गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

झूठे आश्वासनों में विकास की बाट जोहता बुंदेलखंड : त्रासदी और कब तक ?

                     झूठे आश्वासनों में विकास की बाट जोहता बुंदेलखंड : त्रासदी और कब तक ?
प्रिय मित्रों,
इसे बुंदेलखंड के आम जनमानस की त्रासदी ही कहा जायेगा कि आज तक विकास के  कोरे ,थोथे और झूठे आश्वासनों के अलावा यहाँ के निवासियों के कुछ हाथ नहीं आया है | कभी बेहद संपन्न और आत्मनिर्भर रहने वाला बुंदेलखंड आज सरकारी तंत्र की उपेक्षा और जनविरोधी नीतियों के चलते बदहाल , कंगाल और उपेक्षित जीवन जी रहा है | 1.5  करोड़ की आबादी का बुंदेलखंड आज बुनियादी सुविधाओं जैसे पेय जल, शिक्षा, कृषि, उद्योग ,बिजली, सड़क, सिंचाई के संसाधन के घोर अभाव के चलते अपनी ही आबादी का बोझ उठाने में लाचार हुआ जाता है | बदहाल और कर्जमंद किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं | परेशान मजदूर पलायन कर रहे हैं | बेरोजगार नव युवकों को पुलिस चोर बनाये डाल रही है | घोषणाएं तो सरकार किये जाती है किन्तु हो कुछ नहीं रहा है | 
ऐसे में प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह और राहुल गाँधी के ३० अप्रैल के बुन्देल खंड दौरे को लेकर लोगों की आशाओं और उम्मीदों के बुझते चिराग फिर जल उठे हैं |
केंद्र की UPA सरकार और उसकी मुखिया श्रीमती सोनिया गाँधी ने 2004 में सरकार बनाने के पश्चात् अपने एजेंडे में बुंदेलखंड के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी किन्तु 7 वर्षों में बुंदेलखंड के हाथ छलावे के अतिरिक्त कुछ लगा नहीं है |  उद्योगों के प्रति सरकारी उदासीनता एवं लापरवाही का आलम ये है कि बंद पड़े कारखाने चोरों की आरामगाह बने हुए हैं , जो मशीनरी व सामान बचा खुचा है , उसकी रखवाली भी टेडी खीर साबित हो रही है |
आज स्थिति ये है कि,
1 बुन्देल खंड की प्रमुख कताई मिलें बंद |
2 बरगढ़ (चित्रकूट) का कांच कारखाना जो कि एशिया में सबसे बड़ा है , बंद | बिक्री के कगार पर |
3 झाँसी ,बबीना, भरुआ सुमेरपुर , बांदा, चित्रकूट और महोबा की अधिकाँश औद्योगिक इकाइयां बंद , शेष बंदी के कगार पर |
4 बुंदेलखंड के उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए गुडगाँव और नॉएडा की तर्ज़ पर दी जा रही विद्युत् सब्सिडी बंद|
5  औद्योगिक इकाइयों और उससे जुड़े प्रबंध तंत्र की सुरक्षा बंद |
6 उदासीनता एवं लापरवाह औद्योगिक नीति के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार और करोड़ों रुपयों की औद्योगिक संपत्ति कबाड़ में तब्दील |
7 बुन्देलखण्ड में औद्योगिक इकाइयों के पुनर्जीवन एवं पुनरोद्धार के लिए विशेष पॅकेज की व्यवस्था बंद  | 

आशा है दम तोड़ते उद्योगों पर प्रधान मंत्री व राहुल गांधी इस दफा कुछ विचार अवश्य करेंगे |

कृषि एवं सिंचाई  दोनों के मामले में बुंदेलखंड का सबसे अधिक शोषण हुआ है | सूखा ग्रस्त किसान आज भी घोषणाओं  के पूरा होने की हसरत दिल में लिए बैठे है | क़र्ज़ माफ़ी की फाइलें आज भी मंज़ूरी की मोहरों की मुन्तजिर हैं | लगातार कई वर्षों से पड़ रहे सूखे से निपटने के लिए सरकार ने कोई कारगर योजना नहीं बनाई है नतीजतन आज भी किसान आत्महत्या और पलायन जैसे कठोर कदम उठाने को विवश हो रहे हैं |  आज ही  बांदा के नरैनी थाना क्षेत्र के पड़मई ग्राम निवासी श्री जग प्रसाद तिवारी ने क़र्ज़ का बोझ न संभाल पाने और सरकारी आरसी से परेशान होकर जान दे दी | अभी विगत दिनों क़र्ज़ में दबे महोबा के झिर सहेबा गाँव के श्री राम विशाल उर्फ़ बब्बू  कुशवाहा ने भी अपनी ज़मीन अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने की वज़ह से आत्महत्या कर ली | दोनों सरकारों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी |
मेरी मांग है कि
1 -सूखा - पाला प्रभावित किसानों के कृषि ऋण तत्काल माफ़ किये जाएँ
2 -बिजली के  दो - दो लाख रुपयों के भेजे गए फर्जी बिल औए उससे जुडी आरसी रद्द की जाये |
3 -सरकार गंग नहर की तर्ज़ पर बुन्देल खंड में भी यमुना नहर बना कर नहर प्रणाली से सिंचाई व्यवस्था को मज़बूत करे | इसके लिए औगासी में यमुना घाट पर डाम बना कर और वहां से नहरें निकाल कर समस्त बुन्देलखण्ड को सिंचाई के बेहतर अवसर प्रदान किये जा सकते हैं | जब रेगिस्तान में नहरों का जाल बिछाया जा सकता है तो बुन्देलखण्ड में क्यों नहीं ?
4 -अर्जुन सहायक बाँध परियोजना का विस्तारीकरण करते हुए इसका दायरा केवल बुन्देलखण्ड की सूखी धरती तक पानी पहुचाने हेतु सीमित किया जाये |
5 -उ० प्र० सरकार के सहयोग से म० प्र० में बने रनगवां बाँध ,गगऊ बांध एवं बरियारपुर बांध से बुंदेलखंड को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराया जाये | जल बंटवारे में उ० प्र० को 85 % तथा म० प्र० को 15 % जल आपूर्ति निर्धारित थी | इन बांधों की मरम्मत का जिम्मा उ० प्र० सरकार का है |

मनरेगा योजना का दुरूपयोग बुन्देल खंड में आम है | मेरा मानना है कि राजनैतिक फायदे के उद्देश्य से चलाई जा रही इस योजना को तत्काल बंद कर जनोपयोगी योजना सरकार चलाये या फिर इसमें बढ़ रहे  भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए | साधनों को तरसते बुन्देलखण्ड में यदि सरकारी धन की लूट बंद हो जाये तो विकास के रास्ते तो स्वयं ही खुलते चले जायेंगे |
30 अप्रैल को मनमोहनी आश्वासनों और राहुली दौरों से बुन्देलखंडी मानुष फिर दो चार होंगे , समय फैसला करेगा कि ये कार्यक्रम हवाई / राजनैतिक साबित होगा या दर्द से कराहते बुन्देलखण्ड के ज़ख्मों पर किसी राहतबर मरहम का काम करेगा | 
                                              
                                         रात तो वक़्त की पाबंद है, ढल जाएगी |
                                                          देखना ये है, चिरागों का सफ़र कितना है || 

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