने सत्ता की हनक में सत्ता खोर दलित नेताओं की ऐसी जमात तैयार की है जो सिर्फ मायावती की जाति के ही हैं और जो येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की फ़िराक में सम्पूर्ण दलित समाज के विभाजन की ज़मीन पर माया की सत्ता का काला ताज महल बनाने का ख्वाब देख रहे हैं | बाबा साहब के मिशन में तो अब सवर्ण और आरक्षण विरोधी प्राण प्रतिष्ठित हो रहे हैं | मनुवाद के खाद पानी से बाबा साहब आंबेडकर के मिशन को पुष्पित पल्लवित करने का षड्यंत्र और दुस्वप्न देख कर मायावती ने बाबा साहब के उस वक्तव्य पर मुहर लगाने का कार्य किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि हमारे मिशन को तोड़ने वाला बाहरी नहीं , हमारे बीच का होगा | आज कांसी राम जी यदि जीवित होते निसंदेह आत्महत्या कर लेते |
मायावती ब्राहमणों से सच ही तो कहती है कि ब्राहमण मुख्यमत्री से ब्राहमणों को कभी फायदा नहीं होगा और  ब्राहमण, गैर ब्राहमण मुख्यमंत्री के होते हुए ही विकास कर सकते हैं |  ठीक उसी तरह जैसे दलित मुख्यमंत्री मायवती के होते हुए वंचित , शोषित  ,पीड़ित , और बहिष्कृत दलित जो माया कि जाति के नहीं हैं , धक्के  खाने को विवश हैं इस माया राज में |

4 टिप्‍पणियां:

  1. Sir, I am agree with your blog statement, but i cant give a hard core concrete comment on any politician party,but on behalf of me i can say that changes is necessary for future growth and stop corruption in any system.In politics evryone want to show thereself as a white collor team. but we know the truth what exactly it is. My last word is that I m not a polotician but i m with that system who work for our society, system and Administration without corruption.

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