शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

आजादी की लड़ाई में मछुआ समुदाय

आजादी की लड़ाई में मछुआ समुदाय ने भी उग्र आन्दोलन को अपनाया था | हमारी तमाम जातियां ऐसी थीं जो हथियार बनाना जानती थीं और लड़ाकू प्रब्रत्ति की थीं | तीर, तलवार, भाले, ढाल ,खडग, खंजर,नश्तर, बघनखे आदि बनाना हमारे बांये हाथ का खेल रहा था | हमारे तीरंदाज़ बेहतरीन निशाने बाज़ रहे हैं क्योंकि शिकार खेलते खेलते अभ्यस्त हो चुके थे |  कहीं उनमे देश भक्ति की भावना न भर जाये और वे विद्रोह न कर बैठें, इस डर से अंग्रेजों ने 1871 में क्रिमिनल ट्राईब्स एक्ट बनाकर उन्हें अपराधी जाति घोषित कर दिया और शहरों से दूर बसने व खाना बदोश जीवन जीने को मजबूर किया | औरंगजेब ने भाई हिम्मत सिंह जी को जिन्दा कोल्हू में पिरवा दिया | नत्था केवट के बलिदान की याद आज भी ताजा है | सिंगारावेलु शेट्टीयार कानपूर षड्यंत्र केस में जेल गए और साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय के साथ गंभीर रूप से घायल हुए थे | मध्य,पश्चिम और दक्षिण भारत के कोली मछुआरों के विद्रोह हमारे शानदार इतिहास को प्रमाणित करते हैं |  विन्ध्याचल ,छत्तीसगढ़ और आन्ध्र के जंगलों में पंजाब के भागे / खदेडे गए मछुआरे आज भी रहते हैं जो आज भी तोप तक बना सकते हैं | आजादी के पश्चात भारत में ज्यादातर कांग्रेसी सरकारें रहीं , जिस कारण दुर्भावना वश कांग्रेसी इतिहासकारों ने आजादी की लड़ाई में हमारे योगदान को नकार दिया और नज़र अंदाज़ कर दिया | मान सम्मान देना तो दूर हमारे लोगों की शहादतों को भी छुपा कर रखा गया | 
जरूरत है कि हमारे युवा अपने इतिहास के प्रमाणों को जुटाएं और दुनिया के सामने रखें |

2 टिप्‍पणियां:

  1. Neta Ji, Its true but what ever leader we have in our coste they did not do anything for our society & there is no co-operation at all, Still we have time we can come togather and take further. We can collect some donation form all leader & business man from our society, support our society. And all togather we can support one party at national level. if you are agree on my point, Please comment .....Brijesh Kumar form Deoria UP

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