शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

आये कुत्ते खा गए, तू बैठी ढोल बजा

खीर पकाई जतन से, चरखा दिया चलाय,|
आये कुत्ते खा गए, तू बैठी ढोल बजाय || 
संभवतः 800 वर्ष पूर्व अमीर खुसरो द्वारा कहे गए इस दोहे में आज की उत्तर प्रदेश की राजनीति स्पष्तः द्रष्टिगोचर हो रही है |  मायावती जी सर्वजन राग गा रही हैं और दलित विरोधी नाच रहे हैं | अब मस्ती में डूब कर गाने वाले की आँखें बंद हो जाना स्वाभाविक ही है | इसलिए प्रदेश में बदती दलित उत्पीडन की घटनाओं से सरकार का कोई लेना देना नहीं रह गया है | 
जैसे ग़ज़ल गायकी खुले मंचों की शोभा से फिसल कर ऑडिटोरियम से होती हुयी पञ्च सितारा होटलों के रास्ते से गुज़र कर अब भव्य ड्राइंग रूमों की दासी बन बैठी है , वैसे ही दलित शोषित समाज की राजनीति DS4 ,बामसेफ और बहुजन के रास्ते होती हुई अब सर्वजन पर आकर अटक गयी है | जैसे भव्य ड्राइंग रूमों में अधलेटे , मसनदों पर औंधे पड़े  एवं शेष शैय्या धारी विष्णु की विश्राम मुद्रा में ग़ज़ल सुनने वालों को ग़ज़ल की A B C D भी पता नहीं होती, उनकी नज़र गाने वाले / वाली के लिवास व मेक अप पर ही रहती है और वे सिर्फ ताल का आनंद लेने आये होते हैं , उसी प्रकार सर्वजन की राज नीति करने वालों को दलितों की समस्याओं और उनके सामाजिक सरोकारों,  शिक्षा , विकास  ,उनके बढते उत्पीडन से कोई मतलब नहीं रह गया है  , ये तो केवल येन केन प्रकारेण सत्ता पाने के लिए लालायित हैं | 
बाबा साहेब ने जीवन भर जिस व्यवस्था से संघर्ष किया आज मायावती जी उन्ही से समझौता करके निसंदेह अम्बेडकर वादियों  का अपमान ही कर रहीं हैं | जिसके साथ संघर्ष ठहरा , उससे समझौता कैसा ?
दलित उत्पीडन के सारे रिकार्ड, दलित हितों का दिखावा करने वाली बसपा सरकार में टूट गए हैं | दलित अधिकारी कर्मचारी जितना बसपा सरकार में परेशान हुए हैं, उतना कभी नहीं रहे | शर्म आती है कहने में ,लेकिन कड़वा सच है कि दलित महिलाओं के सर्वाधिक शील भंग इसी सरकार में हुए , कई में तो बसपा विधायक नामज़द हैं | ये अनु०जाति / जनजाति आयोग की रिपोर्ट बताती है | एक जातिवादी मानसिकता रखकर बसपा सरकार दलितों में ही विभाजन की प्रष्ठ भूमि तैयार किये जा रही हैं | दलितों में ही एक तबका बना जा रहा है जो सत्ता के बावजूद कमज़ोर है, योजनाओं के बावजूद पीड़ित है, आरक्षण के बावजूद वंचित है, सामाजिक न्याय के बावजूद शोषित है और दलितों की ही सरकार में बहिष्कृत है |  एक न एक दिन ये सर्वहारा और वंचित वर्ग अपने अधिकारों के लिए दलितों के ही मुकाबले आ जायेगा |
ऐसा नहीं कि मुख्य मंत्री को बढते दलित उत्पीडन की जानकारी नहीं होगी , मगर जो लोग जन्मदिन का मोटा चंदा दिए बैठे हैं, उन्हें कहीं तो सहूलियत दी जाएगी ..........

1 टिप्पणी:

  1. चिट्ठी...-हिंदी ब्लॉगउत्पीडन शब्द ही निंदनीय है...वह चाहे किसी जाति,धर्म,समुदाय,का हो हर ब्यक्ति ने अपराध की द्रष्टि से देखा है,जिसकी सजा जनता की अदालत में विचाराधीन है !

    जवाब देंहटाएं