लोकतंत्र के जश्न में पूरा देश आंदोलित है | अन्ना हजारे ने साबित कर दिया कि देश की जनता को साथ लेकर किये जाने वाले आन्दोलन ही इतिहास बनाया करते हैं | अन्ना के नेतृत्व में 13 दिन तक चलाये गए इस महासंग्राम ने न सिर्फ देश के हर वर्ग को जोड़ा बल्कि जनलोकपाल को भावनात्मक मुद्दा बना कर सरकार को भी मुसीबत में डाल दिया | जनता रोमांचित हैं कि अब सरकार ने अन्ना की मांगे मान कर इस बात को मान लिया है कि जनता ही देश की असली नीति निर्धारक है, संसद नहीं | वस्तुतः ये लड़ाई जनता बनाम संसद , संसद बनाम जन लोकपाल और कौन सर्वोच्च के पेंच में ही फंसी रही |
अब अन्ना ने अनशन समाप्त कर दिया है | तो क्या उनकी मांगे सरकार ने मान लीं है ?
1 क्या प्रधानमंत्री इसके दायरे में आगये ?
2 क्या सांसद इसके दायरे में आ गये ?
3 क्या जजों के लिए अलग से कानून आ गया ?
4 मीडिया , NGOs और कार्पोरेट घराने के लिए क्या कानून बना ?
5 क्या संसद में बिल पास हो गया ?
6 स्टैंडिंग कमिटी कौन सा बिल आगे बढ़ाएगी , अन्ना वाला या 5 अन्य
अन्ना ने अनशन क्यों तोडा ? अन्ना की कौन सी मांग कांग्रेस ने मान ली, कोई बतायेगा ? आश्वाशन तो मनमोहन सिंह पहले से भी दे रहे थे| फिर अनशन की क्या आवश्यकता आन पड़ी |
अब अन्ना ने अनशन समाप्त कर दिया है | तो क्या उनकी मांगे सरकार ने मान लीं है ?
1 क्या प्रधानमंत्री इसके दायरे में आगये ?
2 क्या सांसद इसके दायरे में आ गये ?
3 क्या जजों के लिए अलग से कानून आ गया ?
4 मीडिया , NGOs और कार्पोरेट घराने के लिए क्या कानून बना ?
5 क्या संसद में बिल पास हो गया ?
6 स्टैंडिंग कमिटी कौन सा बिल आगे बढ़ाएगी , अन्ना वाला या 5 अन्य
7 नियम 184 के तहत कुछ हुआ ? वोटिंग तक सरकार ने नहीं कराई |
8 दोनों सदनों ने जनलोकपाल बिल को लेकर आखिर तय क्या किया ?
.शासन का घूंसा जब किसी बडी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है पर न जाने किस चमत्कार से बडी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूंसा पड़ जाता है.
सारा ठीकरा छोटे कर्मचारियों के सर मढ़ कर उसे लोकपाल में लाकर क्या कर लोगे ? वो तो पहले से ही मगर मच्छों के जबड़ों में फंसा है | अन्ना ने अनशन क्यों तोडा ? अन्ना की कौन सी मांग कांग्रेस ने मान ली, कोई बतायेगा ? आश्वाशन तो मनमोहन सिंह पहले से भी दे रहे थे| फिर अनशन की क्या आवश्यकता आन पड़ी |
अन्ना माने या न मानें, कांग्रेस अन्ना हजारे को फिर से टोपी पहनाने में कामयाब होगई है |
मैं आपका ध्यान केवट जाति के लिए एक विशेष समस्या की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ |
जवाब देंहटाएंउत्तर प्रदेश की एवं केंद्र की OBC लिस्ट में केवट जाति की स्पेलिंग "KEWAT" दर्शाई गई है जबकि अधिकतर लोग इसकी स्पेलिंग "KEVAT" लिखते हैं, जिससे कि ख़ासकर उन लोगों को जो उन राज्यों में रह रहे हैं जहाँ हिन्दी राज्यभाषा नहीं है और उन्हे अपना OBC का प्रमाण पत्र अँग्रेज़ी में बनवाना पड़ता है, भारी मुश्किलों का समान पड़ता है | स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट में जाति की स्पेलिंग "KEVAT" होने पर उनका OBC प्रमाण पत्र नहीं बन पाता | अतः इस विषय में उचित कदम उठा कर "KEVAT" को भी केंद्र और प्रदेश की OBC सूची में शामिल करवायें |
हम निषाद समूह की समस्त जातियों को अखिल भारतीय स्तर पर SC में शामिल करने के लिए वचन बद्ध हैं |
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