उ० प्र० जल रहा है : जे पी ग्रुप की दलाली बंद करे माया
आज उ० प्र० जल रहा है | धरती की सुलगती आग अब दिलों तक आ पहुंची है | सरकारी फरमानों से डरे सहमे रहने वाले बाशिंदों ने मुकाबले की जुर्रत की, तो हाकिम की त्योरियां चढ़ गयी , सरकार आप खो बैठे | प्रार्थना को उठने वाले हाथों ने मुठ्ठियाँ क्या भींची | हुज़ूर के मुंह का जायका बिगड़ गया | इतना जुल्म ढाया कि अंग्रेजी हुकुमत की याद ताज़ा हो आई |
आज ग्रेटर नॉएडा से लेकर आगरा तक हाहाकार मचा हुआ है | कोई गाँव ऐसा नहीं बचा, जिसमे कोई पुरुष हो | पुलिसिया आतंक से घर छोड़ कर सब जान बचाने को भाग गए | पूरे पूरे गाँव छावनी में तब्दील हो चुके हैं | पुलिस के टांय टांय करते दिल दहलाने वाले हूटर और पी ए सी की गाड़ियों के गुब्बार में चारो तरफ मातमी सन्नाटा पसरा है | घरों में मौजूद स्त्रियों, बच्चों और बूढों तक को बेशर्म पुलिस वालों ने नहीं बख्शा | कई तो लापता हैं | कैसा कलेजा चीरने वाला द्रश्य था कि एक 80 साल के बूढ़े व्यक्ति को २० साल का सिपाही चौराहे पर पीट रहा था | सैकड़ों घरों में पुलिस ने तोड़ फोड़ कर बर्तन भांडे तक तोड़ डाले , आगजनी की सो अलग |
क्या खता थी इनकी , यही कि मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट यमुना एक्सप्रेस वे में इनका अदना सा ज़मीनी टुकड़ा आड़े आ रहा था | अगर बाज़ार भाव की हसरत इन गरीबों ने पाल ली, तो इसकी इतनी बड़ी सजा हरगिज़ नहीं हो सकती कि पुलिस इन पर कहर बनकर टूट पड़े |
सरकार अपने बचाव में लाख सफाई दे लेकिन ये कहीं से भी मुनासिब नहीं हैं कि उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण बेकार के प्रोजेक्ट बना कर रातों रात कर लिया जाए , इसके लिए पूरी एक प्रक्रिया है जिसका कहीं से भी पालन नहीं किया गया है | भूमि अधिग्रहण कानून की धारा ४ के अंतर्गत पहले सरकार गज़ट नोटिफिकेशन के ज़रिये सूचना प्रकाशित करवाएगी |तदुपरांत धारा ६ के अंतर्गत आपत्ति/दावे प्राप्त कर उनका निस्तारण करेगी , लेकिन यहाँ ऐसा न करके सबको सहमत दर्शा दिया गया है | यही कारण है कि ग्रेटर नॉएडा, अलीगढ,मथुरा ,बुलंद शहर और आगरा जिलों में ज़मीन हड़पने में सरकार ने इतनी तेजी दिखाई | इतना ही नहीं, जिस भूमि का भाव किसानों को 900 रु ० प्रति वर्ग मीटर दिया जा रहा है , मायावती उसे अपने चहेते जे पी ग्रुप को 30,000 रु प्रति वर्ग मीटर पर बेच रही है | ये कैसी मनमर्जी है कि नॉएडा से लेकर आगरा तक की ज़मीन 11 मनचाहे बिल्डरों को दे कर २० लाख करोड़ में मायावती ने प्रदेश को बेचने का मंसूबा बाँध रखा है | इस सब के बाद भी मायावती सरकार बेशर्मी से कहती है कि उसकी भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीति कारगर है ,वर्ना क्या वाजिब वज़ह हैं जो किसान बग़ावत पर उतारू हैं |
सच तो ये है कि जे पी की दलाली में मस्त माया सरकार किसानों के बढ़ते गुस्से को समझ नहीं पाई और जो किसान अगस्त 2010 से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे , उनकी लगातार अनदेखा करती चली आरही थी | फलस्वरूप आन्दोलन हिंसक हो उठा | सबसे ज्यादा आग में घी डालने का काम किया जबरदस्ती DGP का तमगा पहने बैठे ब्रजलाल ने , जिसने पुलिस को भड़का कर जुल्मो सितम के पहाड़ निर्दोषों पर तुडवाये | इतना ही नहीं DGP का लबादा ओढने के चक्कर में ब्रजलाल एक कदम और आगे बढ़कर किसान नेता मनवीर तेवतिया पर डाकू गब्बर सिंह वाला इनाम रु 50 ,000 भी घोषित कर आये |
ताज्जुब ये कि न तो जिला प्रशासन अपना काम कर रहा था, न पुलिस | लेकिन जिस प्रकार बेलगाम पुलिस ने अपनी हद तोड़ कर कार्रवाही की है, उससे जनता का बदले की राह पकड़ लेना लाज़मी ही लगता है |
सरकार अपनी झेंप मिटाने को लाख कहती रहे कि विपक्ष राजनीति कर आन्दोलन को भड़का रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि जनता मायावती के इस लूटतंत्र से आजिज़ आ चुकी है और इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना चुकी है| ये बग़ावत ,ये मुचैटा और ये शंखनाद इसी का प्रतिबिम्ब है और 2012 विधान सभा चुनाव के मुहाने पे खड़ी माया सरकार को भी इसका पूरा अंदाज़ा हो चुका है |
आज उ० प्र० जल रहा है | धरती की सुलगती आग अब दिलों तक आ पहुंची है | सरकारी फरमानों से डरे सहमे रहने वाले बाशिंदों ने मुकाबले की जुर्रत की, तो हाकिम की त्योरियां चढ़ गयी , सरकार आप खो बैठे | प्रार्थना को उठने वाले हाथों ने मुठ्ठियाँ क्या भींची | हुज़ूर के मुंह का जायका बिगड़ गया | इतना जुल्म ढाया कि अंग्रेजी हुकुमत की याद ताज़ा हो आई |
आज ग्रेटर नॉएडा से लेकर आगरा तक हाहाकार मचा हुआ है | कोई गाँव ऐसा नहीं बचा, जिसमे कोई पुरुष हो | पुलिसिया आतंक से घर छोड़ कर सब जान बचाने को भाग गए | पूरे पूरे गाँव छावनी में तब्दील हो चुके हैं | पुलिस के टांय टांय करते दिल दहलाने वाले हूटर और पी ए सी की गाड़ियों के गुब्बार में चारो तरफ मातमी सन्नाटा पसरा है | घरों में मौजूद स्त्रियों, बच्चों और बूढों तक को बेशर्म पुलिस वालों ने नहीं बख्शा | कई तो लापता हैं | कैसा कलेजा चीरने वाला द्रश्य था कि एक 80 साल के बूढ़े व्यक्ति को २० साल का सिपाही चौराहे पर पीट रहा था | सैकड़ों घरों में पुलिस ने तोड़ फोड़ कर बर्तन भांडे तक तोड़ डाले , आगजनी की सो अलग |
क्या खता थी इनकी , यही कि मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट यमुना एक्सप्रेस वे में इनका अदना सा ज़मीनी टुकड़ा आड़े आ रहा था | अगर बाज़ार भाव की हसरत इन गरीबों ने पाल ली, तो इसकी इतनी बड़ी सजा हरगिज़ नहीं हो सकती कि पुलिस इन पर कहर बनकर टूट पड़े |
सरकार अपने बचाव में लाख सफाई दे लेकिन ये कहीं से भी मुनासिब नहीं हैं कि उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण बेकार के प्रोजेक्ट बना कर रातों रात कर लिया जाए , इसके लिए पूरी एक प्रक्रिया है जिसका कहीं से भी पालन नहीं किया गया है | भूमि अधिग्रहण कानून की धारा ४ के अंतर्गत पहले सरकार गज़ट नोटिफिकेशन के ज़रिये सूचना प्रकाशित करवाएगी |तदुपरांत धारा ६ के अंतर्गत आपत्ति/दावे प्राप्त कर उनका निस्तारण करेगी , लेकिन यहाँ ऐसा न करके सबको सहमत दर्शा दिया गया है | यही कारण है कि ग्रेटर नॉएडा, अलीगढ,मथुरा ,बुलंद शहर और आगरा जिलों में ज़मीन हड़पने में सरकार ने इतनी तेजी दिखाई | इतना ही नहीं, जिस भूमि का भाव किसानों को 900 रु ० प्रति वर्ग मीटर दिया जा रहा है , मायावती उसे अपने चहेते जे पी ग्रुप को 30,000 रु प्रति वर्ग मीटर पर बेच रही है | ये कैसी मनमर्जी है कि नॉएडा से लेकर आगरा तक की ज़मीन 11 मनचाहे बिल्डरों को दे कर २० लाख करोड़ में मायावती ने प्रदेश को बेचने का मंसूबा बाँध रखा है | इस सब के बाद भी मायावती सरकार बेशर्मी से कहती है कि उसकी भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीति कारगर है ,वर्ना क्या वाजिब वज़ह हैं जो किसान बग़ावत पर उतारू हैं |
सच तो ये है कि जे पी की दलाली में मस्त माया सरकार किसानों के बढ़ते गुस्से को समझ नहीं पाई और जो किसान अगस्त 2010 से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे , उनकी लगातार अनदेखा करती चली आरही थी | फलस्वरूप आन्दोलन हिंसक हो उठा | सबसे ज्यादा आग में घी डालने का काम किया जबरदस्ती DGP का तमगा पहने बैठे ब्रजलाल ने , जिसने पुलिस को भड़का कर जुल्मो सितम के पहाड़ निर्दोषों पर तुडवाये | इतना ही नहीं DGP का लबादा ओढने के चक्कर में ब्रजलाल एक कदम और आगे बढ़कर किसान नेता मनवीर तेवतिया पर डाकू गब्बर सिंह वाला इनाम रु 50 ,000 भी घोषित कर आये |
ताज्जुब ये कि न तो जिला प्रशासन अपना काम कर रहा था, न पुलिस | लेकिन जिस प्रकार बेलगाम पुलिस ने अपनी हद तोड़ कर कार्रवाही की है, उससे जनता का बदले की राह पकड़ लेना लाज़मी ही लगता है |
सरकार अपनी झेंप मिटाने को लाख कहती रहे कि विपक्ष राजनीति कर आन्दोलन को भड़का रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि जनता मायावती के इस लूटतंत्र से आजिज़ आ चुकी है और इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना चुकी है| ये बग़ावत ,ये मुचैटा और ये शंखनाद इसी का प्रतिबिम्ब है और 2012 विधान सभा चुनाव के मुहाने पे खड़ी माया सरकार को भी इसका पूरा अंदाज़ा हो चुका है |
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