समाजवादी पार्टी पश्चिम बंगाल से दिल्ली की सत्ता का मार्ग प्रशस्त करने निकल पड़ी है । देश भर के अपने जांबाज़ सिपहसालारों को बंगाल में जुटा कर सपा नेतृत्व अपनी तैयारियों को आधार देने में जुट गया है । बंग भूमि क्रांति और परिवर्तन की ऐतिहासिक साक्षी रही है और बंगाल से निकले अनेक आन्दोलनों ने देश की निरंकुश हुयी सत्ता को समय समय पर लगाम देने के साथ अनुशासन के कठोर चाबुक भी बरसाए है । आज देश 14 वर्षों के द्विदलीय शासनव्यवस्था के वनवास से आजिज आकर बंगाल से किसी नये सूर्योदय की कामना कर रहा है ।
समाजवादी पार्टी का अभ्युदय कांग्रेस और कुत्सित जनसंघी विचारधारा से ऊब कर और वास्तविक आजादी से कोसों दूर अंग्रेजों से मात्र सत्ता हस्तांतरण किये बैठी कांग्रेस के दो पाटों में पिस रहे आम भारतीय जनमानस की कराह और वेदना की परिणिति के रूप में हुआ । जब जब देश की सत्ता निरंकुश हुयी समाजवादियों ने आगे बढ़ कर संघर्ष का मार्ग चुना और व्यवस्था को अतिक्रमण करने से चेताया। चाहे आपातकाल रहा हो, स्वर्णमंदिर पर सेना भेजने का मामला रहा हो ,दिल्ली में सिखों का कत्लेआम हो अथवा रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद की आग में देश को झोंकने का षड्यंत्र, समाजवादियों ने ही सत्ता में आँख मूंदे बैठे लोगो को सड़कों पर आकर ललकारने का काम किया । आज घोटाले और आर्थिक भ्रष्टाचरण की गंगोत्री सिद्ध हो चुकी कांग्रेस नीत यूपीए 2 सरकार की विफलता और भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक चरित्र ने तीसरे संयुक्त मोर्चे की स्वयमेव राह बनाने की पहल कर आरम्भ दी है ।
भारी बहुमत से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुयी समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक सांसदों के बूते दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता तक पहुचने का रास्ता बंगाल से तलाशने आ पहुंची है । देश में समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ाने में हमेशा केन्द्रीय कांग्रेसी सत्ता की मुखालिफ रही वामपक्षी पार्टियां आगे रहीं । CPI , CPI (M ), RSP , AIFB , CPI (ML) के साथ साथ RJD ,AGP , TDP , AIADMK ,MGP , NCP , JMM ,PDP आदि दल आज कांग्रेस से इतर अपना और देश का भविष्य तलाश रहे है । जिसका आधार भी बंगाल बनाने जा रहा है । निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी इन दलों में सबसे मजबूत और बहुमत के नाते नेतृत्वकर्ता की हैसियत में है जो देश में समाजवादी आन्दोलन के भविष्य में और मजबूत होने के साथ साथ निर्णायक भूमिका में रहने की ओर इशारा करता है ।2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और तीसरे मोर्चे के स्वरुप का निर्धारण इसी अधिवेशन में निर्धारित हो जायेगा । दिनों दिन ढलती कांग्रेस और जनसमस्याओं से विमुख संघर्षहीन भाजपा का विकल्प अब बंगाल से तय होने जा रहा है । बंगाल से तय होने वाले समीकरण ही देश की आगामी राजनीति को प्रभावित और नियंत्रित करेंगे जिसमे समाजवादी अपनी निर्णायक भूमिका निर्धारित कर चुके हैं । समाजवाद का नया सूरज बंगाल से निकलने जा रहा है ।
समाजवादी पार्टी का अभ्युदय कांग्रेस और कुत्सित जनसंघी विचारधारा से ऊब कर और वास्तविक आजादी से कोसों दूर अंग्रेजों से मात्र सत्ता हस्तांतरण किये बैठी कांग्रेस के दो पाटों में पिस रहे आम भारतीय जनमानस की कराह और वेदना की परिणिति के रूप में हुआ । जब जब देश की सत्ता निरंकुश हुयी समाजवादियों ने आगे बढ़ कर संघर्ष का मार्ग चुना और व्यवस्था को अतिक्रमण करने से चेताया। चाहे आपातकाल रहा हो, स्वर्णमंदिर पर सेना भेजने का मामला रहा हो ,दिल्ली में सिखों का कत्लेआम हो अथवा रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद की आग में देश को झोंकने का षड्यंत्र, समाजवादियों ने ही सत्ता में आँख मूंदे बैठे लोगो को सड़कों पर आकर ललकारने का काम किया । आज घोटाले और आर्थिक भ्रष्टाचरण की गंगोत्री सिद्ध हो चुकी कांग्रेस नीत यूपीए 2 सरकार की विफलता और भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक चरित्र ने तीसरे संयुक्त मोर्चे की स्वयमेव राह बनाने की पहल कर आरम्भ दी है ।
भारी बहुमत से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुयी समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक सांसदों के बूते दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता तक पहुचने का रास्ता बंगाल से तलाशने आ पहुंची है । देश में समाजवादी विचारधारा को परवान चढ़ाने में हमेशा केन्द्रीय कांग्रेसी सत्ता की मुखालिफ रही वामपक्षी पार्टियां आगे रहीं । CPI , CPI (M ), RSP , AIFB , CPI (ML) के साथ साथ RJD ,AGP , TDP , AIADMK ,MGP , NCP , JMM ,PDP आदि दल आज कांग्रेस से इतर अपना और देश का भविष्य तलाश रहे है । जिसका आधार भी बंगाल बनाने जा रहा है । निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी इन दलों में सबसे मजबूत और बहुमत के नाते नेतृत्वकर्ता की हैसियत में है जो देश में समाजवादी आन्दोलन के भविष्य में और मजबूत होने के साथ साथ निर्णायक भूमिका में रहने की ओर इशारा करता है ।2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और तीसरे मोर्चे के स्वरुप का निर्धारण इसी अधिवेशन में निर्धारित हो जायेगा । दिनों दिन ढलती कांग्रेस और जनसमस्याओं से विमुख संघर्षहीन भाजपा का विकल्प अब बंगाल से तय होने जा रहा है । बंगाल से तय होने वाले समीकरण ही देश की आगामी राजनीति को प्रभावित और नियंत्रित करेंगे जिसमे समाजवादी अपनी निर्णायक भूमिका निर्धारित कर चुके हैं । समाजवाद का नया सूरज बंगाल से निकलने जा रहा है ।
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