शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

बंद करे सरकार द्रोणाचार्य सम्मान

वीर एकलव्य का छल से अंगूठा ठगने वाले पक्षपाती गुरु द्रोणाचार्य के नाम से खेल प्रशिक्षकों को दिया जाने वाला द्रोणाचार्य सम्मान केद्र सरकार तत्काल बंद करे | निषाद जातियों को मुंह चिढाने वाला ये सम्मान जब तक जारी रहेगा तब न स्वस्थ गुरु - शिष्य परंपरा रहेगी न गुरुओं के लिए मान सम्मान का भाव | द्रोणाचार्य ने सत्ता के नजदीक रहने की लालसा में एकलव्य को सिर्फ इसलिए विकलांग बना डाला था क्योकि वह शूद्र वर्ण में जन्मा व्यक्ति था और उसे शस्त्र कला में प्रवीणता तो दूर शस्त्र छूने तक की मनाही थी | अपने सीमित साधन और त्याग के बदौलत एकलव्य ने खुद को स्थापित तो किया लेकिन गुरु के मायाजाल में फंस कर रह गया | कहना न होगा कि विश्व के इतिहास में ऐसा कलंकित गुरु शायद ही पैदा हो | वास्तव में ऐसे नामों पर दिए जाने वाले सम्मान से हम अपने इतिहास को झुठला रहे हैं | आगे आने वाली पीढ़ी खुद हमसे सवाल करेगी कि निषाद वंशियों को अपमानित और बहिष्कृत करने वाले ऐसे घोर दुष्ट गुरु के नाम पर पुरूस्कार क्यों ?
खेल मंत्रालय को चाहिए कि वह कपटी द्रोणाचार्य के स्थान पर किसी अन्य महापुरुष के नाम पर खेल प्रशिक्षकों को यह सम्मान दे | इतिहास में तमाम निष्ठावान, कर्मठ और समदर्शी गुरुओं का उल्लेख है |

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