गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

अब याद आये बंचित दलित


              चमार जाति को छोड़ कर यूपी की 65  SC  जातियां विकास के लिए मायावती और इसके निष्ठुर जंगली हाथी का मुंह ताकती रहीं | यूपी में दलितों के  प्रमोशन में आरक्षण को खुद सतीश मिश्र के लोगों ने रुकवा दिया | कोर्ट में भी बहन जी के वकील सोते रहे .उनसे कुछ बोलते नहीं बना | घटिया निर्माण का एशियाई रिकार्ड यानि कांसीराम आवास इसके कार्यकर्ताओं ने जबरन कब्ज़ा लिए | दलितों के घर आज भी कच्चे हैं | खटिक, कोरी , बाल्मीकि, पासी, कंजड़, धानुक, हेला, धोबी, गोंड, तुरैहा, खरबार ,मंझवार, बेलदार, बावरिया, ग्वाल, नट, मजहबी आदि गैर चमार वर्ग को आरक्षण के बावजूद माया सरकार में कुछ भी नहीं मिला |
             अपनी जाति को मलाई चटवाने के चक्कर में मायावती ने कोरी जाति के लोगों का SC आरक्षण रुकवा दिया कि ये लोग जुलाहे होते हैं , कोरी नहीं इत्यादि | ये षडयंत्र नहीं तो और क्या है ? यूपी का कोरी समाज आज खून का घूँट पिए बैठा है |
             SC में आरक्षित होते हुए धनगर, खटिक, चिक- चिकवा , पासी , गौड़ ,तुराहा, मंझवार ,बेलदार खरोंट आदि जातियों को कतिपय जनपदों में प्रमाणपत्र तक निर्गत नहीं किये गए |
समता मूलक समाज का ढोंग रचने वाली मायावती ब्राहमणों के लिए तो बेशर्म होकर केंद्र सरकार से आरक्षण मांगती है लेकिन जब 17 पिछड़े वर्गों को SC का लाभ देने की बात आती है तो आंबेडकर महासभा के लोगों को कोर्ट में खड़ा करके स्टे आर्डर ले आती है | ये मायावती का दोगला, दगाबाज़, और राजनैतिक चरित्र हीनता से परिपूर्ण चेहरा है |
             शर्म की बात है कि निजी फायदे में माया की चरण वंदना में लीन सुखदेव राजभर और राम अचल राजभर जैसे स्वार्थी लोग तमाशा देखते रहे और भर - राजभर जातियों की SC आरक्षण सुविधा छीन ली गयी |
              मायावती ने सत्ता की हनक में सत्ता खोर दलित नेताओं की और  प्रमोशन व रूतबा पाने को कुछ भी कर गुजरने वाले अफसरों की ऐसी जमात तैयार की है जो सिर्फ मायावती की जाति के ही हैं और जो येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने की फ़िराक में सम्पूर्ण दलित समाज के विभाजन की ज़मीन पर माया की सत्ता का काला ताज महल बनाने का ख्वाब देख रहे हैं | बाबा साहब के मिशन में तो अब सवर्ण और आरक्षण विरोधी प्राण प्रतिष्ठित हो रहे हैं | मनुवाद के खाद पानी से बाबा साहब आंबेडकर के मिशन को पुष्पित पल्लवित करने का षड्यंत्र और दुस्वप्न देख कर मायावती ने बाबा साहब के उस वक्तव्य पर मुहर लगाने का कार्य किया है जिसमे उन्होंने कहा था कि हमारे मिशन को तोड़ने वाला बाहरी नहीं , हमारे बीच का होगा |
            आज कांसी राम जी यदि जीवित होते निसंदेह आत्महत्या कर लेते और बाबा साहब डा अम्बेडकर तो मायावती को दलितों के फूट डालने का दोषी मानकर मिशन से ही चलता कर देते |

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