सोमवार, 20 जून 2011

उत्तर प्रदेश बना बलात्कार प्रदेश ,अपराध प्रदेश

                                         
प्रिय मित्रों ,
उत्तर प्रदेश अब बलात्कारियों की प्रयोगशाला बन गया है | अपराध प्रदेश में अपराधियों की मौज है | सत्ता का संरक्षण पाकर संवर्धित एवं विकसित अपराधियों की नई जमात, नए कलेवर के साथ मैदान में है | प्रदेश सरकार के अपराध प्रेम का ही नतीजा है कि बसपा के डेढ़ दर्जन से ज्यादा मंत्री एवं पाँच दर्जन से ज्यादा विधायक बाकायदा अपराधी हैं | जिनमे कई तो न्यायिक प्रक्रिया से गुज़र कर सजायाफ्ता घोषित हैं एवं कई माननीय फरार चल रहे हैं | कई छुट भैये हैं, जो थामे हुए हैं पनाह खादी की और दिए जा रहे हैं अपने कारनामों को अंजाम बेखौफ और बेखतर |
               NCRB की रिपोर्ट कहती है कि पूरे देश का 20% क्राइम यू० पी० में ही हो रहा है | जो अपने आप में न केवल हैरत अंगेज़ है बल्कि अफसोसनाक भी है | 
और....... भी ज्यादा शर्मनाक ये है कि महिला मुख्यमंत्री के होते हुए महिलाओं और खास कर दलित महिलाओं की इज्ज़त जिस तरह बसपा विधायक ही तार तार किये दे रहे हैं, वो अपने आप में सामाजिक न्याय के अलंबरदारों के बडबोलेपन पर करार तमाचा है |
उत्तर प्रदेश पुलिस का आंकड़ा कहता है कि 2010 के साल में आज़ादी के बाद से अगर किसी वर्ष में सबसे ज्यादा क्राइम हुआ है है तो 2010 में | प्रदेश के पुलिस थानों में 180,000  से ज्यादा मुक़दमें रजिस्टर हुए  | जिनमे 35,000 से ज्यादा मुक़दमें महिलाओं पर हुए अत्याचार से सम्बंधित हैं | जिनमे 6000 से ज्यादा बलात्कार के  मामले, शेष यौन उत्पीडन , दहेज़ हत्या , दहेज़ उत्पीडन , छेड़छाड़ से सम्बंधित हैं | औसतन 17 बलात्कार रोज़, यानि हर 2 घंटे में 3 महिलाओं की इज्ज़त लुट जाना | 
                         ये शर्मनाक है, अपने आप को कुमारी कहने वाली महिला नेत्री के लिए |
इतना ही नहीं SC/ST ACT के सर्वाधिक मुक़दमें भी इसी वर्ष दर्ज हुए जो साबित करते है कि दलित वर्गों के प्रति सरकार के सरोकार और संवेदनाओं में किस कदर ठंडापन आया है और मनुवादी ताक़तों से रुपया बटोर रही बसपा सरकार उनके विकास के प्रति कितनी लापरवाह, उदासीन और स्वार्थी बन बैठी है | 
कहना अतिशयोक्ति न होगा, कि बहन जी का जंगल राज अपने पूरे यौवन पर है और अन्यायमुक्त, अपराधमुक्त, भयमुक्त और विकासयुक्त वातावरण के नारों के दलित लेखक ही आज अपना सिर धुन रहे हैं|

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