चुनाव करीब देख मायावती ने फिर चुनावी पासा फेंक दिया है | अबकी बारी है गन्ना किसानों को बेवकूफ बनाने की |
मुख्यमंत्री सोचती है लोग अब भी सत्तर के दशक में जी रहे है | गन्ना मोल की अपनी सियासत झाड़ते हुए मायावती कीमतें बढ़ाने का ढोंग कर रही हैं जबकि गन्ना किसान बहन जी की असलियत, फितरत और नीयत से भली भांति परिचित हैं | नए रेट तो क्या दिलवाएगी ,प्रदेश में आज तक 2007 से गन्ना किसानों को बकाया भुगतान नहीं किया जा सका है जो मामूली रकम नहीं करोड़ों में है | 250 रुपये गन्ना भाव करके मुख्यमंत्री ने किसानों को मुंह चिडाने का कार्य ही किया है | इतने में तो गन्ने की लागत तक हाथ नहीं आ रही किसानों को | खाद के दामों में 40 % की बढोत्तरी अभी हो चुकी है | डीजल के दाम आये दिन केंद्र सरकार बढा रही है | 2007 से डीजल 120 % , खाद के दाम 110 %, मजदूरी 170 % बढ़ चुकी है | इस प्रकार गन्ना लागत में लगभग 140 % की बढोत्तरी हुयी है | जबकि बहन जी ने 2007 के मुकाबले मात्र अब तक 75 % की बढोत्तरी की है जो की सरासर अन्याय ही नहीं, गन्ना किसानों को बेवकूफ समझना भी है | गन्ना किसान इस कडवाहट को वक़्त आने पर जरूर जाहिर करेंगे | पता नहीं मुख्यमंत्री द्वारा घोषित ये नाकाफी मूल्य भी लोगों को मिल पाएगा भी या नहीं या चुनावी चिल्ल पों में दबकर रह जायेगा |
हमारी मांग है गन्ने का भाव 300 रुपये से एक रुपया भी कम न हो |
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