श्री छेदी लाल साथी की अध्यक्षता में गठित सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के पेज 329 में वर्णित है कि "मल्लाह , केवट , चाई, सोरहिया, बिन्द, बाथम या बथुड़ी, मांझी, मुडियारी ,तियर ,तियार, तुरेहा या तुराहा, खुलवट , रैकवार , कैबर्त तथा निषाद , यह सब मल्लाह जाति के ही विभिन्न नाम हैं जो प्रदेश के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय बोलियों के कारण भिन्न भिन्न नामों से जाने जाते हैं | इन सब जातियों का मुख्य व्यवसाय नाव चलाना , मछली मारना, तथा जाल बुनना है |
इसी रिपोर्ट के पेज 328 में बिन्द जाति के सम्बन्ध में लिखा है कि यह जाति मछुए, नाव चालकों एवं केवट मल्लाहों से मिलती जुलती मानी जाति है |
इसी प्रकार रिपोर्ट के पेज 333 में धीमर / धीवर को ऐतिहासिक प्रष्ट भूमि के अंतर्गत उल्लेख किया है कि धीवर भारतीय समाज में हिन्दुओं में एक शूद्र जाति है | इस जाति का नाम संस्कृत के शब्द स्कंधकार तथा धीवर से बना है जिसका आशय है क्रमशः कंधे पर सामान धोने वाले एवं मछली पकड़ने वाले लोग | इसी से कहारा भी बना है | यह कहार जाति की पर्यायवाची जाति है |
उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की वर्तमान सूची में मछुआ समुदाय की कतिपय जातियों को जैसे मझवार,गोंड , खरबार , बेलदार, तुरेहा को शामिल तो किया गया है, किन्तु मछुआ समुदाय की अन्य जातियों जैसे केवट , मल्लाह, बिन्द, धीवर , धीमर, बाथम , रैकवार , गोड़िया, मांझी एवं तुराहा आदि को छोड़ दिया गया है , जबकि ये सभी जातियां मछुआ समुदाय की उप जातियां अथवा पर्यायवाची जातियां हैं जिनका रहन - सहन , रीति - रिवाज और धंधा -पेशा एक जैसा है और इन सबका आपस में खान पान व रोटी-बेटी का सम्बन्ध है | ये तथ्य इनके मानव शास्त्रीय अध्ययन में साबित हो चुकें है |"
इन समस्त जातियों के विकास के लिए स्व छेदी लाल साथी ने इस समुदाय को अनुसूचित जातियों की भांति सुविधाएं देने की संस्तुतियां सरकार से की थीं | आज स्व छेदी लाल साथी आयोग की रिपोर्ट को धूल चाटते 32 साल होने जा रहे हैं |
बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा के सामने अम्बेडकर महासभा नाम से दूकान चलाने वाले लोग स्व छेदी लाल साथी जी की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी शान में कसीदे तो गढ़ते हैं लेकिन जब छेदी लाल साथी की रिपोर्ट लागू होने की बात आती है तो ये दोगले चरित्र के लोग कोर्ट पहुँच कर मायावती के इशारे पर स्टे आर्डर ले आते हैं |
अम्बेडकर महासभा के लोग यदि स्व छेदी लाल साथी जी को वाकई सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो उनकी रिपोर्ट लागू होने की राह में रोड़ा न बने |
इसी रिपोर्ट के पेज 328 में बिन्द जाति के सम्बन्ध में लिखा है कि यह जाति मछुए, नाव चालकों एवं केवट मल्लाहों से मिलती जुलती मानी जाति है |
इसी प्रकार रिपोर्ट के पेज 333 में धीमर / धीवर को ऐतिहासिक प्रष्ट भूमि के अंतर्गत उल्लेख किया है कि धीवर भारतीय समाज में हिन्दुओं में एक शूद्र जाति है | इस जाति का नाम संस्कृत के शब्द स्कंधकार तथा धीवर से बना है जिसका आशय है क्रमशः कंधे पर सामान धोने वाले एवं मछली पकड़ने वाले लोग | इसी से कहारा भी बना है | यह कहार जाति की पर्यायवाची जाति है |
उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की वर्तमान सूची में मछुआ समुदाय की कतिपय जातियों को जैसे मझवार,गोंड , खरबार , बेलदार, तुरेहा को शामिल तो किया गया है, किन्तु मछुआ समुदाय की अन्य जातियों जैसे केवट , मल्लाह, बिन्द, धीवर , धीमर, बाथम , रैकवार , गोड़िया, मांझी एवं तुराहा आदि को छोड़ दिया गया है , जबकि ये सभी जातियां मछुआ समुदाय की उप जातियां अथवा पर्यायवाची जातियां हैं जिनका रहन - सहन , रीति - रिवाज और धंधा -पेशा एक जैसा है और इन सबका आपस में खान पान व रोटी-बेटी का सम्बन्ध है | ये तथ्य इनके मानव शास्त्रीय अध्ययन में साबित हो चुकें है |"
इन समस्त जातियों के विकास के लिए स्व छेदी लाल साथी ने इस समुदाय को अनुसूचित जातियों की भांति सुविधाएं देने की संस्तुतियां सरकार से की थीं | आज स्व छेदी लाल साथी आयोग की रिपोर्ट को धूल चाटते 32 साल होने जा रहे हैं |
बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा के सामने अम्बेडकर महासभा नाम से दूकान चलाने वाले लोग स्व छेदी लाल साथी जी की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी शान में कसीदे तो गढ़ते हैं लेकिन जब छेदी लाल साथी की रिपोर्ट लागू होने की बात आती है तो ये दोगले चरित्र के लोग कोर्ट पहुँच कर मायावती के इशारे पर स्टे आर्डर ले आते हैं |
अम्बेडकर महासभा के लोग यदि स्व छेदी लाल साथी जी को वाकई सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो उनकी रिपोर्ट लागू होने की राह में रोड़ा न बने |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें