शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में निबटेगी

सठियाये ,थके हारे और दिमागी दिवालिया पन का अंतिम दौर झेल रहे बेनी बाबू हद किये डाल रहे हैं ।  किसी भी पार्टी की आलोचना राजनीति में स्वस्थ मानी जाती है ।  आलोचनाओं का सहर्ष स्वागत होता है ..किया भी जाना चाहिए । लेकिन जो काम बेनी बाबू अखबार और टीवी के जरिये कर रहे हैं वो राजनैतिक स्वस्थ मानदंडों के अनुरूप कदापि नहीं माना जा सकता । इसे आलोचना नहीं ..गाली गलौज की श्रेणी में रखा जा सकता और आपत्ति जनक है । जाहिर है वे ऐसा करके कांग्रेस और अपने लिए ही संकट खड़े कर रहे हैं । कांग्रेस के मैनेजरों ने उन्हें औकात में रहने की सलाह भी दी हैं । एक केन्द्रीय मंत्री के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि कांग्रेस संघठन के ऐसे लोग जो उनके सामने कुछ भी नहीं है ...उन्हें डांट पिला रहे हैं । बेनी बाबू में अगर शर्म  है तो कांग्रेस से इस्तीफ़ा दें दें । वे कहते घूम रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें बोलने से रोकेगी तो इस्तीफ़ा दे देंगे .....कांग्रेस तो रोक रही है ...स्टेट इंचार्ज चेतावनी दे रहे है ..बेशर्म बेनी कांग्रेस में बने हुए हैं ।

जहाँ तक आदरणीय नेता जी का सवाल है तो मुलायम सिंह जी ने हमेशा उसूलों की राजनीति की है और मान सम्मान के साथ की है । अपने सिद्धांतों के लिए अपनी सरकार तक कुर्बान की है ...लेकिन अपने वायदों से पीछे नहीं हटे । नेता जी का बड़प्पन देखिये ...आलोचनाओं को अपनी शक्ति मानने वाले नेताजी ने बेनी के बयान को आज की प्रेस कांफ्रेंस में यह कहकर टाल दिया कि " मेरा साथी मेरी चर्चा कर रहा है "।

मेरी राय है चुनाव सामने हैं बेनी बाबू अपनी सीट बचाएं और फालतू बकबास बंद करते हुए सीमा लांघने की कुचेष्टा न करें ......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में सड़कों पर निबटेगी 

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