मंगलवार, 14 जुलाई 2015

दिल्ली घेरने की आवश्यकता, कारण और महत्व


र्वप्रथम 1931 से अछूत अस्पर्श्य और निचले पायदान पर समझे जाने वाली जातियों को अनुसूचित जाति घोषित करते हुए उनके सामाजिक आर्थिक संरक्षण के सरकारी संकल्प की घोषणा की गयी । जिसे संविधान लागू होते समय प्रेसीडेंशियल ऑर्डर 1950 में इसका प्रावधान कर सरकार ने ऐसे वंचित वर्गों के लिए विशेष सुविधा अनुमन्य की और उसे अनुसूचित जाति / जनजाति आरक्षण व्यवस्था का नाम दिया गया । संविधान अनुच्छेद  341 के तहत यह सुविधा केवल दस वर्षों के लिए ही लागू की गयी और इसके निर्धारण की समस्त शक्ति संसद में निहित की गयी थी । वर्ष 1931, तदुपरांत 1950 से ही भारत के अधिकाँश राज्यों में मछुआ समुदाय की किसी न किसी जाति को इस सूची में SC अथवा ST स्टेटस युक्त स्थान देकर इन जातियों के सामाजिक उत्थान की परिकल्पना की गयी ।

किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण विषय रहा कि अनुसूचित जाति में उल्लिखित एक दो जातियों के बहुमत के कारण सरकार का यह प्रयास वोट बैंक की तुच्छ राजनीति का शिकार होकर रह गया और जातीय भाई भतीजावाद की भेंट चढ़ गया । SC आरक्षण में जातीय ठेकेदारी सर चढ़कर बोलने लगी और जातीय वोटबैंक की राजनीति से डरीं सरकारें 10 वर्षों के लिए घोषित इस पक्षपात पूर्ण व्यवस्था को अद्यतन ढो रही है ।
जाहिर है कि भाई भतीजावाद और जातीयता की भेंट चढ़ी इस आरक्षण प्रणाली से उन जातियों को कोई लाभ नहीं पहुंचा जो या तो वोट बैंक की दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं थी अथवा अशिक्षित या अल्पशिक्षित थीं । दुर्भाग्य से देश की अनुसूचित जातियों की सूची में वर्णित मछुआ समुदाय की वे जातियाँ इसी संवैधानिक साजिश का शिकार बनायीं गयीं और नतीजतन उनके पर्यायवाची नामों को SC आरक्षण नहीं लेने दिया गया । 1961 में जहाँ चमार समूह की उपजातियों क्रमशः चमार, जाटव, धुसिया और झुसिया को उसके सम्मुख जोड़ा जा रहा था वहीँ अनुसूचित जाति /जनजाति सूची में वर्णित मछुआ समुदाय की जातियों की जेनेरिक कास्ट्स को बलपूर्वक पिछड़े वर्ग में ठूंसा जा रहा था, इतना ही नहीं भोले भाले मछुआ समुदाय के लोगों को SC / ST में आरक्षित होते हुए भी पिछड़ी जाति और विमुक्त जाति का प्रमाण पत्र लेने के लिए बाध्य किया जा रहा था । मछुआ जातियों का यह दुर्भाग्यनिर्धारण स्वयं को निचले तबके का मसीहा घोषित करने वाली कांग्रेस ने किया क्यूंकि कांग्रेस ने वंचित वर्गों के उत्थान का जिम्मा उनकी आरक्षण प्रणाली के भरोसे छोड़ अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली और जबकि असल में वहां साजिशन ठेकेदार और आरक्षण की लुटेरी प्रवृत्ति की जातियों का दबदबा हो गया
1989 में सामाजिक न्याय की अवधारणा समझते ही जब उत्तर प्रदेश के सत्ता से वंचित अतिपिछड़ों ने सत्ता परिवर्तनकर प्रदेश में सत्ता का पहली बार स्वाद चखा तो अहसास होते देर न लगी कि वास्तव में वंचित को वंचित बनाये रखने में कौन जिम्मेवार हैं ।
SC आरक्षण केंद्र सरकार की विषय वस्तु है । संविधान अनच्छेद 341 के प्रावधानों के अंतर्गत अनुसूचित जातियों की सूची सर्वप्रथम राष्ट्रपति आदेश 1950 द्वारा अधिसूचित की गयी थी जिसमे कोई भी संवर्धन, विलोपन या संशोधन संसद के अधिनियम द्वारा ही किया जा सकता है । अनुसूचित जातियों की सूची  में संशोधन के लिए भारत सरकार द्वारा कुछ प्रक्रियाएं निर्धारित की गयीं है जिसके अनुसार किसी जाति आदि को अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने के लिए सर्वप्रथम राज्य सरकार / संघ शासित क्षेत्र से आवश्यक नृजातीय सामग्री सहित प्रस्तावित होना अनिवार्य है जिसे भारत के महारजिस्ट्रार एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के परामर्श से प्रसंस्कृत किया जाता है । किन्तु उप्र की समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा संदर्भित जातियों के विषय में अनुसूचित जाति संशोधन प्रस्ताव भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुरूप होने के बावजूद भी हर बार टाल दिया जाता है। दुर्भाग्य से ऐसा लगातार 5 बार से हो रहा है जो निश्चित ही इन जातियों के साथ साजिश , धोखा और षड्यंत्र है । 
गृह मंत्रालय ने 5/10 1979 से 23 /5 1981 के बीच में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद भैयाराम मुंडा बनाम अनिरुद्ध पटार (ए०आई०आर० 1971 एससी 2533 )  के आलोक में आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक एवं ओडिशा के संबन्ध में कुछ जातियों को सूचीबद्ध जाति के नाम से निर्गत करने के कार्यकारी आदेश जारी किये थे, किन्तु इसमें भी साजिशकर्ता दबंग और ठेकेदार जातियों की दूषित मनोवृत्ति के कारण उत्तरप्रदेश की जातियों गोंड, तुरैहा, खरबार, मझवार और बेलदार के पर्यायवाची /जेनेरिक नामों को जोड़ने से छल/बलपूर्वक छोड़ दिया गया था । बाद में माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के महाराष्ट्र राज्य बनाम मिलिंद के वाद के बाद निर्णय विधि को चतुराई और भाईभतीजावाद के कारण बदल दिया गया ।
अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की आड़ में स्पष्ट कर दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 341 (1) के प्रावधानों के तहत जारी राष्ट्रपति आदेशों में संशोधन का अधिकार किसी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या राज्य सरकार को नहीं है और माननीय उच्चतम न्यायायालय ने पूर्व निर्णीत भैयाराम मुंडा बनाम अनिरुद्ध पटार (ए०आई०आर० 1971 एससी 2533 ) में दिए अपने निर्णय को उलटते हुए संशोधन का अधिकार संसद में अंतिम रूप से निहित कर दिया ।
ऐसी विषम और चातुर्यपूर्ण परिस्थितियाँ पैदा की गयीं कि
1-कोई अन्य जाति बिना केंद्र की मर्जी के अनुसूचित जाति कोटे में घुस नहीं सकती, ……इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
2-भाजपा ने अपने यूपी विधानसभा चुनाव घोषणापत्र 2012  में समाज से वायदा किया कि मछुआ समुदाय की जातियों को SC घोषित करवाया जायेगा और उस वादे की आड़ में 47 विधायक जिता लिये गए और केंद्र में बैठकर आज भाजपा इन जातियों के औचित्य पर RGI से प्रश्नचिन्ह लगवाती है.…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
3- नौ लोकसभा और दो राज्यसभा अर्थात कुल 11 भाजपा मछुआ सांसद समाज की दशकों पुरानी मांग से मुंह मोडे बैठे है …… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
4- लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने वाराणसी में गंगा और गंगापुत्रों की दुर्दशा पर लम्बे लम्बे व्याख्यान दिए थे आज उन व्याख्यानों पर समाज स्पष्टीकरण चाहता है …… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
5- पूरे भारत का मछुआ समुदाय, चाहे वह महाराष्ट्र गुजरात का कोली हो, बंगाल का केउट, झालो मालो हो, या ओडिशा का ढेबर, धीबरा, कैबर्ता हो, आंध्रप्रदेश का गंगापुत्र हो या  मप्र, छत्तीसगढ़ का मांझी, केवट, ढीमर, मुड़ियारी, तुराहा, नावड़ा, जलारी अथवा सोंधिया हो, दिल्ली राज्य का मल्लाह हो अथवा यूपी उत्तराखंड का गोंड, तुरैहा, खरबार, मझवार, बेलदार, निषाद, केवट, मल्लाह, गौड़, गोंडिया,, रैकवार, बाथम, मांझी, कश्यप, कहार, धुरिया, गुड़िया या बिंद हो, आज आरक्षण की घोर विसंगति से वर्षों से जूझ रहा है… …इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
6- केंद्र को बताना होगा कि पैसठ वर्ष के आरक्षण में हमारे हिस्से क्या आया ? ..…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
7 -सारी बंदिशे, नियम, क़ानून, अनुच्छेद और अधिनयम मछुआरों को SC आरक्षण से वंचित करने की साजिश का हिस्सा हैं .…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
8-आज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और RGI जातीय गुंडागर्दी के अड्डे बने हुए हैं और हमारे विरुद्ध वर्षों से षड्यंत्र स्थल बने हुए हैं .…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
9-मछुआ SC आरक्षण मुद्दों पर 100 से अधिक सांसद संसद भवन में बहस कर हमारे आरक्षण की मजबूत वकालत कर चुके हैं जिनपर आज तक केंद्र की किसी सरकार ने कोई कार्रवाही नहीं की …… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
10- हम केंद्र मैं बैठी सरकार को दिखा देना चाहते हैं कि हम 1950 से SC आरक्षित होते हुए भी आज तक वंचित हैं .…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
11 - हम भारत के आदिनिवासी निषाद है जो मत्स्यपालन, आखेट और शिकार में संलग्न रहे और  धन ,धरती, वन, जल सम्पदा और सत्ता से वंचित कर दिए गए ..…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
12- हम बता देना चाहते हैं कि हम किरायेदार नहीं मकानमालिक हैं .…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
13- SC आरक्षण हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हमारी नस्लों को इससे षड्यंत्र पूर्वक 65 वर्षों से वंचित किया जा रहा है .…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
14 - आजादी के पूर्व के और बाद के सभी ऐतिहासिक और शासकीय दस्तावेजों में हम अछूत, अधम, जीवहत्यारे और पापकर्मा प्रमाणित हैं फिर भी हमारे हिस्से के हक़ पर ठेकेदार जातियाँ कुंडली मारे बैठी हैं और यह सब केंद्र की वोट बैंक की राजनीति के कारण हो रहा है ..…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
15- हम चेताना चाहते है कि हमारी उपेक्षा राजनैतिक दलों को भारी पड़ेगी ....…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
16- हम दिखाना चाहते हैं कि हमारी शक्ति किसी से कम नहीं है ....…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
17 - हम शासन प्रशासन और राजनैतिक भागेदारी के असली उत्तराधिकारी हैं ....…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
18- हम साबित कर देंगे कि सरकारें हमारे वोट से बनती और बिगड़ती हैं …… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
19- हम अपनी जनशक्ति से लोकतंत्र के मंदिर में आहुति देने आएंगे …… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
20- ताकि केंद्र की गूंगी,बहरी और निषादविरोधी सरकार को राम का वायदा और उतराई वसूली याद रहे ....…… इसलिए हम दिल्ली घेरना चाहते हैं।
दिल्ली चलो का नारा देकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के पैर उखाड़कर भारतीय स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त किया था, आज निषादों ने दिल्ली चलो का नारा देकर अपने आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने का मार्ग प्रशस्त किया है । विजय निश्चित हमारी ही होगी ।
दिल्ली चलो!  संसद घेरो !

2 टिप्‍पणियां:

  1. Sab se pahle aap ke naam ka aarkshan dusri jati kha rhi hai uske khilaf bhi case kro ji han mp me Ujjain Ratlam mandsor aagar jile me niwasarat thakur paise de kar obc ke jati praman patra bna rhe he jo ki sondhiya ke naam se ban rhe hai to unke prati bhi karwahi kro

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