शुक्रवार, 7 जून 2013

निषाद .....केवल निषाद से हारा है |


मारे लोग अधिकारों का रोना घर बैठकर रोते हैं । हमारे युवा फोन पर पूछते हैं कि SC वाले प्रमाण पत्र कब जारी होंगे ...हम होम डिलीवर्ड आरक्षण चाहते हैं । ये समाज रेल रोकने ,जाम लगाने , जेल जाने ,हड़ताल करने अधिकारों की लड़ाई को सड़कों पर लड़ने में हिचकता है और चुपके से आरक्षण चाहता है । कहीं भी किसी ने डी एम को ज्ञापन तक नहीं दिया आरक्षण के लिए । किसी अखबार में आरक्षण के लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं होती ...कोई रणनीति नहीं बनती ..जबकि इतिहास गवाह है कि बिना लडे किसी को कौम को आज तक कुछ नहीं मिला ।
हमारे लोगों में एक जुटता का घोर अभाव है .. जबकि अपने ही आदमी की टांग खींचने में हम सबसे आगे रहते हैं । हम अपने ही आदमी का विरोध करने में अपनी शान समझते हैं । मेरा मानना है विरोध के लिए विरोध जायज नहीं ,विरोध सार्थक होना चाहिए , सकारात्मक ,मर्यादित होना चाहिए और ज्यादा महत्वपूर्ण रचनात्मक होना चाहिए । जबकि हमारे लोग पैसा लेकर लेकर अपने ही आदमी का विरोध करते हुए समाज की आवाज को कमजोर करने पर उतारू हैं । मजेदार बात ये है कि इन विरोध करने वाले लोगों की समाज में कोई हैसियत नहीं, कोई पहचान नहीं ,कोई नीति नहीं ,कोई एजेंडा नहीं , कोई विचार नहीं ,कोई कार्यक्रम नहीं ,कोई उद्देश्य नहीं ।
2012 का विधान सभा चुनाव मैं सिर्फ इसलिए हार गया क्योकि मायावती ने मेरे विरुद्ध ऐन मौके पर निषाद प्रत्याशी उतार दिया ..वो जानती थी कि निषाद SC आरक्षण मुद्दे पर सबसे ज्यादा मैं ही मुखरित था और पिछले मंत्रित्वकाल में मैंने सबसे ज्यादा इसकी वकालत सरकार में रहकर की थी । मेरे विरुद्ध एक साल से घोषित प्रजापति प्रत्याशी को चुनाव से चंद दिन पहले हटाकर मायावती ने निषाद प्रत्याशी बसपा से उतार कर निषाद वोटों का बँटवारा कर निषाद नेत्रत्व को मूक कर दिया ,शक्तिहीन कर दिया । बसपा का निषाद प्रत्याशी चुनाव हारने के बाद भाग गया ...क्योंकि वो तो चुनाव जीतने नहीं मुझे मात्र हराने आया था ..इस प्रकार समाज के अन्तर्विरोध से मैं अपनी ही सरकार में कैबिनेट मंत्री बनते बनते रह गया ।
आज पुनः 2014 लोकसभा चुनाव हेतु मैं हमीरपुर लोकसभा से प्रत्याशी हूँ । दो लाख मुसलमान , डेढ़ लाख निषाद,डेढ़ लाख यादव और एक लाख प्रजापति वोटों के आशीर्वाद के सहारे आज निषाद समाज अपना प्रत्याशी जिताने की हैसियत में सबसे आगे हैं। सारे सर्वे कहते है आप जीत रहे हो , सारे आंकड़े कहते हैं आप जीत रहे हो .....लेकिन इतने पर भी हमारे ही लोगों का पेट नहीं भरा और मुझे चुनाव से पहले झूठे और फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेल भेजना चाहते हैं । हमारे निषाद कार्यकर्त्ता की बेटी का बलात्कार हुआ । बलात्कारी कांग्रेस विधायक की गाडी में घूमता पूरे समाज ने देखा है , आज वो फरार है तो उसके घर वाले उसके अपहरण में हमें ही फाँसे डाल रहे हैं ..ये घिनौनी साजिश है जिसमे दुसरे के हाथों में खिलौना बनकर खेल रहे हमारे सजातीय लोग पता नहीं कब सुधरेंगे । मेरे लिए हाथों में पत्थर लिए घूमने वाले लोग इस्तेमाल होने के बाद पछताते रहे हैं । जो समझदार हैं वो इसके भीतर छिपी राजनीति जानते हैं लेकिन जो नासमझ है वे चंद रुपयों और झूठे आश्वाशानों में आकर लगातार प्रयोग किये जा रहे हैं । यही हमारी शाश्वत कमजोरी है ....निषाद अगर किसी से पराजित हुआ है तो निषाद से ही । निषाद को बलहीन किया है तो निषाद ने ...निषाद को शर्मिंदा किया है तो निषाद ने ।

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