सच्चा समाजवादी कभी भी आरक्षण विरोधी नहीं हो सकता और सच्चा अम्बेडकरवादी समाजवादी न हो, ये हो ही नहीं सकता | क्योंकि समाजवादी व्यवस्था ने कमजोरों के लिए विशेष अवसरों की सदैव वकालत की है | जिसे कानून ने आरक्षण का नाम दिया है | लेकिन जो लोग इसी आरक्षण के सहारे आगे बढ़ गए और अपनी आजीविकाओं में परिवर्तन ले आये , इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि समाजवाद के खिलाफ वो लोग ही सबसे पहले आस्तीनें चढ़ाये घूम रहे हैं और दूसरों के आरक्षण का विरोध करते फिर रहे हैं | ये न सिर्फ मानवता के विरुद्ध है बल्कि उस अम्बेडकरवाद के भी खिलाफ है, जिसके वो अलमबरदार, सिपहसालार और तरफदार बन रहे हैं | इन छद्म अम्बेडकरवादियों को आरक्षण विरोध शोभा नहीं देता है | उनका ये विरोध डाल पर बैठ कर डाल को काटने जैसा ही है | अम्बेडकरवाद की बुनियाद समाजवाद ही तो है |इसलिए आवश्यकता समाजवाद के पोषण, संवर्धन और संरक्षण की है, न कि इसे कमज़ोर करने की | समाजवाद के कमज़ोर होने का तात्पर्य है पूंजीवाद का शक्तिशाली हो जाना | पूंजीवादी व्यवस्था में लंगोटी वाला कमाता है और धोती वाला खाता है| दलितों ,पिछड़ों और अल्संख्यकों का हित समाजवाद के आरोहण में है |
आइये भारत में समाजवादी समाज की स्थापना के डा लोहिया और डॉ अम्बेडकर के सपने को साकार करें |
आइये भारत में समाजवादी समाज की स्थापना के डा लोहिया और डॉ अम्बेडकर के सपने को साकार करें |
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