गुरुवार, 23 जून 2011

माया की सफाई : बेगैरती की हद



बलात्कार प्रदेश की मुखिया की बेकाबू कानून व्यवस्था पर दी गयी सफाई ने बेगैरती की अब तक की सारी हदें तोड़ डाली हैं | एक जिम्मेदार पद पर बैठी नेता से ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती | अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सुश्री फरमाती हैं "यू पी की आबादी सबसे ज्यादा है तो उसी अनुपात में अपराध हो रहा है | आबादी ज्यादा है तो चोरियां भी ज्यादा होंगी ,बलात्कार भी अधिक ही होंगे |"

अपने इस घटिया बयान से मायावती ने अपनी घटिया सोच और दूषित संस्कारों को भी जाहिर कर दिया है | इतना ही नहीं आप आगे फरमाती हैं "समाज के नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है और समाज की सोच में गिरावट आई है |"

मै कहता हूँ - जिस प्रदेश की मुखिया अपने सांसद और विधायकों से उनकी क्षेत्रीय विकास निधि में से खुले आम कमीशन की मांग करते हुए CD में रिकार्ड हो जाये , जहां खुले आम पैसा लेकर 20 करोड़ में पार्टी का टिकट बेचा जाये | जहाँ अफसरों से सजातिवादी भाईचारा निभाते हुए विशेष पदों का गठन किया जाये ,जहाँ हत्या ,अपहरण और बलात्कारियों को मंत्री पद एवं चेयर मैनी से नवाज़ा जाये , जहां जनाधार नहीं वरन गुंडई और मनी पावर से प्रत्याशी तलाशे जायें, जहाँ पंचम तल पर सरकारी पैसे को डकारने और भ्रष्टाचारण के नित नए नए तरीके खोजने में IAS जैसी प्रतिभाएं अपने योगदान सुनिश्चित कर रही हों, जहाँ निकाय चुनाव में पब्लिक के गुस्से का अंदाज़ होने पर बैकडोर दूंढा जाये ,जहाँ महिलाओं से ज्यादा 5 वर्ष की बच्चियां असुरक्षित समझी जायें, जहां पुलिस नेता और अपराधियों की दलाल बना दी जाये , जहाँ फैसले अदालतों में नहीं बसपा जिला अध्यक्षों के दरबारों में किये जायें | जहाँ भर्तियों में जातिवार दर्ज़ा राज्य मंत्री अपनी जाति वालों से पैसा इकठ्ठा करें , जहाँ कैडर धूल चाटे और दल बदलू सम्मानित हों , वहां का समाज और आने वाली नस्लें ऐसे सामाजिक न्याय के प्रणेताओं और उनकी मोती तगड़ी प्रतिमाओं को देख कर वैसा ही बनना चाहेंगी | समाज में तो गिरावट आएगी ही |

अब तय हमें आपको करना है समाज को किस दिशा में मोडें?

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