कांग्रेस २००३ से मछुआ समुदाय को छलती चली आ रही है | १६ पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्ज़ा देने सम्बन्धी प्रस्ताव को कांग्रेस ही लटकाए बैठी रही| जब कि मुलायम सिंह जी की सरकार में उक्त प्रस्ताव चार दफे केंद्र को संस्तुति सहित भेजा गया | मायावती जी ने तो हद ही कर दी , सरकार बनाने के २२ दिनों के भीतर मूल प्रस्ताव वापस मंगाकर निरस्त करवा दिया , जैसे बहन जी इसी मुद्दे पर जीत कर आयीं हों | जब समाज ने दबाब बनाया तो महज २ पन्नो की चिठ्ठी केंद्र को भेजकर बसपा ने पिंड छुढ़ा लिया और गेंद फिर से केंद्र के पाले में डाल दी | हमें फ़ुटबाल समझ कर इन लोगों ने अपने गोल मारे और जीतने पर अपनी फ़तेह का जश्न मनाने चले गए , हमारी खाली गेंदे मैदान में अपनी तकदीर बदलने वाले मसीहा की अब तलक मुन्तजिर रही हैं |
अब कांग्रेस फिर से धोखा देने की तैयारी में है | दर असल कांग्रेस हमेशा से ही नज़र अंदाज़ करने की सियासत करती चली आई है | नेहरु के सामने जिन्ना को नज़र अंदाज़ किया, सरदार पटेल के सामने बाबा साहब डाo आंबेडकर को नज़र अंदाज़ किया, लोहिया को नज़र अंदाज़ किया, इतना ही नहीं मुसलमानों को तो हमेशा से ही नज़र अंदाज़ किया और आज भी कर रही है| वर्ना कोई वाजिब वज़ह नहीं है जो सच्चर कमिटी व रंग नाथ मिश्र कमिटी कांग्रेस को दोष देती | आज बहुसंख्यक दलितों के सामने अल्पसंख्यक दलितों को उपेक्षित किया जा रहा है| मीरा कुमार और सुशील शिंदे जैसे नेताओं के दबाब में मछुआ आरक्षण आज भी लंबित है| यदि कांग्रेस के नेताओं में ज़रा भी शर्मोहया बाक़ी है तो केंद्र सरकार भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के मछुआ समाज को अनुसूचित जाति का दर्ज़ा दिलाने सम्बन्धी ख्वाब को जल्द से जल्द पूरा करे | कांग्रेस की नीति और नियत उसी दिन जगज़ाहिर हो गयी थी, जब आरक्षण की आवाज़ उठाने का अंजाम पिछले साल कई निषाद नेताओं ने कांग्रेस से अपने निष्कासन के रूप में झेला था | मछुआरा समुदाय अब कांग्रेस और बसपा के बहकावे में आनेवाला कतई नहीं है और अपने १० % वोट का सही वक़्त पर सही इस्तेमाल करेगा एवं अपने मछुआ समुदाय के हित की बात करने वाले को पहचानने में ज़रा भी भूल नहीं करेगा |
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