रविवार, 22 सितंबर 2013

मोहन बाबू नहीं रहे !

मोहन बाबू नहीं रहे !

हम सबके प्रिय और समाजवादी पार्टी के आधार स्तम्भ मोहन बाबू का 2014 के निर्णायक मोड़ पर चले जाना विचलित करने वाला है । समाजवादी पार्टी में मोहन बाबू की हैसियत किसी से छिपी नहीं रही । नेता जी के सर्वाधिक प्रिय और विश्वस्त मोहन सिंह जी समाजवाद के अग्रणी अलमबरदार तो थे ही , गैर बराबरी से सतत लड़ने का जो माद्दा आप में था ,वो निसंदेह प्रेरणा दायी है । पिछली कई बैठकों और अधिवेशनों की तरह इस दफा आगरा में मुझे उम्मीद थी कि आपके सानिध्य में कुछ क्षण सौभाग्यस्वरूप मिलते , लेकिन आपका गंभीर स्वास्थ्य अनहोनी जता गया । आप गिरते स्वास्थ्य कारणों से आगरा न आ सके ।

समाजवाद के सिपाही कदम दर कदम अपने पदचिन्ह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा संकेत बन छोड़ जाते हैं । डॉ लोहिया की श्रंखला में श्रद्धेय मधु लिमये, जनेश्वर मिश्र , ब्रजभूषण तिवारी के बाद मोहन बाबू समाजवाद के नए प्रवक्ता बन उभरे और अपना दर्शन समाजवाद के अनुयायियों के लिए संघर्ष करने के लिए छोड़ गए । आपका जीवन हमारे लिए प्रेरणा दायक है । आपका चरित्र और चिंतन समाजवादियों का हौसला है ।

शत शत नमन ।

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