गुरुवार, 3 नवंबर 2011

मुस्लिमों व गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग : माया का चुनावी स्टंट

चुनाव करीब आते देख मायावती ने बेहद शातिराना अंदाज़ से मुस्लिमों और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग करके ठीकरा कांग्रेस के सर फोड़ते हुए गेंद केंद्र के पाले में डालने की कोशिश कर इन वर्गों को लुभाने के लिए चुनावी चाल चली है | जबकि चला चली की इस बेला में इस घोषणा का कोई मतलब नहीं रह जाता | साढ़े चार साल तक क्या करते रहे बसपाई ? सत्ता मिलते ही जो हाल मछुआ समुदाय के आरक्षण का पहली ही कैबिनेट बैठक में मायावती ने किया , लोग उसे भूले नहीं हैं अब तक |जो सरकार मछुआ समुदाय के आरक्षण से साढ़े चार साल खिलवाड़ कर बेवकूफ बनाती रही वो किस हक से मुस्लिमों और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण मांग रही है | एक तरफ तो मछुआ आरक्षण के खिलाफ आंबेडकर महासभा चलाने वाले अपने सजातीय लोगों को भड़का कर हाईकोर्ट से स्टे ले आती है और दूसरी तरफ एक कदम और आगे बढ़ कर मुस्लिमों और सवर्णों को आरक्षण के नाम पर बहका कर ऐसे आरक्षण का सपना दिखा रही है जो बिना संविधान में पर्याप्त संशोधन किये संभव नहीं है |
माया की चुनावी चाल को समझ रहे है सब | इसमें छुपे राजनैतिक निहितार्थ सबके सामने हैं |

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