उत्तर प्रदेश के मछुआ समुदाय की अनुसूचित जातियों में गोंड तुरैहा मझवार खरबार बेलदार की भाँति इस समुदाय की अन्य जातियों जिनमे कहार ,कश्यप, निषाद, मल्लाह, केवट, बाथम, धीवर, धीमर , बिन्द , माझी , गोड़िया , तुरहा तथा मछुआ को भैयाराम मुंडा बनाम अनिरुद्ध पटार केस AIR 1971 के आलोक में एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समाज कल्याण विभाग के अनुसूचित जाति /जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के माध्यम से 2003 , 2006 ,2007 तथा 2013 में व्यापक मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण कराकर संस्तुतियों के आधार पर इन जातियों को संविधान संशोधन कराकर धारा 341 (1 ) में जोड़ने विषयक प्राइवेट मेंबर बिल/विधेयक को स्वीकृत किये जाने के सम्बन्ध में आज मैंने राज्यसभा के महासचिव के समक्ष विधेयक प्रस्तुत किया है जिसे उन्होंने परिक्षण आख्या हेतु विधि मंत्रालय को प्रस्तुत कर चालू सत्र अथवा आगामी सत्र में सदन में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है ।
जल जंगल और जमीन पर आश्रित इन मछुआ जातियों को बदलते विकास के दौर ने कहीं अधिक पीछे धकेल दिया है जिसकारण इन जातियों को सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक मोर्चे पर उपेक्षा और शून्य के दौर से उबरने के लिए संविधान सम्मत अधिकारों और सुविधाओं के लिए संविधान में अनुमन्य आरक्षित व्यवस्था से सम्बद्ध होना आवश्यक है । विभिन्न आयोग , समितियों और शोध संस्थानों ने इन जातियों के लिए अनुसूचित जाति /जनजाति आरक्षण की सिफारिश की है । अनेक माननीय सांसदों ने समय समय पर इस दिशा में आवाज़ उठाते हुए इन जातियों के आरक्षण के लिए संसद में पुरजोर वकालत की है ।
आज से ही मैंने अपने विधेयक के समर्थन में साक्ष्य जुटाने आरम्भ कर दिए हैं । मुझे विश्वास है इस पुनीत कर्तव्य में आप सब यथा योग्य अध्ययन सामग्री , साक्ष्य, मुकदमा नज़ीर , अभिलेख आदि मुझे उपलब्ध कराएँगे । हालाँकि इस प्रयत्न में हमारे पास विधि सम्मत पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है किन्तु आप सभी का सहयोग एवं अनुभव भी आवश्यक है |
आपका :
विश्वम्भर प्रसाद निषाद
सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव - समाजवादी पार्टी
सांसद महोदय जी लोक सभा में जो आरक्षण की आबाज आपने उठाई उसके लिए वारंवार धन्यवाद / मनीष कुमार मझवार
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