मायावती का इतिहास भी देखा जाये तो RSS की मदद से तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती ने गुजरात में मुसलमानों का क़त्ले आम मचा देने वाले नरेंद्र मोदी के पक्ष में न सिर्फ प्रचार किया बल्कि निकाय चुनाव में मेरठ में अपने ही प्रत्याशी को हरवाते हुए मुसलमानों को कट्टर जेहनियत का बता कर दलित वोटरों से भाजपा को वोट देने की अपील कर डाली थी |
बसपा के संघ से अवैध संबंधों की पुष्टि एक और तथ्य से की जा सकती है | बसपा ने सपा के प्रायः हर मुसलमान उम्मीदवार के विरुद्ध वोट कटवा मुस्लिम चेहरे उतारे हैं जिनका एक मात्र उद्देश्य मुस्लिम वोटों का विभाजन है ताकि कम से कम सपा का मुस्लिम प्रत्याशी तो हार ही जाये | मायावती के 85 मुस्लिम प्रत्याशियों में 60 से अधिक सपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के विरुद्ध हैं | बाकी कमज़ोर सीटों पर केवल मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या बढाकर दिखाने के लिए जबरदस्ती टिकट देकर तान दिए गए हैं | ये RSS का छिपा एजेंडा है कि मुसलमान नेतृत्व विहीन होकर कमज़ोर पड़ जाये और मायावती लगातार RSS की इसी योजना पर काम कर रही है | दर असल नेता जी ने जब से मुस्लिमों के लिए OBC कोटे से एकदम अलग 18 % आरक्षण की मांग उठायी तब से RSS और भाजपा समाजवादियों पर अधिक हमलावर हो गए हैं |
क्या कल्पना की जा सकती है कि संघ की अपील पर भाजपा का वोट जब बसपा को पड़ेगा तो बसपा के मुसलमान प्रत्याशियों को भी इसका लाभ मिलेगा ? कदापि नहीं | इस प्रकार स्पष्ट है कि मायावती RSS के छिपे एजेंडे पर काम करके मुस्लिम प्रत्याशी नहीं बल्कि कुर्बानी के बकरे तैयार कर रही है |
देखतें हैं , लोग क्या निर्णय लेते हैं |
रात तो वक़्त की पाबन्द है ढल जाएगी |
देखना ये है, चरागों का सफ़र कितना है |
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