शनिवार, 26 नवंबर 2011

दलित और अति पिछड़े करें माया का बहिष्कार


कल मायावती दलित और अति पिछड़ों को अपने मायाजाल में फांसने के लिए नयी चाल चल रही है और दलित अधिकार महासम्मेलन बुला रही है | पौने पाँच साल तक दलित महिलाओं को इसके विधायक नोचते रहे | १२ -१३ साल की लड़कियों के बलात्कार आम हो गए | दलितों की ज़मीनों पर इसके विधायकों और पार्टी नेताओं ने कब्ज़े कर लिए | चमार जाति को छोड़ कर यूपी की 65  SC  जातियां विकास के लिए मायावती और इसके निष्ठुर जंगली हाथी का मुंह ताकती रहीं | यूपी में दलितों के  प्रमोशन में आरक्षण को खुद सतीश मिश्र के लोगों ने रुकवा दिया | कोर्ट में भी बहन जी के वकील सोते रहे .उनसे कुछ बोलते नहीं बना | घटिया निर्माण का एशियाई रिकार्ड यानि कांसीराम आवास इसके कार्यकर्ताओं ने जबरन कब्ज़ा लिए | दलितों के घर आज भी कच्चे हैं | खटिक, कोरी , बाल्मीकि, पासी, कंजड़, धानुक, हेला, धोबी, गोंड, तुरैहा, खरबार ,मंझवार, बेलदार, बावरिया, ग्वाल, नट, मजहबी आदि गैर चमार वर्ग को आरक्षण के बावजूद माया सरकार में कुछ भी नहीं मिला |
             अपनी जाति को मलाई चटवाने के चक्कर में मायावती ने कोरी जाति के लोगों का SC आरक्षण रुकवा दिया कि ये लोग जुलाहे होते हैं , कोरी नहीं इत्यादि | ये षडयंत्र नहीं तो और क्या है ? यूपी का कोरी समाज आज खून का घूँट पिए बैठा है |
             SC में आरक्षित होते हुए धनगर, खटिक, चिक- चिकवा , पासी , गौड़ ,तुराहा, मंझवार ,बेलदार आदि जातियों को कतिपय जनपदों में प्रमाणपत्र तक निर्गत नहीं किये गए |
            ग्राम पंचायतों में सफाई कर्मचारियों के पदों पर नियुक्ति जो कि नियमानुसार बाल्मीकि समाज को संवैधानिक पैतृक काम धंधे (Customry Rights ) के आधार पर देनी चाहिए थी | लेकिन उसकी जगह बाल्मीकि भाइयों के अधिकार बसपा जिलाध्यक्षों ने 50  - 50  हज़ार रूपये लेकर नीलाम कर दिए  | आज सफाई तो बाल्मीकि भाई ही कर रहे हैं लेकिन सरकारी कर्मचारी बन कर नहीं बल्कि सरकारी कर्मचारी का मजदूर बनकर | ये है माया राज की असलियत | ये है सामाजिक न्याय की हकीकत और ये दलित अधिकार के नाम पर अपनी जाति को नवाजने का षड्यंत्र |
माया राज का देखो हाल |
दस खाए तेईस का माल||
बसपा लूट मचाये खासी|
अबतो जागो अरे पिच्चासी ||

            मुलायम सिंह यादव जी की पूर्व सरकार में पिछड़े वर्ग की 17  जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव को जो कि उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संसथान के सर्वे के उपरान्त सरकार की संस्तुतियों पर विधान सभा से पास करा कर केन्द्रीय सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा था और शासनादेश जारी किया था ,जिससे इन पिछड़े वर्गों को SC का लाभ भी मिलने लगा था | उसे मायावती ने अपनी जाति का नुक्सान जान कर रुकवा दिया और सरकार बनाने पर मूल फ़ाइल केंद्र सरकार से वापस मँगा कर निरस्त करवा दी | इस प्रकार स्पष्ट है कि बसपा और इसकी नेता मायावती प्रदेश में निवासरत कश्यप, कहार , निषाद,  मल्लाह, केवट , मांझी, धीवर, धीमर ,मछुआ , बिन्द, रायकवार, बाथम ,गौड़, भर-राजभर, कुम्हार-प्रजापति  जातियों की खुली दुश्मन है और इन्हें सत्ता के नशे में तबाहो बर्बाद कर देना चाहती है | अगर अपने अंजाम से ये जातियां आज न चेती तो आने वाला समय इनकी पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा |
          समता मूलक समाज का ढोंग रचने वाली मायावती ब्राहमणों के लिए तो बेशर्म होकर केंद्र सरकार से आरक्षण मांगती है लेकिन जब 17 पिछड़े वर्गों को SC का लाभ देने की बात आती है तो आंबेडकर महासभा के लोगों को कोर्ट में खड़ा करके स्टे आर्डर ले आती है | ये मायावती का दोगला, दगाबाज़, और राजनैतिक चरित्र हीनता से परिपूर्ण चेहरा है |
          हो सकता है कल के सम्मलेन में इन वर्गों को पुनः SC में डालने का भ्रामक और गुमराह करने के लिए  ऐलान भी कर दे |
           पिछड़े वर्ग की जातियों के संवैधानिक पैतृक काम धंधे (Customry Rights ) को जिसमे मछुआ समुदाय के बालू खनन के पट्टे, मत्स्य पालन के पट्टे , नदी घाट पर नौका सञ्चालन के पट्टे नीलामियों / बोलियों के जरिये पूंजीवादियों को बेचने का काम किया है | कुम्हारी कला हेतु भूमि के पट्टे जो मुलायम सिंह जी की सरकार ने प्रजापति समाज को आबंटित कर मिटटी चोर जैसे कलंक को मिटाने का कार्य किया था , उसे मायावती सरकार ने निरस्त कर SC वर्ग में अपनी जाति के लोगों को देने का पक्षपाती कार्य किया | जो असंवैधानिक तो है ही मानवता के प्रतिकूल भी है |
           शर्म की बात है कि निजी फायदे में माया की चरण वंदना में लीन सुखदेव राजभर और राम अचल राजभर जैसे स्वार्थी लोग तमाशा देखते रहे और भर राजभर जातियों की आरक्षण सुविधा छीन ली गयी |
           गैर चमार दलित और SC आरक्षण से ठोकर मार कर बाहर कर दिए गए अति पिछड़े वर्गों के लोगों से माया अब क्यों अपेक्षा कर रही है | पोने पांच साल तक अपमान और तिरस्कार का दंश झेल रहे गैर चमार दलित और अति पिछड़ेवर्ग के लोग मायावती को ठोकर मार कर सत्ता से बाहर करने के लिए तैयार बैठे है |
जिस खेत से दहकाँ को मयस्सर न हो रोज़ी |
उस खेत के हर गोशा ए गंदुम को जला दो ||
सब मिलके पुकारोगे तो लौटेंगे मुलायम |
आओ मेरी आवाज़ में आवाज़ मिला दो ||

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