रविवार, 22 सितंबर 2013

मोहन बाबू नहीं रहे !

मोहन बाबू नहीं रहे !

हम सबके प्रिय और समाजवादी पार्टी के आधार स्तम्भ मोहन बाबू का 2014 के निर्णायक मोड़ पर चले जाना विचलित करने वाला है । समाजवादी पार्टी में मोहन बाबू की हैसियत किसी से छिपी नहीं रही । नेता जी के सर्वाधिक प्रिय और विश्वस्त मोहन सिंह जी समाजवाद के अग्रणी अलमबरदार तो थे ही , गैर बराबरी से सतत लड़ने का जो माद्दा आप में था ,वो निसंदेह प्रेरणा दायी है । पिछली कई बैठकों और अधिवेशनों की तरह इस दफा आगरा में मुझे उम्मीद थी कि आपके सानिध्य में कुछ क्षण सौभाग्यस्वरूप मिलते , लेकिन आपका गंभीर स्वास्थ्य अनहोनी जता गया । आप गिरते स्वास्थ्य कारणों से आगरा न आ सके ।

समाजवाद के सिपाही कदम दर कदम अपने पदचिन्ह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा संकेत बन छोड़ जाते हैं । डॉ लोहिया की श्रंखला में श्रद्धेय मधु लिमये, जनेश्वर मिश्र , ब्रजभूषण तिवारी के बाद मोहन बाबू समाजवाद के नए प्रवक्ता बन उभरे और अपना दर्शन समाजवाद के अनुयायियों के लिए संघर्ष करने के लिए छोड़ गए । आपका जीवन हमारे लिए प्रेरणा दायक है । आपका चरित्र और चिंतन समाजवादियों का हौसला है ।

शत शत नमन ।

मंगलवार, 10 सितंबर 2013

प्रिय सजातीय मित्रो,
सुप्रभात । आशा है आप सानन्द होंगे ।
समाजवादी पार्ट 11 एवं 12 सितम्बर को आगरा में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रही है । लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजनैतिक दलों के सम्मलेन , कार्यशालाएं और अधिवेशन होते रहते हैं । लेकिन हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि इनके चिंतन में हमारे लिए क्या चल रहा है और हमारे सामाजिक सरोकारों से इन्हें कितना लगाव है । 1998 में समाजवादी पार्टी से जुड़ने के बाद से प्रायः सभी सभी सम्मेलनों और अधिवेशन में मैं स्वयं व्यक्तिगत प्रयासों से मछुआ हितों की आवाज़ राजनैतिक आर्थिक प्रस्तावो के जरिये उठता रहां हूँ और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व ने भी हमारे हितों को अपने एजेंडे में शामिल कर हमसे भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास किया है ।
इस दफ्फ भी आगरा में मेरा प्रयास रहेगा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धी प्रस्ताव पर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति से सीधे मंजूरी दिलाने हेतु सपा नेतृत्व को अपनी भावनाओं से अवगत कराऊँ । चुनावी बेला में यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं , क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार तो अपना काम कर चुकी । वोटों का नफ़ा नुक्सान सिर्फ कांग्रेस को समझना है क्योकि यह उसके लिए अंतिम मौका होगा ।
मैं 10 सितम्बर की मध्य
रात्रि से 12 सितम्बर की मध्य रात्रि तक आगरा प्रवास पर रहूँगा । आप लोग सुविधानुसार भेंट करना चाहें तो स्वागत है । संपर्क सूत्र - 9415083132
आपका शुभाकांक्षी
विश्वम्भर प्रसाद निषाद .
समाजवादी पार्टी प्रत्याशी - हमीरपुर महोबा तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र ,
पूर्व मंत्री ,उo प्र o शासन

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

कमज़ोर, वंचित एवं उपेक्षित मछुआ समुदाय की मसीहा बहन वीरांगना फूलन देवी, सांसद  को 12 वीं पुण्य तिथि पर शत-शत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि |
मछुआ समुदाय आपके संघर्ष से प्रेरित हो कर अपने सामाजिक , शैक्षिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक विकास की दिशा में आपके मार्गदर्शी सुझावों पर कार्य करता रहेगा और मछुआ आरक्षण के आपके अधूरे सपने को साकार करने के लिए अपने प्राण-प्रण से जुटा रहेगा | सामाजिक क्रांति के इस अंतिम मोर्चे पर आपका अभाव निःसंदेह पीड़ा दायक तो है किन्तु आपकी संघर्ष गाथा हमारे लिए ऊर्जा स्रोत बनकर सामने भी है |
               मछुआ समुदाय आपके सुझाये मार्ग पर चलने को संकल्परत है |

सोमवार, 15 जुलाई 2013

बसपा के समाज तोड़ो अभियान पर लगा पलीता !

आदरणीय मायावती बैचैन हैं ....पेटदर्द शुरू हो गया है । .कहते हैं बरसात में उल्टा सीधा खा लो .....तो अजीर्ण होना लाजिमी हैं ..यहाँ तो पूरा समाज ही जातीय आधार पर चबा डालने की मंशा लिए बैठी बसपा प्रमुख सन्न रह गयी है । इसे करारा झटका माना जा रहा है ।
हालिया हाईकोर्ट द्वारा राजनैतिक दलों के जातीय सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों पर संज्ञान लेकर रोक लगाना स्वागत योग्य एवं सराहनीय है । निसंदेह इसके पीछे राजनैतिक दलों द्वारा समाज को जातीय आधार पर विभाजित कर कर वोट बैंक की गन्दी राजनीति को झटका लगेगा और जातीय उन्माद की ओर बढ़ रहे समाज में खुशहाली और भाई चारा बढ़ेगा ।
सब जानते हैं कि राजनीति में बसपा के उभार से समाज में जातिवादी राजनीति और कमेटियों की बाढ़ सी आ गयी । बसपा और उसकी प्रमुख ने घटिया सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जातियों की कमेटियां खड़ी कर दी ...जैसे में कुर्मी समाज भाईचारा कमेटी , ब्राह्मण समाज भाईचारा कमेटी ,क्षत्रिय समाज भाईचारा कमेटी,बनिया समाज भाईचारा कमेटी , पाल समाज भाईचारा कमेटी सैनी समाज भाईचारा कमेटी,गुर्जर समाज भाईचारा कमेटी ,कश्यप समाज भाईचारा कमेटी, लोहार समाज भाईचारा कमेटी ,ठठेरे समाज भाईचारा कमेटी ,जाट समाज भाईचारा कमेटी ,यादव समाज भाईचारा कमेटी वगैरह वगैरह ........।
इन कमेटियों के गठन से समाज में नफरत और वैमनस्य की खाई चौड़ी हो रही थी वहीँ ये कमेटियों बसपा के लिए अवैध धन वसूली का जरिया बनी हुयीं थी । हर छुट भैय्ये को भाईचारा कमिटी का नेता बनाकर बसपा राजनीति का अपराधीकरण करने में जुटी थी वहीँ तथाकथित भाईचारा कमिटी वाले चोरी और बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में शामिल निकले । यानी जिस पर भाई चारा बनाने की जिम्मेवारी दी गयी वही समाज को तोड़ने में जुट गया ।
समाजवादी पार्टी डॉ लोहिया के जाति तोड़ो -समाज जोड़ो के विचार पर गठित पार्टी है और जातिवाद को देश व् समाज के लिए बुराई मानती हैं । डॉ लोहिया ने समाज को जोड़ने के लिए अंतरजातीय विवाह और रोटी बेटी के संबंधो पर जोर देने की वकालत करते हुए सामाजिक तानेबाने को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया और सबसे पहले पिछड़ों के "अजगर" समूह यानि अहीर ,जाट ,गुर्जर और राजपूत जातियों को गोत्र और जाति भेद मिटाते हुए एक होने का अहसास कराया । बाद में यही गठजोड़ राजनैतिक शक्ति में परिवर्तित होता गया और पिछड़े  राजनीति में जड़ पकड़ते चले गए । लोध…मल्लाह सहित सैनी ,शक्य,मोर्य ,कुशवाहा, माली, फूलमाली जातियां भी गोत्र्वाद और जातिभेद का नाम भूलकर डॉ लोहिया के आह्वान पर एक हो गयी और डॉ लोहिया के अरमानों का समाजवाद परवान चढ़ने लगा ।

निसंदेह अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए समाज को गोत्र में बांटने वाली बसपा इस निर्णय से बौखलाई हुयी हैं ...क्योंकि अभी अभी वह ब्राह्मण सम्मलेन करके निबटी हैं .....फिलहाल हाईकोर्ट के निर्णय ने बसपा के समाज तोड़ो अभियान पर पलीता लगा  दिया है

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में निबटेगी

सठियाये ,थके हारे और दिमागी दिवालिया पन का अंतिम दौर झेल रहे बेनी बाबू हद किये डाल रहे हैं ।  किसी भी पार्टी की आलोचना राजनीति में स्वस्थ मानी जाती है ।  आलोचनाओं का सहर्ष स्वागत होता है ..किया भी जाना चाहिए । लेकिन जो काम बेनी बाबू अखबार और टीवी के जरिये कर रहे हैं वो राजनैतिक स्वस्थ मानदंडों के अनुरूप कदापि नहीं माना जा सकता । इसे आलोचना नहीं ..गाली गलौज की श्रेणी में रखा जा सकता और आपत्ति जनक है । जाहिर है वे ऐसा करके कांग्रेस और अपने लिए ही संकट खड़े कर रहे हैं । कांग्रेस के मैनेजरों ने उन्हें औकात में रहने की सलाह भी दी हैं । एक केन्द्रीय मंत्री के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि कांग्रेस संघठन के ऐसे लोग जो उनके सामने कुछ भी नहीं है ...उन्हें डांट पिला रहे हैं । बेनी बाबू में अगर शर्म  है तो कांग्रेस से इस्तीफ़ा दें दें । वे कहते घूम रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें बोलने से रोकेगी तो इस्तीफ़ा दे देंगे .....कांग्रेस तो रोक रही है ...स्टेट इंचार्ज चेतावनी दे रहे है ..बेशर्म बेनी कांग्रेस में बने हुए हैं ।

जहाँ तक आदरणीय नेता जी का सवाल है तो मुलायम सिंह जी ने हमेशा उसूलों की राजनीति की है और मान सम्मान के साथ की है । अपने सिद्धांतों के लिए अपनी सरकार तक कुर्बान की है ...लेकिन अपने वायदों से पीछे नहीं हटे । नेता जी का बड़प्पन देखिये ...आलोचनाओं को अपनी शक्ति मानने वाले नेताजी ने बेनी के बयान को आज की प्रेस कांफ्रेंस में यह कहकर टाल दिया कि " मेरा साथी मेरी चर्चा कर रहा है "।

मेरी राय है चुनाव सामने हैं बेनी बाबू अपनी सीट बचाएं और फालतू बकबास बंद करते हुए सीमा लांघने की कुचेष्टा न करें ......वर्ना लोहिया वाहिनी अपने अंदाज में सड़कों पर निबटेगी 

रविवार, 9 जून 2013

आलोचनाओं का सहर्ष स्वागत है ।


ठेठ गंवई प्रष्ठभूमि में अपने संघर्षों को मांझते हुए ..... बीहड़ मंजरी यमुना का पानी पी पीकर .... झंझरीपुरवा के विषम जातीय झंझावातों को झेलते हुए मैंने सामाजिक विषमताओं की बेड़ियों को तोड़कर जातीय स्वाभिमान के लिए स्वर्गीय कांसीराम से प्रेरित होकर राजनीति के अंधड़ में कदम रखा । मुझे ऊँगली पकड़ कर राजनीति में लाने वाले कांसीराम जी वास्तव में एक मिशन थे ....आन्दोलन थे ...सामाजिक परिवर्तन के युग द्रष्टा थे ..मजबूत आधार थे । उनके ककहरे सीखकर सत्ता से वंचित पिचासी को जगाने के लिए बुंदेलों के बीच अपने संकल्पों को जीवंत करते हुए मैंने मात्र 28 वर्ष की अवस्था में विधान सभा का दरवाजा खटखटा दिया ।
विधायक बनकर अहसास हुआ ...जिस समाज में परिवर्तन का संकल्प लिया है उसका जीवन कितना दुरूह है दुश्वार है ..संघर्षशील है और वास्तव में अगर कोई समाज छला गया है तो सदियों से निषाद ही है ...हमारी भरोसा करने की आदत ही हमें कमजोर करती आई है । हमने भरोसे किये इसलिए अनवरत धोखे खाए ...किन्तु हमने अतीत से सबक लेने के बजाय उसे भूलना ही बेहतर समझा । आज यही हमारी सबसे बड़ी सजा है ...छल ,छद्म और पाखण्ड से जूझना ही जैसे हमारी नियति होकर रह गयी है । 
मैं 1993 में दूसरी बार विधायक और सपा बसपा सरकार में पहली बार मंत्री बना । कांसीराम जी जी हमारे आदर्श थे उन्होंने अति पिछड़ों को कभी मयस्सर न हो सकने वाली सत्ता की चाबी का रहस्य और रास्ता हमें दिखाया था , हम उन्हें देश की सर्वोच्च सत्ता सौपना चाहते थे और डॉ अम्बेडकर के बहु प्रतीक्षित मिशन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए कमर कसे निरंतर बुन्देली धरती मथ रहे थे । 1995 में  सपा बसपा गठबंधन टूट गया .....नेताजी ने इस्तीफ़ा दिया और मायावती मुख्यमंत्री बनी । कांसीराम जी कृपा से दूसरी बार फिर मंत्री बनने का मुझे सुअवसर मिला । 15 सितम्बर 1995 को बांदा के मैदान में विशाल निषाद महारैली में निषादों के लिए हमने SC आरक्षण माँगा । मायावती ने हमारी मांग को हलके में लिया । अब मायावती के नेत्रत्व में बसपा बदलने लगी ....कांसी राम जी जैसे खामोश बुत होते गए ...मायावती ने मनुवादी ताकतों की गोद में बैठ कर सत्ता का सौदा किया और कांसीराम की तपस्या पर पानी फेरना शुरू किया । हमने विरोध किया । इस बीच हम 1996 सांसद चुन लिए गए और मछुआ समुदाय के SC आरक्षण से सम्बंधित सवालों पर संसद में सवालों की झड़ी लगा दी । मायावती फिर मुख्यमंत्री बनी । बसपा पर कब्ज़ा करने के उद्देश्य से मायावती ने कांसीराम समर्थकों को चुन चुनकर बसपा से बाहर खदेड़ना शुरू किया । मायावती को सरकार में निषाद SC आरक्षण के वायदे की हमने याद दिलाई ...जिसका नतीजा हमें बसपा से निष्काशन के रूप में झेलना पड़ा । ये वो समय था जब निषादों के सहयोग से बसपा बुदेलों की धरती पर मजबूती से पैर गड़ा चुकी थी । समाज के आरक्षण की कीमत ..मेरा बसपा पार्टी से निष्काशन था । लेकिन झंझरी पुरवा के झंझावातों ने प्रेरणा दी और मैंने हार नहीं मानने का फैसला किया ।
मुलायम सिंह जी बेशक तब हमारे नेता नहीं थे लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने हमारे संघर्षों को नजदीक से जाना और हमारे लोगों की आशाओं और अपेक्षाओं को सम्मान देते हुए अपनी पार्टी में समाजवादी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया । इतिहास गवाह है .......मैंने निषाद SC आरक्षण के अतिरिक्त नेताजी से कुछ नहीं माँगा ...न मांगूंगा । नेताजी ने हमसे यही कहा था कि जिस दिन समाजवादी पार्टी सत्ता में आएगी इस मांग पर काम होगा और आप के इस वादे को हम पूरा करने की दिशा में ठोस एवं सार्थक पहल करेंगे ।मुझे ख़ुशी हैं आदरणीय मुलायम सिंह जी ने आज तक मुझे लज्जित होने का मौका नहीं दिया । सपा आज भी इस मुद्दे पर गंभीर संघर्ष कर रही है
पिछली सपा सरकार में इसी मुद्दे पर कार्य करते हुए हमने शोध संसथान से सर्वे कराया और केंद्र को प्रस्ताव भेजा। केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने गाहे बगाहे हर दफा इसमें कमियां निकाल कर वापस किया । चार बार वापस भेजने के उपरान्त अंतिम बार जब प्रस्ताव केंद्र गया तो बसपा के बड़े नेता RGI of INDIA से गाली गलौज कर आये । हमारा और सम्पूर्ण समाज का दुर्भाग्य रहा कि समाजवादी पार्टी चुनाव हार गयी और नेताजी सत्ता से बाहर हो गए ।
जवाब में बनी मायावती की बसपा ने 20 दिन के भीतर उक्त प्रस्ताव को मूल रूप में मंगा कर नष्ट कर दिया । हमने सड़कों पर आंदोलन छेड़ दिया ...बाँदा, आजमगढ़ ,वाराणसी,बलिया ,आंवला , और लखनऊ के विशाल  मंडलीय सम्मेलनों से बसपा दवाब में आ गयी और 4 मार्च 2009 को मायावती ने प्रधान मंत्री को दो पेज की एक चिठ्ठी हमारे समर्थन में भेज दी लेकिन प्रस्ताव दवाए रही ।
समाज अनपढ़ जरूर था और साथ ही राजनैतिक अनुभव हीन भी ... लेकिन  मायावती के छल को जान गया । \मैंने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से समाज की यह बहुप्रतीक्षित मांग सपा के विधानसभा घोषणा पत्र  2012 में रखवाई । नेता जी इस मुद्दे को लेकर समाज के बीच गए और समाज का घनघोर समर्थन मिला ।
दुर्भाग्य से मैं विधान सभा चुनाव हार गया लेकिन नेताजी के प्रति अपना अटूट विश्वास जिता कर ले गया।
पिछले अनुभवों को देखते हुए देर से ही सही ....लेकिन इस मुद्दे पर बाकायदा कमेटियां बनाकर पक्का काम किया गया ताकि कोर्ट कचहरी ..शकोशुबा की कोई गुंजाइश न रहे । आखिरकार सामूहिक प्रयासों से 16 फरवरी 2013 को यह अनंतिम रूप से तदुपरांत विधान सभा से पास कराकर अंतिम रूप से केद्र को भेज दिया गया ।
लोग  कहते है सपा के सहयोग से केंद्र की सरकार चल रही है ......ऐसा वही लोग कहते है जो राजनीति को टीवी पर देखते हैं ,अखबारों में पढते हैं या लोगों से सुनते है । जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है ....केंद्र की सरकार को बसपा का भी पूर्ण समर्थन है और अगर सपा केंद्र सरकार से समर्थन वापस भी लेले तो भी केंद्र सरकार नहीं गिरने वाली । उसे बसपा बचाकर ले जायेगी । ये नंबरों का खेल है जिसमे कुछ नंबरों से हमारी पार्टी चूक गयी , अगर हमारे दस सांसद और होते देश की दिशा और दशा कुछ और ही होती । एक दूसरा सवाल ये भी है सिर्फ निषाद आरक्षण मुद्दे पर सपा केंद्र से समर्थन क्यों वापस ले ......जबकि और दुसरे मुद्दे भी है जिनपर काम होना है ।  सब जानते है प्रदेश सरकार को चलाने के लिए और किये गए वादों को पूरा करने के लिए केंद्र से धन की आवश्यक्ता होती है और सबसे बड़ी बात ये है कि  इस मुद्दे पर संसद में कांग्रेस पर ...या कम से कम सपा पर दवाब डालने के लिए पर्याप्त निषाद सांसद नहीं है । जब बात प्रमोशन में आरक्षण की होती है तो अनुसूचित जाति के सारे सांसद पार्टी मर्यादा भूल कर एक हो जाते हैं ....लेकिन मुठ्ठी भर ही सही .... मछुआ सांसद अपने मुद्दों पर एक जुट होने में कतराते हैं और तौहीन समझते हैं ।
संसद का मानसून सत्र आने वाला है । समाजवादी पार्टी अपने वादे के अनुरूप कांग्रेस पर इस प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए दवाब बनाएगी ..हंडिया उपचुनाव का अनुभव भी कांग्रेस के सामने रहेगा और आशा है कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने से पूर्व पहली बार ही सही ...मछुआ समुदाय के हित में व्यापक निर्णय लेगी और मछुआ जातियों को उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति से अनुसूचित जाति में लाने हेतु आवश्यक संविधान संशोधन करेगी ।
जय भारत ! जय निषाद !! जय समाजवाद !!!

शुक्रवार, 7 जून 2013

निषाद .....केवल निषाद से हारा है |


मारे लोग अधिकारों का रोना घर बैठकर रोते हैं । हमारे युवा फोन पर पूछते हैं कि SC वाले प्रमाण पत्र कब जारी होंगे ...हम होम डिलीवर्ड आरक्षण चाहते हैं । ये समाज रेल रोकने ,जाम लगाने , जेल जाने ,हड़ताल करने अधिकारों की लड़ाई को सड़कों पर लड़ने में हिचकता है और चुपके से आरक्षण चाहता है । कहीं भी किसी ने डी एम को ज्ञापन तक नहीं दिया आरक्षण के लिए । किसी अखबार में आरक्षण के लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं होती ...कोई रणनीति नहीं बनती ..जबकि इतिहास गवाह है कि बिना लडे किसी को कौम को आज तक कुछ नहीं मिला ।
हमारे लोगों में एक जुटता का घोर अभाव है .. जबकि अपने ही आदमी की टांग खींचने में हम सबसे आगे रहते हैं । हम अपने ही आदमी का विरोध करने में अपनी शान समझते हैं । मेरा मानना है विरोध के लिए विरोध जायज नहीं ,विरोध सार्थक होना चाहिए , सकारात्मक ,मर्यादित होना चाहिए और ज्यादा महत्वपूर्ण रचनात्मक होना चाहिए । जबकि हमारे लोग पैसा लेकर लेकर अपने ही आदमी का विरोध करते हुए समाज की आवाज को कमजोर करने पर उतारू हैं । मजेदार बात ये है कि इन विरोध करने वाले लोगों की समाज में कोई हैसियत नहीं, कोई पहचान नहीं ,कोई नीति नहीं ,कोई एजेंडा नहीं , कोई विचार नहीं ,कोई कार्यक्रम नहीं ,कोई उद्देश्य नहीं ।
2012 का विधान सभा चुनाव मैं सिर्फ इसलिए हार गया क्योकि मायावती ने मेरे विरुद्ध ऐन मौके पर निषाद प्रत्याशी उतार दिया ..वो जानती थी कि निषाद SC आरक्षण मुद्दे पर सबसे ज्यादा मैं ही मुखरित था और पिछले मंत्रित्वकाल में मैंने सबसे ज्यादा इसकी वकालत सरकार में रहकर की थी । मेरे विरुद्ध एक साल से घोषित प्रजापति प्रत्याशी को चुनाव से चंद दिन पहले हटाकर मायावती ने निषाद प्रत्याशी बसपा से उतार कर निषाद वोटों का बँटवारा कर निषाद नेत्रत्व को मूक कर दिया ,शक्तिहीन कर दिया । बसपा का निषाद प्रत्याशी चुनाव हारने के बाद भाग गया ...क्योंकि वो तो चुनाव जीतने नहीं मुझे मात्र हराने आया था ..इस प्रकार समाज के अन्तर्विरोध से मैं अपनी ही सरकार में कैबिनेट मंत्री बनते बनते रह गया ।
आज पुनः 2014 लोकसभा चुनाव हेतु मैं हमीरपुर लोकसभा से प्रत्याशी हूँ । दो लाख मुसलमान , डेढ़ लाख निषाद,डेढ़ लाख यादव और एक लाख प्रजापति वोटों के आशीर्वाद के सहारे आज निषाद समाज अपना प्रत्याशी जिताने की हैसियत में सबसे आगे हैं। सारे सर्वे कहते है आप जीत रहे हो , सारे आंकड़े कहते हैं आप जीत रहे हो .....लेकिन इतने पर भी हमारे ही लोगों का पेट नहीं भरा और मुझे चुनाव से पहले झूठे और फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेल भेजना चाहते हैं । हमारे निषाद कार्यकर्त्ता की बेटी का बलात्कार हुआ । बलात्कारी कांग्रेस विधायक की गाडी में घूमता पूरे समाज ने देखा है , आज वो फरार है तो उसके घर वाले उसके अपहरण में हमें ही फाँसे डाल रहे हैं ..ये घिनौनी साजिश है जिसमे दुसरे के हाथों में खिलौना बनकर खेल रहे हमारे सजातीय लोग पता नहीं कब सुधरेंगे । मेरे लिए हाथों में पत्थर लिए घूमने वाले लोग इस्तेमाल होने के बाद पछताते रहे हैं । जो समझदार हैं वो इसके भीतर छिपी राजनीति जानते हैं लेकिन जो नासमझ है वे चंद रुपयों और झूठे आश्वाशानों में आकर लगातार प्रयोग किये जा रहे हैं । यही हमारी शाश्वत कमजोरी है ....निषाद अगर किसी से पराजित हुआ है तो निषाद से ही । निषाद को बलहीन किया है तो निषाद ने ...निषाद को शर्मिंदा किया है तो निषाद ने ।

शनिवार, 16 मार्च 2013

निडर होकर कहें अपनी बात


अगर हमारे पास कोई अच्छा विचार है जो बिखरे हुए समाज को जोड़ने में सहायक हो सकता है तो उसे अवश्य व्यक्त करना चाहिए । विचारों से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व परिलक्षित होता है । जिस समाज में लेखक / वक्ता नहीं होते वह समाज गूंगा माना जाता है । मौन रहकर अपनी पीड़ा को सहन करना ही उसकी नियति बनजाती हैं । विचार से संकल्प बनता है और संकल्पों से सिद्धांत प्रतिपादित होते हैं । सिद्धांतों से आदर्श स्थापित होते हैं और उच्च आदर्शों से ही सामाजिक परिवर्तन संभव होता है । इसलिए बिना विचार के सामाजिक परिवर्तन की कल्पना निरर्थक है । वास्तव में हमारी असफलता का कारण ये हैं कि हम त्वरित लाभ चाहते हैं । विचारों का शोधन किये बिना ही एक दम समर्थन का सपना देखने लगते हैं इसके विपरीत जमीनी स्तर पर हम और हमारा व्यक्तित्व कहीं नहीं होता । हम दूसरों पर आसानी से दोषारोपण कर देते हैं जबकि उसके परिश्रम का मोल या तो जानते नहीं या जानना नहीं चाहते ।सिद्धांत और आदर्श स्थापित करने में जीवन गुजर जाता है । हम बिना सिद्धांतों पर चले आदर्शवाद की खाल ओढना चाहते हैं ।
हर व्यक्ति के सोचने का एक अलग नजरिया होता है । इसमें उसके आसपास के समाज,शिक्षा,संस्कार, कामधंधे ,आजीविका की स्पष्ट छाप होती है । किसान , मजदूर ,लाला , छात्र , नेता आदि सबकी सोच अलग अलग होती है । देश में लोकतान्त्रिक प्रणाली है कुछलोग राजनैतिक नजरिये से भी अपनी सोच रखते हैं । राजनीतिक सोच बुरी हो ,ऐसा हर वक़्त नहीं होता । कुछ लोग हर बात को राजनैतिक नजरिये से ही देखते हैं ,तो कुछ राजनीति को ही बुरे नजरिये से देखते हैं।
अपनी बात मनवाने का सबसे बढ़िया उपाय है अपनी कही बात को अपने ऊपर लागू करके दिखाना । जो प्रत्यक्ष दिखेगा और जिसका प्रभाव लोगों को चमत्कृत कर देगा उसे कोई भी सहर्ष स्वीकार करना चाहेगा अन्यथा की स्थिति में बात केवल बात बनकर रह जाएगी, इसलिए हमें पहले विकल्प सुझाना होगा और उदाहरण बनना होगा .... समाज तभी स्वीकार करेगा ।

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

निर्माण ,प्रगति और उपलब्धियों भरा एक साल

और आज समाजवादी सरकार को एक साल हो गया । विपक्ष ने अखबारों के कोने में अपनी प्रतिक्रिया देकर औपचारिकता पूर्ण की । लेकिन असली प्रतिक्रिया और चर्चा जनता में है । आमजन प्रदेश को विकास और तकनीक के सातवें आसमान की उंचाई पर लेजाने वाले युवा नेतृत्व से न केवल संतुष्ट और प्रसन्न हैं बल्कि उसको और मौका देने के मूड में हैं । लोग विकास के नए आयाम को समझ रहे हैं । लोग विकास की नई परिभाषा के अर्थों को जान रहे हैं और जनता में समाजवादी सरकार के सुलझे कार्यक्रम पहुँचने से लोगों में नई आशा और विश्वास का माहौल पैदा हुआ है ।

समाज के हर वर्ग में कुछ न कुछ अवश्य हासिल होने का संतोष है तो सबसे ज्यादा आशान्वित युवा वर्ग है जो सीधे सीधे सरकार के नेतृत्व से भावनात्मक रूप से जुड़ गया है । ये चमत्कार कोई यकायक नहीं हुआ बल्कि इसके लिए सपा के रणनीतिकारों ने वर्षों मेहनत और अनथक प्रयास किये है । युवाओं  के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी का हमेशा से ही स्पष्ट मानना रहा है कि युवा को संसाधन मुहैया करा दियें जाएँ तो युवा अपना रास्ता और भविष्य स्वयं सभालने का जज्बा रखते हैं । इस एक वर्ष में दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों , व्यापारियों, बुनकरों ,मछुआरों और युवाओं का विशेष ख्याल करते हुए सरकार ने अपने घोषणा पत्र में उल्लिखित विधान सभा चुनाव 2012 की हर लाइन को पूरा करने का प्रयास किया है ।
यकीनन समाज के हर तबके में खुशहाली हैं और जनता अब लोकसभा चुनाव में समाजवादी सरकार को और खुलकर मौका देना चाहती हैं । जनमत करवट ले रहा है जो पीछे छूट चुके हैं संभवतः वे मुद्दा विहीन हो कर रह गए हैं । इसीलिए अब प्रदेश में सीधी लड़ाई विकास बनाम साम्प्रदायिक ताकतों से है यानि समाजवादियों का अब मुकाबला आमने सामने से विघटनकारी भाजपा से है जिसमे लाल सेना नायकों की बढ़त स्पष्ट दिखती है । 

रविवार, 10 मार्च 2013

सपने हुए साकार : गरीब छात्र करेंगे डिजिटल तकनीक प्रयोग

प्रदेश के नौजवानों को उच्च शिक्षित और हाई टैक्नोलोजी से जोड़ने का बहु प्रतीक्षित सपना कल पूरा होने जा रहा है । यशस्वी मुख्यमंत्री के निर्देशन में समाजवादी सरकार अपने चुनाव घोषणापत्र  2012 का सबसे लोकप्रिय और मजबूत वादा पूरा करने जा रही है । कल लखनऊ के कैल्विन ताल्लुकेदार कालेज मैदान में प्रदेश के इंटरमीडिएट उत्तीर्ण 10000 छात्रो को लैपटाप वितरित होंगे।
जनता से किये वादों की कल कड़ी और भी अधिक मजबूत होने जा रही है । शीघ्र पूरे प्रदेश के 15 लाख छात्रो के हाथो में चमचमाता लैपटाप होगा । आशाओं और विश्वास का समंदर कल लखनऊ में और भी हिलोरें मारेगा जब भविष्य के भावी कर्णधार नई डिजिटल तकनीक से रूबरू होंगे और उसका इस्तेमाल कर ज्ञान क्षेत्र का विस्तार करेंगे ।
सच है मगर सपना नहीं है , कल तक बेशक सपना ही था । कई गरीब छात्रों के लिए लैपटाप सपना ही था लेकिन कोटि कोटि धन्यवाद है समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री जी को , जिन्होंने असंभव सी लग रही इस योजना को लागू कर के दिखाया । विरोधी हमेशा से ही मुख्यमंत्री जी की इस महत्वकांक्षी योजना के प्रत्यक्षतः आलोचक रहे , लेकिन परोक्ष रूप से दबे मुंह प्रसंशा भी कर रहे हैं ।
 समाजवादियों की आरम्भ से ही नीति रही है कि  बेरोजगार और बेकार ठहरा दिए नौजवानों के अन्दर सुषुप्त उर्जा को यदि सम्मान देकर देश हित में लगा दिया जाये तो देश को नौजवानों का प्रगतिशील नेतृत्व तो मिलेगा ही देश को नवीन उर्जायुक्त दिशा भी मिलेगी । इसीलिए समाजवादी पार्टी का सदैव विचार रहा है कि नौजवान नीति बनाकर युवाओं में विश्वास और आशा का माहौल बनाकर रोजगार के उचित अवसर सृजित करते हुए खुशहाल वातावरण बनाएं । देश का नौजवान अगर स्वस्थ और प्रसन्नचित है तभी नव निर्माण की ओर अग्रसर होगा । समाजवादी पार्टी युवाओं के इस मिजाज़ को भलीभाँति समझती है ।
श्री मुलायम सिंह यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट बनी इस योजना का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल से लैपटाप वितरित कर शुरुआत करेंगे।