मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

निष्पक्षता दांव पर : चुनाव आयोग अपनी साख बचाये !!

              चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है । लोकतंत्र में स्वस्थ एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का जिम्मा चुनाव आयोग का ही है । लेकिन चुनाव आयोग की निष्पक्षता उस समय दांव पर लग गयी जब अल्पसंख्यक आरक्षण मामले में देश का सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के खिलाफ कार्रवाही करने की हिम्मत आयोग नहीं जुटा पाया। ताज्जुब है ये वही आयोग है जिसने देश विरोधी बयान देने के कारण बाल ठाकरे जैसे स्वच्छंद मानसिकता के व्यक्ति की नाक में डालते हुए उन्हें  मतदाता सूची से लम्बे समय तक बाहर रखा। क्या कानून मंत्री मंत्री देश और चुनाव आयोग से भी ऊपर है ? आयोग की कार्यशैली सवालिया निशान लगा रही है क्योकि अपनी आसन्न हार से बौखलाई कांग्रेस चुनाव बाद राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कर रही है और आयोग सिब्बल , दिग्विजय और सलमान खुर्शीद में ही उलझा है।
             मुस्लिम आरक्षण पर आयोग के ऐतराज के बावजूद मुंहफट सलमान खुर्शीद मुसलिम आरक्षण के लिए आयोग से फांसी चढाने जैसे उत्तेजक बयान देकर आयोग की सत्ता को चुनौती दे रहे है और आयोग बजाय कार्रवाही करने के राष्ट्रपति से गुहार लगा रहा है कमजोरी साबित कर रहा है कि सलमान के खिलाफ वे कार्रवाही करें। जबकि राष्ट्रपति के बारे में सब जानते हैं कि बिना प्रधान मंत्री की सिफारिश के कुछ नहीं होने वाला। अब आयोग की जिम्मेदारी है कि वह अपनी साख बचाये
             सोनिया जी के राष्ट्रीय दामाद की मोटर साइकिल रोकने का साहस करने वाले चुनाव प्रेक्षक को पहले तो अमेठी से हटा कर फिर प्रतीक्षा में तत्पश्चात पुनः तैनात करके आयोग ने अपने ऊपर पद रहे दवाब को झुठलाने की बहुतेरी कोशिश की लेकिन चुनाव आयोग का आचरण अब संदेह के घेरे में है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे चुनाव आयुक्त को जब इतना ही नहीं पता की 5 फरवरी को ईद ए मिलाद है, चुनाव की तिथि निश्चित कर दी ! तिथि तय करने से पहले कलेंडर तो कम से कम देख लेना चाहिये था !जब की वो खुद मुस्लिम है----------सोचिए जरा

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