रविवार, 22 जनवरी 2012

फर्जी युवराज़ की कुंठा


                  राहुल गाँधी अपनी सभाओं में बढ़ते विरोध से कुंठित हो चला है | मैंने इसके बारे में पहले से जानता हूँ कि ये बेहद शांत और शालीनता का लबादा केवल दिखाने के लिए ओढ़ता है और वास्तव में निहायत बदतमीज़ किस्म का आदमी है | पहले यूपी की जनता को भिखारी जैसे शब्दों से नवाजने वाला फर्जी युवराज़ अब प्रदेश की जनता को गुंडा कह रहा है | भाषण का अंदाज़ ऐसा जैसे झगडे पर आमादा हो | महासचिव जैसे पद को धारण करने वाले और सांसद से ये अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उसकी जुबान पर चालू शब्दाबली भी आएगी वो भी सार्वजनिक मंचों पर | गुंडा कह कर आखिर गरीब गाँव वालों और छात्रों को क्या समझाना चाहता है | रटा रटाया जोर- जोर से बोलने से या धमकी भरे अलफ़ाज़ बोल देने से तालियाँ तो मिल जाएँगी लेकिन वोट हाथ नहीं आएगा | महंगाई से जूझते लोग डायलाग सुनने थोड़े आयेंगे | 
                बेहतर होगा फर्जी युवराज़ अपनी चढ़ी हुयी आस्तीने नीचे कर लें क्योंकि मौसम ठण्ड का है | जबकि हमारे यहाँ गर्मी के मौसम में कुर्ते की आस्तीने मोड़ी जाती हैं | वो भी बुजुर्गों के सामने चढ़ी हुयी आस्तीने नीचे कर ली जाती हैं | इसके अलावा आस्तीने चढाने का एक ही मतलब होता है........ भिड़ना | जो कम से कम कांग्रेस के लोगों की बस की बात नहीं है |
                सो राहुल प्रदेश की जनता से गुंडा कहने पर तत्काल माफ़ी मांगे और शालीनता बरतते हुए भाषा को नियंत्रित व जुबान को नरम रखे , वर्ना समाजवादियों को दौड़ाना भी आता है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें