मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

ये अन्ना का नहीं मीडिया का आन्दोलन था |

                                          ये अन्ना का नहीं मीडिया का आन्दोलन था |
प्रिय मित्रों,
पिछले दिनों समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा छेड़ी गयी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का पूरे भारत ने पंजों के बल खड़े होकर स्वागत किया और एक बारगी ऐसा लगा भी कि शायद भ्रष्टाचार के राक्षस से मुक्ति मिल भी जायेगी लेकिन पूरे आन्दोलन का श्रेय अन्ना हजारे को नहीं, मीडिया को जाता है |
अन्ना हजारे भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी आन्दोलन कर चुके हैं तब उनके साथ बमुश्किल 100 लोग भी नहीं जुड़ पाते थे लेकिन इस दफा ३ महीने की मीडियाई कसरत और कुशल कैमराई प्रबंधन ने पासा ही पलट दिया | मोबाइल, sms, फेसबुक, ट्वीटर, ब्लोग्स, प्रेस और लाइव मीडिया कवरेज़ से आच्छादित आन्दोलन घर घर तो फ़ैलना ही था  |
वस्तुतः मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार एक सामाजिक समस्या है और समाजशास्त्री ही इसका बेहतर हल सुझा सकते हैं या फिर इस मुद्दे को समाज पर ही छोड़ देना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार समाज में है | नेता, अधिकारी, जज ,वकील , कर्मचारी, पुलिस, साधू सन्यासी , व्यापारी, NGOs आदि सब समाज से ही तो आते हैं | समाज में घटने वाली घटनाओं , परिवर्तनों , अनाचार और व्यभिचारों का इन पर सीधा असर होता है |
ऐसे में सरकार को कोसने या नए कानून बनाने की मांग करने से कुछ हासिल नहीं होगा| देश में एक से बढ़ कर एक कानून है, पर उसे लागू करने की दृढ इच्छा शक्ति का सबमे अभाव है | जनांदोलन से नहीं जनजागरण से बात बनेगी| मुद्दा सरकारी भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक भ्रष्टाचार होना चाहिए | सरकार तो खुद बा खुद सीधी हो जाएगी |
मीडिया ही देश को चला रहा है, ये बात प्रमाणित हो गयी है | अब बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया कि मीडिया कौन चलाये क्योंकि राडिया - टाटा  टेप से भ्रष्ट बरखा दत्त जैसी हाई प्रोफाइल पत्रकार , वो भी महिला, बेनकाब हो चुकी हैं |
और फिर बिकाऊ मीडिया के भरोसे लड़ी गयी इस लड़ाई को लेकर अन्ना की कामयाबी ज्यादा दिनों चलने वाली नहीं हैं | खुश फहमी जल्द ही दूर होने वाली है  |

2 टिप्‍पणियां:

  1. मीडिया शव्द mediator से बना है, जिसका तात्पर्य मध्यस्थ अथवा दलाल से है | और दलाल के बारे में कहा जाता है कि दलाल अपनी बेशर्मी और दलाली नहीं छोड़ता | इसलिए दलालों के सहयोग से किये गए इस आन्दोलन से प्रचार तो मिल जायेगा लेकिन सतत जनसमर्थन नहीं | अन्ना की टीम में दलालों की भरमार है |

    अन्ना अगर ईमानदार हैं तो उ० प्र० में आकर अनशन करें, जहाँ मायावती ने हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला रखा है |

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