कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी श्रीमती डिम्पल यादव के निर्विरोध निर्वाचन ने समाजवादियों को जश्न मनाने का जल्द ही दूसरा अवसर प्रदान किया है । कार्यकर्त्ता खुश भी हैं और हतप्रभ भी, कि उन्हें प्रचार और अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का भरपूर मौका हाथ से जाते दिखा | वहीँ जनता में संतोष की लहर है कि कन्नौज का सीधा दोहरा सम्बन्ध विकास से जुड़ गया है । इस सब के बीच फिरोजाबाद कहीं पीछे छूटता नज़र आया ।
यकीनन अगर फिरोजाबाद सामने नहीं आता तो कन्नौज भी नहीं हुआ होता । फिरोजाबाद ने समाजवादियों को संभलने और अपने संघर्ष को पुनर्परिभाषित करने पर मजबूर तो किया ही, साथ ही मुखरता के साथ जनसमस्याओं से भिड़ने का माद्दा भी पैदा किया । आताताई मायाराज से समाजवादियों का संघर्ष मुखरित हुआ तो लखनऊ को भी लाल रंग में रंगते देर न लगी । लूट तंत्र से आजिज़ जनता ने भी अपने सही पैरोकारों को पहचानने में भूल नहीं की और समाजवादियों को नेताजी के बेमिसाल संघर्षों और अनुभवों में पिरोया एक नया सशक्त ,युवा ,विकसित और जमीनी हस्ताक्षर युक्त नेतृत्व मिला ।
कन्नौज विजय वास्तव में अनूठी तो है ही ,स्पष्ट कर रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रायः हर सीट पर यही स्थिति होने वाली है । विधान सभा चुनाव में पड़ी जबरदस्त मार से विपक्ष अभी तक सीधा भी नहीं हो पाया है । समाजवादी पार्टी के विरुद्ध प्रत्याशी चुनने में विपक्षियों को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं । ये हाल तब है जब कि दूसरे दलों के नेताओं का सपा में प्रवेश फिलहाल बंद है और शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर ही चंद लोगों की इंट्री हुयी है । प्रतिबन्ध हटते ही जो भगदड़ विपक्षी दलों में मचने वाली है ,उसका अंदाजा भर कन्नौज से लगाया जा सकता है । वास्तव में कन्नौज समाजवादियों का मक्का है । डॉ लोहिया की कर्मस्थली कन्नौज में पुष्पित पल्लवित समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ते देखना निसंदेह देश वासियों के लिए एक सुखद अनुभव तो है ही भारतीय राजनीति में समाजवाद की आवश्यकता और प्रासंगिकता को भी घोषित करता है ।
2014 समाजवादियों के असल दमखम की परीक्षा लेने वाला है जिसकी पटकथा कन्नौज लिख चुका है ।
यकीनन अगर फिरोजाबाद सामने नहीं आता तो कन्नौज भी नहीं हुआ होता । फिरोजाबाद ने समाजवादियों को संभलने और अपने संघर्ष को पुनर्परिभाषित करने पर मजबूर तो किया ही, साथ ही मुखरता के साथ जनसमस्याओं से भिड़ने का माद्दा भी पैदा किया । आताताई मायाराज से समाजवादियों का संघर्ष मुखरित हुआ तो लखनऊ को भी लाल रंग में रंगते देर न लगी । लूट तंत्र से आजिज़ जनता ने भी अपने सही पैरोकारों को पहचानने में भूल नहीं की और समाजवादियों को नेताजी के बेमिसाल संघर्षों और अनुभवों में पिरोया एक नया सशक्त ,युवा ,विकसित और जमीनी हस्ताक्षर युक्त नेतृत्व मिला ।
कन्नौज विजय वास्तव में अनूठी तो है ही ,स्पष्ट कर रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रायः हर सीट पर यही स्थिति होने वाली है । विधान सभा चुनाव में पड़ी जबरदस्त मार से विपक्ष अभी तक सीधा भी नहीं हो पाया है । समाजवादी पार्टी के विरुद्ध प्रत्याशी चुनने में विपक्षियों को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं । ये हाल तब है जब कि दूसरे दलों के नेताओं का सपा में प्रवेश फिलहाल बंद है और शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर ही चंद लोगों की इंट्री हुयी है । प्रतिबन्ध हटते ही जो भगदड़ विपक्षी दलों में मचने वाली है ,उसका अंदाजा भर कन्नौज से लगाया जा सकता है । वास्तव में कन्नौज समाजवादियों का मक्का है । डॉ लोहिया की कर्मस्थली कन्नौज में पुष्पित पल्लवित समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ते देखना निसंदेह देश वासियों के लिए एक सुखद अनुभव तो है ही भारतीय राजनीति में समाजवाद की आवश्यकता और प्रासंगिकता को भी घोषित करता है ।
2014 समाजवादियों के असल दमखम की परीक्षा लेने वाला है जिसकी पटकथा कन्नौज लिख चुका है ।
Kannauj ke liye 2014 ka chunav aupcharik hoga kyon ki pratyasi utarna vipaksh ki majboori hai.
जवाब देंहटाएंजी सविता साहब ,आपने बिल्कुल सही फ़रमाया
जवाब देंहटाएंAdarniya Nishad ji, Pranam
जवाब देंहटाएंKannauj, Mahan samajvadi chintak Lohia ji ki karm bhumi rahi hai, Neta ji ki bhi vishesh krapa drashti Kannauj par hai, Mukhya Mantri ji ne Kannauj se apne rajnaitik jivan ko virat aakar diya, aur ab Dimple ji apni rajnitik pari Kannauj se shuru ki hai. Kannauj Samajvad ke liye bahut mahatva purn hai. Fir bhi kabhi Samajvadi Party ka Rastriya Ya Prantiya Adhveshan/Sammelan Kannauj mein nahi hua. Katu satya hai ki Janpad ke anek neta/ karyakarta Samajvad ka sahi arth bhi nahi samajhte hain.
Kyon nahi Kannauj ko Samajvadi shikshan/prashikshan ka kendra bana diya jaye. Chunav aur rajneeti to nirantar prakriya hai jo upar niche chalti hi rahegi, kinti Samajvad Vichadhara dhire-dhire mar rahi hai. Is disha mein vichar karna hoga.
Bahut bada kam nahi hai sirf ek Pustkalaya- Vachnalaya ke sath Lohiya ji ke nam par Adhyan kendra ban jaye. Yahan Samay-Samay par prashikshan shivir, goshthiya, sammelan etyadi hote rahen. Dalit-Pichhade varg ke uttan ki disha mein yeh bahut kargar kadam hoga.
Aap Party ke bade neta hain, aap ke prayas se yeh sambhav ho sakega yesa mujhe vishvas hai. Face Book par bhi maine yeh nivedan aapse kiya tha.
Dhanyavad.
Ram Kumar Savita
Asalat Nagar, Chhibramau,Kannauj
M.No.- 9335526502
rkumarsavita@gmail.com
Nice thoughts with excellent proposal. I will personally look into the matter. Thanks
जवाब देंहटाएंRespected Sir,
जवाब देंहटाएंThank you.